करिअर फंडा 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर' बुक से निवेश करने के 5 सीक्रेट: इन्वेस्टर बनें स्पेक्युलेटर नहीं, भेड़ चाल से बचें
क्या आप को पता है वारेन बफे निवेश के लिए किस किताब से सबसे ज्यादा प्रभावित और प्रेरित थे? जी हां, वह किताब है बेंजामिन ग्राहम की लिखी किताब 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर'। पुस्तक के लेखक को वारेन बफे अपने जीवन में पिता के बाद दूसरे प्रभावशाली व्यक्ति का दर्जा देते हैं।
अमीर बनो, सुरक्षित बनो
क्या आप भी अमीर बनना चाहते हैं? यदि नहीं भी चाहते हैं तो महंगाई से सुरक्षा के लिए आपकी बचत को सही जगह निवेश किए जाने की आवश्यकता होगी। अन्यथा महंगाई की दर एक समय में आपकी बचत को शून्य कर देगी। तो आइए जानते हैं दुनिया के सबसे आमिर व्यक्तियों में से एक वारेन बफे को प्रेरित करने वाली बेस्ट सेलिंग किताब 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर' में क्या लिखा है।
सम्पूर्ण पुस्तक किताब इंटरनेट पर हिंदी और अंग्रेजी भाषाओँ में फ्री उपलब्ध है, और कई विशेषज्ञों के अनुसार किताब का चैप्टर 2 और 8 सबसे महत्वपूर्ण है। आज जानते हैं पुस्तक के पांच सबसे बड़े निवेश रहस्यों के बारे में
क्रांतिकारी किताब के 5 बड़े सीक्रेट
1) इंटेलिजेंट इन्वेस्टर कौन है (Who is an ‘intelligent investor’)
इंटेलिजेंट इन्वेस्टर में कौन से गुण होना चाहिए? पुस्तक में इसका उत्तर ग्राहम यह बताते हैं कि इन्वेस्टर को शांत, धैर्यवान और डिसिप्लिनड होना चाहिए, उसे सीखने के लिए उत्सुक होना चाहिए। निवेश की दुनिया में निवेशक खुद ही अपना सबसे बड़ा शत्रु होता है। अपने लालच और इमोशंस पर नियंत्रण ना होने के कारण वह खुद ही स्टॉक्स एंड शेयर्स को गलत समय पर खरीदता और बेचता है।
ग्राहम कहते हैं मार्केट में रिस्क हमेशा रहेगा उसे कभी हटाया नहीं जा सकता, जरूरत है भरपाई ना हो सकने वाले नुकसान को कम कैसे करें, लम्बे समय तक होने वाले फायदे को कैसे बनाएं। इसके लिए खुद को हराने वाले बिहेवियर पर नियंत्रण जरूरी है।
2) इन्वेस्टर (निवेशक) बनें, स्पेक्युलेटर (सट्टेबाज) नहीं (Be an investor not a speculator)
आगे समझाते हुए ग्राहम लिखते हैं कि इन्वेस्टर और स्पेक्युलेटर दो अलग-अलग व्यक्ति होते हैं।
जहां इन्वेस्टर अपनी स्वयं की रिसर्च कर लम्बे समय के लिए निवेश करते हैं वहीं स्पेक्युलेटर टीवी प्रोग्राम्स, हिंट्स, ट्रिक्स इत्यादि पर भरोसा करके डेली बेसिस पर लाभ कमाने की कोशिश करता है। इन्वेस्टर 'सेफ्टी ऑफ कैपिटल' पर ध्यान देते हैं, जबकि स्पेक्युलेटर 'प्रॉफिट' पर। आगे वे पैसिव एंड एक्टिव इन्वेस्टर की बात करते हैं।
3) भेड़ चाल से बचें (Avoid herd mentality)
मि मार्केट के काल्पनिक किरदार द्वारा ग्राहम यह समझाने की कोशिश करते हैं की इंटेलिजेंट इन्वेस्टर को भेड़चाल से बचना चाहिए। मनुष्य भी एक प्रजाति के तौर पर भेड़ों की तरह का 'ग्रुप बिहेवियर' शो करते हैं।
आप स्वयं एक प्रयोग कर के देख सकते हैं। जब आप अपने 3-4 दोस्तों के साथ कहीं जा रहे हो, तो चलते-चलते अचानक झुक कर बचने का नाटक कीजिए (जैसे आप किसी फेंकी हुई या गिर रही वस्तु से बचने का प्रयास कर रहे हैं) आप पाएंगे आप के साथ चलने वाले लोग भी थोड़ा आप ही की तरह झुक जाएंगे और बचने का प्रयास करेंगे, हालांकि उन्हें नहीं पता की वे ऐसा क्यों कर रहे हैं।
यह मनुष्य का प्रजातिगत स्वाभाविक व्यवहार है, शेयर मार्केट में भी यह ही झलकता है: जब मार्केट में बिकवाली चालू होती हैं तो हर कोई बिना सोचे समझे अपने शेयर्स बेचने लगता हैं जिससे मार्केट बियरिश या मंदा हो जाता है। ठीक उसी तरह जब कुछ बड़े निवेशक खरीददारी शरू करते हैं तो लोग बिना सोचे समझे खरीदी शुरू कर देते हैं और मार्केट बुलिश अर्थात तेज हो जाता है।
इंटेलिजेंट इन्वेस्टर से ग्राहम इस 'फंदे' में ना फंसने की उम्मीद करते हैं। वास्तव में इसका ठीक उल्टा करने को कहते हैं अर्थात जब, मार्केट नीचे गिरे तो शेयर्स खरीदें और ऊपर उठे तो शेयर्स बेचें।
4) प्रॉमिस ऑफ एडिक्वेट रिटर्न (संतोषजनक लाभ) और मार्जिन ऑफ सेफ्टी
इसे समझाते हुए ग्राहम का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए संतोषजनक लाभ अलग-अलग होता है और उसी के अनुसार यह तय कैसे एक मंच पर निवेश करने के लिए होना चाहिए कि निवेश कहां करें।
यदि किसी व्यक्ति के लिए संतोषजनक लाभ निवेश की गई राशि का 7 -8% प्रतिवर्ष का है तो बैंक फिक्स्ड डिपाजिट भी उस व्यक्ति के लिए निवेश है, यदि किसी व्यक्ति का यह टारगेट 10-11% है तो यह गोल्ड भी हो सकता है और यदि 15-16% हैं तो यह म्यूचुअल फंड भी हो सकता है।
साथ ही ग्राहम मार्जिन ऑफ सेफ्टी को बनाए रखने की भी सीख देते हैं। मान लीजिए की किसी स्टॉक को आप 100 रूपए में खरीदने की सोच रहे हैं तो मार्जिन ऑफ सेफ्टी को बनाते हुए इसे आप 80 रूपए में खरीदें। ऐसा करना अप्रत्याशित स्थितियों में आपके फंड को सुरक्षा प्रदान करेगा।
5) अपनी सभी आशा एक ही पर न लगा दें (Don’t put your eggs in one basket)
ग्राहम अपने फंड्स को डाइवर्सिफाई करने की सलाह देते हैं अर्थात किसी भी एक ही सेक्टर या कम्पनी के शेयर्स न खरीदें।
हम नहीं जानते की भविष्य में क्या होगा, कौनसा कम्पनी या सेक्टर ऊपर जाएगा। इस लिए अलग-अलग क्षेत्रों की कंपनियों के स्टॉक्स खरीदें उनमें कुछ पर आपको बहुत अच्छा लाभ होगा, कुछ पर थोड़ा और कुछ पर कम होगा, जो औसत निकालने पर एक हेल्दी रिटर्न होगा।
उम्मीद करता हूं, पुस्तक का मेरे द्वारा किया गया एनेलिसिस आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
आज का करिअर फंडा यह है कि निवेश के सुनहरे नियमों को जानकर अपनी मेहनत से कमाए धन को धैर्यपूर्वक दोगुना चौगुना बनाएं और जीवन में सफलता प्राप्त करें।
करिअर फंडा कॉलम आपको लगातार सफलता के मंत्र बताता है। जीवन में आगे रहने के लिए सबसे जरूरी टिप्स जानने हों तो ये करिअर फंडा भी जरूर पढ़ें.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम क्या है, जानें डिजिटल गोल्ड में कैसे कर सकते हैं निवेश
हममें से अधिकांश लोग अपनी पूंजी का कुछ हिस्सा बचा कर भविष्य के लिए संजो कर रखते हैं। कई लोग उस पूंजी को कहीं न कहीं निवेश करते हैं,जैसे कुछ लोग गोल्ड यानि सोना खरीदते हैं, कुछ प्रॉपर्टी, एलआईसी स्कीम, म्यूचुअल फंड आदि लेते हैं। केंद्र सरकार द्वारा भी नागिरकों के निवेश के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है। उसी में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी है। क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और कैसे करते हैं निवेश जानते हैं…
26 अगस्त तक कर सकते हैं निवेश
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के लिए इच्छुक निवेशकों के लिए सॉवरेन गोल्ड बांड की स्कीम है। ये स्कीम दूसरी बार फिर लॉन्च की गई है। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान इसके पहले जून के महीने में इस स्कीम की पहली सीरीज लॉन्च हुई थी। 22 अगस्त से शुरू हुई दूसरी सीरीज में 26 अगस्त यानि शुक्रवार तक निवेश किया जा सकेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की दूसरी सीरीज के तहत बॉन्ड का इश्यू प्राइस (सोने की कीमत) 5,197 रुपये प्रति यूनिट (ग्राम) तय किया गया है। पहले की कैसे एक मंच पर निवेश करने के लिए तरह ही इस बार भी ऑनलाइन निवेश करने वाले और ऑनलाइन भुगतान करने वाले निवेशकों को सोने की कीमत में प्रति ग्राम 50 रुपये की छूट दी जाएगी। इस तरह ऑनलाइन निवेशकों को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज के तहत एक यूनिट सोने के लिए 5,147 रुपये का ही भुगतान करना होगा।
कैसे तय होती है गोल्ड की कीमत
इसके पहले जून के महीने में आई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की पहली सीरीज के तहत सोने की कीमत 5,091 रुपये प्रति ग्राम तय की गई थी। इस बार सोने के बाजार भाव में अंतर होने की वजह से इसकी कीमत में प्रति ग्राम 106 रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। आपको बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत सोने की कीमत तय करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक लॉन्चिंग डेट (सब्सक्रिप्शन शुरू होने की तारीख) से ठीक पहले के 3 कारोबारी दिनों के दौरान के सोने के बंद भाव को आधार बनाता है। इन तीन दिनों के बंद भाव के आधार पर ही सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत इश्यू प्राइस (सोने की प्रति ग्राम कीमत) तय की जाती है। इस सीरीज का इश्यू प्राइस तय करने के लिए 17,18 और 19 अगस्त के सोने के बंद भाव को आधार बनाया गया है।
स्कीम की अवधि 8 साल
इस गोल्ड बॉन्ड स्कीम में भारतीय नागरिक, हिन्दू अनडिवाइडेड फेमिली (हिन्दू अविभाजित परिवार), ट्रस्ट्स, यूनिवर्सिटीज और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन्स पैसा लगा सकते हैं। इस स्कीम की अवधि 8 साल है। इस दौरान निवेशक को प्रतिवर्ष कैसे एक मंच पर निवेश करने के लिए 2.5 प्रतिशत के फिक्स्ड रेट के हिसाब से ब्याज मिलेगा। ब्याज का भुगतान हर 6 महीने के अंतराल पर किया जाएगा। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 8 साल के लिए जरूर है, लेकिन जरूरत पड़ने पर 5 साल की अवधि पूरी होने के बाद भी इस स्कीम से पैसा निकाला जा सकता है।
कितने ग्राम गोल्ड में कर सकते हैं निवेश
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में कोई भी निवेशक न्यूनतम 1 ग्राम सोने के लिए निवेश कर सकता है। व्यक्तिगत निवेशकों के लिए इस स्कीम के तहत निवेश की सीमा एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम तय की गई है। इसी तरह हिन्दू अनडिवाइडेड फेमिली (एचयूएफ) के लिए भी निवेश की अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम तय की गई है। लेकिन ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन्स जैसी संस्थाएं 1 वित्त वर्ष में अधिकतम 20 किलो ग्राम सोने तक के लिए निवेश कर सकती हैं।
कैसे एक मंच पर निवेश करने के लिए
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Investment Tips : विदेशी शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले समझें जरूरी बातें, फिर यूं करें शुरुआत
विदेशी बाजार में पैसा लगाने से पहले कुछ जरूरी बातें जरूर समझ लें.
निवेशक जागरूक हुए हैं और डायवर्सिफिकेशन के लिए विदेशों बाजारों में पैसा लगाना पसंद कर रहे हैं. आरबीआई के आंकड़ों को देख . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 24, 2022, 17:30 IST
हाइलाइट्स
भारत के लोगों का विदेशी बाजारों में निवेश लगाता बढ़ रहा है.
तकनीक ने ओवरसीज़ निवेश करना काफी आसान बना दिया है.
भारत में कई म्यूचुअल फंड हाउस विदेशी निवेश का विकल्प मुहैया कराते हैं.
नई दिल्ली. निवेशक इन दिनों विदेशी शेयरों में भी निवेश कर रहे हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़ों के हिसाब से 2021-22 में भारतीयों ने 19,611 मिलियन डॉलर का निवेश विदेशी बाजारों में किया है. इससे पिछले साल यह महज 12,684 मिलियन डॉलर था.
भारत सरकार की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत एक भारतीय एक वित्त वर्ष में 2,50,000 (ढाई लाख) डॉलर विदेश भेज सकता है. रिजर्व बैंक ने समय के साथ इस सीमा में बढ़ोतरी की है. साल 2004 में जब यह स्कीम शुरू हुई थी, तब इसकी सीमा महज 25 हजार डॉलर थी. म्यूचुअल फंड में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश करना आसान हो गया है. इसका प्रोसेस कुछ यूं है…
यहां एक महत्वपूर्ण बात ये है, चूंकि आपने भारतीय रुपये में निवेश किया है तो यह निवेश LRS के तहत कवर नहीं होते हैं. ACE MF के आंकड़ों को देखा जाए तो 15 अक्टूबर तक ऐसी 63 स्कीमें बाजार में मौजूद थीं, जो विदेशों में निवेश कराती हैं. इनमें निवेश लगातार बढ़ रहा है.
विदेशों में निवेश करना आसान
हेक्सागन वेल्थ के हेक्सागन कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक श्रीकांत भागवत कहते हैं कि इसका एक बड़ा कारण जागरूकता का बढ़ा है. भागवत मनीकंट्रोल के सिंपली सेव पॉडकास्ट में बतौत मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, कई मंच सामने आए हैं, जिससे भारतीय निवेशकों के लिए न केवल विदेशों में निवेश करना आसान हो गया है, बल्कि वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के विकास में भाग लेना भी संभव हो गया है, जिनके उत्पादों और ऑफरिंग्स का उपयोग हम लगभग हर दिन करते हैं, जैसे कि Apple, Alphabet (Google), Facebook इत्यादि. भागवत कहते हैं, “इन सबसे ऊपर, इकोसिस्टम की उपलब्धता के साथ हमने पिछले एक दशक में अमेरिकी बाजार में एक शानदार तेजी देखी है, जिसने हर किसी का ध्यान खींचा है.”
कैसे लगाएं विदेशी बाजारों में पैसा
श्रीकांत भागवत ने बताया कि आपको डायवर्सिफिकेशन को ध्यान में रखना चाहिए, न कि अतिरिक्त पैसा बनाने के बारे में. और यदि आप डायवर्सिफिकेशन पर ध्यान केंद्रित रखते हैं तो आपको सभी जियोग्राफिक्स को देखना होगा. आप सिर्फ अमेरिकी इक्विटी बाजारों को ही क्यों देख रहे हैं? दुनियाभर में कई अच्छे बिजनेस हैं. तो आपको सभी बाजारों को देखना चाहिए.
यदि आप कंपनियों के बारे में रिसर्च कर सकते हैं तो अच्छी कंपनियां खोजकर सीधे उनके स्टॉक लेने चाहिएं. परंतु यदि आप नहीं कर सकते हैं तो आपको पैसिवली मैनेज्ड (इंडेक्स) फंड्स पर फोकस करना चाहिए. निवेश करते समय गलती की गुंजाइश नहीं होती. हर गलती का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है. यदि आप पहली बार निवेश कर रहे हैं तो सीधा विदेशों बाजारों पर ध्यान न लगाएं. आपको पहले भारतीय बाजारों में मौजूद म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना चाहिए. जैसे-जैसे आपकी समझ बढ़ेगी, आप विदेशों के इंडेक्स को समझने लगेंगे और वहां निवेश करना आपके लिए आसान हो जाएगा. अपने पोर्टफोलियो का 10-15 फीसदी पैसा विदेशी बाजारों में लगाना चाहिए.
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Investment Tips: 5-10 लाख रुपये हैं, कहां निवेश करें? एफडी के अलावा इन चार विकल्पों में मिलेगा शानदार रिटर्न
एफडी के अलावा और भी कई विकल्प हैं, जिस पर आप गौर कर सकते हैं और महंगाई के मुकाबले पॉजिटिव रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
एफडी के अलावा और भी कई विकल्प हैं, जिस पर आप गौर कर सकते हैं और महंगाई के मुकाबले पॉजिटिव रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
Investment Tips: अगर आपके पास 5-10 लाख रुपये की एकमुश्त रकम है तो इसे कहां निवेश करेंगे? लंबे समय से फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) निवेश का बेहतर विकल्प माना जाता रहा है क्योंकि यह सुरक्षित और सुनिश्चित रिटर्न देने वाला है. हालांकि इंफ्लेशन को देखते हुए एफडी पर वास्तविक रिटर्न आपका पैसा बढ़ाने की बजाय घटा रहा है. ऐसे में एफडी के अलावा और भी कई विकल्प हैं, जिस पर आप गौर कर सकते हैं और महंगाई के मुकाबले पॉजिटिव रिटर्न हासिल कर सकते हैं. यहां ऐसे ही चार निवेश विकल्पों के बारे में जानकारी दी जा रही है.
Index Funds
अगर आपने स्टॉक्स में निवेश अभी शुरू ही किया है और अपने लिए बेहतर शेयर का चयन करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं तो इंडेक्स फंड्स निवेश का बेहतर विकल्प है. यह उस समय भी बेहतर विकल्प के रूप में है, अगर आप अपने लिए बेहतर म्यूचुअल फंड का चयन नहीं कर पा रहे हैं. इंडेक्स फंड किसी इंडेक्स को ट्रैक करता है. जैसे कि निफ्टी इंडेक्स 50 बड़ी कंपनियों का इंडेक्स है और निफ्टी इंडेक्स को खरीदने का मतलब है कि निफ्टी के बराबर आपको रिटर्न मिल सकता है.
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Sovereign Gold Bonds
गोल्ड खरीदने का सबसे बेहतर तरीका अब सोवरेन गोल्ड बॉन्ड्स है. यह एक तरह से 999 शुद्धता वाले गोल्ड को डिजिटल तरीके से खरीदने जैसा है और इस पर जो कैपिटल गेन होगा, उस पर टैक्स भी नहीं चुकाना होगा. इसके अलावा 2.5 फीसदी निश्चित ब्याज भी मिलेगा. केंद्रीय बैंक आरबीआई केंद्र सरकार के बिहाफ पर गोल्ड बॉन्ड को कई किश्तों में जारी करती है और इसके जरिए गोल्ड में आप निवेश कर सकते हैं. 2.5 फीसदी का सालाना ब्याज हर छह महीने पर मिलेगा. इसमें सिर्फ एक ही दिक्कत है कि एसजीबी में निवेश पर 8 साल का लॉक इन है लेकिन अगर पैसों की आपको जरूरत है तो इसे सेकंडरी मार्केट में बेचने का भी विकल्प है.
REITs
अगर 5-10 लाख में कोई घर नहीं खरीद सकते हैं लेकिन रीयल एस्टेट से जरूर कमा सकते हैं. रीयल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) एक म्यूचुअल फंड की तरह है जिसमें निवेशकों के पैसों का पूल बनाकर पार्क, मॉल जैसी कॉमर्शियल संपत्तियां खरीदी जाती है. यह ऐसी कंपनियां द्वारा लॉन्च किया जाता है जिनके पास कॉमर्शियल संपत्तियां होती हैं या ऑपरेट करती हैं या फाइनेंस करती हैं. इसमें अंडरलाइंग प्रोजेक्ट्स की कीमतों में बढ़ोत्तरी और किराए के जरिए पैसे बढ़ते हैं. एक यूनिट होल्डर के तौर पर आपको डिविडेंड और REIT की बढ़े भाव के रूप में कमाई होगी. इस विकल्प के जरिए बिना कोई संपत्ति खरीदे एक तरह से आप किसी प्रॉपर्टी के मालिक बनते हैं. हालांकि इसे खरीदते समय सावधानी बरतें क्योंकि अंडरलाइंग एसेट्स अच्छे हैं, तभी आपको फायदा मिलेगा.
सरकारी बचत योजनाएं
सरकारी छोटी बचत योजनाएं भी निवेश के लिए बेहतर विकल्प हैं. जैसे कि पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड), पोस्ट ऑफिस सेविंग्स स्कीम, किसान विकास पत्र (केवीपी) इत्यादि. इसमें निवेश का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इस पर सरकार की गारंटी रहती है, बेहतर दरों पर ब्याज मिलता है और निवेश/मेच्योरिटी पर टैक्स बेनेफिट्स भी मिलता है. इसमें बस लॉक इन पीरियड की दिक्कत आपको दिख सकती है जैसे कि पीपीएफ में 15 साल का लॉक इन है. हालांकि अगर आप अपने पैसे को डेट में लगाना चाहते हैं तो छोटी बचत योजनाएं शुरुआत के लिए बेहतर है.
(Arricle: Kanika Agarwal, Co-founder of Upside AI, ML-backed PMS Firm)
(यह लेख जानकारी के लिए है और फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. निवेश से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने सलाहकार से सलाह लें.)
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