NAAC 2ND CYCLE -->
  • Education Excellence Award 2021 आज़ादी का अमृत महोत्सव
  • Azadi ka Amrut Mahotsav शैक्षिक उत्कृष्ठता सम्मान 2021
  • E-Learning Cell ई-अधिगम प्रकोष्ठ
  • Placement Cell नियुक्ति प्रकोष्ठ
  • Star College Scheme स्टार कॉलेज योजना
  • IQAC आईक्यूएसी
  • Eco Club ईको क्लब
  • IGNOU Study Centre इग्नू अध्ययन केंद्र

सूचक Alligator

बाजार की प्रवृत्ति की सामान्य दिशा मुख्य (यदि सबसे महत्वपूर्ण नहीं है) पैरामीटर में से एक है जो प्रत्येक व्यापारी निर्धारित करना चाहता है, चाहे वह किस ट्रेड का आदान-प्रदान करे। आखिरकार, प्रवृत्ति की दिशा में काम करके, आप अपनी सफलता की संभावना को अधिकतम करते हैं।

यह इलेक्ट्रॉनिक अनुबंधों के लिए विशेष रूप से सच है, जहां अनुमानित लाभ और हानि का आकार पहले से ही पूर्व निर्धारित है। निवेशक के लिए सब कुछ मूल्य की भविष्य की दिशा निर्धारित करना है।

यही कारण है कि प्रवृत्ति संकेतक इतने लोकप्रिय हैं। उनमें से एक, मगरमच्छ, इस समीक्षा में वर्णित किया जाएगा। टूल शुरुआती लोगों के लिए आदर्श है और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म Olymp Trade में उपलब्ध है।

सार और पैरामीटर Alligator

सूचक को सफल फाइनेंसर बी विलियम्स द्वारा विकसित किया गया था, जो कई तकनीकों और सलाहकारों के लेखक थे। प्रारंभ में, उपकरण को स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग में प्रतिभागियों द्वारा बहुत सक्रिय रूप से उपयोग किया गया था। हालांकि, भविष्य में, एलीगेटर इलेक्ट्रॉनिक अनुबंधों सहित अन्य प्रकार के बाजारों को जीतने में सक्षम था।

बाहरी रूप से, उपकरण को 3 मूविंग एवरेज द्वारा दर्शाया जाता है और इसे सीधे प्राइस चार्ट पर प्लॉट किया जाता है।

अपने विशिष्ट नाम के कारण, प्रत्येक पंक्ति का एक मूल नाम भी होता है और निम्न नियमों के अनुसार बनता है:

  1. जबड़ा। यह नीले रंग का है और 8 के अंतराल के साथ 13 अवधि का है।
  2. दांत। मूविंग क्रमशः 8 और 5 की अवधि के साथ लाल है।
  3. होंठ। लाइन के पैरामीटर 5 हैं और 3. यह हरे रंग का है।

टर्मिनल Olymp Trade में संकेतक सेटिंग्स को देखने या बदलने के लिए, आपको पेंसिल छवि पर क्लिक करने की आवश्यकता है, जैसा कि नीचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है।

एक दूसरे के सापेक्ष चलती औसत के स्थान के आधार पर, निम्नलिखित चरणों को प्रतिष्ठित किया जाता है:

  1. नींद का चरण। सभी मूवमेंट या तो एक दूसरे से चिपक जाते हैं या एक साथ चिपक जाते हैं। यह “नो-मार्केट” ट्रेंड या फ्लैट को दर्शाता है।
  2. जागृत अवस्था। रेखाएँ अलग-अलग दिशाओं में मोड़ना शुरू कर देती हैं। इससे पता चलता है कि बड़े खिलाड़ी बाजार में लौट रहे हैं और निकट भविष्य में सक्रिय व्यापार शुरू हो सकता है।
  3. जागने का चरण (शिकार)। सभी मूविंग एवरेज एक विशिष्ट दिशा में चलते हैं और एक दूसरे के समानांतर स्थित होते हैं। बाजार में लगातार तेजी का रुख है।
  4. गिरने का चरण। भीतर की ओर रेखाएं प्रकट होने लगती हैं। यह वर्तमान प्रवृत्ति के लुप्त होने का संकेत देता है।

Alligator के साथ व्यापार का सिद्धांत

वास्तव में, इलेक्ट्रॉनिक अनुबंधों के साथ काम करने में संकेतक का उपयोग करना बेहद सरल है। 4 चरणों के पिछले विवरण के आधार पर, यह स्पष्ट हो जाता है कि सक्रिय व्यापार के लिए उस समय की प्रतीक्षा करना आवश्यक है जब मगरमच्छ जाग रहा हो।

तो, चलती औसत की दिशा के आधार पर, आपको खरीदारी करनी चाहिए:

  • Call. फिलहाल जब रेखाएं ऊपर उठती हैं और समानांतर होती हैं। समाप्ति समय 2 मोमबत्तियों के निर्माण के समय के बराबर है।

  • Put. जब चलती औसत नीचे। समाप्ति की अवधि, पहले मामले में, 2 बार के गठन के बराबर है।

सक्रिय व्यापार लुप्त होती ट्रेडिंग रणनीति को उस समय रोक दिया जाना चाहिए जब “सरीसृप” सोने के लिए जाने वाला हो (पंक्तियाँ आवक या चौराहे को उजागर करती हैं)।

कुल मिलाकर, ई-कॉन्ट्रैक्ट ट्रेडिंग में Alligator का उपयोग करके आप मूर्त लाभांश ला सकते हैं। उपकरण बहुत स्पष्ट रूप से प्रवृत्ति की पहचान करता है और उपयोग करने में बेहद आसान है। हालांकि, संकेतों को स्पष्ट करने के लिए, इसे कुछ थरथरानवाला के साथ संयोजन में एच 1 से टाइमफ्रेम पर उपयोग करने की सिफारिश की जाती है, उदाहरण के लिए, RSI।

रोशनी और पानी चाहने वालों

पिछले चार वर्षों से यह अखबारनवीश रांची में, हर गरमी में पानी और बिजली संकट को गहराते देख रहा है, जुलूस, प्रदर्शन, धरना और गिरफ्तारी, फिर भी हर वर्ष, पिछले वर्षों की तुलना में संकट बढ़ रहा है. पुलिस अपराधियों, दलालों, रंगदारों और भ्रष्टाचार करनेवालों को बख्शती हैं, पर पानी मांगनेवाले-रोशनी चाहनेवालों को अपनी वीरता दिखाती हैं. प्रताड़ित करती है. अपनेवाले दिनों में सूखे कंठ लुप्त होती ट्रेडिंग रणनीति या हलक तर करने के लिए पानी मांगने वाले या अंधेरे में चिराग (बिजली) चाहनेवाले व्यवस्था के सबसे बड़े दुश्मन बनते जायेंगे. क्योंकि जिस राह पर बिहार अग्रसर है, उसमें यह संकट बढ़ना ही है और इस समस्या से मुक्ति पाने की ख्वाहिश रखनेवालों का जो रवैया है, उससे भी समाधान नहीं मिलनेवाला.

रांची या बिहार का मध्य वर्ग चाहता तो यह है कि वह घर में रहे और उसके लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने की लड़ाई कोई और लड़े. जो संकट से मुक्ति चाहते हैं, उन्हें ही संकट से निबटना होगा. कहावत है कि ईश्वर भी उनकी मदद करता है, जो खुद अपनी मदद करते हैं, मध्यवर्ग को भ्रष्टाचार से परहेज नहीं है. वह डूब कर भ्रष्टाचार करना चाहता है. भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में वह साझीदार नहीं होना चाहता, पर बिजली, पानी, शिक्षा और बुनियादी सुविधाएं उसे उच्च कोटि की चाहिए. दोनों चीजें एक साथ असंभव है. सड़क के इंजीनियर के घरों की दीवारें मजबूत होंगी, तो सड़क तो खड्ड रहेगी ही.

बिजली विभाग में भ्रष्टाचार रहेगा, तो रोशनी लगातार लुप्त होती जायेगी. इस कारण सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम और उसमें हर एक की संपूर्ण साझेदारी, पहली सीढ़ी है बेहतर राज-समाज-व्यवस्था गढ़ने की. अगर आप यह नहीं मानते तो अंधेरे में रहिए, प्यासे रहिए. सत्ता, राजनेता, नौकरशाह, पुलिस व्यवस्था यही चाहती है कि आप बुनियादी समस्याओं के लिए घुट-घुट कर मरें. पर कराहे नहीं, मुंह बंद कर मरिए. आखिरकार बड़े-बुजुर्ग कह गये है कि 'जबरा मारे रोने भी न दे.' अगर बिहार में शिक्षा पानेवाला आपका बच्चा, बाहर दुत्कारा जाता है, नौकरी नहीं पाता, तो आप शिकायत क्यों दूसरों से करते हैं? नेताओं-अफसरों के बच्चे तो राज्य के बाहर पढ़ ही रहे हैं.

बदलती दुनिया में बिहारवासियों को भी अपना चेहरा देखना चाहिए. महाराष्ट्र, गुजरात किसी दूसरे राज्य में जाइए. फिर अपनी तसवीर देखिए, क्यों हर राज्य का नेतृत्व (भ्रष्ट होते हुए भी) या नौकरशाह अपने राज्य में अधिक से अधिक विकास योजनाएं चलवा रहे हैं. नये उद्योग धंधे-कल-कारखाने खुलवा रहे हैं. रोजगार बढ़ाने के उपाय कर रहे हैं. फिर भ उन राज्यों की जनता चुप नहीं बैठी है. वह सरकार के भरोसे नहीं है. जन प्रयास से बेहतर अस्पताल, शिक्ष संस्थान आदि चल रहे हैं, तमिलनाडु, कर्नाटक बगैरह में लोगों ने निजी प्रयास से बेहतर अस्पताल बनाये हैं.

शिक्षा संस्थाएं बनायी हैं. आज हर बिहारी, बीमार होने पर इन्हीं राज्यों में इलाज के लिए जाता है. प्राकृतिक साधनों की दृष्टि से बसे समृद्ध राज्य की गरीबी-पिछड़ेपन को आप उन राज्यों में जाकर बेहतर तरीके से समझ सकते हैं. ट्रेड यूनियन से लेकर, प्रबंधन, नौकरशाही, राजनीति में जिस किस्म की आपराधिक और नासमझ ताकतें बिहार में भर गयी हैं, उनसे मुक्ति पाये बिना कुछ नहीं हो सकता. सामाजिक दबाव बनाइए कि हर दल-संगठन और संस्था में बेहतर समझदार और दृष्टिसंपन्न (विजनरी) लोगों की तादाद बढ़े. इसके लिए लोग अपने घरों से निकलें. इसके लिए लोग अपने घरों से निकलें. जन प्रयास से काम शुरू हो, सरकार के भरोसे मत बैठिए.

बंद, धरना, प्रदर्शन, जुलूस आदि पारंपरिक और अर्थहीन हो चुके राजनीतिक हथियारों से मुक्ति पाइए. इनसे कुछ नहीं होनेवाला. अगर आंदोलन ही करना है, तो अफसरों-नेताओं के घर घेरिए. जेनरेटर बंद करिए. उनके घरों पर भी वह पानी मिले, जो आप पी रहे हैं, यह सुनिश्चित करिए. 1967 के आसपास जब लुप्त होती ट्रेडिंग रणनीति लुप्त होती ट्रेडिंग रणनीति देश की राजनीति में युवा शक्ति ने शिरकत की, तो एक नारा उछला 'जीना है, तो मरना सीखो.' डॉक्टर लोहिया ने 'निराशा के कर्तव्य' पर मशहूर लेख लिखा है, उन्होंने कहा है कि कोई भविष्य सामने नहीं है. शरीर भी अशक्त व मुरदा समान है, फिर भी जीने की चाह ने भारत को कमजोर बना दिया है. अगर भविष्य गढ़ना है, अपने बच्चों का कल ठीक करना है, देश-बिहार बनाना है, तो मरने की इच्छा रखनी होगी. और लुप्त होती ट्रेडिंग रणनीति निष्काम कर्म करना होगा.


अंतिम बात! कुछ पढ़े-लिखे विशेषज्ञ लोग निकलें. संस्था बनायें, जहां बिहार के चौतरफा विकास की दीर्घकालीन योजनाएं बनें. आज की दुर्दशा का ब्योरा एकत्र करें. और सरकार पर उसे क्रियान्वित करने का जन दबाव पैदा करें. वह लोक सहयोग भी लें. यह सृजन का मोरचा होगा. सृजन और संघर्ष! साथ-साथ हो, तो बात बनेगी, अगर यह सब नहीं कर सकते, तो दुर्दशा भुगतिए. गिला-शिकवा किये बगैर.

Prabhat Khabar App :

देश, दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, टेक & ऑटो, क्रिकेट और राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

लुप्त होती ट्रेडिंग रणनीति

011-25116644, 011-25155551 [email protected] --> Screen Reader Access स्क्रीन रीडर एक्सैस Search खोज NAAC 2ND CYCLE --> DACE DACE Student Progression Form पूर्व छात्र पंजीकरण

    NAAC 2ND CYCLE -->
  • Education Excellence Award 2021 आज़ादी का अमृत महोत्सव
  • Azadi ka Amrut Mahotsav शैक्षिक उत्कृष्ठता सम्मान 2021
  • E-Learning Cell ई-अधिगम प्रकोष्ठ
  • Placement Cell नियुक्ति प्रकोष्ठ
  • Star College Scheme स्टार कॉलेज योजना
  • IQAC आईक्यूएसी
  • Eco Club ईको क्लब
  • IGNOU Study Centre इग्नू अध्ययन केंद्र

World Wildlife Day 2022: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे और क्या है इस साल की थीम?

World Wildlife Day 2022: हर साल 3 मार्च का दिन धरती पर मौजूद वन्य जीवों और वनस्पतियों को समर्पित है. वन्य जीव और वनस्पति हमारे जीवन और विकास के लिए कितने ज़रूरी हैं इसके बारे में लोगों को बताने और जागरुक करने के उद्देश्य से हर साल 3 मार्च को ‘वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे’ (World Wildlife Day) मनाया जाता है. दुनियाभर में जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं. भारत में इस समय 900 से भी ज्यादा दुर्लभ प्रजातियां खतरे में बताई जा रही हैं. यही नहीं, विश्व धरोहर को गंवाने वाले देशों की लिस्ट में दुनियाभर में भारत का चीन के बाद 7वां स्थान है.

अब आपको बताते हैं इसकी शुरुआत कब हुई ?

दरअसल दुनियाभर से लुप्त हो रहे जंगली फल-फूलों के अंतरराष्ट्रीय ट्रेड को रोकने के लिए 3 मार्च 1973 को यूनाइटेड नेशंस के प्रस्ताव पर साइन हुए थे. 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 63वें सत्र में तय हुआ कि इस तारीख को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल 3 मार्च को वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाएगा और 3 मार्च 2014 को मनाया गया पहला विश्व वन्यजीव दिवस.

क्या है वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे 2022 की थीम

हर साल एक ख़ास थीम के साथ वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाता है. इस साल की थीम है Recovering key species for ecosystem restoration यानि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए प्रमुख प्रजातियों को पुनर्प्राप्त करना

अप नेक्स्ट

World Wildlife Day 2022: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे और क्या है इस साल की थीम?

Boroline Facts: 93 साल के बाद भी ना खुशबू बदली ना क्रीम, आज भी हर भारतीय घर में मिलती है बोरोलिन

Best Winter picnic spots in Delhi: वीकएंड पर पिकनिक मनाने के लिए बेस्ट हैं दिल्ली के ये मशहूर पार्क

Grocery Shopping: घर का सामान खरीदते लुप्त होती ट्रेडिंग रणनीति समय ना करें ये गलतियां, फॉलो करें कमाल के टिप्स

Skipping Meal in a Day: क्या आप भी दिनभर में एक मील को कर देते हैं स्किप? जानिये क्या कहती है रिसर्च

Year Ender 2022: इस साल खाने के साथ हुआ ख़ूब अत्याचार, देखिए इस साल के सबसे अजीब फूड कॉम्बिनेशन्स

और वीडियो

Curd in Winters: सर्दियों में दही खाना चाहिए या नहीं, न्यूट्रिशनिस्ट से जानिये इसका जवाब

Green Space: घर के आस-पास कितनी होनी चाहिए हरियाली? जानिए क्या कहता है ग्रीन स्पेस थंब रूल

How to Clean Chopping Board: कैसे करें चॉपिंग बोर्ड की सफाई? ये आसान हैक आएंगे आपके बेहद काम

Google Search: इस भारतीय डिश को विदेशियों ने भी किया ख़ूब सर्च, गूगल ने जारी की Year in Search 2022 लिस्ट

गंदे कॉकरोचों ने घर में मचाया है कोहराम, इस आसान तरीके से आप पा सकते हैं इनसे हमेशा के लिए छुटकारा

Ginger Jaggery Laddoo: ठंड के मौसम में सर्दी-खांसी से दूर रखेगा ये लड्डू, शेफ से जानिए रेसिपी

Report: फोन इस्तेमाल करने के मामले में पुरुषों से पीछे हैं भारतीय महिलाएं, इसका निर्णय भी लेते हैं पुरुष

Migraine: माइग्रेन से जूझ रहे हैं? आपकी खराब खाने-पीने की आदतें हैं ज़िम्मेदार

Ginger Garlic Paste: 6 महीने तक अदरक-लहसुन का पेस्ट रहेगा फ्रेश, स्टोर करने के लिए अपनाएं ये तरीके

Smartphone Addiction: हमारी क्रिएटिविटी को खा रही है बहुत अधिक स्मार्टफोन की लत, स्टडी में आया सामने

World Wildlife Day 2022: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे और क्या है इस साल की थीम?

World Wildlife Day 2022: हर साल 3 मार्च का दिन धरती पर मौजूद वन्य जीवों और वनस्पतियों को समर्पित है. वन्य जीव और वनस्पति हमारे जीवन और विकास के लिए कितने ज़रूरी हैं इसके बारे में लोगों को बताने और जागरुक करने के उद्देश्य से हर साल 3 मार्च को ‘वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे’ (World Wildlife Day) मनाया जाता है. दुनियाभर में जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं. भारत में इस समय 900 से भी ज्यादा दुर्लभ प्रजातियां खतरे में बताई जा रही हैं. यही नहीं, विश्व धरोहर को गंवाने वाले देशों की लिस्ट में दुनियाभर में भारत का चीन के बाद 7वां स्थान है.

अब आपको बताते हैं इसकी शुरुआत कब हुई ?

दरअसल दुनियाभर से लुप्त हो रहे जंगली फल-फूलों के अंतरराष्ट्रीय ट्रेड को रोकने के लिए 3 मार्च 1973 को यूनाइटेड नेशंस के प्रस्ताव पर साइन हुए थे. 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 63वें सत्र में तय हुआ कि इस तारीख को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल 3 मार्च को वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाएगा और 3 मार्च 2014 को मनाया गया पहला विश्व वन्यजीव दिवस.

क्या है वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे 2022 की थीम

हर साल एक ख़ास थीम के साथ वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाता है. इस साल की थीम है Recovering key species for ecosystem restoration यानि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए प्रमुख प्रजातियों को पुनर्प्राप्त करना

अप नेक्स्ट

World Wildlife Day 2022: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे और क्या है इस साल की थीम?

Boroline Facts: 93 साल के बाद भी ना खुशबू बदली ना क्रीम, आज भी हर भारतीय घर में मिलती है बोरोलिन

Best Winter picnic spots in Delhi: वीकएंड पर पिकनिक मनाने के लिए बेस्ट हैं दिल्ली के ये मशहूर पार्क

Grocery Shopping: घर का सामान खरीदते समय ना करें ये गलतियां, फॉलो करें कमाल के टिप्स

Skipping Meal in a Day: क्या आप भी दिनभर में एक मील को कर देते हैं स्किप? जानिये क्या कहती है रिसर्च

Year Ender 2022: इस साल खाने के साथ हुआ ख़ूब अत्याचार, देखिए इस साल के सबसे अजीब फूड कॉम्बिनेशन्स

और वीडियो

Curd in Winters: सर्दियों में दही खाना चाहिए या नहीं, न्यूट्रिशनिस्ट से जानिये इसका जवाब

Green Space: घर के आस-पास कितनी होनी चाहिए हरियाली? जानिए क्या कहता है ग्रीन स्पेस थंब रूल

How to Clean Chopping Board: कैसे करें चॉपिंग बोर्ड की सफाई? ये आसान हैक आएंगे आपके बेहद काम

Google Search: इस भारतीय डिश को विदेशियों ने भी किया ख़ूब सर्च, गूगल ने जारी की Year in Search 2022 लिस्ट

गंदे कॉकरोचों ने घर में मचाया है कोहराम, इस आसान तरीके से आप पा सकते हैं इनसे हमेशा के लिए छुटकारा

Ginger Jaggery Laddoo: ठंड के मौसम में सर्दी-खांसी से दूर रखेगा ये लड्डू, शेफ से जानिए रेसिपी

Report: फोन इस्तेमाल करने के मामले में पुरुषों से पीछे हैं भारतीय महिलाएं, इसका निर्णय भी लेते हैं पुरुष

Migraine: माइग्रेन से जूझ रहे हैं? आपकी खराब खाने-पीने की आदतें हैं ज़िम्मेदार

Ginger Garlic Paste: 6 महीने तक अदरक-लहसुन का पेस्ट रहेगा फ्रेश, स्टोर करने के लिए अपनाएं ये तरीके

Smartphone Addiction: हमारी क्रिएटिविटी को खा रही है बहुत अधिक स्मार्टफोन की लत, स्टडी में आया सामने

रेटिंग: 4.88
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 165