प्रबंधकीय अर्थशास्त्र विभिन्न व्यावसायिक कारकों जैसे आय, मांग की लोच, लागत की मात्रा, लाभ विश्लेषण आदि के बीच आर्थिक संबंधों का अनुमान लगाता है।

समष्टि आर्थिक विश्लेषण (Macro Economic Analysis)

‘समष्टि अर्थशास्त्र’ का आर्थिक विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण स्थान है तथा प्रायः सभी विश्वविद्यालयों ने एम. ए. (अर्थशास्त्र) के पाठ्यक्रम में इसका समावेश किया है। आजकल सम्पूर्ण आर्थिक प्रणाली का अध्ययन माइक्रो एवं मेक्रो अर्थशास्त्र के अन्तर्गत किया जाता है। निश्चित ही मेक्रो अर्थशास्त्र का क्षितिज अधिक व्यापक है। प्रस्तुत पुस्तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के समष्टि आर्थिक विश्लेषण के पाठ्यक्रम को दृष्टि में रखकर तैयार की गई है।

विभिन्न विश्वविद्यालयों में आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य समष्टि अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम में एकरूपता नहीं है। अतः यह दावा तो नहीं किया जा सकता कि पुस्तक प्रत्येक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम को अक्षरशः पूरा करती है, किन्तु यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पुस्तक में विषयों का चयन इस दृष्टि से किया गया है कि इसमें अधिकाधिक विषयों का समावेश हो गया है। यह ध्यान रखा गया है कि विषय-सामग्री स्पष्ट तथा सरल भाषा में हो, ताकि छात्र इसे अच्छी तरह से समझ सकें। अद्यतन जानकारी देने के लिए नवीनतम् अधिकृत रिपोर्ट एवं प्रतिवेदनों का प्रयोग किया गया है। सरकार की आर्थिक सुधारों एवं उदारीकरण की नीतियों आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य के फलस्वरूप जो परिवर्तन आर्थिक क्षेत्र में हुए हैं, सम्बन्धित अध्याय उसे प्रतिबिंबित करते हैं।

अर्थशास्त्र

आचार्य चाणक्य (कौटिल्य) अर्थशास्त्र ग्रंथ के रचयिता थे। यह बात सर्वविदित है कि पुराने समय में सिल्क रूट जो एशिया को यूरोप से जोड़ तथा भारत आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य से होकर निकलता था जिसमें विदेशी व्यापार में भारत की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी। क्योंकि यदि हम प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था को देखते हैं तो पता चलता है कि भारत में न तो आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य कहीं भी बेरोजगारी थी और न ही गरीबी। प्रत्येक वर्ग अपना स्वयं का व्यवसाय करता था, जिसमें वह पारंपरिक रूप से सिद्धहस्त था। इसलिए भारत सोने की चिड़िया कहलाता था।
इस विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विषय का हिंदी में अध्ययन अध्यापन एवं अनुसंधान का कार्य सन् 2013 से निरंतर जारी है। जिसमें वर्तमान एवं प्रचीन सभी विचारधाराओं को उचित स्थान प्रदान किया गया है।
मुख्य उद्देश्य -
1- अंतर्राष्ट्रीय एवं आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य राष्ट्रीय विकास सिद्धांतों एवं नीतियों को भारतीय अर्थव्यवस्था के अनुरूप ढालना एवं उनका विश्लेषण करना।
2- अर्थशास्त्र के प्राचीन भारतीय माॅडल को एक बार पुनः प्रतिस्थापित करने का प्रयास करना।
3- गणितीय, अर्थमितीय आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य एवं सांख्यिकीय दृष्टिकोण इस माॅडल के पुर्वानुमान निकालकर सफलता के अवसरों को देखना।
4- विषय संबंधी प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को समझाना एवं प्राचीन सुदृढ़ आर्थिक ढांचा को टूटने से बचाने का प्रयास करना।

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