Heart Attack: सांस फूलना-जबड़े, कंधों में दर्द, हार्ट अटैक के ये 10 लक्षण न करें इग्नोर
खराब लाइफस्टाइल और खान-पान से जुड़ी खामियों के चलते लोगों में क्या सिर और कंधे तेजी से उलटे हैं दिल से जुड़ी बीमरियों का खतरा बढ़ गया है. इस तरह की दिक्कतें किसी भी वक्त हार्ट अटैक को ट्रिगर कर सकती हैं. दरअसल खून में थक्के बनने की वजह से हार्ट को पंपिंग करने यानी शरीर के दूसरे अंगों तक रक्त संचार करने के लिए ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है. इससे हार्ट के मसल्स फैलने लगते हैं और दिल का आकार बदलने लगता है. हार्ट अटैक आने का यही एक कारण है. आइए आपको इसके वॉर्निंग साइन यानी लक्षणों के बारे में बताते हैं.
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असामान्य हार्ट बीट- बहुत ज्यादा नर्वस या एक्साइटेड होने पर इंसान की हार्ट बीट का कम-ज्यादा होना सामान्य सी बात है. लेकिन अगर आपकी हार्ट बीट कुछ सेकेंड से ज्यादा देर के लिए अनियंत्रित हो रही है तो ये बड़ी दिक्कत खड़ी कर सकता है. इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
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हाथ या एड़ी में सूजन- अगर किसी व्यक्ति के पैर, पंजे या एड़ी में सूजन की समस्या बढ़ रही है तो ये एक गंभीर विषय हो सकता है. डॉक्टर्स कहते हैं कि अक्सर जब इंसान का दिल खून को ठीक से पंप नहीं कर पाता है तो हाथ और पैरों में सूजन बढ़ने लगती है.
पसीना- शरीर से बहुत अधिक पसीना निकलना भी हार्ट अटैक का एक लक्षण हो सकता है. खासतौर से अगर आपको कम तापमान यानी ठंड में भी पसीना आ रहा है तो ये समस्या और गंभीर हो सकती है.
कंधों में दर्द- हाथ के अलावा अगर लगातार आपके कंधों में या कमर में दर्द होता है तो सावधान हो जाएं. हार्ट अटैक आने से पहले कई रोगियों में यह लक्षण दिखाई देते हैं.
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जबड़े, दांत या सिर में दर्द- हार्ट अटैक से पहले कई रोगियों ने हाथ, जबड़े, दांत या सिर में दर्द की शिकायत की है. अगर आपको भी इस तरह की समस्या हो रही है तो जल्द से जल्द जांच करा लें.
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लगातार खांसी- लगातार होने वाली खांसी को हार्ट अटैक या दिल से जुड़ी बीमारियों से जोड़ना सही नहीं है. लेकिन अगर आप किसी हार्ट डिसीज से जूझ रहे हैं तो लगातार होने वाली खांसी पर ध्यान देने की जरूरत है. एक्सपर्ट कहते हैं कि खांसते वक्त अगर सफेद या गुलाबी रंग का बलगम निकल रहा है तो ये हार्ट फेलियर का संकेत हो सकता है.
सांस लेने में दिक्कत- सांस लेने में समस्या हो रही है या फिर पूरी तरह से सांस लेने के बाद भी आपको सांस की कमी महसूस हो रही है तो यह हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है. इसके अलावा कुछ लोगों को घबराहट, डायजेशन, सीने में जलन और पेट में दर्द की समस्या भी हो सकती है.
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सीने में जलन या बदहजमी- अगर आपके सीने में लगातार जलन हो रही है या फिर आप बदजहमी की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए. ठीक ना होने वाली बदहजमी हार्ट अटैक का एक संकेत है.
उल्टी- बार-बार उल्टी और पेट में दर्द भी हार्ट अटैक से पहले दिखने वाले लक्षणों में शामिल है. इस प्रकार के लक्षणों को गंभीरता से समझने का प्रयास करें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.
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खर्राटे- नींद में खर्राटे लेना साधारण सी बात है. हालांकि खर्राटों की तेज आवाज के साथ दम घुटने जैसा महसूस होना स्लीपिंग एपनिया के लक्षण हैं. रात में सोते वक्त कई बार हमारी सांस रुक जाती है, जिससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है.
कंधे का दर्द: लक्षण, कारण और इलाज
कंधे में दर्द के कारण आपके कंधे के जोड़ में, आपकी गर्दन और बाइसेप्स के आसपास, या आपकी पीठ के ऊपरी हिस्से में हल्की या तेज तकलीफ महसूस हो सकती है। इसके कारण आप आराम से बाहों को हिला-डुला नहीं सकते हैं और जिसके कारण बहुत अधिक बेचैनी होती है। कंधे में दर्द थोड़े समय के लिए भी हो सकता है, या यह स्थाई भी हो सकता है, इसके लिए चिकित्सा देखभाल और उपचार की जरूरत पड़ती है।
कंधे में दर्द के संकेत और लक्षण क्या-क्या हैं?
आपको कंधे में दर्द के निम्नलिखित लक्षणों में से एक या उससे अधिक का अनुभव हो सकता है:
- बांह को हिलाने-डुलाने में कठिनाई या असमर्थता
- कंधे की हड्डी के आसपास सूजन
- पीठ के ऊपरी हिस्से के आम हिस्से में अकड़न
- बांह को उठाने पर उसका स्थिर न रहना
कंधे में दर्द के क्या-क्या कारण हैं?
निम्नलिखित कारकों के कारण कंधे में दर्द हो सकता है:
- अत्यधिक खिंचाव के कारण तनाव
- बहुत अधिक उपयोग से सूजन
- कंधे के जोड़ का उखड़ जाना
- कॉलर या ऊपरी बांह की हड्डी का टूट जाना
- कंधे का अकड़ जाना और नसों का दबना
- उम्र बढ़ने और प्राकृतिक क्या सिर और कंधे तेजी से उलटे हैं टूट-फूट के कारण होने वाला गठिया
- दिल का दौरा (कुछ मामलों में)
कंधे के दर्द का इलाज कैसे करें?
कंधे के दर्द का उपचार उसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है:
- कंधे की छोटी-मोटी तकलीफों के इलाज के लिए आइस पैक, आराम और कंधे से जुड़ी गतिविधियों से बचना।
- डॉक्टर या पेशेवर फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा सुझाए गए कंधे के साधारण व्यायाम।
- बिना पर्ची वाले सूजनरोधी दवाईयां जैसे कि मूव स्ट्रोंग डिक्लोफेनाक जेल या मूव स्ट्रोंग डिक्लोफेनाक स्प्रे
मूव स्ट्रोंग कैसे मदद कर सकता है?
मूव स्ट्रोंग जेल और स्प्रे में डिक्लोफेनाक होता है (डॉक्टरों की नं. 1 पसंद) जो कंधे में दर्द और पीड़ा से तुरंत और लंबे समय तक राहत देता है। इसका गैर-चिपचिपापन, तेजी से सोंखने की विधि दर्द के स्रोत पर काम करता है जिसकी सहायता से आप फिर से अपने कंधे को हिला-डुला सकते हैं। इसे लगाने पर, मूव स्ट्रोंग गर्माहट का एहसास देता है और दर्द से लंबे समय तक राहत मिलती है।
सिर दर्द क्या है, क्यों होता है, इसके लक्षण, कारण और इलाज के बारे में यहां जानें
सिरदर्द एक बहुत ही आम समस्या है. ज्यादातर लोग सिरदर्द से कभी न कभी पीड़ित जरूर होते हैं. सिरदर्द क्यों होता है, इसका कारण और लक्षण, हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकता है. इलाज भी समस्या की गंभीरता के अनुसार होता है. इस लेख में जानिए सिरदर्द कितने प्रकार का होता है, सिरदर्द के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में.
Updated: June 2, 2022 5:14 PM IST
सिर के किसी भी हिस्से में अचानक होने वाले दर्द को सिरदर्द कहते हैं. यह सिर के किसी एक या दोनों तरफ हो सकता है. किसी एक खास प्वाइंट से शुरू होकर सिरदर्द पूरे सिर में फैल सकता है या किसी विशेष स्थान पर हो सकता है. सिर में सनसनी पैदा करने वाला, तेज या हल्का दर्द हो सकता है. यह धीरे-धीरे बढ़ सकता है या अचानक तेज सिरदर्द शुरू हो सकता है. कई बार यह एक-दो घंटे तक रह सकता है और कई दिनों तक भी सिरदर्द रह सकता है.
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तनाव के कारण अक्सर सिरदर्द होने लगता है. तनाव से जुड़ा सिरदर्द, कंधों, गर्दन, जबड़े, मांसपेशियों और खोपड़ी में तनाव के चलते होता है. बहुत ज्यादा काम करने, पर्याप्त नींद न लेने, समय पर खाना न खाने और शराब का सेवन करने की वजह से ऐसा सिरदर्द होता है. जीवनशैली में बदलाव करने, पर्याप्त मात्रा में आराम करने या दर्द निवारक दवा लेने से इस दर्द में राहत मिलती है. इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि सिरदर्द कितने प्रकार का होता है, सिरदर्द के लक्षण, कारण और इलाज.
सिर दर्द के प्रकार
अंतरराष्ट्रीय हेडएक सोसाइटी के अनुसार सिर दर्द प्राथमिक और माध्यमिक, दो प्रकार का होता है. प्राथमिक सिरदर्द में टेंशन से होने वाला सिर दर्द, क्लस्टर सिरदर्द और माइग्रेन के कारण होने वाला सिरदर्द शामिल होते हैं. जबकि माध्यमिक सिर दर्द में रीबाउंड और थंडरक्लैप सिर दर्द, कैफीन के लिए सिरदर्द और स्ट्रेस सिरदर्द शामिल होते हैं.
प्राथमिक सिरदर्द सिर के अंदर दर्द-संवेदी संरचनाओं की अतिक्रियाशीलता या उनमें होने वाली समस्याओं के कारण होते हैं. इनमें रक्त वाहिकाएं, मांसपेशियां, सिरदर्द और गर्दन की नसें शामिल हैं. प्राथमिक सिरदर्द दिमाग क्या सिर और कंधे तेजी से उलटे हैं की रासायनिक गतिविधियों में होने वाले बदलावों का परिणाम भी हो सकता है. माइग्रेन प्राथमिक सिरदर्द का दूसरा सबसे आम रूप है. क्लस्टर सिरदर्द 15 मिनट से 2-3 घंटे तक भी रह सकता है. यह दिन में कई बार शुरू हो सकता है. टेंशन के सिरदर्द का सबसे प्रमुख कारण है. यह धीरे-धीरे शुरू होता है. इस प्रकार का सिरदर्द भी घंटों तक बने रह सकता है.
जब सिर की संवेदनशील नसों को कोई अन्य कारण उत्तेजित करता है तो तो माध्यमिक सिरदर्द होता है. यानी जब सिरदर्द के लिए कोई अन्य कारक जिम्मेदार हों तो उसे माध्यमिक सिरदर्द कहा जाता है. अगर आप सिरदर्द की दवाओं का अधिक सेवन करते हैं तो इनके कारण भी माध्यमिक सिरदर्द हो सकता है. साइनस में सूजन या इंफेक्शन के कारण आंखों के पीछे, चेहरे और माथे पर दबाव और सूजन महसूस होती होती है. अगर आप चाय-कॉफी के शौकीन हैं तो बहुत समय तक इनका सेवन नहीं करने से भी माध्यमिक सिरदर्द होने लगता है.
सिरदर्द के लक्षण
जैसा कि हमने ऊपर बताया आमतौर पर सिरदर्द के लक्षणों के लिए किसी डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती है. इसके लक्षणों में हल्का सिरदर्द शामिल है, जिसमें आंखों और भौहों के ऊपर सिर के दोनों तरफ दर्द, दबाव या खिंचाव महसूस होता है. सिर के किसी एक हिस्से में भी दर्द, दबाव या खिंचाव महसूस हो सकता है. कई बार यह दर्द गर्दन और सिर के पिछले हिस्से के साथ ही पूरे सिर में फैलने लगता है. ऐसे ही दर्द के बारे में अक्सर लोग ‘सिर दर्द से फट रहा है’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.
अगर सिरदर्द तनाव का है तो यह गर्दन और सिर के पिछले हिस्से पर भी असर दिखाता है, जबकि माइग्रेन का सिरदर्द बहुत तेज होता है और इसमें उल्टी व मतली के साथ आवाज और तेज रोशनी में चिड़चिड़ाहत होती है. क्लस्टर सिरदर्द में आंखें लाल होने, आंखों से पानी आने, नाक बहने और पलकों के सूख जाने या सूजन जैसी समस्याएं होती हैं. रिबाउंड सिरदर्द में बेचैनी, गर्दन में दर्द, नाक बंद होना और नींद न आने जैसे लक्षण दिखते हैं. यही नहीं इसका दर्द हर दिन अलग हो सकता है.
सिरदर्द क्यों होता है?
सिर में मौजूद दर्द-संवेदी संरचनाओं में किसी तरह की चोट लगने या जलन के कारण सिरदर्द होता है. दर्द को महसूस करने वाली संरचनाओं में माथा, खोपड़ी, सिर का ऊपरी भाग, गर्दन, सिर की मांसपेशियां, सिर के चारों ओर मौजूद उत्तक, साइनस, सिर की प्रमुख धमनियां और नसें शामिल हैं. इन संरचनाओं में किसी तरह के दबाव, ऐंठन, जलन, सूजन, या तनाव के चलते सिरदर्द हो सकता है.
डॉक्टर को कब दिखाएं
आमतौर पर सिरदर्द की समस्या के लिए डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती. हालांकि, कभी-कभी सिरदर्द किसी अन्य गंभीर बीमारी का लक्षण होता है. लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि सिरदर्द में कब डॉक्टर को दिखाएं. अगर झटके के बाद सिरदर्द हो या सिरदर्द के साथ गर्दन में अकड़न, बुखार, बेहोशी, भ्रम, आंख और कान में भी दर्द हो तो तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाएं.
सिरदर्द का इलाज
आमतौर पर सिरदर्द थोड़े से आराम और बाम लगाकर ठीक हो जाता है. इसके बावजूद जब सिरदर्द से छुटकारा न मिल रहा हो तो सिरदर्द के लिए दवाएं ओवर द काउंटर आसानी से मिल जाती हैं. यदि इन उपायों से आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर सिरदर्द के कारण जानने के लिए टेस्ट लिख सकते हैं. डॉक्टर की सलाह पर दर्दनिवारक दवा का सेवन करें और भरपूर आराम करें.
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बाएं हाथ के दर्द को ना करें अनदेखा, हार्ट अटैक के अलावा हो सकती हैं ये 5 वजहें
ज़रूरी नहीं कि बाएं हाथ में दर्द होने की वजह हर बार हार्ट अटैक ही हों उसकी बजाय ये समस्याएं भी हो सकती हैं!
Written by Editorial Team | Published : September 22, 2017 12:19 PM IST
हार्ट अटैक तो आजकल की एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गई है। अक्सर हम लोगों का यह मानना होता है कि अगर बायें हाथ में दर्द महसूस हो रहा है तो यह हार्ट अटैक ही होगा और हम लोग डॉक्टर के पास चले जाते हैं, यह एक अच्छी बात है कि हमें कोई दिक्कत समझ आई और हम डॉक्टर के पास चले गये। लेकिन क्या सिर्फ बायें हाथ में दर्द होना ही हार्ट अटैक का लक्षण है।
यह सही है कि बायें हाथ में दर्द होना सबसे सामान्य लक्षण है हार्ट अटैक का लेकिन यह मरीज के उम्र पर भी निर्भर करता है। किसी भी व्यक्ति के बायें हाथ में दर्द है तो डॉक्टर यह जरुर कहते हैं कि यह हार्ट अटैक हो सकता है लेकिन उसके साथ मरीज में पसीना आना, घबराहट होना और मिचली आने जैसे लक्षण भी होने चाहिए।
वाशी स्थित हीरानंदानी हॉस्पिटल में कार्डियोलोजिस्ट डॉक्टर ब्रजेश कुमार कंवर बताते हैं कि हार्ट अटैक के अलावा बायें हाथ में दर्द होने के पांच और भी कारण हैं जो इस आर्टिकल में हम आपको बता रहें हैं।
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1) लोकल मस्कुलो स्केल्टन डिसऑर्डर : बायें हाथ के कन्धों में आर्थराइटिस का होना या सर्वाइकल स्पोंडीलाइटिस की वजह से भी आपके बायें हाथ में दर्द हो सकता है। जो लोग अपना सारा काम बाएं हाथ से करते हैं जब वे कंप्यूटर का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं तो उन्हें अक्सर सर्वाइकल स्पोंडीलाइटिस की समस्या होती है जिसकी वजह से बाएं हाथ में दर्द होने लगता है।
2) सर्वाइकल कम्प्रेसन: इसका मतलब होता है कि आपके कंधे की कोई नस यानी तंत्रिका दब रही है जिसकी वजह से आपके बाएं हाथ में दर्द होता है। इस टाइप के दर्द को कभी भी अनदेखा ना करें बल्कि तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपनी जांच करवाएं.
3) कंधे की चोट: अगर आपके कंधे में कोई चोट है तो इसकी वजह से भी बायें हाथ में दर्द हो सकता है। आपके कंधे में अगर कोई छोटा सा ट्यूमर भी है तो वहां की नसें दबाव महसूस करती हैं जिसकी वजह से उस हाथ में दर्द होने लगता है।
4) इन्फेक्शन: जी हाँ यह विश्वास नहीं किया जा सकता है लेकिन अगर आपको कोई इन्फेक्शन है तो उसकी वजह से भी बायें हाथ में दर्द हो सकता है। जैसे हर्प्स जोस्टर वायरस की वजह से होंने वाले इन्फेक्शन में आपके हाथ में सूजन के साथ तेज दर्द हो सकता है।
5) सोने का तरीका : अगर व्यक्ति गलत तरह से सोता है तो इस वजह से हाथ में दर्द हो सकता है। जैसे मान लीजिये कि अगर आप अपने बायें हाथ को दबाकर सोते हैं तो इससे आपके कंधे की नस दब जाती है और हाथ सुन्न हो जाता है। सोने का गलत तरीका हाथ में दर्द होने का मुख्य कारण है।
हार्ट अटैक से होने वाले दर्द और दूसरी वजह से होने वाले दर्द में फर्क कैसे करें :
जब हम अपने बायें हाथ में दर्द को महसूस करते हैं तो हमें और दूसरी चीजें भी देखनी चाहिए जैसे पसीने का आना, अचानक ब्लडप्रेशर का कम होना और टहलने पर दर्द का बढ़ जाना। यदि ये सारे लक्षण एक साथ महसूस हो रहे हैं तो यह हार्ट अटैक हो सकता है। अगर मरीज को डायबिटीज है या उसका कोलेस्ट्राल लेवल ठीक नहीं है और तब बायें हाथ में दर्द महसूस हो तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, यह हार्ट अटैक हो सकता है।
Nerve Treatment: कंधे या बाजू की नस पर नस चढ़ जाए तो घबराइए नहीं, जानिए लक्षण और उपचार
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। बिना इलाज के छोटी सी परेशानी भी बड़ी मुसीबत का सबब बन जाती है। नस पर नस का चढ़ना एक छोटी सी परेशानी है लेकिन अगर इसे नजरअंदरा कर दिया जाए तो ये आपको लंबे समय तक बीमार कर सकती है। कई बार काम करते समय या फिर मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से आपकी नस पर नस चढ़ जाती है। नस पर नस चढ़ने की स्थिति दो तरह की हो सकती है। पहली स्थिति में आपको तत्काल दर्द होग और ठीक हो जाएगा। जबकि दूसरी स्थिति गंभीर और दर्दनाक हो सकती है जो आपको लाचार भी बना सकती है।
अक्सर जांघ, पैर, हाथ, गर्दन, बाजू, पेट, पस्लियों के आस-पास की नस पर नस चढ़ती है। जब भी बॉडी के जिस अंग की नस पर नस चढ़ती है तो प्रभावित मांसपेशियों का हिस्सा 15 मिनट तक के लिए सख्त हो जाता है। उस हिस्से पर कुछ दर्द की दवाई लगाने से राहत भी मिल जाती है। आइए जानते है कि नस पर नस चढ़ने का क्या कारण है और इसका उपचार कैसे किया जाए।
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