हम स्टॉक मार्केट की बात कर रहे हैं तो यहां इसका मतलब ब्रॉड मार्केट इंडेक्स से समझा जाए. इंडेक्स कुछ स्टॉक्स की एक बास्केट की तरह हैं, जो ओवरऑल शेयर मार्केट का प्रतिनिधित्व करते हैं. कह सकते हैं कि इनकी चाल से पूरे बाजार की चाल समझी जा सकती है. तो हम आपको बता रहे हैं मूल सवाल के जवाब, जिसे लोग अक्सर पूछते नहीं है.

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Eye Opener: शेयर बाजार में क्यों लगाना चाहिए पैसा? ये 7 कारण खोल देंगे आपकी आंखें!

बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं.

बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं.

एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. लेकिन आमतौर पर वे . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : October 10, 2022, 16:16 IST
व्यक्ति को निवेशक बनना चाहिए न कि केवल बचतकर्ता (Saver).
निवेशक के तौर पर आपके एसेट की कीमत भी महंगाई के साथ-साथ बढ़ती है.
बढ़ती जनसंख्या के दौर में बेहतर काम करने वाली कंपनियां मूल्यवान हो जाती है.

नई दिल्ली. निवेश करने वाले अधिकतर लोग मानते हैं कि लगातार बढ़ती महंगाई दर को मात देने के लिए निवेश का सबसे अच्छा साधन इक्विटी (शेयर मार्केट) है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है बढ़ता है. एक्सपर्ट्स इक्विटी के पुराने रिटर्न को देखते हुए ऐसा कहते हैं, लेकिन अधिकतर लोग इस बात पर आंखें मूंदकर भरोसा कर लेते हैं. वे यह नहीं पूछते कि इस बात की क्या गारंटी है कि यदि इतिहास में अच्छा रिटर्न दिया है तो भविष्य में भी अच्छा रिटर्न मिलेगा ही?

शेयर बाजार में नुकसानदायक है 'महंगा खरीदो और सस्ता बेचो' की रणनीति, मुनाफा चाहिए तो हरगिज न करें ये गलतियां

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। कुछ साल पहले एक्सिस म्यूचुअल फंड की एक स्टडी के हवाले से खबर थी कि निवेशक जिस फंड में निवेश करते हैं, उसके मुकाबले उनका अपना रिटर्न कम रहता है। सरसरी तौर पर देखने पर ये बात निवेश का गणित समझने वाले किसी भी शख्स को बेतुकी लगेगी। मगर करीब से देखेंगे तो समझ जाएंगे कि यहां क्या हो रहा है। इसे समझने का राज गणित में नहीं, बल्कि लोगों के व्यवहार में छुपा है।

Understanding the right investment is most important

स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, एएमसी ने पिछले 20 साल में, मार्च 2022 तक मिलने वाले म्यूचुअल फंड रिटर्न जांचा। इस अंतराल में, सक्रिय रूप से मैनेज किए गए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 19.1 प्रतिशत सालाना रिटर्न मिला था। मगर इन फंड्स के निवेशकों ने केवल 13.8 प्रतिशत ही कमाया था। ये एक बड़ा फर्क है। पिछले 20 साल में, 19.1 प्रतिशत का मतलब है, एक लाख रुपये का निवेश बढ़कर 33 लाख रुपये हो गया। वहीं, 13.8 प्रतिशत का मतलब है ये केवल 13.3 लाख ही हो पाया। ये जिंदगी बदल देने वाला फर्क है। इसी तरह, हाइब्रिड फंड्स ने 12.5 प्रतिशत रिटर्न दिया, मगर निवेशकों ने करीब 7.4 प्रतिशत कमाए। फिर से ये फर्क बहुत बड़ा है। एक लाख निवेश करने पर, असल में ये फर्क 10.5 लाख और 4.2 लाख का हुआ।

उत्साह में खरीदो, घबराहट में बेचो

मेरे अनुभव में ये आम बात है। मुझे हमेशा ही लगता रहा है कि फंड को मिलने वाले असल मुनाफे के मुकाबले निवेशक कहीं कम मुनाफा कमाते हैं। पर ऐसा होता क्यों है? दरअसल, हम निवेशक अपने ही सबसे बड़े दुश्मन हैं। एक तरफ, हम निवेश के लिए बेस्ट म्यूचुअल फंड चुनने पर अमादा रहते हैं। दूसरी तरफ हम फंड्स को गलत समय पर खरीदते और बेचते हैं। और ये काम कुछ इस तरह करते हैं कि मुनाफे के कम होने की गारंटी हो जाए। नतीजा ये होता है कि हम फंड तो अच्छे चुनते हैं, पर बैंक के फिक्स्ड डिपाडिट से बेहतर रिटर्न नहीं कमा पाते। बुनियादी तौर पर, इसे 'उत्साह में खरीदो, घबराहट में बेचो' कहा जा सकता है।

इस जुमले का मतलब साफ है। लोग तभी निवेश करते हैं, जब इक्विटी मार्केट में उत्साह छाया हो। यानी जब दाम पहले ही आसमान छू रहे होते हैं। फिर बेचते तब हैं जब इक्विटी के दाम क्रैश कर रहे होते हैं। कुल मिला कर इसका मतलब हुआ, 'शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है महंगा खरीदो, सस्ता बेचो'। ये उसके ठीक उलट है जो किया जाना चाहिए। बजाए निवेश की 'श्रेष्ठ' रणनीति पता करने के, ऐसा व्यवहार निवेश की 'निकृष्ट' रणनीति की तरफ ले जाता है।

न करें ये गलतियां

नोट करें कि यहां म्यूचुअल फंड्स की बात सिर्फ इसलिए हो रही है, क्योंकि बात शुरू ही हुई थी एक म्यूचुअल फंड कंपनी की स्टडी से। यही बात इक्विटी निवेशकों पर भी लागू होती ही। हालांकि इक्विटी में इस तरह की साफ सुथरी तुलना मुश्किल है। असल में, स्टाक में दो तरह की गलतियां होती हैं, पहली है जल्दी बेच देना और दूसरी है बेचने में बहुत देर कर देना। और हां, स्टाक निवेश एक अलग तरह का निवेश भी है।

लोग स्टाक खरीदते हैं, और जब उन्हें लगता है कि ये उतना बढ़ गया है जितना बढ़ सकता था, तब वो उसे बेच देते हैं और इस तरह से अपना मुनाफा भुना लेते हैं। असल में, उन्हें लगता है कि ऐसा न करने से उनका मुनाफा हाथ से निकल जाएगा, या कम हो जाएगा। और बाद में पछताना पड़ सकता है या नुकसान की शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है जो बुरी बात होगी।

निवेशकों का मनोविज्ञान

मुनाफे को कुछ जल्दी भुना लेने में, निवेशक जीत पक्की करने के लिए प्रेरित होते हैं। और किसी खराब निवेश को बनाए रखने में उनकी प्रेरणा हार से बचने की होती है। काश, कह पाता कि एक बार निवेशक इस मुश्किल को समझ लेते, तो वो इन गलतियों से बचने के लिए कदम उठा सकते हैं। मगर जिन गलतियों की जड़ें निवेशकों के मनोविज्ञान से जुड़ी हों, उसे समझ जाने के बावजूद ठीक कर पाना आसान नहीं होता।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

Eye Opener: शेयर बाजार में क्यों लगाना चाहिए पैसा? ये 7 कारण खोल देंगे आपकी आंखें!

बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं.

बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं.

एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. लेकिन आमतौर पर वे . अधिक पढ़ें

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व्यक्ति को निवेशक बनना चाहिए न कि केवल बचतकर्ता (Saver).
निवेशक के तौर पर आपके एसेट की कीमत भी महंगाई के साथ-साथ बढ़ती है.
बढ़ती जनसंख्या के दौर में बेहतर काम करने वाली कंपनियां मूल्यवान हो जाती है.

नई दिल्ली. निवेश करने वाले अधिकतर लोग मानते हैं कि लगातार बढ़ती महंगाई दर को मात देने के लिए निवेश का सबसे अच्छा साधन इक्विटी (शेयर मार्केट) है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. एक्सपर्ट्स इक्विटी के पुराने रिटर्न को देखते हुए ऐसा कहते हैं, लेकिन अधिकतर लोग इस बात पर आंखें मूंदकर भरोसा कर लेते हैं. वे यह नहीं पूछते कि इस बात की क्या गारंटी है कि यदि इतिहास में अच्छा रिटर्न दिया है तो भविष्य में भी अच्छा रिटर्न मिलेगा ही?

कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

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