1. लेवल प्‍लेइंग फील्‍ड-
    • > भारतीय निजी क्षेत्र के लिए रक्षा लोक उपक्रमों के समान एक्‍सचेंज रेट वेरिएशन (ईआरवी) सुरक्षा लागू किया गया है।
    • > निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योग जगत के सभी आयामों के लिए समान उत्‍पाद शुल्‍क/सीमा शुल्‍क व्‍यवस्‍था लागू करना।
  2. रक्षा ऑफसेट-
    • > एमएसएमई के लिए 1.5 मल्‍टीप्‍लायर का प्रावधान जैसा कि भारतीय ऑफसेट पार्टनर (आईओपी)।
    • > 3 तक मल्‍टीप्‍लायर का प्रावधान, जटिल तकनीकी के लिए डी आर डी ओ को हस्‍तांतरण ।
    • > संविदा हस्‍ताक्षर के बाद विदेशी कंपनियां भी ऑफसेट डिस्‍चार्ज के लिए अपने आईओपी और घटकों को इंगित कर सकती है।
  3. गैर कोर मदें-
    • > विक्रेताओं द्वारा आयुध निर्माणी बोर्ड की 143 मदों को गैर-कोर मदों में वर्गीकृत किया गया है।
  4. 'मेक’ प्रक्रिया-
    • >  विक्रेताओं द्वारा डिजाइन और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोटोटाइप विकास लागत 3 करोड़ रुपए के लिए एमएसएमई को अधिमानी व्‍यवहार के साथ मेक-II प्रक्रिया को संशोधित और साधारण निर्गत किया गया है।
  5. एफडीआई नीति-
    • > ऑटोमेटिक रूट के अधीन 49% तक एफडीआई स्‍वीकृत है और 49% से अधिक सरकार के अनुमोदन से।
  6. औद्योगिक लाइसेसिंग नीति-
    • > 70% मदें जैसे- पुर्जे, कम्‍पोनेंट, सब सिस्‍टम, कच्‍चे माल इत्‍यादि को औद्योगिक लाइसेसिंग नीति की परिधि से हटा दिया गया है।
    • > औद्योगिक लाइसेंस की शुरूआती अवधि को 3 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया गया है जिसे आईडीआर एक्‍ट और आर्म्‍स एक्‍ट के तहत आजीवन वैधता के तहत 3 वर्ष और बढ़ाया जा सकता है।
  7. रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड की आउटसोर्सिंग और टेंडर विकास-
    • > रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा व्‍यापक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं जिसमें स्‍वदेशीकरण और आयात विकल्‍प के लिए टेंडर विकास शामिल है।
  8. रक्षा निर्यात-
    • > युद्ध-सामग्री सूची के लिए आवश्‍यक प्राधिकरण की अनिवार्यता को सार्वजनिक डोमैन में रखकर अस्‍पष्‍टता को समाप्‍त कर दिया गया है।
    • > पुर्जों के निर्माण, कम्‍पोनेंटस और सब सिस्‍टम इत्‍यादि के लिए सरकारी प्राधिकारियों द्वारा अंत प्रयोक्‍ता प्रमाण पत्र को प्रति हस्ताक्षरित/स्‍टैम्‍प करवाने की अनिवार्यता को समाप्‍त कर दिया गया है।
    • > आवेदन पत्र आन लाइन प्राप्‍त हो रहे हैं।
    • > निर्यात के लिए प्राधिकरण जारी करने के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) को पब्‍लिक डोमैन में डाल दिया है, प्राधिकरण जारी करने के लिए विशिष्‍ट समय सीमा प्रारंभ की गई है।
  9. ग्रीन चैनल-
    • > आपूर्तिकर्त्‍ता वारंटी/वेंडर की गारंटी के अंतर्गत प्रेषक पूर्व निरीक्षण और माल की स्‍वीकृति की आवश्‍यकता को समाप्‍त करके ग्रीन चैनल नीति को लागू किया गया है।
  10. समय पर भुगतान-
    • > रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कच्‍चे माल की खरीद और सामग्री को वेंडर, विशेष रूप से एमएसएमई को 30 दिन के अंदर 90% राशि का भुगतान करना होता है। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों और आयुध निर्माणी बोर्ड को एमएसएमई वेंडर को 15% अग्रिम का प्रावधान है।

'भारत में विदेशी निवेश'

“नॉर्वे (Norway) और भारत (India) जलवायु (Climate Change) और पर्यावरण (Environment) पर समान महत्वाकांक्षाएं साझा करते हैं. इस क्षेत्र में भारत के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा और हाइड्रोजन उत्पादन के बड़े पैमाने पर विकास की आवश्यकता है, जिसके लिए देश को विदेशी निवेश और अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है. - नॉर्वे की विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ड

विदेशी बैंक HSBC के एक सर्वे में सामने आया है कि प्रवासी भारतीयों में से ज्यादातर भारत में निवेश करना चाहते हैं. हालांकि, इसके साथ ही रिटायरमेंट के बाद वे जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए अपने मौजूदा निवास वाले देश में ही बसना चाहते हैं.

सीबीडीटी ने कहा, ‘‘कंपनी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के रास्ते भारत में बहुत कम शुरुआती पूंजी लाई लेकिन भारतीय बैंकों से उसने बड़ी मात्रा में कार्यशील पूंजी कर्ज लिया.

सूत्र बताते हैं कि सरकार जहां देश के इस सबसे बड़े आईपीओ में विदेशी निवेशकों को निवेश में हिस्‍सा लेने की योजना बना रही है, वहीं चीनी निवेशकों को भी उसने भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है निगाह जमा रखी है. इस आईपीओ की संभावित कीमत $12.2 अरब डॉलर है. सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'चीन के साथ संघर्ष के बाद इसके साथ हमेशा की तरह व्‍यापार नहीं हो सकता. आपसी विश्‍वास की कमी काफी बढ़ गइ है और एलआईसी जैसी कंपनी में चीनी निवेश खतरा बढ़ा सकता है.

सूत्रों ने यह जानकारी दी. गौरतलब है कि भारत में अप्रैल 2020 से पड़ोसी देशों की कंपनियों के लिए सरकार की मंजूरी के बाद ही किसी भी क्षेत्र में निवेश करने का नियम लागू किया गया था. इस फैसले के अनुसार भारत में किसी भी क्षेत्र में निवेश के लिए चीन के FDI प्रस्तावों को पहले सरकारी मंजूरी की आवश्यकता है. सूत्रों ने कहा कि इन प्रस्तावों की जांच के लिए सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयीय समिति का गठन किया है और निवेश प्रस्तावों में अधिकांश भारत में पहले से मौजूद कंपनियों के हैं.

प्रधानमंत्री ने ग्लोबल निवेशकों से यह भी कहा कि भारत में टैक्स रेट काफी कम है, इनकम टैक्स भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है एसेसमेंट और अपील के लिए एक फेसलेस व्यवस्था बहाल की गई है.साथ ही, श्रम कानूनों में भी महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं. आत्मनिर्भर भारत की योजना एक सोची-समझी आर्थिक रणनीति है जिसके तहत भारत की क्षमताओं को विकसित करने की योजना तैयार की गई है.

सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी दे दी है. विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के इरादे से यह कदम उठाया गया है

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त मंत्री ने जुलाई में इसका ऐलान किया था. इससे पहले जुलाई 2018 में सरकार ने रक्षा निर्माण के क्षेत्र में 49% FDI को ऑटोमैटिक रूट से अनुमति दी थी. भारत में रक्षा क्षेत्र में 70% आयात होता है और भारत में रक्षा निर्माण को बढ़ाना देने के लिए यह फैसला किया गया था. हालांकि इस क्षेत्र में विदेशी निवेश अधिक नहीं आया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सुधारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को विदेशी निवेशक गंभीरता से ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका पता इस बात से चलता है कि कोविड-19 के समय भी देश में अच्छा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई की अवधि के दौरान देश में 20 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया.

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अगस्त के पहले पखवाड़े में भारतीय पूंजी बाजारों में शुद्ध रूप से 28,203 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके अलावा करीब पांच माह बाद FPI ऋण या बॉन्ड बाजार में शुद्ध निवेशक रहे हैं. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों के उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजों तथा वैश्विक स्तर पर तरलता की स्थिति सुधरने की वजह से FPI का निवेश बढ़ा है.

रक्षा निवेशक प्रकोष्ठ

भारत में रक्षा क्षेत्र उत्‍पादों को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार की पहल ‘मेक इन इण्‍डिया’ के साथ, रक्षा उत्‍पाद क्षेत्रों में उपलब्‍ध अवसरों के बारे में निवेशकों को जागरूक करने की जरूरत है। एकल संपर्क के रूप में काम करते हुए, रक्षा उत्‍पादन विभाग, भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है रक्षा मंत्रालय के अधीनस्‍थ रक्षा निवेशक प्रकोष्‍ठ क्षेत्र में निवेश के लिए निवेश अवसरों, प्रक्रिया और नियामक आवश्‍यकताओं से संबंधित प्रश्‍नों से संबंधित सभी आवश्‍यक सूचनाएं उपलब्‍ध कराएगा।

रक्षा उत्‍पादन विभाग द्वारा निवेश की सुविधा उपलब्‍ध कराने के लिए निम्‍नलिखित औद्योगिक अनुकूल पहल की गई है।

  1. लेवल प्‍लेइंग फील्‍ड-
    • > भारतीय निजी क्षेत्र के लिए रक्षा लोक उपक्रमों के समान एक्‍सचेंज रेट वेरिएशन (ईआरवी) सुरक्षा लागू किया गया है।
    • > निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योग जगत के सभी आयामों के लिए समान उत्‍पाद शुल्‍क/सीमा शुल्‍क व्‍यवस्‍था लागू करना।
  2. रक्षा ऑफसेट-
    • > एमएसएमई के लिए 1.5 मल्‍टीप्‍लायर का प्रावधान जैसा कि भारतीय ऑफसेट पार्टनर (आईओपी)।
    • > 3 तक मल्‍टीप्‍लायर का प्रावधान, जटिल तकनीकी के लिए डी आर डी ओ को हस्‍तांतरण ।
    • > संविदा हस्‍ताक्षर के बाद विदेशी कंपनियां भी ऑफसेट डिस्‍चार्ज के लिए अपने आईओपी और घटकों को इंगित कर सकती है।
  3. गैर कोर मदें-
    • > विक्रेताओं द्वारा आयुध निर्माणी बोर्ड की 143 मदों को गैर-कोर मदों में वर्गीकृत किया गया है।
  4. 'भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है मेक’ प्रक्रिया-
    • >  विक्रेताओं द्वारा डिजाइन और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोटोटाइप विकास लागत 3 करोड़ रुपए के लिए एमएसएमई को अधिमानी व्‍यवहार के साथ मेक-II प्रक्रिया को संशोधित और साधारण निर्गत किया गया है।
  5. एफडीआई नीति-
    • > ऑटोमेटिक रूट के अधीन 49% तक एफडीआई स्‍वीकृत है और 49% से अधिक सरकार के अनुमोदन से।
  6. औद्योगिक लाइसेसिंग नीति-
    • > 70% मदें जैसे- पुर्जे, कम्‍पोनेंट, सब सिस्‍टम, कच्‍चे माल इत्‍यादि को औद्योगिक लाइसेसिंग नीति की परिधि से हटा दिया गया है।
    • > औद्योगिक लाइसेंस की शुरूआती अवधि को 3 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया गया है जिसे आईडीआर एक्‍ट और आर्म्‍स एक्‍ट के तहत आजीवन वैधता के तहत 3 वर्ष और बढ़ाया जा सकता है।
  7. रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड की आउटसोर्सिंग और टेंडर विकास-
    • > रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा व्‍यापक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं जिसमें स्‍वदेशीकरण और आयात विकल्‍प के लिए टेंडर विकास शामिल है।
  8. रक्षा निर्यात-
    • > युद्ध-सामग्री सूची के लिए आवश्‍यक प्राधिकरण की अनिवार्यता को सार्वजनिक डोमैन में रखकर अस्‍पष्‍टता को समाप्‍त कर दिया गया है।
    • > पुर्जों के निर्माण, कम्‍पोनेंटस और सब सिस्‍टम इत्‍यादि के लिए सरकारी प्राधिकारियों द्वारा अंत प्रयोक्‍ता प्रमाण पत्र को प्रति हस्ताक्षरित/स्‍टैम्‍प करवाने की अनिवार्यता को समाप्‍त कर दिया गया है।
    • > आवेदन पत्र आन लाइन प्राप्‍त हो रहे हैं।
    • > निर्यात के लिए प्राधिकरण जारी करने के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) को पब्‍लिक डोमैन में डाल दिया है, प्राधिकरण जारी करने के लिए विशिष्‍ट समय सीमा प्रारंभ की गई है।
  9. ग्रीन चैनल-
    • > आपूर्तिकर्त्‍ता वारंटी/वेंडर की गारंटी के अंतर्गत प्रेषक पूर्व निरीक्षण और माल की स्‍वीकृति की आवश्‍यकता को समाप्‍त करके ग्रीन चैनल नीति को लागू किया गया है।
  10. समय पर भुगतान-
    • > रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कच्‍चे माल की खरीद और सामग्री को वेंडर, विशेष रूप से एमएसएमई को 30 दिन के अंदर 90% राशि का भुगतान करना होता है। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों और आयुध निर्माणी बोर्ड को एमएसएमई वेंडर को 15% अग्रिम का प्रावधान है।

Expalined: शेयर बाजार में क्यों हो रही गिरावट, निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह

Expalined: शेयर बाजार में क्यों हो रही गिरावट, निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह

Stock Markets Crashed: भारत समेत दुनियाभर के बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई है। बजट के ठीक पहले दलाल स्ट्रीट का इस मूड ने सभी को चिंता में डाल दिया है। वैसे माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी इसका सबसे बड़ा कारण है। कहा जा रहा है कि अभी कुछ और बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यानी निवेशकों के लिए मुश्किल दौर बना रहेगा। कोरोना महामारी भी बाजार के सेंटिमेंट्स को बिगाड़ रही है। अमेरिका और रूस के बीच तनातनी भी आग में घी का काम कर रही है। यहां जानिए एक्सपर्ट्स की राय कि आगे क्या करना चाहिए। वहीं गिरावट की बड़ी बजह क्या हैं

Stock Markets Crashed: गिरावट की दो बड़ी वजह

1. महंगा होता क्रूड बिगाड़ेगा सरकार का बजटीय गणित: सरकार के बजटीय गणित पर सबसे ज्यादा परोक्ष असर महंगे होते क्रूड का पड़ेगा। वर्ष 2022 में क्रूड की कीमतें 14 प्रतिशत बढ़कर 88.17 डालर प्रति बैरल हो गई हैं। पिछले सात वर्षों में यह सबसे ज्यादा है। यह ठीक है कि तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमत भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है नहीं बढ़ा रही हैं, लेकिन अगर क्रूड की कीमतें ऐसी ही बनी रहीं तो पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद एकमुश्त कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं। इसका व्यापक असर महंगाई पर भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है पड़ सकता है। ऐसे में यह देखना होगा कि वित्त मंत्री जनता को फिर से महंगे पेट्रोल डीजल के एक नए दौर में डालती हैं या फिर उन्हें राहत देने के लिए पेट्रोल- डीजल पर उत्पाद शुल्क में पहले ही कटौती करेंगी। केंद्र सरकार के पास एक और उपाय है कि वह राज्यों को पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए नए सिरे से बात करे और उन्हें तैयार करे। महंगे क्रूड का प्रभाव देश के चालू खाते में घाटे (निर्यात से होने वाली विदेशी मुद्रा की कमाई व आयात पर होने वाले विदेशी मुद्रा के खर्चे का अंतर) पर भी दिखाई देगा।

Rajnandgaon News: शेयर मार्केट के नाम पर 4.30 लाख रुपये की ठगी, इंदौर में पकड़े गए ठग

2. महंगाई का दौर लौटने की आशंका भी बड़ी वजह: शेयर बाजार की गिरावट के लिए एक दूसरी बड़ी वजह अमेरिका और दूसरी अर्थव्यवस्था में महंगाई के दौर के लौटने को माना जा रहा है। इसकी वजह से अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों को बढ़ाने का एलान होने वाला है। इसका भारत पर असर होने की बात कही जा रही है। सबसे पहले तो अमेरिकी शेयर बाजार के आकर्षक होने से विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) भारत से पैसा निकाल कर वहां निवेश करेंगे। ऐसे में देखना होगा कि एफआइआइ को पैसा निकालने से रोकने के लिए आम बजट 2022-23 में कोई कदम उठाया जाता है या नहीं। इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार और घरेलू बांड्स पर दिखेगा।

Gold Silver Price: दीपावली से पहले सोने चांदी के भाव में गिरावट, जानें आपके शहर में आज ताजा कीमत

Stock Markets Crashed: जानिए भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है आगे क्या करें

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार के मुताबिक, अभी निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहना होगा, क्योंकि पिछले सप्ताह अमेरिका के तकनीकी शेयरों में भारी गिरावट ने पूरी दुनिया के बाजार को प्रभावित किया है। रूस-यूक्रेन सीमा विवाद और फेडरल बैंक की तरफ से दरों में बढ़ोतरी से इस गिरावट को और मजबूती मिली है।

Rupee Against US Dollar: रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ताजा निचले स्तर पर, 83 के स्तर के करीब इंच

इसी तरह इक्विटी सलाहकार देवांग मेहता का कहना है कि बाजार चार-पांच दिनों से विकसित देशों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर सहमा हुआ है। ओमिक्रोन वैरिएंट के खतरनाक नहीं होने के बावजूद इससे प्रभावित मरीजों की संख्या सोचने को मजबूर कर रही है।

भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है

SEBI ने प्रत्यक्ष ETF लेनदेन की समय सीमा 1 मई, 2023 तक बढ़ाई; ऋण निर्गम के लिए अंकित मूल्य को घटाकर 1 लाख रुपये किया

SEBI defers deadline for direct ETF transactions yet again

28 अक्टूबर 2022 को, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (AMC) के साथ प्रत्यक्ष ETF(एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड) लेनदेन के लिए 25 करोड़ रुपये की सीमा नियम के कार्यान्वयन की समय सीमा 1 मई, 2023 तक बढ़ा दी है। इसका मतलब है कि 28 जुलाई 2022 को जारी सर्कुलर का क्लॉज 2(IV)(A) 1 मई, 2023 से लागू होगा।

  • प्रारंभ में, यह नियम 1 जुलाई, 2022 से लागू होना था और इसे 1 नवंबर, 2022 तक बढ़ा दिया गया था।
  • यह दूसरी बार है जब SEBI ने इस समय सीमा को बढ़ाया है।

SEBI द्वारा यह जानकारी SEBI अधिनियम 1992 की धारा 11 (1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रदान की जाती है, जिसे SEBI (म्यूचुअल फंड) विनियमन, 1996 के विनियम 77 के प्रावधान के साथ पढ़ा जाता है ताकि प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सके और प्रतिभूति बाजार के विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म में ETF की इकाइयों में तरलता बढ़ाने के लिए, AMC के साथ सीधे लेनदेन की सुविधा निवेशकों के लिए तभी होगी जब लेनदेन राशि 25 करोड़ रुपये से अधिक हो।

SEBI ने ऋण निर्गमों के लिए अंकित मूल्य को घटाकर 1 लाख रुपये किया

SEBI ने निजी प्लेसमेंट के आधार पर जारी ऋण सुरक्षा और गैर-परिवर्तनीय प्रतिदेय वरीयता शेयर का अंकित मूल्य 1 जनवरी3, 2023 से मौजूदा 10 लाख रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया।

  • जारीकर्ता के पास 10 लाख रुपये या 1 लाख रुपये अंकित मूल्य रखने के लिए किश्त नियुक्ति ज्ञापन के माध्यम से धन जुटाने का विकल्प होगा।

इस कदम के पीछे का भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है कारण:

कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में तरलता बढ़ाने

SEBI द्वारा यह जानकारी अधिनियम, 1992 की धारा 11(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए SEBI (गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों का निर्गम और सूचीकरण) विनियम, 2021 के विनियम 55(1) के साथ पठित प्रदान की गई है।

SEBI साइबर हमलों से स्टॉक एक्सचेंजों को सुरक्षित करने के लिए दुनिया की पहली प्रणाली विकसित करेगा

SEBI, BSE (पूर्व में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के सहयोग से साइबर हमलों के जोखिम को कम करने के लिए एक प्रणाली विकसित करने के लिए तैयार है। यह प्रणाली मार्च 2023 से चालू हो जाएगी। भारत इस तकनीक को स्थापित करने वाला दुनिया का पहला देश होगा।

  • यह जानकारी SEBI की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) बेंगलुरु, कर्नाटक में ‘पूंजी बाजार में डेटा और प्रौद्योगिकी’ पर अपने व्याख्यान में प्रदान की।

प्रमुख बिंदु:

i. प्रस्तावित तंत्र के तहत, प्रत्येक ग्राहक की स्थिति और संपार्श्विक का सारा डेटा जो ‘A’ के बदले में है, ऑनलाइन है और अपने डेटा सेंटर में ‘B’ के आदान-प्रदान के बगल में एक भंडारण बॉक्स में जा रहा है और बैठा है।

ii. यदि सॉफ्टवेयर हमले के बीच एक्सचेंज ‘A’ नीचे चला जाता है और DR(आपदा रिकवरी) साइट के लिए समय पर आना संभव नहीं है, तो SEBI उस डेटा को एक्सचेंज ‘B’ सिस्टम सॉफ्टवेयर में अपलोड करने के लिए बटन दबाएगा।

iii. यह बाजार में प्रत्येक भागीदार को एक्सचेंज ‘B’ पर काम करने में सक्षम करेगा जैसा कि एक्सचेंज ‘A’ पर चल रहा था।

हाल के संबंधित समाचार:

i. सिंगापुर स्थित कंपनी, हेलिओस कैपिटल मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है के संस्थापक और फंड मैनेजर समीर अरोड़ा ने म्यूचुअल फंड (MF) व्यवसाय शुरू करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से पूंजी बाजार प्राप्त किया।

ii. BSE लिमिटेड (पूर्व में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) को अपने प्लेटफॉर्म पर इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट (EGR) सेगमेंट को पेश करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से अंतिम मंजूरी मिल गई है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय (SEBI) के बारे में:

अध्यक्ष– माधबी पुरी बुच
मुख्यालय– मुंबई, महाराष्ट्र
स्थापना– 1992

चौंकाने वाला उछाल

तो विदेशी निवेशकों के अचानक बढ़े भरोसे से भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में आखिर क्या संकेत उभरते हैं? क्या चीजें अब पटरी पर हैं?

चौंकाने वाला उछाल

भारतीय शेयर बाजार में उछाल अचंभित करने वाला है। अमूमन चुनावों से पहले आशंका का माहौल होता है और निवेशक दांव खेलने के मूड में नहीं होते।

मगर पिछले हफ्ते विदेशी संस्थागत निवेशकों ने करीब 2.20 अरब डॉलर के शेयर भारतीय बाजारों में खरीदे। नतीजतन, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज दोनों के सूचकांक (सेंसेक्स और निफ्टी) तेजी से उछले। सोमवार को सेंसेक्स पहली बार 22,000 के अंक तक गया। भारतीय बाजारों में विदेशी मुद्रा आने के कारण रुपए की कीमत भी सुधरी है।

तो विदेशी निवेशकों के अचानक बढ़े भरोसे से भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में आखिर क्या संकेत उभरते हैं? क्या चीजें अब पटरी पर हैं? निवेशकों के नजरिए से देखें तो कुछ बातें अवश्य विश्वास पैदा करने वाली हैं। मसलन, चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की संभावनाएं लगातार उज्ज्वल होने का इशारा कर रहे हैं। इससे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उद्योग जगत एवं निवेशकों के अनुकूल सरकार बनने की उम्मीद मजबूत हुई है।

दूसरे, यूपीए सरकार ने अपने आखिरी महीनों में आर्थिक सुधारों के प्रति अधिक दृढ़ संकल्प दिखाया। कई लंबित फैसले लिए गए। एम. वीरप्पा मोइली के पर्यावरण मंत्रालय में आने के बाद बुनियादी ढांचा एवं विकास परियोजनाओं को तेजी से हरी झंडी दी गई। इसके लाभ आने वाले महीनों में दिखने की आशा है। साथ ही ये धारणा भी बनी है कि कांग्रेस विपक्ष में रही, तब भी आर्थिक सुधारों के प्रति उसका समर्थन जारी रहेगा, जिससे भावी सरकार के लिए निर्णय लेना आसान होगा।

फिर यूपीए सरकार के लेखानुदान से भी कुछ सकारात्मक संकेत मिले। मसलन, इस वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा अनुमानित सीमा से भी नीचे रखने और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखने में सफलता मिली। कारखाना क्षेत्र में भी इस वित्त वर्ष में गतिविधियां तेज हुईं, जिसकी तस्दीक ताजा एचएसबीसी पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स से हुई है। इसके बावजूद क्या ये अंदाजा लगाना सही होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का संकट दूर हो गया है? शायद ऐसा कहना जल्दबाजी हो। इसलिए कि चुनाव के बाद स्थिर सरकार बनेगी, यह अभी सिर्फ संभावना है। चुनावों में कई बार संभावनाएं साकार नहीं होतीं।

दूसरे, अमेरिका की मौद्रिक नीति और अंतरराष्ट्रीय बाजार का रुख भारत के नियंत्रण में नहीं है। यूक्रेन संकट का पेट्रोलियम बाजार एवं अंतरराष्ट्रीय कारोबार पर क्या आर्थिक प्रभाव होगा, अभी कहना कठिन है। तीसरे, सेंसेक्स और निफ्टी में उछाल सिर्फ बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश के कारण आया है। मध्यम व छोटी कंपनियों के शेयरों के इंडेक्स (मिडकैप तथा स्मॉलकैप) में सुधार के लक्षण नहीं हैं।

इसलिए विदेशी संस्थागत निवेशकों के उत्साह से हमें अतिउत्साहित नहीं होना चाहिए। मजबूत राजनीतिक भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है इच्छाशक्ति, आर्थिक सुधारों, बुनियादी ढांचे में निवेश की जरूरतें बदस्तूर बनी हुई हैं। जब तक इन मोर्चों पर भरोसेमंद सूरत नहीं उभरती, शेयर बाजारों की चमक अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को रोशन नहीं कर पाएगी।

रेटिंग: 4.24
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 606