माइग्रेन या सिरदर्द? सिरदर्द का सबसे हालिया वर्गीकरण (2013) प्राथमिक और माध्यमिक सिरदर्द के बीच अंतर करता है
माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है जो एकतरफा (लेकिन द्विपक्षीय भी हो सकता है) दर्द की विशेषता है जो 4 से 72 घंटों तक रहता है और इसके साथ-साथ तंत्रिका संबंधी लक्षण और मतली जैसे लक्षण भी होते हैं। उल्टी, फोटोफोबिया और फोनोफोबिया (प्रकाश और शोर से बेचैनी)।
दर्द धड़क रहा है, मध्यम से गंभीर और अक्षम करने वाला: पीड़ितों को अपनी गतिविधियों को रोकने के लिए मजबूर किया जाता है और सुधार देखने के लिए एनाल्जेसिक की आवश्यकता होती है।
जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव के साथ दौरे कुछ दिनों तक चल सकते हैं।
माइग्रेन लगभग 14-16% आबादी को प्रभावित करता है और विशेष केंद्रों में देखभाल की आवश्यकता होती है।
मांसपेशियों में तनाव सिरदर्द: सामान्य सिरदर्द
मांसपेशियों में तनाव सिरदर्द माइग्रेन की तुलना में बहुत प्राथमिक बाजारों और माध्यमिक बाजारों के बीच अंतर प्राथमिक बाजारों और माध्यमिक बाजारों के बीच अंतर अधिक आम है। यह सामान्य सिरदर्द है, जो मध्यम तीव्रता के दर्द, द्विपक्षीय और कसने वाले दर्द की विशेषता है, लेकिन जो अन्य लक्षणों से जुड़ा नहीं है।
यह 30 प्राथमिक बाजारों और माध्यमिक बाजारों के बीच अंतर मिनट से 7 दिनों तक रहता है और गलत मुद्रा, तनाव या थकान से संबंधित हो सकता है, और व्यक्तिगत प्रवृत्ति, जैसा कि माइग्रेन में भी एक भूमिका निभाता है।
इसे ओवर-द-काउंटर दवा के साथ प्रबंधित किया जा सकता है, लेकिन अगर यह पुराना हो जाता है, तो एक विशेषज्ञ से परामर्श किया जाना चाहिए।
क्रोनिक को एक माइग्रेन या तनाव सिरदर्द के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक महीने में 15 दिनों से अधिक तीन महीने से अधिक समय तक होता है।
सिरदर्द, इसका निदान कैसे प्राथमिक बाजारों और माध्यमिक बाजारों के बीच अंतर किया जाता है?
निदान के लिए एक विशेष सिरदर्द केंद्र में जाना सबसे अच्छा है। एक सही निदान प्राप्त करने के अलावा, जिसमें रोगी के सिरदर्द के प्रकार को परिभाषित करना शामिल है, माध्यमिक कारणों को बाहर करना आवश्यक है।
यह समझना आवश्यक है कि क्या हम प्राथमिक सिरदर्द से निपट रहे हैं, और इसलिए अपने आप में एक विकृति विज्ञान के साथ, या माध्यमिक सिरदर्द के साथ, जिसमें सिरदर्द किसी और चीज का लक्षण है, जिसकी जांच और समाधान किया जाना चाहिए।
निदान एक विशेषज्ञ परीक्षा के दौरान किया जाता है जिसमें न्यूरोलॉजिस्ट रोगी के लक्षणों और दर्द के पैटर्न को सुनता है और यदि आवश्यक हो, तो एक न्यूरोलॉजिकल परीक्षा और सीटी और एमआरआई स्कैन जैसे संभावित रेडियोलॉजिकल परीक्षाएं करता है।
प्राथमिक सिरदर्द और माध्यमिक सिरदर्द: वर्गीकरण
सिरदर्द को प्राथमिक सिरदर्द और द्वितीयक सिरदर्द में विभाजित किया जाता है।
प्राथमिक सिरदर्द हैं: माइग्रेन, तनाव-प्रकार का सिरदर्द, क्लस्टर सिरदर्द और अन्य प्राथमिक सिरदर्द (खांसी सिरदर्द, व्यायाम सिरदर्द, यौन गतिविधि सिरदर्द, ठंडा सिरदर्द, हाइपनिक सिरदर्द, रात का सिरदर्द, नया दैनिक लगातार सिरदर्द, एक दुर्लभ रूप)।
माध्यमिक सिरदर्द हैं: सिर से सिरदर्द और/या गरदन आघात, संवहनी विकारों से (जैसे स्ट्रोक), गैर-संवहनी सिर विकारों से (जैसे उच्च रक्तचाप या सीएसएफ हाइपोटेंशन), पदार्थ के उपयोग से (दर्द निवारक सहित), संक्रमण से, चयापचय होमियोस्टेसिस के विकारों से (जैसे हवाई यात्रा सिरदर्द, से स्लीप एपनिया, डायलिसिस से, उच्च रक्तचाप से, उपवास से); आंख, कान, नाक, दांत और मुंह के विकार; मानसिक रोगों का विकार और दर्दनाक क्रेनियल न्यूरोपैथी (जैसे ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया और बर्निंग माउथ सिंड्रोम)।
भारत में कैसे हुआ Online Share Market का 'जन्म'? यहां पढ़िए पूरी कहानी
History of Online Stock Market in Hindi: अगर आप शेयर बाजार में शुरुआत करने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले आपको Online Share Market History in Hindi के बारे में जानकारी होनी चाहिए। जब तक आप शेयर मार्केट का इतिहास नहीं जान लेते तब तक आप शेयर बाजार में निवेश करने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं।
History of Online Stock Market in Hindi: भारत में फाइनेंसियल मार्केट तेजी से बढ़ रहा है और इसके बहुत जल्द इंटरनेशनल एरिया में लीडर के रूप में उभरने की उम्मीद है। फाइनेंसियल मार्केट में यह उछाल भारतीय शेयर मार्केट के ग्रोथ को प्रोत्साहित कर रहा है जिससे निवेशकों को शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
भारत के शेयर बाजार का इतिहास (History of Indian Share Market) 1875 का है। भारत में पहले शेयर ट्रेडिंग एसोसिएशन का नाम 'नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन' (Native Share and Stock Broker's Association) था, जिसे बाद में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के रूप में जाना जाने लगा। इस एसोसिएशन की शुरुआत 318 सदस्यों के साथ हुई थी। आज भारत देश के विभिन्न हिस्सों में 24 शेयर बाजारों और कई वित्तीय मध्यस्थों का दावा कर सकता है जिनमें बैंक, नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कॉर्पोरेशन, इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड आदि शामिल हैं।
भारत के शेयर बाजार के बारे में
भारतीय शेयर बाजार (Capital Market) को दो खंडों में बांटा गया है-
- प्राइमरी मार्केट
- सेकेंडरी मार्केट
प्राइमरी मार्केट वह मार्केट है जहां जनता को नई सिक्योरिटीज (जैसे शेयर, डिबेंचर, सरकारी बांड, सीडी, सीपी आदि) जारी की जाती हैं।
निवेशक शेयरों के जारीकर्ता यानी कंपनी से प्राथमिक बाजारों और माध्यमिक बाजारों के बीच अंतर सीधे नए शेयर खरीदने के लिए कंपनियों के IPO की सदस्यता ले सकते हैं। कंपनी इन शेयरों की बिक्री से आय प्राप्त करती है और इसका उपयोग अपने संचालन को फंड देने और अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए करती है। प्राइमरी मार्केट को न्यू इश्यू मार्केट के नाम से भी जाना जाता है।
वहीं, सेकेंडरी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में ट्रेड होता है। एक बार शेयरों की प्रारंभिक बिक्री हो जाने के बाद, कंपनियों के शेयरों की खरीद और बिक्री उन व्यापारियों और निवेशकों के बीच की जा सकती है जो शेयर खरीदना चाहते हैं और वे शेयरधारक जो अपने शेयर बेचना चाहते हैं। ये ऑपरेशन सेकेंडरी मार्केट में किए जाते हैं। एक नए जारी किए गए IPO को प्राइमरी मार्केट ट्रेड माना जाएगा जब शेयर पहली बार निवेशकों द्वारा सीधे हामीदारी निवेश बैंक से खरीदे जाते हैं, उसके बाद कारोबार किया गया कोई भी शेयर निवेशकों के बीच सेकेंडरी मार्केट में होगा।
प्राइमरी मार्किट में शेयर की कीमतें मर्चेंट बैंकरों द्वारा मूल्यांकन पद्धतियों का उपयोग करके निर्धारित की जाती हैं, जबकि सेकेंडरी मार्केट में शेयर की कीमतें आपूर्ति और मांग की बाजार शक्तियों द्वारा निर्धारित की जाती हैं। भारत के शेयर बाजार को सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। SEBI का प्राथमिक उद्देश्य शेयर बाजार के स्वस्थ और व्यवस्थित विकास को बढ़ावा देना और निवेशक सुरक्षा को सुरक्षित करना है। SEBI विदेशी निवेशकों और व्यापारियों द्वारा किए गए शेयर लेनदेन को भी कंट्रोल करता है और शेयर मार्केट में कदाचार के खिलाफ भी जांच करता है।
भारत में शेयर बाजार का दायरा पिछले कुछ वर्षों में काफी व्यापक हो गया है, इसके लिए कई तरह के प्रोडक्ट और सर्विस को लॉन्च किया गया है। शेयर मार्किट स्वभाव से अत्यंत अस्थिर होते हैं और इसलिए जोखिम कारक बिचौलियों के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। इस जोखिम को कम करने के लिए डेरिवेटिव की अवधारणा सामने आती है। Derivatives ऐसे प्रोडक्ट हैं जिनकी वैल्यू एक या अधिक अंडरलाइंग एसेट से प्राप्त होती हैं। ये एसेट्स फॉरेन करेंसी, इक्विटी आदि हो सकती हैं। भारत में डेरिवेटिव मार्किट भी डेरिवेटिव का उपयोग करने वाले बाजार सहभागियों की बढ़ती संख्या के साथ अत्यधिक विस्तार कर रहा है।
पूँजी बाजार (Capital market)
पूंजी बाजार क्या है, पूंजी बाजार से क्या आशय है, पूंजी बाजार का अर्थ, पूंजी बाजार के प्रकार आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। पूँजी बाजार (Capital market) notes in Hindi for UPSC and PCS.
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पूँजी बाजार
पूंजी बाजार वह बाजार है जहां पर अंश पूँजी (Share) एवं प्रतिभूतियों (Securities) का लेन-देन किया जाता है। पूंजी बाजार का नियंत्रण सेबी (SEBI-Securities and Exchange Board Of India) करता है। SEBI की स्थापना 12 अप्रैल,1988 में हुई थी, इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। सेबी की स्थापना के वर्ष (1988) इसकी प्रारंभिक पूंजी 7.5 करोड़ थी जो कि प्रवर्तक कंपनियों (IDBI, ICICI, IFCI) द्वारा प्रदान की गयी थी।
पूँजी बाजार एवं मुद्रा बाजार के बीच में प्रमुख भिन्नता यह है कि मुद्रा बाजार एक अल्पावधि की वित्तीय व्यवस्था वाला बाजार है जबकि पूंजी बाजार में मध्यम तथा दीर्घकाल के कोषों का आदान प्रदान किया जाता है।
भारतीय पूँजी बाजारों को दो भागों में बांटा जाता है –
1. संगठित पूँजी बाजार,
2. असंगठित पूंजी बाजार
1. संगठित पूँजी बाजार (Organized capital market)
संगठित पूँजी बाजार से आशय ऐसे बाजार से है जोकि किसी न किसी प्रकार से नियंत्रित होता है। इसमें पूंजी की मांग करने वाले प्रमुख पक्ष संयुक्त पूँजी वाली कंपनियों एवं सरकारी संस्थाएं होती हैं।
संगठित पूंजी बाजार को भी दो भागों में बांटा गया है –
I. गिल्ट एज्ड बाजार (Gilt Edged Market)
गिल्ट एज्ड बाजार (Gilt Edged Market) में भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से केवल सरकारी व अर्ध सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय किया जाता है। इस बाजार को सबसे सुरक्षित बाजार माना जाता है (प्रतिभूतियों का मूल्य स्थिर रहता है)। इस बाजार में जोखिम कम होता है जिस कारण निवेशकों की पूंजी यहां सुरक्षित रहती है।
II. औद्योगिक प्रतिभूति बाजार (Industrial Security Market)
औद्योगिक प्रतिभूति बाजार (Industrial Security Market) में औद्योगिक कंपनियों की इक्विटियों और ऋण-पत्रों को बेचा और खरीदा जाता है। औद्योगिक प्रतिभूति बाजार में नए अथवा पहले से स्थापित औद्योगिक उपक्रमों के शेयरों (अंश पूँजी) की बिक्री (क्रय-विक्रय) की जाती है। इस बाजार में निजी प्रतिभूतियों को कंपनियों द्वारा बेचा जाता है। इनका पंजीकरण भारतीय कंपनी एक्ट 2013 (Indian Company Act 2013) के अंतर्गत होता है।
कंपनियां मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं –
1. Public Limited
- कम से कम 7 अंशपूँजी धारक होते हैं।
- 50% से अधिक हिस्सेदारी सरकार की है।
2. Private Limited
- 2 से 50 अंशधारक होते हैं।
- 50% से अधिक हिस्सेदारी निजी कंपनी/कंपनियों की है।
औद्योगिक प्रतिभूति बाजार को आगे दो भागों में बांटा गया है –
i. प्राथमिक प्रतिभूति बाजार (Primary Security Market)
प्राथमिक प्रतिभूति बाजार (Primary Security Market) में कंपनी सीधे जनता के बीच अपने अंश पूँजी(Share) जारी करती है। ये नये Share होते है और इनके जारी होने से पूंजी बाजार में नया निवेश आता है। इस प्रक्रिया में कोई भी दलाल(Broker) नहीं होता, बल्कि कंपनी सीधे निवेशकों को अंश पूँजी बेचती है।
ii. द्वितीयक प्रतिभूति बाजार (Secondary Security Market)
द्वितीयक प्रतिभूति बाजार (Secondary Security Market) में कंपनियों की अंश पूंजी को ब्रोकर के माध्यम से निवेशकों के बीच खरीदे व बेचे जाते हैं। द्वितीयक बाजार में पुरानी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री होती है। ये वे प्रतिभूतियां है जोकि प्राथमिक प्रतिभूति बाजार में पहले बिक चुकी होती हैं। प्राथमिक बाजारों और माध्यमिक बाजारों के बीच अंतर अंश पूँजी (Share) की कीमत में उतार चढ़ाव चलता रहता है। इसी द्वितीयक बाजार को हम स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) कहते है।
2. असंगठित पूंजी बाजार (Unorganized capital market)
असंगठित पूंजी बाजार से आशय ऐसे बाजार से है जोकि किसी भी प्रकार से नियंत्रित नहीं होता है। ये बाजार पूर्णतः अनियंत्रित होता है। साहूकार, महाजन एवं अन्य अनियंत्रित वित्तीय सहायता समूह इसके उदाहरण हैं। आसान शब्दों में असंगठित पूंजी बाजार कार्यशील पूंजी के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते हैं।
प्राइमरी और सेकेंडरी शेयर मार्केट का क्या मतलब है?
शेयर बाजार कंपनियों के लिए फंड जुटाने का माध्यम है.
अगर कोई कंपनी IPO लाना चाहती है तो उसे अपने वित्त, प्रमोटर, कारोबार, शेयरों की संख्या, उसकी कीमत आदि के बारे में जानकारी देनी होती है.
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सेकेंडरी शेयर मार्केट
इस मार्केट में किसी लिस्टेड कंपनी के शेयरों की खरीद-बिक्री होती है. इस बाजार में किसी व्यक्ति के पास मौजूद शेयर बाजार भाव पर कोई दूसरा व्यक्ति रियल टाइम में खरीदता है. आमतौर पर यह खरीद-बिक्री किसी ब्रोकर के जरिये होती है. सेकेंडरी शेयर मार्केट के जरिये ही किसी निवेशक को यह सुविधा मिल पाती है कि वह अपने शेयर किसी और व्यक्ति को बेचकर बाजार से बाहर निकल सकता है.मसलन, टाटा स्टील के शेयरों का भाव अभी 230 रुपये है. कोई व्यक्ति इन शेयरों को मौजूदा बाजार भाव पर खरीदना चाहता है. उस समय कोई व्यक्ति इन शेयरों को इसी भाव पर बेचना भी चाहता होगा. ब्रोकर खरीदने वाले के लिए बाय आर्डर देकर और पैसे चुकाकर उस निवेशक के लिए इसे खरीद लेता है. इस तरह एक नया निवेशक उस कंपनी में हिस्सेदार बन जाता है.
शेयर बाजार कंपनियों के लिए फंड जुटाने का माध्यम है. निवेशक शेयर बाजार के जरिये किसी सूचीबद्ध कंपनी में हिस्सेदारी ले सकते हैं. वे कंपनी का कारोबार बढ़ने के साथ अपने निवेश की रकम को भी बढ़ा सकते हैं.
एक बार किसी कंपनी के शेयर खरीदते ही आप उसके हिस्सेदार बन जाते हैं. इसके बाद उसके मुनाफे में भी आपकी हिस्सेदारी होती है, जिसे डिविडेंड या लाभांश कहते हैं.
अगर कंपनी का कारोबार किसी वजह से प्रभावित होता है और वह नुकसान में चली जाती है तो निवेशक को भी नुकसान उठाना पड़ता है. शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री की सुविधा देने वाले ब्रोकर को भी पूंजी बाजार नियामक सेबी के पास पंजीकरण कराना होता है.
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वित्तीय बाजार ( Economy Notes) ( Arora IAS)
वित्तीय बाजार वित्तीय सम्पत्तियों जैसे अंश, बांड के सृजन एवं विनिमय करने वाला बाजार होता है। यह बचतों को गतिशील बनाता है तथा उन्हें सर्वाधिक उत्पादक उपयोगों की ओर ले जाता है। यह बचतकर्ताओं तथा उधार प्राप्तकर्ताओं के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है तथा उनके बीच कोषों को गतिशील बनाता है। वह व्यक्ति/संस्था जिसके माध्यम से कोषों का आबंटन किया जाता है उसे वित्तीय मध्यस्थ कहते हैं। वित्तीय बाजार दो ऐसे समूहों के बीच एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं जो निवेश तथा बचत का कार्य करते हैं। वित्तीय बाजार सर्वाधिक उपयुक्त निवेश हेतु उपलब्ध कोषों का आबंटन करते हैं।
वित्तीय बाजार के मुख्य कार्य
- निवेशकों एवं ऋणियों के मध्य आपसी समझौता करवाना
- वित्तीय संपत्ति के लेनदेन को सुरक्षा प्रदान करना
- निवेशकों के वित्तीय संपत्ति के विक्रय को तरलता बनाना
- यह लेनदेन व सम्बन्धित सूचना की न्यूनतम लागत सुनिश्चित करना है।
वित्तीय बाजार के प्रकार
- मुद्रा बाजार
- पूंजी बाजार ।
1. मुद्रा बाजार –
अवधि एक वर्ष तक की होती है। इस बाजार के प्रमुख प्रतिभागी भारतीय रिजर्व बैंक, व्यापारिक बैंक, गैर बैंकिग, वित्त कम्पनियाँ, राज्य सरकारें, म्युचुअल फंड आदि हैं। मुद्रा बाजार के महत्वपूर्ण प्रलेख निम्नलिखित हैं।
मुद्रा बाजार के प्रलेख-
- याचना राशि-याचना राशि का प्रयोग मुख्यत: बैंकों द्वारा उनके अस्थायी नकदी प्राथमिक बाजारों और माध्यमिक बाजारों के बीच अंतर की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए प्रयोग किया जाता है ये दिन-प्रतिदिन के आधार पर एक दूसरे से ऋण लेते तथा देते है। इसका पुनभ्र्ाुगतान मांग पर देय होता है और इसकी परिपक्वता अवधि एक दिन से 15 दिन तक की होती है याचना राशि पर भुगतान किए जाने वाले ब्याज की दर को याचना दर कहते है।
- ट्रेजरी बिल- इन्हें केन्द्रीय सरकार की तरफ से भारतीय रिजर्ब बैंक द्वारा जारी किया जाता है जिनकी परिपक्व अवधि एक वर्ष से कम होती है। इन्हें अंकित मूल्य से कम पर जारी किया जाता है परन्तु भुगतान के समय अंकित मूल्य दिया जाता है। राजकोष बिल 25000 रू. के न्यूनतम मूल्य और इसके बाद बहुगुणन में प्राप्त होते हैं। यह एक विनिमय साध्य प्रलेख होते हैं जिनका स्वतन्त्रतापूर्ण हस्तान्तरण किया जा सकता है। इन्हें सुरक्षित निवेश समझा जाता है, इन पर कोर्इ ब्याज नहीं दिया जाता बल्कि कटौती पर जारी किये जाते हैं।
- वाणिज्यिक पत्र-कम्पनियों की कार्यशील पूजी की आवश्यकता की पूर्ति हेतु वाणिज्यिक पत्र एक लोकप्रिय प्रलेख है यह एक असुरिक्षित प्रलेख है जो प्रतिज्ञा पत्र के रूप में निर्गमित किया जाता है यह प्रलेख सन् 1990 में सर्वप्रथम जारी किया गया था जिससे कि इसके माध्यम से कंपनियां अपने अल्पकालीन कोषों को उधार ले सकें यह 15 दिन से एक साल के समय तक के लिए निर्गमित किया जा सकता।
- जमा प्रमाण पत्र-जमा प्रमाण पत्र एक अल्पकालीन प्रलेख है जो वाणिज्यिक बैंकों द्वारा एवं विशिष्ट वित्तीय संस्थानों द्वारा निर्गमित किया जाता है और जो एक पक्ष से दूसरे पक्ष को स्वतंत्रतापूर्वक हस्तांतरणीय है बचत पत्र की परिपक्वता की अवधि 91 दिन से एक साल तक की होती है यह प्रपत्र व्यक्तियों को, सहकारी संस्थाओं और कम्पनियों को निर्गमित किए जा सकते है।
- व्यापारिक विपत्र-: यह एक विनिमय प्रपत्र होता है जो व्यावसायिक फर्मों की कार्य पूंजी की आवश्यकता के लिए वित्तीयन में प्रयुक्त होता है। इनका प्रयोग उधार क्रय विक्रय की दशा में किया जाता है। इसे विक्रेता द्वारा क्रेता पर लिखा जाता है। जब क्रेता इसे स्वीकार करता है तो यह विपत्र विपणन योग्य विलेख बन जाता है तथा इसे व्यापारिक/वाणिज्यिक विपत्र कहते हैं इसे देय तिथि से पहले बट्टे पर बैंक से भुनाया जा सकता है।
2. पूंजी बाजार –
यह दीर्घकालिक निधियों जैसे ऋणपत्रों तथा अंशपत्रों का बाजार है जो एक लम्बे समय के लिए जारी की जाती है। इसके अंतर्गत विकास बैंक, वाणिज्यिक बैंक तथा स्टॉक एक्सचेंज समाहित होते हैं। पूंजी बाजार को दो भागों में बांटा जा सकता है।
- प्राथमिक बाजार,
- द्वितीयक बाजार ।
प्राथमिक बाजार में निर्गमित नवीन प्रतिभूतियों का लेनदेन होता है अत: इसे नवीन निर्गमन बाजार भी कहते है। जबकि द्वितीयक बजार में विद्यमान प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता है अत: इसे स्कन्ध विपणि या शेयर बाजार या स्टॉक बाजार भी कहते है।
1. प्राथमिक बाजार- इसे नए निगर्मन बाजार के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ केवल नर्इ प्रतिभूतियों को निर्गमित किया जाता है जिन्हें पहली बार जारी किया जाता है। इस बाजार में निवेश करने वालों में बैंक, वित्तीय संस्थाएँ, बीमा कम्पनियाँ, म्युचुअल फण्ड एवं व्यक्ति होते हैं। इस बाजार का कोर्इ निर्धारित भौगोलिक स्थान नहीं होता है।
2. द्वितीयक बाजार- इसे स्टॉक एक्सचेंज या स्टॉक बाजार के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ विद्यमान प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों की कीमत को उनकी मांग एवं पूर्ति के द्वारा तय किया जाता है।
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