BREAKING: Our Free Trade Agreement with India has passed through parliament. (📷 with @narendramodi at the G20) pic.twitter.com/e8iG3gpTgr — Anthony Albanese (@AlboMP) November 22, 2022

मुक्त व्यापार की नीति से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपरिभाषा देशों द्वारा आयात-निर्यात में भेदभाव को समाप्त करने की नीति को “मुक्त व्यापार” (Free trade) कहते हैं। इसके तहत विभिन्न अर्थव्यवस्था वाले देशों के ख़रीददार और विक्रेता स्वेच्छा से सरकार, वस्तुओं और सेवाओं पर टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या किसी अन्य प्रतिबंध की चिंता किये बिना व्यापार कर सकते हैं।

इसे सुनेंरोकेंमुक्त व्यापार आयात और निर्यात के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने की नीति है। विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के खरीदारों और विक्रेता स्वैच्छिक रूप से माल और सेवाओं पर टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या प्रतिबंध लागू करने के बिना सरकार के व्यापार कर सकते हैं। मुक्त व्यापार व्यापार संरक्षणवाद या आर्थिक अलगाववाद के विपरीत है।

विकासशील देशों के लिए व्यापार की शर्तें प्रतिकूल क्यों है?

मुक्त व्यापार क्षेत्र के संबंध में कर प्रावधान क्या हैं?

इसे सुनेंरोकेंमुक्त व्यापार समझौता (FTA) यह दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात में बाधाओं को कम करने हेतु किया गया एक समझौता है। एक मुक्त व्यापार नीति के तहत वस्तुओं और सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार खरीदा एवं बेचा जा सकता है, जिसके लिये बहुत कम या न्यून सरकारी शुल्क, कोटा तथा सब्सिडी जैसे प्रावधान किये जाते हैं।

4 भारतीय विदेशी व्यापार प्रतिकूल क्यों हैं?

इसे सुनेंरोकेंइसके विपरीत यदि निर्यात आयातों से कम होते हैं तो व्यापार सन्तुलन प्रतिकूल (Unfavourable) होता है। प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन के कारण विदेशी विनिमय या विदेशी मुद्रा कोष में कमी आती है तथा अनुकूल व्यापार सन्तुलन के कारण विदेशी विनिमय के कोष में वृद्धि होती है।

विकासशील अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंप्राकृतिक संसाधनों का कम उपयोग – अधिकांश विकासशील देशों में पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन पाये जाते हैं, किन्तु पूँजी व तकनीकी ज्ञान की कमी, कुशल एवं प्रशिक्षित श्रमिकों की कमी, विशेषज्ञों के अभाव, परिवहन-साधनों की कमी आदि के कारण ये अपने प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं कर पाये हैं।

दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र पर कौन सा समझौता हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंदक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार समझौता (साप्टा) को 1995 में लागू किया गया।

Australia FTA with India: भारत के साथ FTA ऑस्ट्रेलियाई संसद से पारित, PM एंथनी अल्बनीज ने ट्वीट कर दी जानकारी

Australia FTA with India: भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) को ऑस्‍ट्रेलिया की संसद से मंजूरी मिल गई है. ऑस्‍ट्रेलियो के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने ट्वीट कर यह जानकारी दी.

(Image: Australia PM Tweeter handle)

Australia FTA with India: भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) को ऑस्‍ट्रेलिया की संसद से मंजूरी मिल गई है. ऑस्‍ट्रेलियो के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने ट्वीट कर यह जानकारी दी. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ट्वीट कर जानकारी दी कि, "भारत के साथ हमारा मुक्त व्यापार समझौता (FTA) संसद से पारित हो गया है." भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (AI-ECTA) को लागू करने से पहले ऑस्ट्रेलियाई संसद की मंजूरी जरूरी थी. भारत में इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी लेनी होती है. अब दोनों देश आपसी सहमति से फैसला करेंगे कि यह समझौता किस तारीख से लागू होगा.

अगले साल भारत आएंगे ऑस्‍ट्रेलियाई प्रधानमंत्री

इंडोनेशिया के बाली शहर में जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने कहा, ''मैंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस दौरान हमने ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच घनिष्ठ आर्थिक सहयोग समझौते को अंतिम रूप देने पर चर्चा की.'' उन्होंने कहा़, "मैं मार्च में भारत दौरे पर आऊंगा. हम एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल को भारत मुक्त व्यापार समाप्त होता है ले जाएंगे और यह एक अहम यात्रा होगी और हमारे दो देशों के बीच संबंधों में सुधार होगा."

ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (AI-ECTA) परइस साल 2 अप्रैल को हस्ताक्षर किए गए थे. भारत ने करीब एक दशक बाद किसी विकसित देश के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया है. इससे अगले 5 साल में गुड्स एंड सर्विसेज का एक्‍सपोर्ट डबल हो सकता है. इस डील के बाद ऑस्‍ट्रेलिया के बाजार में भारत के कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, ज्‍वैलरी, स्‍पोट्र्स प्रोडक्‍ट्स समेत 95 फीसदी सामानों का ड्यूटी फ्री एक्‍सेस हो सकतेगा.

मुक्त व्यापार समाप्त होता है

भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विभिन्न चरण

उपनिवेशवाद एक विस्तारवादी अवधारणा है जिसके तहत किसी देश का आर्थिक शोषण एवं उत्पीड़न होता है । इसके तहत एक राष्ट्र द्वारा किसी अन्य राष्ट्र की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संरचना पर नियंत्रण किया जाता है । नियंत्रण करने वाला देश मातृ देश कहलाता है । इस तरह उपनिवेश के अंदर बनाई गई नीतियों का मुख्य लक्ष्य मातृ देश को लाभ पहुंचाना होता है इस दृष्टि से ब्रिटिश ने अपने भारतीय उपनिवेश से आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए समय-समय पर विभिन्न नीतियां बनाई । भारत में उपनिवेशवाद को तीन चरणों में बांटा जा सकता है-

  1. वाणिज्यिक चरण- 1757 से 1813 तक
  2. उद्योग मुक्त व्यापारिक चरण- 1813 से 1858 तक
  3. वित्तीय पूंजीवाद का चरण- 1860 के बाद

भारत और मुक्त व्यापार समझौता (एफ.टी.ए.)

मुक्त व्यापार समझौते या फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफ.टी.ए.) विश्व व्यापार संगठन या डब्ल्यूटीओ के अलावा दुनिया में व्यापार को उदारीकृत करने का आज का नया रास्ता है। एफ.टी.ए. द्विपक्षीय समझौते हैं जिनमें दो देश या दो से अधिक देशों के समूह इस बात पर रजामंद होते हैं कि उनके बीच व्यापार में आने वाली रुकावट कम हो या पूरी तरह खतम हो।

पिछले कुछ साल में भारत सरकार लगातार तथाकथित विकासशील देशों या विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों [Bilateral Free Trade Agreement (FTA)] के अवसर तलाशती रही है।

भारत मुक्त व्यापार समाप्त होता है ने श्रीलंका (1998) और थाईलैंड (2003) के साथ सीमित मुक्त व्यापार समझौता (limited FTAs) किया हैं। इसके अतिरिक्त अफगानिस्तान, नेपाल, चिले, और मर्कोसुर के साथ विशेषाधिकारों (preferential) वाले व्यापार समझौते (प्रशुल्क छूट/रियायत स्कीम) भी किए हैं।

एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के निर्यात की ओर अग्रसर भारत

जिस गति से वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात बढ़ रहे हैं उससे अब यह माना जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 100,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जो कि अपने आप में एक इतिहास रच देगा।

भारत से अप्रैल-दिसम्बर 2021 तक की अवधि में वस्तुओं एवं सेवाओं के हुए निर्यात के वास्तविक आंकड़ों को देखते हुए अब यह कहा जा सकता है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के पार हो जाने की प्रबल सम्भावना है। जिस गति से वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात बढ़ रहे हैं उससे अब यह माना जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 100,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को मुक्त व्यापार समाप्त होता है पार कर सकता है, जो कि अपने आप में एक इतिहास रच देगा।

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