सारणी 1 : उत्तर पूर्वी एशियाई देशों के साथ व्यापार
रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाने का मौका, व्यापार के लिए नहीं रहेगी डालर की अनिवार्यता
आरबीआइ ने भारत के मौद्रिक इतिहास का एक साहसिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में भी होगा। हालांकि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 मुद्राएं हैं लेकिन सभी देशों के केंद्रीय बैंकों में अमरीकी डालर के व्यापार 64 प्रतिशत अमेरिकी डालर है।
मुनि शंकर पांडेय: पिछले दिनों आरबीआइ ने भारत के मौद्रिक इतिहास का एक साहसिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में भी होगा। इसके अनुसार भारतीय निर्यातकों और आयातकों को अब व्यापार के लिए डालर की अनिवार्यता नहीं रहेगी। अब दुनिया का कोई भी देश भारत से सीधे बिना अमेरिकी डालर के व्यापार कर सकता है। आरबीआइ के इस कदम से भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक करेंसी के लिए स्वीकार करवाने की दिशा में मदद मिलेगी। यह निर्णय भारतीय विदेश व्यापार को बढ़ाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमरीकी डालर के व्यापार अमरीकी डालर के व्यापार की अभिलाषा के भी अनुरूप है। इससे भारत के वैश्विक उद्देश्यों को साधने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक मजबूती मिलेगी। हालांकि इसके तात्कालिक प्रभाव का भी आकलन करना होगा।
अमेरिका और भारत के बीच होगा 500 अरब डॉलर का कारोबार, USIBC ने तय किया लक्ष्य
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत और अमेरिका के बीच 2020-21 में कुल द्विपक्षीय कारोबार 80.5 अरब डॉलर था 2019-20 में यह 88.9 अरब डॉलर था। दोनों देशों के बीच अमरीकी डालर के व्यापार द्विपक्षीय कारोबार को 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क । अमेरिका भारत बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) के नए अध्यक्ष अतुल अमरीकी डालर के व्यापार अमरीकी डालर के व्यापार केशप ने कहा है कि अपने संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति कर चुके अमेरिका और भारत को इन्हें नए स्तर पर ले जाने और द्विपक्षीय कारोबार में 500 अरब डॉलर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल के लिए बड़े लक्ष्य तय करने चाहिए। केशप ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह दर्शाना आवश्यक है कि अमेरिका और भारत वैश्विक वृद्धि के वाहक हो सकते हैं, 21वीं सदी में समद्धि और वृद्धि के मॉडल हो सकते हैं।’’
चीन को पीछे छोड़कर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना अमेरिका
दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाते हुए, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2021-22 में भारत के शीर्ष व्यापारिक भागीदार बनने के लिए चीन को पछाड़ दिया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में, अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 119.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि 2020-21 में यह 80.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। अमेरिका को निर्यात 2021-22 में बढ़कर 76.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 51.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि आयात 2020-21 में लगभग 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में बढ़कर 43.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
भारत सरकार
विदेश व्यापार (उत्तर पूर्वी एशिया) प्रभाग का कार्य चीन जनवादी गणराज्य, हांगकांग, ताइवान, जापान, कोरिया गणराज्य, कोरिया लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्य, मकाओ तथा मंगोलिया अर्थात उत्तर पूर्वी एशिया क्षेत्र के साथ भारत के व्यापार एवं आर्थिक सहयोग से संबंधित सभी क्षेत्रीय मामलों को देखना है।
ड्यूटी में संस्थानिक तंत्रों जैसे कि आर्थिक संबंध, व्यापार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संयुक्त समूह (जेईजी) / चीन के साथ संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी), भारत – जापान सीईपीए तथा भारत – कोरिया सीईपीए के तहत संयुक्त समितियों एवं उप समितियों के माध्यम से तथा इन देशों के साथ अनौपचारिक बैठकों, वार्ता एवं परामर्श का आयोजन करके व्यापार एवं आर्थिक सहयोग पर इन देशों के साथ भागीदारी शामिल है।
कार्य में समय समय पर इन देशों एवं क्षेत्रों के संबंध में व्यापार सांख्यिकी का संग्रहण, संकलन एवं विश्लेषण तथा व्यापार एवं आर्थिक सहयोग पर इन देशों में भारतीय मिशनों के साथ चर्चा भी शामिल है।
चीन को पछाड़ भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बना अमेरिका, हुआ 119 अरब डॉलर का कारोबार
पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (फोटो सोर्स: @narendraModi)
भारत अब अमेरिका का शीर्ष व्यापारिक भागीदार बन गया है और यह दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों को भी दर्शाता है। वाणिज्य मंत्रालय के 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 119 बिलियन अमेरिकी डॉलर पार कर गया। दोनों देशों के बीच करीब 119.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ। जबकि 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका को निर्यात 2021-22 में बढ़कर 76.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 51.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। जबकि आयात 2020-21 में लगभग 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 43.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। 2021-22 के दौरान चीन के साथ भारत का वाणिज्य व्यापार 115.42 बिलियन अमरीकी डालर था, जबकि 2020-21 में यह 86.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
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