भारत में सोने और चांदी की कीमतें डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य सहित कई कारकों पर निर्भर करती हैं। कीमती धातुओं के दाम निर्धारित करने में वैश्विक मांग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Gold Price Today: पहले महंगा हुआ सोना. फिर घटे दाम, चेक करें कहां है सबसे सस्ता रेट
Sona Chandi Bhav Gold Silver Price Today 19 December 2022 सोने की कीमत में रिकॉर्डतोड़ बढ़ोतरी देखने को मिली। शुक्रवार को सस्ता होने के बाद सोना आज ताबड़तोड़ महंगा होने लगा है। सोमवार को सोना और चांदी ऊंचे स्तर पर कारोबार कर रहे हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Gold Silver Price Today: मजबूत हाजिर मांग के कारण सटोरियों ने ताजा सौदों की लिवाली की, जिससे वायदा कारोबार में सोमवार को सोना 80 रुपये की तेजी के साथ 54,380 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में, फरवरी डिलीवरी के लिए सोने का अनुबंध 14,944 लॉट के कारोबार में 80 रुपये या 0.15 प्रतिशत बढ़कर 54,380 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया।
कारोबारियों की ताजा लिवाली से सोने की कीमतों में तेजी आई। वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में सोना 0.16 प्रतिशत की तेजी के साथ 1,803.10 डॉलर प्रति औंस पर चल रहा था। आपको बता दें कि सोने के कीमत एक बार फिर आसमान छूने लगी हैं। 9 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद सोने के दाम कुछ नीचे आए थे, लेकिन आज दो दिन बाद थोक बाजार खुलने के बाद इनमें फिर से बढ़ोतरी हो रही है।
सोने की कीमत में उछाल
तीन फरवरी 2023 को परिपक्व होने वाले सोने के वायदा भाव में एमसीएक्स पर 125 रुपये या 0.23 फीसदी की तेजी देखी गई। 19 दिसंबर को यह 54,354 रुपये प्रति डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था। इस बीच 3 मार्च, 2023 को परिपक्व होने वाली चांदी की वायदा कीमतों में भी तेजी देखी गई और यह 67,849 रुपये प्रति किलोग्राम पर खुदरा बिक्री कर रही थी। चांदी में 265 रुपये या 0.39 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
शुक्रवार को सोना गिरावट के साथ 54,157 रुपये प्रति 10 ग्राम पर खुदरा कारोबार डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम कर रहा था, जबकि 3 मार्च, 2023 को परिपक्व होने वाली चांदी की वायदा कीमत में भी गिरावट दर्ज की गई। यह 67,673 रुपये प्रति किलोग्राम पर खुदरा बिक्री कर रहा था। शुक्रवार को जब बाजार बंद हुआ तो सोना वायदा 54,300 रुपये प्रति 10 ग्राम पर और चांदी 67,650 रुपये प्रति किलोग्राम पर चल रही थी।
रिकॉर्ड ऊंचाई पर सोने की कीमत
9 महीने डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद सोने की कीमतें पिछले सप्ताह उतार-चढ़ाव और लगभग में रहीं। सप्ताह के अंत में सोना सपाट नोट पर बंद हुआ। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर फरवरी 2023 के लिए सोने का वायदा अनुबंध शुक्रवार को 54,325 प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बंद हुआ। कमोडिटी बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, यूएस फेड अधिकारियों के आक्रामक बयान के बाद रेट में मंदी आई, लेकिन बाद में सोने ने मजबूती पकड़ लिया। मुद्रा बाजार के जानकारों का कहना है कि निकट अवधि में सोने की कीमतें 55,500 के स्तर तक जा सकती हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमत 1,840 डॉलर के स्तर तक जा सकती है। एमसीएक्स सोने में मजबूत रेट 53,200 से 52,900 रुपये के स्तर पर रखा गया डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम है, जबकि हाजिर बाजार में सोने की कीमतों को1,740 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर मजबूत समर्थन मिला है।
Stock Market: गिरावट के साथ बन्द हुआ शेयर बाजार, सेंसेक्स 878 अंकों पर हुआ धड़ाम
Stock Market: घरेलू शेयर बाजारों में गुरुवार को भारी गिरावट के साथ बाजार बन्द हो गया है। BSE Sensex 878.88 अंक यानी 1.40 फीसदी लुढ़कने के बाद 61,799.03 अंक के स्तर पर बंद हो गया था। एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) 245.40 अंक यानी 1.32 फीसदी कम होने के बाद 18,414.90 अंक के स्तर पर बन्द हो गया था। सभी सेक्टोरल इंडिसेज लाल निशान पर पहुंचकर बन्द हो गया था। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप में भी गिरावट देखने को मिली है।
निफ्टी पर इन शेयर्स को हुआ नुकसान
निफ्टी (NSE Nifty) पर टेक महिंद्रा (Tech Mahidra) के शेयर 3.81 फीसदी तक लुढ़कने के बाद कम हो चुके हैं। इसके अलावा टाइटन (Titan) में 2.72 फीसदी, इन्फोसिस (Infosys) में 2.50 फीसदी, ग्रासिम (Grasim) में 2.35 फीसदी और आयशर मोटर्स (Eicher Motors) में 2.09 फीसदी की गिरावट देखी जा रही है।
निफ्टी पर ब्रिटानिया (Britannia) के शेयरों में सबसे अधिक देखा जाए तो 1.14 फीसदी का उछाल होना शुरु हो गया है। हीरो मोटोकॉर्प (Hero Motocorp) में 0.79 फीसदी, एनटीपीसी (NTPC), एसबीआई लाइफ (SBI Life) और सन फार्मा (Sun Pharma) में 0.07 फीसदी की तेजी हो चुकी है।
Gold Price Today: आसमान से गिरा सोना, बढ़त के बाद तेजी से कम हुआ दाम; जानिए कहां है सबसे सस्ता रेट
Sona Chandi Bhav Gold Silver Price Today पहले कारोबारी सत्र में ताबड़तोड़ बढ़ने के बाद सोने के रेट बहुत तेजी से बढ़े लेकिन बाद में इसमें गिरावट आ गई। रिकॉर्ड ऊंचाई पर जाने के बाद सोना सस्ता हो गया है। आप भी अपने शहर का रेट पता कर लें।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Gold Silver Price Today: सोने की कीमतों ने एक बार फिर से गोता लगाया है। बुधवार को शरुआती कारोबार में एमसीएक्स पर तीन फरवरी 2023 को परिपक्व होने वाले सोने के वायदा भाव में 48 रुपये और 0.09 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। बाजार खुलने पर सोना 54,770 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था। लेकिन दिन के कारोबार में रिकॉर्ड ऊंचाई पर जाने के बाद सोने-चांदी का दाम एक बार फिर धड़ाम हो गया।
हाजिर मांग से चांदी की कीमतों में तेजी
मजबूत हाजिर मांग के बीच कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को बढ़ाया जिससे वायदा कारोबार में बुधवार को चांदी की कीमत 184 रुपये की तेजी के साथ 68,959 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में मार्च डिलीवरी के लिए चांदी का अनुबंध 21,308 लॉट में 184 रुपये या 0.27 प्रतिशत बढ़कर 68,959 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। चांदी कीमतों में तेजी का मुख्य कारण बाजार में सकारात्मक रुख के बीच कारोबारियों की ताजा लिवाली है।
वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में सोना 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,818.60 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में चांदी की कीमत 0.33 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23.91 डॉलर प्रति औंस रह गई।
कहां तक जाएंगे सोने और चांदी के भाव
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर बुधवार को सोना और चांदी बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था, लेकिन बाद में रेट कम हो गया। बाजार बंद होने पर मंगलवार को सोना 54,743 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था, जबकि चांदी की कीमत 68,775 रुपये प्रति किलोग्राम थी। भारत में, सोने और चांदी की कीमतें डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य सहित कई और चीजों पर निर्भर करती हैं।
Foreign Exchange Market: डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम, 26 पैसे कमजोर खुला
4 junwary को विदेशी मुद्रा बाजार (foreign exchange market) में डॉलर के मुकाबले रुपया आज कमजोरी के साथ खुला। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 26 पैसे की कमजोरी के साथ 74.52 रुपये के स्तर पर खुला। वहीं, सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 7 पैसे की मजबूती के साथ 74.26 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। डॉलर में कारोबार काफी समझदारी से करने की जरूरत होती है, नहीं तो निवेश पर असर पड़ सकता है।
Foreign Exchange Market: डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम, 26 पैसे कमजोर खुला
सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 7 पैसे की मजबूती के साथ 74.26 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। -शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 8 पैसे की मजबूती के साथ 74.33 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। -गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 33 पैसे की मजबूती के साथ 74.41 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
-बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 8 पैसे की कमजोरी के साथ 74.74 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। -मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 34 पैसे की मजबूती के साथ 74.66 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
जानिए रुपये के कमजोर या मजबूत होने का कारण रुपये की कीमत इसकी डॉलर के तुलना में मांग एवं आपूर्ति से तय होती है। वहीं देश के आयात एवं निर्यात का भी इस पर असर पड़ता है। हर देश अपने विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाले सामानों का भुगतान करता है।
क्यों टूट रहा है रुपया
गिरावट का एक और कारण डॉलर सूचकांक का लगातार बढ़ना भी बताया जा रहा है। इस सूचकांक के तहत पौंड, यूरो, रुपया, येन डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम जैसी दुनिया की बड़ी मुद्राओं के आगे अमेरिकी डॉलर के प्रदर्शन को देखा जाता है। सूचकांक के ऊपर होने का मतलब होता है सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती। ऐसे में बाकी मुद्राएं डॉलर के मुकाबले गिर जाती हैं।इस साल डॉलर सूचकांक में अभी तक नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसकी बदौलत सूचकांक इस समय 20 सालों में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है। यही वजह है कि डॉलर के आगे सिर्फ रुपया ही नहीं बल्कि यूरो की कीमत भी गिर गई है।
रुपये की गिरावट का तीसरा कारण यूक्रेन युद्ध माना जा रहा है। युद्ध की वजह से तेल, गेहूं, खाद जैसे उत्पादों, जिनके रूस और यूक्रेन बड़े निर्यातक हैं, की आपूर्ति कम हो गई है और दाम बढ़ गए हैं। चूंकि भारत विशेष रूप से कच्चे तेल का बड़ा आयातक है, देश का आयात पर खर्च बहुत बढ़ गया है। आयात के लिए भुगतान डॉलर में होता है जिससे देश के अंदर डॉलरों की कमी हो जाती है और डॉलर की कीमत ऊपर चली जाती है।
कहां तक टूट सकता है रुपया?
बैंक ऑफ अमेरिका के अनुसार, भारतीय रुपया साल के अंत तक 81 प्रति डॉलर तक टूट सकता है। इस साल अब तक भारतीय रुपया 9% से अधिक लुढ़क चुकी है। डॉलर में मजबूती और कच्चे तेल कीमतों में तेजी ने रुपया को कमजोर करने का काम किया है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 80% कच्चा तेल आयात करता है। इससे रुपये पर दबाव डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम बढ़ा है।
भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स आयात करता है। रुपया कमजोर होने के कारण इन वस्तुओं का आयात पर अधिक रकम चुकाना पड़ रहा है। इसके चलते भारतीय बाजार में इन वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी।
रुपये पर सीधा असर
व्यापार घाटा बढ़ने का चालू खाता के घाटा (सीएडी) पर डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम सीधा असर पड़ता है और यह भारतीय रुपये के जुझारुपन, निवेशकों की धारणाओं और व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है। चालू वित्त वर्ष में सीएडी के जीडीपी के तीन फीसदी या 105 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आयात-निर्यात संतुलन बिगड़ने के पीछे रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से तेल और जिसों के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ना, चीन में कोविड पाबंदियों की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होना और आयात की मांग बढ़ने जैसे कारण हैं। इसकी एक अन्य वजह डीजल और विमान ईधन के निर्यात पर एक जुलाई से लगाया गया अप्रत्याशित लाभ कर भी है।
देश के निर्यात में गिरावट ऐसे समय हुई है जब तेल आयात का बिल बढ़ता जा रहा है। भारत ने अप्रैल से अगस्त के बीच तेल आयात पर करीब 99 अरब डॉलर खर्च किए हैं जो पूरे 2020-21 की समान अवधि में किए गए 62 अरब डॉलर के व्यय से बहुत ज्यादा है। सरकार ने हाल के महीनों में आयात को हतोत्साहित करने के लिए सोने जैसी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने, कई वस्तुओं के आयात पर पाबंदी लगाने तथा घरेलू उपयोग में एथनॉल मिश्रित ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रयास करने जैसे कई कदम उठाए हैं। इन कदमों का कुछ लाभ हुआ है और आयात बिल में कुछ नरमी जरूर आई है लेकिन व्यापक रूझान में बड़े बदलाव की संभावना कम ही नजर आती है।
आजादी के बाद से ही रुपया होता रहा कमजोर
भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। उस समय एक डॉलर की कीमत एक रुपये हुआ करती थी, लेकिन जब भारत स्वतंत्र हुआ तब उसके पास उतने पैसे नहीं थे कि अर्थव्यवस्था को चलाया जा सके। उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) थे। उनके नेतृत्व वाली सरकार ने विदेशी व्यापार को बढ़ाने के लिए रुपये की वैल्यू को कम करने का फैसला किया। तब पहली बार एक डॉलर की कीमत 4।76 रुपये हुआ था।
देश के आजाद होने के बाद से पहली बार 1991 में मंदी आई। तब केंद्र में नरसिंम्हा राव (Narasimha Rao) की सरकार थी। उनकी अगुआई में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की गई, जिसने रुपये की कमर तोड़ दी। रिकार्ड गिरावट के साथ रुपया प्रति डॉलर 22।74 पर जा पहुंचा। दो साल बाद रुपया फिर कमजोर हुआ। तब एक डॉलर की कीमत 30।49 रुपया हुआ करती थी। उसके बाद से रुपये के कमजोर होने का सिलसिला चलता रहा है। वर्ष 1994 से लेकर 1997 तक रुपये की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। उस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 31।37 से 36।31 रुपये के बीच रहा।
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