Route Mobile का शेयर निवेशकों के लिए मल्टीबैगर साबित हुआ है.

शोध : भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका: एक आलोचनात्मक विश्लेषण / पूजा जैन

प्रस्तुत शोध पत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका एक आलोचनात्मक विश्लेषण पर आधारित है। जिसमें भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की प्रगति एवं विस्तार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों का उदय आर्थिक क्षेत्र में द्धितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ। इस समय इन्हें बहुराष्ट्रीय निगमों , अन्तर्राष्ट्रीय कंपनियां , ग्लोबल व्यवसाय , अन्तर्राष्ट्रीय निगम आदि नामों से पुकारा जाता था। बहुराष्ट्रीय कंपनी या निगम एक ऐसी जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण कंपनी या उद्यम होती है जो एक से अधिक देशों में फैली रहती है तथा जिसका उत्पादन तथा सेवाएं उस देश के बाहर भी होती है। जिसमें वह जन्म लेती है। सयुंक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार यह निगम निजी , सहकारी अथवा सरकारी स्वामित्व वाले भी हो सकते है इनके उत्पादन की तकनीक बहुत उन्नत होती है तथा इनकी प्रसिद्धी विश्व के काफी देशों में फैली हुई होती है। इसलिए इन निगमों की वस्तुएं आसानी से बिक जाती है़। आज संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वाधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियां कार्यरत है। जर्मनी , यूनाइटेड किंग्डम , जापान , फ्रांस , इटली , स्विटजरलैण्ड तथा आस्ट्रेलिया का क्रम आता है। वर्तमान समय में विश्व व्यापार का 40 प्रतिशत इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा संचालित होता है।

बीज-शब्द : MNCs , उत्पादन , निवेश , व्यापार , विदेशी पूंजी।

भारत में इस प्रकार की अनेक कंपनियां है जिनका कारोबार भारत में ही है , किंतु उनका मुख्यालय भारत के बाहर अन्य देशों में है। साथ ही साथ इनका व्यवसाय भारत के अतिरिक्त अन्य कई देशों में भी पाया जाता है। कुछ कंपनियों के नाम तथा इनके व्यवसाय निम्न प्रकार है जैसे-पौण्डस चेहरे के लिए क्रीम बनाने वाली कंपनी , कोलगेट-पालमोलीव दंत मंजन व दाढ़ी का साबुन बनाने वाली कंपनी , हिंदुस्तान लीवर साबुन व डालडा घी बनाने वाली कंपनी , ग्लैक्सो दवाई बनाने वाली कंपनी , गुडलक नेरोलेक पेन्ट्स रंग व वार्निश बनाने वाली कंपनी , सीवा दवाई वाली कंपनी आदि।

1991 से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का ज्यादा योगदान नहीं था। सुधार से पहले की अवधि में सार्वजनिक उद्यम भारतीय अर्थव्यवस्था पर भारी थे। 1991 से 1996 के बीच पीवी नरसिम्हा राव सरकार द्वारा उदारीकरण और निजीकरण की नीति को अपनाने के साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास के लिए महत्वपूर्ण माना गया था। सरकार से अनुमति मिलने के बाद कई विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने देश में बिजनेस शुरू कर दिया था। दुनिया भर में बहुराष्ट्रीय कंपनियां बहुत शक्तिशाली आर्थिक ताकत के रूप में उभरी है। आमतौर पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां कई देशों में विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करती है , उन्हें बाजारों में बेचती है , दुनिया के कई लोगों को प्रबंधन में रखती है और इसमें कई शेयर धारक भी होते है। हालांकि , एमएनसी कंपनियां कई लोगों को नौकरियों पर भी रखती है , लेकिन इनके कारण कई लोगों की नौकरियां भी गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां जो केवल मुनाफे से प्रेरित है , रोजगार के अवसरों को नष्ट करती है। यह देखा गया है कि एमएनसी चाहे भारत में हो या कहीं और , नौकरी के अवसरों को बढ़ावा देने या रोजगार पैदा करने के लिए नहीं , बल्कि केवल अपने जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण लाभ को अधिकतम करने पर जोर देती है।

भारतीय संदर्भ में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निम्नलिखित प्रभाव है :-

बेरोजगारी का कारण:

बहुराष्ट्रीय कंपनियां रोजगार जरूर पैदा करती है , लेकिन सीमित आधार पर। वहीं , भारतीय संदर्भ में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने बेरोजगारी समस्या को बढ़ाया ही है। विभिन्न सैद्धांतिक कारणों के अनुसार , बहुराष्ट्रीय कंपनियों को गैर जिम्मेदार शोषक के रूप में जाना जाता है। खुद के देश से गरीब देशों में नौकरियों को निर्यात करते है , जहां असंगठित श्रम का शोषण कर सके।

लघु उद्योगों पर नकारात्मक असर डालती है बहुराष्ट्रीय कंपनियां:

अपनी विशाल पूंजी , विस्तृत व्यापार नेटवर्क और आकर्षक विज्ञापन तकनीकों के साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियां लघु उद्योगों के लिए एक कठिन चुनौती पैदा करती है। नतीजन , लघु उद्योगों को खुद को बनाए रखने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां जो लघु उद्योगों की आर्थिक स्थिति से खेलती है , अंततः उन्हें नष्ट कर देती है। ऐसा कहा जाता है कि ऐसी कंपनियां अप्रत्यक्ष रूप से तीन लाख से अधिक लघु उद्योगों के बंद होने के लिए जिम्मेदार है। 200 साल पहले ईस्ट इंडिया कंपनी थी , आज 4 हजार से अधिक कंपनियां है जो देश के स्वदेशी उद्योगों को कमजोर करने में लगी है।

उपभोक्तावाद और सांस्कृतिक आक्रमण:

इन कंपनियों ने लोगों को नई चीजों के लिए दीवाना बना दिया है। ये कंपनियां शीतल पेय , हेयर जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण शैंपु , हेयर ऑयल , लिपिस्टक आदि चीजे बनाती है और आकर्षक विज्ञापनों के जरिए लोगों को इन्हें खरीदने के लिए विवश करती है। इस प्रवृत्ति ने अवांछित उपभोक्तावाद को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा पश्चिमी शैलियों , मूल्यों आदि को शुरू कर इन कंपनियों ने राष्ट्रीय संस्कृतियों के खिलाफ एक प्रकार का सांस्कृतिक हमला शुरू किया है।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों (निगमों) का विस्तार :-

बहुराष्ट्रीय कंपनियों न केवल विश्व निवेश में ही प्रभावशाली नहीं होते अपितु अन्तर्राष्ट्रीय उत्पादन , व्यापार , वित्त तथा तकनीक में भी अपना महत्व रखते है , किन्तु बहुराष्ट्रीय कंपनियों की शाखाओं , उत्पादन , व्यापार , वित्त तथा तकनीक के क्षेत्र में उचित , विश्वसनीय तथा नवीनतम आंकड़े प्रायः प्रकाशित नहीं होते , इसलिए उपलब्ध नहीं होते।

एक अमरीकी पत्रिका फोर्ब्स ने 50 बड़े अमेरिकन निगमों को सूचीबद्ध किया था जो इस बात को प्रकट करता है कि उनके कुल राजस्व का 40 प्रतिशत चाय के बगीचों , औषध निर्माण , प्रसाधन सामग्री , खाद्य उत्पादन , औद्योगिक उत्पादनों का निर्माण तथा विभिन्न उपभोक्ता सामग्रियों , जेल खोज , पुस्तक प्रकाशन , ऑटोमोबाइल्स , रसायन तथा खाद इत्यादि से आता है। भारत में इस प्रकार की अनेक कंपनियां है जिनका कारोबार भारत में है , लेकिन उनका मुख्यालय भारत के बाहर किसी देश में है तथा जिनका भारत के अतिरिक्त अन्य कई देशों में भी कारोबार है। जैसे-पौण्डस चेहरे के लिए क्रीम बनाने वाली कंपनी , वारेन टी चाय बेचने वाली कंपनी , कोलगेट-पालमोलीव दंत मंजन व दाढ़ी का साबुन बनाने वाली कंपनी , हिंदुस्तान यूनीलीवर उपभोक्ता वस्तुएं बनाने वाली कंपनी , ग्लैक्सो दवाई बनाने वाली कंपनी , गुडलक नेरोलेक पेन्ट्स रंग व वार्निश बनाने वाली कंपनी , सीवा दवाई वाली कंपनी आदि।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा आम नागरिकों को दी जा रही है बेहतर सुविधाएं

बेमेतरा। शासन द्वारा आम नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की दिशा में हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। बेमेतरा जिले में अनेक कार्यक्रमों के जरिए लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही है। हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 में बेमेतरा जिले में ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध करने के लिए उपस्वास्थ्य केन्द्र का संचालन किया जा रहा था। जिसमें केवल गर्भवती महिलाओं की जांच एवं शिशुओं का टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध थी एवं लैब जॉच की सुविधा उपलब्ध नही थी। शासन के प्रयास से वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 में समस्त उप स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर में उन्नयन कर वहां गैर संचारी रोग, दवाई वितरण, योगा, 07 प्रकार के लैब जॉच ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की सेवा प्रदान की जा रही हैं।

टेलीकंसलटेशन-वित्तीय वर्ष 2022-23 टेलीकंसलटेशन के माध्यम से ग्रामीण स्तर में पदस्थ सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा संभावित मरीजों का मातृ एवं शिशु अस्पताल, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के मेडिकल आफिसर ई-संजीवनी सॉफ्टवेयर के माध्यम से सीधे वीडियो कॉल कर हितग्राहियों की समस्या को देखकर, पूछकर आनलाईन ओपीडी पर्ची के माध्यम से दवाइयां देकर उपचारित किया जा रहा हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18 में यह सुविधा नहीं थी।

ऑक्सीजन प्लांट एवं ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर-जिले में 04 वर्ष पूर्व तक आपातकालीन सेवायें हेतु ऑक्सीजन की पूर्ति नहीं होने के कारण मृत्यु की संभावना ज्यादा रहता था। किन्तु वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिला अस्पताल में 04 कुल 250, 300, 500, 100 एलपीएम एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खण्डसरा में 01 ऑक्सीजन प्लॉट 525 एलपीएम एवं 5 एलपीएम और 10 एलपीएम के 164 आक्सीजन कन्सन्टेªटर लगने के कारण ऑक्सीजन आपूर्ति हो पा रही है और आपातकालीन सेवाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति होने से गंभीर मरीजों का उपचार किया जा रहा है। ओपीडी-वित्तीय वर्ष 2017-18 में जिले की कुल ओपीडी-451778 था, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 में बढ़कर 548508 (21 प्रतिशत) की वृद्धि हो गयी है।

सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की पदस्थापना.वित्तीय वर्ष 2017-18 में उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर 02 पद (ग्रामीण स्वास्थ्य महिला एवं पुरुष) की स्वीकृति होती थी। वित्तीय वर्ष 2022-23 में उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर 04 पद (ग्रामीण स्वास्थ्य महिला एवं पुरुष, द्वितीय ए.एन.एम. एवं सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी) की स्वीकृति से स्वास्थ्य सुविधा को सुदृढ़ किया गया है।

मोबाईल मेडिकल यूनिट-108, वित्तीय वर्ष 2017-18 जिले में 07 संजीवनी एक्सप्रेस (108) वाहन उपलब्ध था, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में बढ़कर 10 संजीवनी एक्सप्रेस (108) में 01 एडवांस लाईफ सपोर्ट सिस्टम एम्बुलेंस एवं 02 मोबाईल मेडिकल वाहन (एमएमयू) वाहन स्वीकृत है। एण्ड्रोजन असंवेदनशीलता सिंड्रोम (एआईएस) की सहायता से महत्वपूर्ण मामले को उच्च संस्थान में रेफर करने में मरीजों को जोखिम से कम खतरा रहता हैं।

संस्थागत प्रसव- वित्तीय वर्ष 2017-18 में 12970 प्रसव हुए थे जिसमें से संस्थागत प्रसव 12391 एवं घर प्रसव 579 का 4.46 प्रतिशत था। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 में माह अक्टूबर 2022 कुल प्रसव 5969 में से संस्थागत प्रसव 5866 के विरुद्ध 103 घर प्रसव हुए जो कि संस्थागत प्रसव का 1.72 प्रतिशत है कुल प्रसव के विरुद्ध घर प्रसव मे कमी आई हैं।

गर्भवती महिला जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण पंजीयन-वित्तीय वर्ष 2017-18 में 17705 गर्भवती महिला का पंजीयन केवल उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर किया जा रहा था वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 में माह अक्टूबर 2022 तक 10610 गर्भवती महिला पंजीयन जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, निजी अस्पताल में भी प्रारंभ कर दिया गया है।

पूर्ण टीकाकरण-वित्तीय वर्ष 2017-18 में जीवित जन्म 12856 के विरुद्ध पूर्ण टीकाकरण 15095 का प्रतिशत जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण 100 प्रतिशत है एवं वित्तीय वर्ष 2022-23 माह अक्टूबर 2022 की स्थिति में पूर्ण टीकाकरण 8970 का जीवित जन्म 5929 प्रतिशत 100 प्रतिशत रहा।

मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना-मुख्यमंत्री छ.ग. शासन द्वारा 02 अक्टूबर 2019 महात्मा गांधी की 150 वें जन्मदिवस के अवसर पर शुभारंभ किया गया था इसके पूर्व हाट बाजार में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु केवल नजदीकी उपस्वास्थ्य केन्द्र के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही थी। जिला बेमेतरा में 55 हाट बाजार में मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना संचालन किया जा रहा हैं। जिसमें मेडिकल ऑफिसर, स्टॉफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, फार्मोसिस्ट पूरी टीम द्वारा कुल 368277 लोगो की जॉच की गई एवं 353084 हितग्राहियों को दवा प्रदान की गई।

अग्निपथ की तर्ज पर शुरू हो उद्यमपथ योजना

सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में कमीशंड अधिकारियों के पद से नीचे के पदों पर युवा सैनिकों की भर्ती के लिए प्रारम्भ की गई अग्निपथ योजना चर्चा में है। नीति निर्धारकों को राज्य के स्वामित्व वाले निगमों में इस देश के तकनीकी रूप से शिक्षित युवाओं के लिए भी इसी तरह की रोजगारपरक संभावनाओं पर विचार करना चाहिए।

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मिलिंद कुमार शर्मा
प्रोफेसर, एमबीएम विश्वविद्यालय, जोधपुर

सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में कमीशंड अधिकारियों के पद से नीचे के पदों पर युवा सैनिकों की भर्ती के लिए प्रारम्भ की गई अग्निपथ योजना चर्चा में है। नीति निर्धारकों को राज्य के स्वामित्व वाले निगमों में इस देश के तकनीकी रूप से शिक्षित युवाओं के लिए भी इसी तरह की रोजगारपरक संभावनाओं पर विचार करना चाहिए। शीर्ष सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों के वार्षिक प्रतिवेदनों (वित्तीय वर्ष 2021-22 सहित) के विश्लेषण जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण से सार्वजनिक क्षेत्र के कमोबेश अधिकांश उपक्रम विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों की कम संख्या की गंभीर समस्या से जूझते दिखाई देतेे हैं।
अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2019-20 के प्रतिवेदन के अनुसार वर्तमान में भारत में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त 3805 डिप्लोमा स्तर के तकनीकी संस्थान चल रहे हैं। गुजरात और छत्तीसगढ़ को अपवादस्वरूप छोड़कर, सामान्यत: ये संस्थान राज्य तकनीकी शिक्षा निदेशालय द्वारा संचालित किए जाते हंै। गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्यों में पॉलिटेक्निक संस्थान विश्वविद्यालयों से संबद्ध एवं संचालित होते हैं। इस प्रकार के स्टैंड-अलोन संस्थान मुख्य रूप से निजी क्षेत्र द्वारा चलाए जाते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होते हैं। इसके अतिरिक्त, कौशल विकास मंत्रालय के प्रशिक्षण महानिदेशालय के माध्यम से 1 जनवरी, 2021 तक देश में कुल 14779 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं। साथ ही कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने राज्यों को सामान्य शिक्षा के साथ एकीकृत और समग्र रूप से कौशल शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कौशल विश्वविद्यालय खोलने के लिए भी प्रोत्साहित किया है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2022 तक भारत में 30 करोड़ से अधिक लोगों को विभिन्न प्रकार के कौशल में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 2015 में कौशल भारत अभियान भी शुरू किया था।
सरकार की ओर से किए गए विभिन्न प्रयासों के उपरांत भी, दिसंबर 2021 में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की ओर से जारी प्रतिवेदन के अनुसार भारत में रोजगार की तस्वीर निराशाजनक दिखाई पड़ती है। इसके अनुसार, बेरोजगारी की दर 7.91 प्रतिशत है। लगभग 5 करोड़ 30 लाख भारतीयों के बेरोजगार होने की सूचना है, जिसमें महिलाओं का भी बड़ा हिस्सा शामिल है। जनवरी 2022 के आंकड़े रोजगार योग्यता में 1.34 प्रतिशत का मामूली सुधार दर्शाते हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के आंकड़े भी देश में रोजगार की निराशाजनक ही तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। इसने वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत बताई है, जो चार दशकों में सबसे अधिक है और वह भी वैश्विक महामारी के दौर से पहले। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कोविड महामारी ने देश भर में इस स्थिति को और भी भयावह कर दिया है। साथ ही यह चिंताजनक है कि श्रम बल सर्वेक्षण वर्ष 2019-20 के अनुसार शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में औपचारिक प्रशिक्षण में श्रम बल की भागीदारी में लगातार कमी बताई गई है। यहां यह कहना अनुचित नहीं होगा कि तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों एवं उद्योगों में वर्तमान बाजार मांग की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए परस्पर समुचित सामंजस्य का अभाव भी काफी सीमा तक इसके लिए जिम्मेदार है।
अत: यह आवश्यक एवं श्रेयस्कर होगा कि सरकार के स्वामित्व वाले निगमों में आज के तकनीकी रूप से प्रशिक्षित युवा शक्ति के लिए, अब सरकार उद्यमपथ योजना शुरू करे, जो अग्निपथ योजना के समकक्ष ही भारत में एक अल्पकालिक रोजगार योजना हो। यहां यह उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जो वर्तमान में कार्यबल की कमी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं, वे इस जनसांख्यिकीय लाभांश से तत्काल ही लाभान्वित होकर उच्च विकास पथ और आर्थिक समावेशन प्राप्त कर सकते हैं। अग्निपथ योजना के समान अपना अल्प कार्यकाल पूर्ण होने पर, विभिन्न धाराओं एवं विषयों में अनुभवी और प्रशिक्षित जनशक्ति उद्यमवीर के रूप में निश्चित रूप से या तो निजी उद्यमों में (विशेषत: सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों) समाहित होने या अपने स्वयं के स्वतंत्र व्यवसाय चलाने में सक्षम होगी। स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टैंडअप इंडिया आदि योजनाएं भी इस प्रकार से प्रशिक्षित उद्यमवीर युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगी। इसके अतिरिक्त सरकार भी विभिन्न ग्रामीण और महिला केंद्रित अभियानों और अन्य कदमों के माध्यम से ग्रामीण भारत में युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में संलग्न करने के लिए सक्रिय रूप से प्रतिबद्ध है। अत: देश भर में विशेषत: औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) और डिप्लोमा स्तर के तकनीकी संस्थानों से निकले अनेकोनेक छात्र-छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए यह योजना मील का पत्थर सिद्ध हो सकती है। इसलिए इस तरह की योजना पर गंभीरता से विचार जरूर किया जाना चाहिए।

Route Mobile: ये स्टॉक 5 गुना कर चुका है पैसे, आगे भी 56% रिटर्न की उम्मीद, 16 महीने पहले शुरू हुई थी ट्रेडिंग

ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल ने Route Mobile के शेयर में 2330 रुपये के टारगेट के साथ निवेश की सलाह दी है. ब्रोकरेज का कहना है कि कंपनी का रेवेन्यू उम्मीद से बेहतर रहा है.

Route Mobile: ये स्टॉक 5 गुना कर चुका है पैसे, आगे भी 56% रिटर्न की उम्मीद, 16 महीने पहले शुरू हुई थी ट्रेडिंग

Route Mobile का शेयर निवेशकों के लिए मल्टीबैगर साबित हुआ है.

Route Mobile Stock: क्लाउंड कम्युनिकेशन सर्विसेज प्रोवाइडर रूट मोबाइल (Route Mobile) का शेयर निवेशकों के लिए मल्टीबैगर साबित हुआ है. यह शेयर अपने इश्यू प्राइस से करीब 380 फीसदी मजबूत हो चुका है. शेयर की लिस्टिंग साल 2020 में 21 सितंबर को यानी करीब 16 महीने पहले हुई थी. कम समय में शानदार रिटर्न देने के बाद भी इस शेयर में ब्रोकरेज हाउस को अभी दमदख नजर आ रहा है. ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल ने शेयर में 2330 रुपये के टारगेट के साथ निवेश की सलाह दी है. ब्रोकरेज का कहना है कि कंपनी का न्यू प्रोडक्ट से आने वाला रेवेन्यू उम्मीद से बेहतर रहा है. कंपनी ने न्यू प्रोडक्ट से आने वाले रेवेन्यू के लिए जो टारगेट बनाया था, उसके बेहद करीब है.

कितना मिल सकता है रिटर्न

ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल ने शेयर में 2330 रुपये का टारगेट दिया है. जबकि शेयर का करंट प्राइस 1496 रुपये है. इस लिहाज से प्रति शेयर 834 रुपये या करीब 56 फीसदी की ग्रोथ हासिल हो सकती है. ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि कंपनी का न्यू प्रोडक्ट से आने वाला रेवेन्यू सालाना आधार पर 156 फीसदी और जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण तिमाही आधार पर 67 फीसदी बढ़कर दिसंबर तिमाही के अंत में 27.7 करोड़ रुपये रहा है. यह कुल रेवेन्यू का करीब 4.9 फीसदी है. Route Mobile ने वित्त वर्ष 2022 के लिए न्यू प्रोडक्ट से आने वाले रेवेन्यू के लिए जो टारगेट रखा था, वह हासिल हो सकता है.

ओवरआल रेवेन्यू उम्मीद से बेहतर

ब्रोकरेज का कहना है कि कंपनी का ओवरआल रेवेन्यू भी उम्मीद से बेहतर रहा है. रेवेन्यू में सालाना आधार पर 46.2 फीसदी और तिमाही आधार पर 29.2 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है. हालांकि मार्जिन उम्मीद से कुछ कमजोर रहा है. EBITDA मार्जिन 160bps घटकर 10.8 फीसदी रहा है. बाइलेबल ट्रांजेक्शन दिसंबर तिमाही में 1630 करोड़ रहा है, जो किसी भी तिमाही में सबसे ज्यादा है. कंपनी के जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण आर्गेनिक वॉल्यूम में सालाना आधार पर 13 फीसदी ग्रोथ रही है.

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इश्यू प्राइस से 380 फीसदी मजबूत

Route Mobile की शेयर बाजार में 21 सितंबर 2020 को लिस्टिंग हुई थी. आईपीओ के लिए इश्यू प्राइस 350 रुपये रखा गया था, जबकि शेयर की लिस्टिंग 708 रुपये पर हुई. वहीं लिस्टिंग वाले दिन यह इश्यू प्राइस से 86 फीसदी बढ़कर 651 रुपये पर बंद हुआ था. अब शेयर का भाव 1680 रुपये हो चुका है. यानी इश्यू प्राइस की तुलना में करीब 380 फीसदी ज्यादा. यानी जिन निवेशकों ने इश्यू में पैसा लगाया था, उनका पैसा 16 महीने में करीब 5 गुना बढ़ गया.

जानें कंपनी के बारे में

कंपनी की शुरूआत साल 2004 में हुई थी. कंपनी मुख्य रूप से ओटीटी और मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर (एमएनओ) के लिए ओमनीचैनल क्लाउड कम्युनिकेशन सर्विस का काम करती है. कंपनी के पास दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया कंपनियों, बैंकिंग और फायनेंशियल सर्विसेज, एविएशन, रिटेल, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक, हेल्थ, हॉस्पिटैलिटी और टेलीकॉम सेक्टर सहित अन्य का बड़ा कस्टमर बेस है.

(Disclaimer: स्टॉक में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

जॉन मर्फी द्वारा वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण

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