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फायदेमंद है इन्वेस्टमेंट के बुनियादी नियमों का पालन

अकसर लोग निवेश के नियमों बुनियादी निवेश नियम का पालन नहीं करते हैं जिससे उनको कई बार नुकसान उठाना पड़ता है। ये नियम.

इनमें से ज्यादातर मामलों में इन्वेस्टर ने सोच-समझकर इन्वेस्टमेंट रूल का उल्लंघन करने का निर्णय किया होता है। वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे खुद को यह समझा ले जाते हैं (शायद किसी सेल्सपर्सन की मदद से) कि मौजूदा हालात में आम नियम का रास्ता बुनियादी निवेश नियम छोड़ना फायदेमंद होगा। हममें से ज्यादातर लोग अधिकांश मौकों पर इन्वेस्टमेंट के नियमों को आम दिशानिर्देश की तरह या अच्छी सलाह की तरह लेते हैं, जिनका उल्लंघन किया जा सकता है।

कुछ दिनों पहले किसी और जानकारी के लिए नेट ब्राउजिंग के वक्त मैंने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक डॉक्युमेंट देखा, जो सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट से जुड़ा होने के बावजूद इस मामले में प्रासंगिक है। 'पावर ऑफ टेन' के नाम से इसे कुछ साल पहले कंप्यूटर सायेंटिस्ट गेरार्ड होल्जमैन ने लिखा बुनियादी निवेश नियम था, जो नासा के साथ काम करते थे। इसमें सेफ्टी-क्रिटिकल सॉफ्टवेयर डिवेलप करने के 10 नियम बताए गए हैं। हालांकि हमारे मतलब की बात वह है, जो इस डॉक्युमेंट के लिए रिसर्च करते वक्त होल्जमैन के सामने आई थी।

होल्जमैन ने पाया था कि अगर नियमों का पालन किया जाए, तो उन्हें कानून की तरह मानना होगा, न कि दिशानिर्देश की तरह। ज्यादातर संगठनों में दर्जनों या सैकड़ों दिशानिर्देश होते हैं, लेकिन उनके कर्मचारी इन नियमों के अपवाद स्वरूप उल्लंघन को उचित ठहराने में एक्सपर्ट हो जाते हैं। होल्जमैन ने पाया कि इसके बजाय कुछ ही नियमों का होना बेहतर है, जिनका कभी उल्लंघन न हो।

अगर किसी मामले में अपवाद को उचित ठहराया जा सकता हो तो भी अपवाद स्वरूप उल्लंघन की इजाजत न देने का बेहतर नतीजा सामने आता है। इसकी वजह है कि कुछ उचित ठहराए जा सकने वाले अपवादों पर भी रोक लगा दें तो बड़ी संख्या में बेमतलब के अपवाद स्वरूप उल्लंघनों से बचा जा सकेगा और उन्हें उचित या अनुचित ठहराने में जाया होने वाला वक्त भी बचेगा।

इन्वेस्टर्स पर ऐसे नियम कोई भी जबरन तो नहीं थोप रहा है, तो मामला अनुशासन का हो जाता है। हो सकता है कि ऐसे हालात बनें, जिनमें इन्वेस्टमेंट के बुनियादी नियमों के उल्लंघन से बेहतर रिटर्न मिले, लेकिन ऐसे मामले नाममात्र के ही होते हैं। लिहाजा इन्वेस्टमेंट के बारे में बुनियादी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।

कभी न भूलें निवेश की बुनियादी बातें

अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ रहा है। महंगाई कम हो रही है। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) व घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआइआइ) भारतीय बाजारों पर बड़ी बोली लगा रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि देश की नई सरकार भारी बहुमत से चुनी गई है। इससे न केवल सुधारों को बल मिल रहा है, बल्कि सब तरफ आशाजनक माहौल होने से निवेशक सभी तरह के शेयर खरीदने का जोखिम मोल ले रहे हैं। उत्साह-उमंग के इस दौर में यही वह वक्त है, जब हमें निवेश की बुनियादी बातों को नहीं भूलना चाहिए।


पूंजी बाजार की जटिलताओं को छोड़ दें तो स्वर्णिम नियम को परंपरागत रूप से सभी कामयाब निवेशकों ने अपनाया है। वैसे किसी स्टॉक को जांचने के लिए जिन बातों का सबसे ज्यादा ध्यान रखा जाना चाहिए वे हैं- बेहतर भाव व कंपनी का प्रशासन यानी कॉरपोरेट गवर्नेंस।

कंपनी प्रबंधन का कामकाज परखने के लिए जिन अतिरिक्त मानकों पर गौर किया जाना चाहिए वे हैं : कर पूर्व लाभप्रदता, प्रबंधन के नियंत्रण से बाहर के शुल्क व इक्विटी पर मिलने वाला रिटर्न। किसी निवेश को उन कंपनियों को वरीयता देनी चाहिए, जिनका प्रॉफिट मार्जिन लगातार बढ़ रहा हो व इक्विटी पर स्थिर रिटर्न मिल रहा हो।

कोई कंपनी लंबी अवधि में भी जमी रहेगी या इसका बोलबाला महज बाजार के मौजूदा उबाल पर निर्भर है, यह परखने के लिए उसकी विकास दर, मुनाफे व रिटर्न दर को देखना चाहिए। किसी कंपनी की संभावनाओं को समझने के लिए इन बिंदुओं पर गौर करना चाहिए : कंपनी की ऐतिहासिक वृद्धि दर, तिमाही, वार्षिक रिपोर्टें, विश्लेषकों का साझा अनुमान, अल्पकालिक व दीर्घकालिक विकास दर, उस उद्योग क्षेत्र की वृद्धि दर, भविष्य में कंपनी के विस्तार से संबंधित पत्र-पत्रिकाओं, वेबसाइटों में प्रकाशित अनुमान वगैरह।


इसके अलावा कंपनी की अनुमानित बिक्री के मुकाबले अर्निंग ग्रोथ पर भी नजर डालनी चाहिए। साथ ही, कंपनी की ऐतिहासिक बिक्री व आय की तुलना उसकी वार्षिक रिपोर्टों, बुनियादी निवेश नियम विश्लेषकों की बैठकों तथा आय संबंधी सम्मेलनों में घोषित ग्रोथ लक्ष्यों से करनी चाहिए। कंपनी द्वारा बताए गए भविष्य के अनुमानों को थोड़ा कम करके आंकना चाहिए।


एक बार पांच वर्ष के ईपीएस यानी प्रति शेयर आय का अनुमान सामने आ जाए तो अगला कदम उसके शेयरों का भाव (वैल्युएशन) आंकने का होना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले पिछले कई सालों के दौरान आय के मुकाबले कंपनी के शेयर मूल्य (पी/ई रेशियो) का विश्लेषण करें।

इसके बाद पांच साल आगे के संभावित पी/ई रेशियो काअनुमान लगाएं। पी/ई रेशियो निकालने के लिए शेयर के मौजूदा भाव को प्रति शेयर आय से विभाजित करें। जो आंकड़ा आएगा, उससे इस बात का संकेत मिलेगा कि कंपनी की एक रुपये की कमाई पर बाजार कितनी राशि का भुगतान करने को तैयार है। उद्योग चक्रों, आर्थिक परिदृश्य तथा निवेशकों की प्राथकिताओं के अनुसार पीई रेशियो में अक्सर उतार-चढ़ाव आता रहता है।

उच्च विकास दर वाली कंपनी के शेयर जहां कुछ समय के लिए अत्यंत ऊंचे भाव पर रह सकते हैं, वहीं ही कंपनी की हालत खराब होते ही इनमें अचानक जोरदार गिरावट आ सकती है। महंगाई के दिनों में बुनियादी निवेश नियम भी पी/ई रेशियो प्राय: कम हो जाता है।


कंपनी के उच्च पी/ई रेशियो को देखकर आप उसके स्टॉक के संभावित उच्च भाव का अनुमान लगा सकते हैं। इसके लिए आपको आज से पांच साल बाद के अनुमानित ईपीएस में उच्च पी/ई रेशियो का गुणा करना होगा। ऐसा करने पर जो राशि आएगी वह कंपनी के शेयर का संभावित मूल्य होगा। शेयर बुनियादी निवेश नियम पर रिटर्न का पता लगाने के लिए आपको कंपनी द्वारा अदा किए जाने वाले लाभांश पर भी विचार करना चाहिए।

इस प्रकार किसी खास स्टॉक का चयन करते वक्त प्रत्येक निवेशक को इनमें से कुछ सिद्धांतों का पालन करना चाहिए :

1. उन कंपनियों का अध्ययन करिए जिन्होंने लगातार बढ़िया काम किया है।
2. अपने पोर्टफोलियो में विविधि क्षेत्रों से संबंधित विभिन्न बुनियादी निवेश नियम कंपनियों के स्टॉक्स को शामिल कीजिए।
3. अपने सारे लाभांशों और आमदनियों का फिर से निवेश कीजिए।
4. बाजार के अच्छे व बुरे दोनों ही हालात में नियमित रूप से निवेश करने पर आने वाली औसत लागत निकालिए।
कुल मिलाकर समझदारी के साथ निवेश कीजिए और निवेश के बुनियादी सिद्धांतों को कभी भी मत भूलिए।
शेयरों में निवेश से तीन तरह के रिटर्न
8 लाभांश के जरिये
8 अर्निंग ग्रोथ के कारण शेयरों के भाव बढ़ने से
8जब बाजार को पीई बढ़ने का भरोसा हो तब पी/ई के पुन: आकलन के कारण शेयरों के भाव बढ़ने से।
अरुण ठकराल
एमडी एवं बुनियादी निवेश नियम सीईओ, एक्सिस सिक्योरिटीज

भारत ने बुनियादी ढांचे में निवेश और अंतरराष्ट्रीय कराधान नियमों को सरल बनाने का आह्वान किया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बुनियादी ढांचे में निवेश और अंतरराष्ट्रीय कराधान नियमों को सरल बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने समावेशी और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए उप राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय संसाधनों को गतिशील करने पर बल दिया।अमरीका के वाशिंगटन में जी-20 देशों के वित्तमंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में सुश्री सीतारामन ने कहा कि विकासशील देशों में अंतरराष्ट्रीय कर नियमों को सरल, सुगमता से लागू किए जाने और सार्थक राजस्व अर्जित करने योग्य बनाया जाना चाहिए। वित्त मंत्री ने कर चोरी से बचाव के लिए प्रभावी कर रिपोर्टिंग और सूचनाओं के आदान-प्रदान की भी अपील की।

वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है और संबंधित जोखिमों की रोकथाम सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भारत, जी-20 की अध्यक्षता को एक अवसर के साथ-साथ दायित्व भी मानता है।

सुश्री सीतारामन ने कहा कि भारत बहुपक्षवाद में भरोसा बढ़ाने का पक्षधर है। उसका प्रयास एक दूसरे पर निर्भरता के महत्व को समझने तथा सुरक्षित, शांतिपूर्ण और समृद्ध विश्व के लिए सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहित करने का है। उन्होंने कहा कि जी-20 के वित्तमंत्रियों ने हमेशा कठिन वैश्विक स्थितियों में एकजुटता दिखाई है और अपने मतभेदों को दरकिनार कर लोगों की स्मृद्धि के साझा लक्ष्य के लिए काम किया है। उन्होंने वित्तमंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों से इसी एकजुटता के साथ आगे भी काम करने का आग्रह किया।

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