बाजार की गिरावट में क्यों डर जाते हैं निवेशक?

जहां गिरावट आपको शेयरों को अच्छे भाव में खरीदने का मौका देती है, वहीं तेजी मुनाफा कमाने का.

बाजार की गिरावट में क्यों डर जाते हैं निवेशक?

यहां हमने कुछ इंफोग्राफिक्स और उदाहरण की मदद से इन बारीकियों को समझाने की कोशिश की है. इस क्रम में आगे बढ़ते उन तमाम गिरावटों का जिक्र किया जाएगा जब निवेशक अपना सिर पकड़कर बैठ गए.

सेंसेक्स की किसी एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट

Master (1)

लुढ़कते हुए इस स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है बाजार को आप क्या कहेंगे-क्रैश, बियर फेज या करेक्शनॽ

क्या है क्रैश (2008-09)

Master (2)

यह किसी एक दिन में या कुछ दिनों में बाजार के सभी सेगमेंट में अचानक आर्इ भारी गिरावट है. आम तौर पर यह अप्रत्याशित संकट के बाद घबराहट में की गर्इ बिक्री के कारण आती है. इसके पहले तेजी का लंबा दौर देखने को मिलता है. इस दौरान शेयरों के भाव बुरी तरह से लुढ़क जाते हैं. 2008-09 के दौरान बाजार में कई बार क्रैश देखने को मिला.

क्या है बियर फेज (2015-16)

Master (3)

इस तरह का चरण दो महीने से अधिक समय तक चलता है. इस दौरान प्रमुख शेयर सूचकांकों में कम से कम 20 फीसदी तक गिरावट आ जाती है. चूंकि कोई नहीं जानता कि यह चरण कब तक चलेगा, इसलिए निवेशक घबराकर शेयरों में बिकवाली करते हैं. इससे शेयरों की स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है कीमतें और टूट जाती हैं. साल 2015-16 में इस तरह का चरण देखने को मिला था.

क्या है करेक्शन (2018)

Master (4)

यह प्रमुख शेयर सूचकांकों में मामूली गिरावट है. इसमें ये सूचकांक करीब 10 फीसदी नीचे चले जाते हैं. यह आम तौर पर तब होता है जब निवेशक बिना किसी ठोस कारण से उत्साहित होकर शेयरों में खरीद करके बाजार को ऊपर चढ़ा देते हैं. इससे शेयर ओवरवैल्यूड यानी ज्यादा महंगे हो जाते हैं. सही स्तर पाने के लिए बाजार सुधरता है. यह क्रैश या बियर मार्केट की तुलना में ज्यादा जल्दी-जल्दी होता है. इसका अच्छा उदाहरण फरवरी-मार्च 2018 की गिरावट है.

Eye Opener: शेयर बाजार में क्यों लगाना चाहिए पैसा? ये 7 कारण खोल देंगे आपकी आंखें!

बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं.

बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं.स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है

एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. लेकिन आमतौर पर वे . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 10, 2022, 16:16 IST

हाइलाइट्स

व्यक्ति को निवेशक बनना चाहिए न कि केवल बचतकर्ता (Saver).
निवेशक के तौर पर आपके एसेट की कीमत भी महंगाई के साथ-साथ बढ़ती है.
बढ़ती जनसंख्या के दौर में बेहतर काम करने वाली कंपनियां मूल्यवान हो जाती है.

नई दिल्ली. निवेश करने वाले अधिकतर लोग मानते हैं कि लगातार बढ़ती महंगाई दर को मात देने के लिए निवेश का सबसे अच्छा साधन इक्विटी (शेयर मार्केट) है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. एक्सपर्ट्स इक्विटी के पुराने रिटर्न को देखते हुए ऐसा कहते हैं, लेकिन अधिकतर लोग इस बात पर आंखें मूंदकर भरोसा कर लेते हैं. वे यह नहीं पूछते कि इस बात की क्या गारंटी है कि यदि इतिहास में अच्छा रिटर्न दिया है तो भविष्य में भी अच्छा रिटर्न स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है मिलेगा ही?

यह सवाल पूछना जरूरी इसलिए है ताकि आपको इसका जवाब मालूम हो. इस प्रश्न का उत्तर जानकर स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है आप यकीनन एक अच्छे निवेशक बन जाएंगे और आपकी वेल्थ के बढ़ने के चांस भी बढ़ जाएंगे.

हम स्टॉक मार्केट की बात कर रहे हैं तो यहां इसका मतलब ब्रॉड मार्केट इंडेक्स से समझा जाए. इंडेक्स कुछ स्टॉक्स की एक बास्केट की तरह हैं, जो ओवरऑल शेयर मार्केट का प्रतिनिधित्व करते हैं. कह सकते हैं कि इनकी चाल से पूरे बाजार की चाल समझी जा सकती है. तो हम आपको बता रहे हैं मूल सवाल के जवाब, जिसे लोग अक्सर पूछते नहीं है.

7 जवाब कर देंगे आपको “लाजवाब”
मुद्रास्फीति या महंगाई
जैसे-जैसे चीजों की कीमतें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे उन चीजों को बनाने वाली कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट भी बढ़ता है. इसके साथ ही कंपनी के स्टॉक की वेल्यू भी बढ़ती है. इसे यूं भी समझा जा सकता है कि स्टॉक इंडेक्स के स्तर के ऊपर जाना एक तरह से इन्फ्लेशनरी ग्रोथ ही है. महंगाई भी एक कारण है कि व्यक्ति को निवेशक बनना चाहिए न कि केवल बचतकर्ता (Saver). एक निवेशक के तौर पर आपके एसेट की कीमत भी स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है मुद्रास्फीति के साथ-साथ बढ़ती है, परंतु एक बचतकर्ता का पैसा बढ़ता नहीं है.

जनसंख्या वृद्धि
बढ़ती जनसंख्या का मतलब आमतौर पर कंपनियों के लिए एक बड़ा योग्य बाजार होता है. और जो कंपनियां अपने बड़े और बढ़ते बाजार को सफलतापूर्वक सामान बेचती हैं, समय के साथ वे और अधिक मूल्यवान हो जाती हैं.

टेक्नोलॉजी का बढ़ता दायरा
आंकड़ों के आधार पर भी कहें तो जितने ज्यादा लोग होंगे, उतने ही अधिक जीनियस और अविष्कार करने वाले सामने आएंगे. जैसे कि वैश्विक जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे इन्सान की तरक्की और अविष्कारों की गति भी तेज हो रही है. और इसी के आधार पर कंपनियों का प्रॉफिट भी लगातार अच्छा हो रहा है, क्योंकि टेक्नोलॉजी के बिना इतनी बड़ी जनसंख्या को हर पक्ष से मैनेज करना मुश्किल है.

स्टॉक की नेचुरल सिलेक्शन
एक इंडेक्स में आमतौर पर बाजार की बड़ी और बेहतरीन कंपनियां शुमार होती हैं. यदि कोई कंपनी क्वालिफिकेशन क्राइटेरिया में फेल होती है तो उसे इंडेक्स से बाहर करके किसी दूसरी बेहतरीन कंपनी को इंडेक्स में शामिल कर लिया जाता है. ऐसे में निवेशक को विशेष तौर पर स्टॉक चुनने की कोई टेंशन नहीं रहती, क्योंकि यह एक नेचुलर सिलेक्शन स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है है, जो हमेशा आउटपरफॉर्म करता है.

लम्बे समय में जोखिम भी देते हैं लाभ
यदि आप शार्ट टर्म के लिए बाजार में पैसा डालते हैं तो आपको नुकसान होने की संभावना रहती है, लेकिन यदि आप लम्बी अवधि के लिए फाइनेंशियल मार्केट में पैसा लगा रहे हैं तो आपको फायदा ही होगा. चूंकि शार्ट टर्म में जोखिम होता है तो लॉन्ग टर्म में आपको उस जोखिम के बदले में प्रीमियम मिलता है. इसे बाजार की भाषा में रिक्स प्रीमियम कहा जाता है.

सेंट्रल बैंक की भूमिका
जब इकॉनमी में जरूरी से अधिक महंगाई पैदा होती है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ब्याज दरों में इजाफा करके इसे शांत करने की कोशिश करता है, जिससे कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ जाती है. इसके उलट, जब अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती है तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को कम कर देता है, जिससे लोग ज्यादा खर्च करते हैं और आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं. मतलब, अर्थव्यवस्था को सुचारी रूप से चलाने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार निगरानी करता है.

नीचे जाने के बाद बाजार ऊपर क्यों आता है?
बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं. आते हैं और गुजर जाते हैं. ये सदा के लिए टिकाऊ नहीं हो सकते. लेकिन क्यों? इसके कुछ कारण है-

जितना लम्बा टिकेंगे, जीतने के चांस उतने ज्यादा!
भारतीय इक्विटी मार्केट का इतिहास कहता है कि इसने लगभग 16 फीसदी का सालाना कम्पाउंडेड एवरेज रिटर्न दिया है. बाजार में समय कैसे निवेशक को फायदा पहुंचाता है, उसे एक डेटा से समझना चाहिए. पिछले 33 वर्षों के सेसेंक्स के आंकड़े बयान करते हैं कि 15 फीसदी सालाना रिटर्न पाने के लिए यदि आप 1-2 साल तक टिकते हैं तो आपके चांस 50 फीसदी होते हैं. यदि आप 7 साल के लिए निवेश में बने रहते हैं तो सालाना आधार पर 15 फीसदी रिटर्न पाने के चांस बढ़कर 66 फीसदी हो जाते हैं. इसी तरह 15 साल तक टिके रहने की स्थिति में चांस 70 फीसदी बन जाते हैं.

(Disclaimer: यह खबर केवल जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशिक की गई है. यदि आप किसी भी शेयर में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

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चाहते हैं हर महीने शेयर बाजार से हो कमाई, फिर मत पड़िए इन 5 चक्करों में

शेयर बाजार पैसा बनाने की मशीन नहीं है. इसलिए बिना जानकारी लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है. करोड़पति (Crorepati) बनने के सपने लेकर शेयर बाजार (Share Market) से जुड़ते हैं. लेकिन कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिससे वो शेयर बाजार से पैसे नहीं बना पाते हैं.

Stock Market Tips

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2022,
  • (अपडेटेड 03 फरवरी 2022, 10:57 AM IST)
    स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है
  • 90% से ज्यादा रिटेल निवेशक नहीं कर पाते हैं कमाई
  • किसी के कहने पर शेयर बाजार में निवेश

अक्सर लोगों को जब तक शेयर बाजार (Stock Market) से कमाई होती है, तब तक अच्छा लगता है. लेकिन जैसे ही बाजार में मंदी आती है, निवेशक (Investor) घबराने लगते हैं. खासकर नुकसान के बाद रिटेल निवेशकों (Retail Investors) का शेयर बाजार से मोहभंग हो जाता है. वो जल्दी करोड़पति (Crorepati) बनने के सपने लेकर शेयर बाजार (Share Market) से जुड़ते हैं. लेकिन कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिस वजह से वो शेयर बाजार से पैसे नहीं बना पाते हैं.

कहा जाता है कि शेयर बाजार में बहुत पैसे हैं. लेकिन हर कोई शेयर बाजार से पैसे क्यों नहीं बना पाते हैं? खासकर 90 फीसदी से ज्यादा रिटेल निवेशक स्टॉक मार्केट में कमाने के बजाय अपनी जमापूंजी भी गंवा जाते हैं. रिटेल निवेशकों को शेयर बाजार से खाली हाथ लौटने के पीछे पांच बड़े कारण हैं.

1. किसी के कहने पर निवेश: अधिकतर रिटेल निवेशक बिना जानकारी के ही शेयर बाजार में शुरुआती निवेश कर देते हैं. ऐसे लोग किसी के कहने पर निवेश शुरू करते हैं. यानी स्टॉक मार्केट को बेहतर तरीके से जाने बगैर पैसे लगा देते हैं. इस कड़ी में निवेशक उस तरह के स्टॉक का चयन कर लेते हैं, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं होते हैं, और फिर फंस जाते हैं. जिससे नुकसान उठाना पड़ता है. शेयर में स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है निवेश का सीधा फंडा है- लर्निंग के साथ अर्निंग.

2. गिरावट में घबराना: रिटेल निवेशक को जब तक कमाई होती है, तब तक वो निवेश में बने रहते हैं. लेकिन जैसे से बाजार में गिरावट का दौर चलता है, रिटेल निवेशक घबराने लगते हैं, और फिर बड़े नुकसान के डर से शेयर सस्ते में बेच देते हैं. जबकि बड़े निवेशक खरीदारी के लिए गिरावट का इंतजार करते हैं.

3. सस्ते शेयर का चयन: अक्सर रिटेल निवेशक उन शेयरों को अपने पोर्टफोलियो (Portfolio) में रखते हैं, जिसकी कीमत कम होती है. उन्हें लगता है कि सस्ते शेयर में कम निवेश कर ज्यादा कमाया जा सकता है. लेकिन ये धारणा गलत है. अक्सर रिटेल निवेश इसी चक्कर में पेनी स्टॉक (Penny Stock) में फंस जाते हैं, फिर जमापूंजी शेयर बाजार में गंवा देते हैं. शेयर का चयन हमेशा कंपनी के ग्रोथ को देखकर करें.

4. मोटी कमाई का इंतजार: कई बार रिटेल निवेशक मोटी कमाई के इंतजार में जो आ रहा है, उसे भी घर तक नहीं ले जा पाते हैं. अक्सर ट्रेडर और बड़े निवेशक कुछ शेयरों में 5 से 10 फीसदी बढ़ोतरी के बाद उससे निकल लेते हैं. लेकिन रिटेल निवेशक मोटी कमाई के चक्कर इन शेयरों में फंस जाते हैं, और फिर इंतजार करते-करते सस्ते में या फिर नुकसान उठाकर शेयर बेच लेते हैं.

5. पूरा पैसा निवेश कर देना: डिजिटल इंडिया के इस स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है दौर में रिटेल निवेशक मार्केट एक्सपर्ट (Market Expert) पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेते हैं. कुछ लोग सोशल मीडिया (Social Media) के माध्यम से लखपति-करोड़पति बनाने के सपने दिखाते रहते हैं. लेकिन हकीकत में ये इतना आसान नहीं है. इसलिए निवेश से पहले एक्सपर्ट की मदद जरूर लें, लेकिन एक्सपर्ट का चयन भी सही से करें. इसके अलावा एक साथ लोग सारा पैसा शेयर बाजार में डाल देते हैं और फिर गिरावट में वो घबराने लगते हैं.

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