बेस्ट टर्म इंश्योरेंस

कोविड-19 संकट ने दुनिया भर में व्यक्तियों, समाजों और व्यवसायों की आर्थिक संरचना पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। बीमा क्षेत्र इसके प्रभाव से बच नहीं पाया है लेकिन बीमाकर्ताओं और बीमा एग्रीगेटर्स ने संकट के लिए कुशलतापूर्वक प्रतिक्रिया दी है। जैसे-जैसे व्यापक अर्थव्यवस्था ठीक हो जाती है और महामारी का जवाब देती है, सभी आर्थिक वर्गों के पेशेवरों ने बीमा के महत्व को महसूस किया है। महामारी के वित्तीय प्रभाव ने लोगों को कठिन समय में बीमा द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा और गिरावट का मूल्यांकन किया है। बीमा को अब अधिकांश लोगों द्वारा “आवश्यक वस्तु” माना जाता है। वैयक्तिकृत बीमा, सामर्थ्य और टर्म प्लान की सादगी की उपलब्धता ने लोगों को अपने परिवार के लिए सर्वश्रेष्ठ “टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी” में से चुनने के लिए एक सरणी प्रदान की है। अपने परिवार के लिए सबसे अच्छा टर्म इंश्योरेंस प्लान चुनने से पहले कई अलग-अलग कारकों को ध्यान में रखना चाहिए। देश में बड़ी संख्या में बीमाकर्ताओं के साथ, भारत में सबसे अच्छा टर्म इंश्योरेंस प्लान चुनना भ्रामक है। पॉलिसीएक्स ने इस लेख में सभी आवश्यक जानकारी जमा की है ताकि आपको सर्वोत्तम टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद मिल सके।

बीमा के लगातार विकसित होते बाजार में, संगठन सुरक्षा से लेकर धन सृजन तक कई योजनाएं और नीतियां पेश कर रहे हैं। ये सभी प्लान वित्तीय सुरक्षा प्रदान करते हैं लेकिन सुरक्षा प्रदान करने का सार अलग है।

टर्म इंश्योरेंस को शुद्ध जीवन बीमा के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार का जीवन बीमा जो किसी निर्दिष्ट समय के दौरान कवर किए गए व्यक्ति की मृत्यु होने पर बताए गए मृत्यु लाभ के भुगतान की गारंटी देता है। भारत में सर्वश्रेष्ठ टर्म प्लान खरीदते समय एक सूचित निर्णय लेने के लिए टर्म इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस के बारे में स्पष्टता होना आवश्यक है। टर्म इंश्योरेंस प्लान और लाभों की विशिष्ट विशेषताओं के बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें ताकि आप सबसे अच्छे टर्म इंश्योरेंस प्लान का चयन कर सकें।

लॉकडाउन कल, आज और कल: शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को किया मालामाल; गोल्ड से भी 15% रिटर्न, जानिए आगे अब कहां बनेगा सबसे ज्यादा पैसा?

रिस्क है तो इश्क है। ये डायलॉग हर्षद मेहता पर बनी वेब सीरीज 'स्कैम 1992' का है, लेकिन इस समय बाजार में पैसा लगाने वालों पर सटीक बैठता है। आज से ठीक एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर देश में जनता कर्फ्यू लगा और 25 मार्च से लॉकडाउन। इस एक साल के दौरान शेयर बाजार में पैसा लगाकर जिसने रिस्क लिया, वो मालामाल हो गया। अगर हम निवेश के पांच तरीकों की बात करें तो शेयर बाजार दूसरे चारों से आगे दिखाई दे रहा है। चूंकि बाजार में पैसा लगाने वाले रिस्क लेते हैं, लेकिन बंपर रिटर्न उनको उससे इश्क करना सिखा ही देता है। जब कुछ दिग्गज शेयरों से रिटर्न 350% से ज्यादा मिले, यानी बाजार में आपने 100 रुपए लगाए तो यह 350 रुपए से ज्यादा हो गए, तब इश्क का परवान चढ़ना लाजमी भी है।

तो आइए देख लेतें हैं कि निवेश के उन पांच तरीकों ने आपके पैसे बनाए या डुबाए और बनाए भी तो कितने बनाए। ये भी समझ लेते हैं कि आने वाले समय में इन असेट क्लास में पैसा बनेगा या नहीं.

शेयर बाजार: एक साल में शेयर बाजार ने सबसे ज्यादा रिटर्न दिया। निफ्टी और सेंसेक्स एक साल के सबसे निचले स्तर से अब तक 90% से ज्यादा चढ़ चुके हैं। यानी पिछले साल मार्च में निवेशकों का 100 रुपए अब बढ़कर 190 रुपए से ज्यादा हो गया है। पिछले साल लॉकडाउन के ऐलान से कुछ दिन पहले यानि 13 मार्च को भारी गिरावट देखी गई थी। लेकिन उन दिनों की गिरावट में किसी ने शेयर बाजार में पैसा लगाया होगा तो वो इस समय खुशी से फूला नहीं समा रहा होगा।

अगर किसी ने निफ्टी में शामिल चुनिंदा शेयरों में पैसे ही लगाए होते तो उसका पैसा 3 गुने से ज्यादा हो गया होता। निफ्टी से जुड़ी टॉप कंपनियों की बात करें तो टाटा मोटर्स ने 368% का रिटर्न दिया है। इसके अलावा हिंडाल्को, अदानी पोर्ट, ग्रासिम और M&M ऐसे शेयर रहे, जिन्होंने 190% से 280% तक रिटर्न दिया।

ब्रोकरेज हाउस एक्सिस सिक्योरिटीज की मानें तो निफ्टी 50 इंडेक्स इस साल के अंत तक 17,000 के स्तर को पार कर सकता है। उसका मानना है कि निवेशकों को ICICI बैंक, भारती एयरटेल, HCL टेक, टेक महिंद्रा और ल्यूपिन जैसे शेयरों में निवेश किया जा सकता है। इसी तरह BSE सेंसेक्स पर ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस मॉर्गन स्टैनली ने इस साल के लिए 61 हजार का टार्गेट दिया है।

म्यूचुअल फंड: कम रिस्क लेने वाले या सर्वोत्तम बाजार समय के दौरान आगे बढ़ें शेयर बाजार में सीधे निवेश से बचने वालों के लिए फिट फंडा है म्यूचुअल फंड। दरअसल, इसमें जब आप निवेश करते हैं तो अलग-अलग फंड हाउसेज के फंड मैनेजर आपके पैसे को शेयर बाजार में लगाते हैं। पिछले एक साल की बात करें तो निवेशकों को अलग-अलग म्यूचुअल फंड्स में 30 से 90% तक का रिटर्न मिला।

बाजार की तेजी को देखते हुए जानकार मान रहे हैं कि म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाना फायदे का सौदा हो सकता है। ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और CEO पंकज मठपाल की मानें तो इस साल भी सेक्टोरल को छोड़ दिया जाए तो अलग-अलग म्यूचुअल फंड्स कम से कम 15% तक रिटर्न दे सकते हैं। इसके लिए नए निवेशकों को बस फ्लेक्सी कैप, मल्टीकैप और लार्ज कैप फंड्स पर ध्यान रखना है।

सोना भी चमका: लॉकडाउन के दौरान गोल्ड की कीमतें लगातार बढ़ीं, जो अगस्त 2020 तक 56 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड हाई तक भी पहुंची। यानी किसी ने अगर मार्च के दौरान सोने में पैसे लगाए तो वो अगस्त में उसको 30% से ज्यादा का रिटर्न मिला। हालांकि पिछले साल अगस्त से अब तक सोने की चमक थोड़ी फीकी पड़ी है। फिर भी पूरे एक साल की बात करें तो आज भी गोल्ड ने निवेशकों को करीब 15% रिटर्न दिया है।

IIFL सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) अनुज गुप्ता की माने तो सोना इस साल के अंत तक एक बार फिर 52 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के पार हो सकता है। क्योंकि शादी का सीजन नजदीक है और मई में अक्षय तृतीया भी है। इससे सोने की डिमांड बढ़ेगी। इसलिए गोल्ड में निवेश करने सर्वोत्तम बाजार समय के दौरान आगे बढ़ें का यह सही समय है।

फिक्स्ड डिपॉजिट: पैसा बचाकर बैंक में FD यानी फिक्स्ड डिपॉजिट करना काफी पुराना और सुरक्षित तरीका है। लेकिन इससे निवेशकों का सालभर में साढ़े 5% भी ब्याज नहीं मिला। सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाले दिनों में भी ब्याज दरें इसी के आस-पास ही रह सकती हैं। बढ़ती महंगाई को काबू करने के लिए पिछले तीन बार से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को स्थिर रखा है। जानकारों की मानें तो आने वाले समय में भी रिजर्व बैंक दरों में बदलाव नहीं करेगा।

रियल एस्टेट: बने पड़े खाली घर और सस्ते ब्याज दरों के चलते घरों के दाम बढ़ने के बजाय गिर गए। ग्लोबल रिसर्च एजेंसी नाइट फ्रैंक की मानें तो सालभर में भारत में घर साढ़े तीन पर्सेंट सस्ते हुए हैं। जानकार मानते हैं कि लॉकडाउन खुलने के बाद पहली बार घर खरीदने वाले लोग प्रॉपर्टी बाजार में ज्यादा निकले। प्रॉपर्टी बाजार का फ्यूचर भी ठंडा ही रहने वाला है।

होमएंट्स के फाउंडर प्रदीप मिश्रा के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान असल खरीदार या पहली घर खरीदने वालों की ओर से ज्यादा डिमांड आई। कोरोना के दौरान लोगों को घर समझ आया कि अपने घर में रहना कितना फायदेमंद है। वहीं, कमर्शियल प्रॉपर्टी की डिमांड कमजोर ही रही है, लेकिन वैक्सीनेशन जैसे जैसे बढ़ रहा है इसमें सुधार देखने को मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार सस्ते घरों पर फोकस कर रही है। इसके लिए डेवलपर्स को भी इंसेटिव दिया जा रहा है। दूसरी ओर होम लोन की ब्याज दरें भी 10 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। ऐसे में कीमतें भले ही स्थिर रहें लेकिन घर खरीदार शॉपिंग पर जरूर निकल रहे हैं।

सर्वोत्तम बाजार समय के दौरान आगे बढ़ें

चालू वर्ष के अंत तक आप बेंचमार्क इंडेक्सों को किस तरह देख रहे हैं?
पिछले कुछ महीनों के दौरान सीमित दायरे में मजबूती के बाद हमें इस साल की दूसरी छमाही में बाजारों में बढ़त का ब्रेकआउट होने की संभावना है। चालू वर्ष के अंत तक सेंसेक्स 20,000-21,000 की रेंज में पहुंच सकता है।

तीन-चार प्रमुख कारक कौन से हैं, जो बाजारों को नकारात्मक और सकारात्मक, दोनों तरह से प्रभावित कर सकते हैं?
कुल मिला कर, इस साल की दूसरी छमाही के लिए तेजी के रुझान से जुड़े कई कारक दिख रहे हैं। विकास की रफ्तार अपेक्षा की तुलना में मजबूत है, लेकिन बाजारों में निवेशकों के बीच अविश्वास अभी भी बना हुआ है। अगले कुछ महीनों में डॉलर में कमजोरी देखी जा सकती है।

शेयर बाजारों में प्रवाह बढऩे की उम्मीद है। निवेशक परिसंपत्ति आवंटन बॉन्डों और सोने के प्रति अधिक रहा है और घरेलू एवं विदेशी निवेशकों की ओर से चालू वर्ष में इक्विटी के प्रति अभी भी अधिक प्रवाह नहीं देखा गया है। अब इसमें तेजी आनी चाहिए, क्योंकि बॉन्डों से धन का प्रवाह शेयरों में बढ़ रहा है। नकारात्मक कारकों की बात करें तो सबसे बड़ा कारक अपेक्षा की तुलना में अधिक महंगाई, जिससे मौद्रिक दबाव बढ़ा है। इसके अलावा यूरो जोन से किसी जोखिम का अंदाजा लगाना कठिन है।

हाल के समय में एफआईआई की ओर से सक्रियता बढ़ाए जाने के बावजूद प्रमुख सूचकांक अभी भी सीमित दायरे में कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में क्या बाजारों में तेजी की संभावना बरकरार रह सकती है?
बाजार अभी पूरी तरह ऊपरी दिशा में नहीं हैं, क्योंकि निवेशकों में सही दिशा को लेकर अविश्वास बना हुआ है। पिछले कई महीनों के दौरान बाजार एक दायरे में बने हुए हैं। मजबूत दाव को लेकर निवेशकों में विश्वास का अभाव है। यही वजह है कि ज्यादातर निवेशक इक्विटी में पर्याप्त निवेश नहीं कर रहे हैं और इससे कुछ हद तक दूरी बनाए हुए हैं। हालांकि यह प्रवृत्ति लंबी अवधि के लिहाज से बरकरार रहने की संभावना नहीं है और हम एफआईआई प्रवाह में मजबूती देखेंगे।

क्या यूरोप में मंदी की प्रवृत्ति भी उभरते बाजारों (भारत भी शामिल) में विदेशी प्रवाह बढ़ाने का काम कर रही है?
पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के लिए विकास परिदृश्य मंद बना हुआ है। इन अर्थव्यवस्थाओं में बड़े पैमाने पर किसी दिशात्मक सुधार की संभावना नजर नहीं आ रही है। वित्तीय प्रणाली की हालत और भारी भरकम राजकोषीय घाटे को देखते हुए इन देशों में विकास दर धीमी बनी रहेगी। यह अनुमान है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की औसत वृद्घि 1.8 फीसदी, यूरोप की 0.8 फीसदी और जापान की 0.5 फीसदी रहेगी। इसके विपरीत भारत की विकास दर 8.5 फीसदी रहने और चीन की विकास दर 7.5-8 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

कंपनियों के नतीजों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
लगभग 20-25 फीसदी की आय वृद्घि के साथ कंपनियों के वित्तीय परिणाम शानदार रहने की उम्मीद है। आय वृद्घि कैपिटल गुड्ïस, बैंकिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों के लिए मजबूत ररहने की उम्मीद है, क्योंकि इस साल निष्पादन की रफ्तार में तेजी आई है। कुल मिला कर अगली कुछ तिमाहियों के दौरान कंपनियों की आय में साल दर साल 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी होने का अनुमान है।

आप अपने निवेशकों को किन क्षेत्रों में निवेश करने और किन से परहेज करने की सलाह दे रहे हैं?
हम निवेशकों को कैपिटल गुड्ïस, बैंकिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर में बने रहने और कमोडिटी एवं टेक्नोलॉजी क्षेत्र से बाहर निकलने की सलाह दे
रहे हैं।

Running tips: रनिंग के दौरान थकान कम करेंगे ये 5 टिप्स, बिना थके लंबी दूरी कर लेंगे तय

Tips to long run: रनिंग करना काफी अच्छी एक्सरसाइज मानी जाती है. हार्ट को मजबूत करने और वजन कम करने के अलावा रनिंग करने के कई फायदे हैं. कुछ लोग रनिंग करते समय काफी जल्दी थक जाते हैं, जिससे वे लंबी दूरी तय नहीं कर पाते. इस आर्टिकल में लंबी दूरी तय करने के लिए कौन से टिप्स फॉलो करना चाहिए, इस बारे में जानेंगे.

(Image credit: pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2022,
  • (अपडेटेड 18 फरवरी 2022, 5:40 PM IST)
  • रनिंग को काफी अच्छी एक्सरसाइज माना जाता है
  • रनिंग करने से पहले कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए
  • थकान कम करने में कुछ टिप्स मदद कर सकते हैं

रनिंग ऐसी एक्सरसाइज है, जिसे करने के कई शारीरिक फायदे होते हैं. हम सभी ने अपने पिताजी-दादाजी से सुना ही होगा कि जब जिम नहीं हुआ करते थे, तो वे लोग दौड़ने जाया करते थे, फिर घर आकर खाना-पीना करके काम पर निकल जाते थे. आज के समय में भी कई लोग जिम जाने की अपेक्षा रोजाना सुबह रनिंग करना पसंद करते हैं. जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, बॉडी को एक्टिव रखना चाहते हैं, हार्ट की एक्टिविटी बढ़ाना चाहते हैं या फिर मैराथन में हिस्सा लेना चाहते हैं, ऐसे लोगों को अक्सर रनिंग करते देखा जाता है.

लेकिन कई लोगों की शिकायत होती है कि रनिंग करते समय उन्हें काफी जल्दी थकान होने लगती है, जिस कारण से वे लंबी दूरी तय नहीं कर पाते. अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो रनिंग के दौरान जल्दी थक जाते हैं, तो नीचे बताए हुए कुछ टिप्स को फॉलो कर सकते हैं, जिससे रनिंग के दौरान थकान भी कम होगी और लंबी दूरी भी तय कर लेंगे.

इन बातों का जरूर रखें ख्याल

रनिंग की दूरी धीरे-धीरे बढ़ाई जाती है, इसलिए पहले दिन ही 2-3 किलो मीटर रनिंग करने का टारगेट बिल्कुल न बनाएं. पहले वॉक करने और फिर धीरे दौड़ने की कोशिश करें और फिर उसके बाद प्रैक्टिस होने पर ही रनिंग करें.

अगर आप शुरुआत में ही लंबी दूरी तय करने का गोल बनाएंगे, तो इससे मसल्स में खिंचाव आ सकता है, दर्द शुरू हो सकता है और अधिक थकान हो सकती है. हर सप्ताह 500 मीटर दूरी बढ़ाएं और एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही रनिंग करें, ताकि वो आपके शरीर के मुताबिक सही सलाह दे पाए.

1. वार्म अप करें (Warm up)

जिम में आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ लोग वॉर्म अप करने के सर्वोत्तम बाजार समय के दौरान आगे बढ़ें लिए रनिंग करने लगते हैं, जो गलत होता है. रनिंग वॉर्म अप नहीं है. ट्रेडमिल, ग्राउंड या ट्रेक कहीं पर भी रनिंग करने से पहले वॉर्म अप करना जरूरी है. वॉर्म अप यानी कि शरीर के मसल्स को एक्सरसाइज या कोई एक्टिविटी के लिए तैयार करना, जिससे शरीर गर्म हो जाए और एक्टिविटी के दौरान चोट न लगे.

जो लोग रनिंग से पहले वॉर्म अप नहीं करते वे लोग काफी जल्दी थक जाते हैं और उनमें चोट लगने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है. इसलिए रनिंग् से पहले शरीर को गर्म करने के लिए 10-15 मिनिट जॉगिंग या वॉक कर सकते हैं. इससे शरीर का तापमान बढ़ जाएगा और शरीर रनिंग के लिए तैयार हो जाएगा.

2. रनिंग से पहले कार्ब खाएं (Eat carbs before running)

रनिंग के दौरान काफी अधिक एनर्जी की जरूरत होती है. अक्सर लोग सुबह जब रनिंग करने जाते हैं, तो खाली पेट चले जाते हैं. ऐसे में शरीर में एनर्जी नहीं रहती और जल्दी थक जाते हैं. दरअसल, आपने जो रात में खाना खाया था, उसने रात भर एनर्जी दी, लेकिन सुबह जब आप रनिंग जैसी इंटेंस एक्टिविटी करने जाएंगे, तो उसके लिए एनर्जी कहां से मिलेगी?

एनर्जी लेने के लिए रनिंग से 30 मिनिट पहले कार्ब वाले फूड खाएं, जिससे रनिंग के लिए एनर्जी मिल सके. लेकिन ध्यान रखें ज्यादा हैवी खाने से ब्लोटिंग हो सकती है, इसलिए कम मात्रा में ही खाएं.

3. ब्रीदिंग पर कंट्रोल करें (Control your breathing)

रनिंग करते समय जब हार्ट रेट बढ़ती है तो सांस लेने की दर भी बढ़ती है. सांस लेने की दर बढ़ने से शरीर अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता है, जिससे अच्छे से ऑक्सीजन लेने में मुश्किल होने लगती है. नतीजतन, मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है और आपको थकावट महसूस होने लगती है. इसलिए रनिंग करते समय यह काफी महत्वपूर्ण होता है कि आप किस तरह से सांस लेते हैं?

जो लोग मुंह से सांस लेने की आवश्यकता करने लगते हैं, उन्हें नाक से ही सांस लेनी चाहिए. नाक से 2 काउंट होने तक गहरी सांस लें और 2 काउंट होने तक नाक से सांस छोड़ें. यह ऑक्सीजन लेने का सबसे अच्छा तरीका है, जो कि सांस लेने की दर को बैलेंस रखता है और सांस फूलने से रोकता है.

4. इंटरवल ट्रेनिंग करें (Practice interval training)

यदि आप बिना थके अधिक समय तक दौड़ना चाहते हैं, तो अपनी ट्रेनिंग में इंटरवल ट्रेनिंग को जोड़ना काफी फायदा पहुंचा सकता है. शरीर को विभिन्न तरीके से ट्रेनिंग कराने से स्पीड, एंड्यूरेंस और स्टेमिना बढ़ता है. 2020 में रनर्स की ट्रेनिंग और फिजिकल परफॉर्मेंस पर हुई एक स्टडी के मुताबिक, हाई और लो इंटेंसिटी वाली ट्रेनिंग करने से रनिंग परफॉर्मेंस सुधारने में काफी फायदा होता है. इस स्टडी में आगे कहा गया, इंटरवल ट्रेनिंग करने से एंड्यूरेंस में सुधार होता है, जिसे समय-समय पर करते रहना चाहिए.

5. बॉडी पोश्चर और हाथों की पोजिशन (Body posture and hand position)

रनिंग करते समय अपनी बॉडी को बिल्कुल सीधा रखें और दौड़ने समय कमर से आगे की ओर झुकने से बचें. अगर रनिंग करते समय शरीर का पोश्चर सही रहता है तो डायाफ्राम सिकुड़ेगा नहीं और अधिक बेहतर तरीके से सांस लेने में मदद करेगा. दरअसल, अगर कोई झुककर रनिंग करता है तो पीठ में सर्वोत्तम बाजार समय के दौरान आगे बढ़ें कूबड़ बन जाती है, जो फेफड़ों की क्षमता को कम कर देती है. इसके अलावा जब रनिंग कर रहे हों, तो पेट से सांस लेने की कोशिश करें. बेली ब्रीदिंग फेफड़ों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह देता है, जिससे आसानी से और जल्दी सांस ले सकते हैं. दौड़ते समय हाथों की स्थिति पर भी ध्यान दें, क्योंकि हाथों की स्थिति भी लंबी दूरी तय करने में मदद कर सकती है.

(Disclaimer: रनिंग के बारे में किसी प्रोफेशनल रनर या सर्टिफाइड एक्सपर्ट से भी सलाह लें, उसके बाद ही उन टिप्स को फॉलो करें.)

दुनिया को कच्चे तेल के 'जिम्मेदार' मूल्य निर्धारण की ओर बढ़ने की जरूरत: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का ऊर्जा क्षेत्र पिछले 5 साल में तेजी के साथ बढ़ा है। उन्होने कहा कि हमारा जोर भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाना है। इस दौरान उन्होंने 2030 तक 450 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा प्राप्त करने के सरकार के लक्ष्य को दोहराया।

दुनिया को कच्चे तेल के

Edited by: India TV Paisa Desk Oct 26, 2020 21:29 IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि दुनिया को कच्चे तेल के जिम्मेदार मूल्य निर्धारण की ओर बढ़ने की जरूरत है। भारत ऊर्जा मंच (इंडिया एनर्जी फोरम) के उद्घाटन के मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि तेल और गैस के लिए पारदर्शी और लचीले बाजारों की ओर बढ़ने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा, "बहुत समय के लिए, दुनिया ने कच्चे तेल की कीमतों को एक रोलर-कोस्टर पर देखा है। हमें जिम्मेदार मूल्य निर्धारण की ओर बढ़ने की जरूरत है। हमें तेल और गैस दोनों के लिए पारदर्शी और लचीले बाजारों की ओर काम करना होगा।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का ऊर्जा क्षेत्र पिछले 5 साल में तेजी के साथ बढ़ा है। उन्होने कहा कि हमारा जोर भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाना है। इस दौरान उन्होंने 2030 तक 450 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा प्राप्त करने के सरकार के लक्ष्य को दोहराया। मोदी ने कहा कि प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और गैस की बाजार मूल्य खोज में एकरूपता लाने के लिए सरकार ने इस महीने की शुरुआत में प्राकृतिक गैस विपणन सुधारों की घोषणा की है। उन्होने कहा कि "वे ई-बिडिंग के माध्यम से प्राकृतिक गैस की बिक्री में अधिक से अधिक विपणन स्वतंत्रता देंगे। भारत का पहला स्वचालित राष्ट्रीय स्तर का गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इस साल जून में लॉन्च किया गया था। यह गैस के बाजार मूल्य की खोज करने के लिए मानक प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है।" उन्होंने कहा, "भारत की ऊर्जा दुनिया को ऊर्जावान बनाएगी।"

वहीं उन्होने कहा कि सरकार ने तेल रिफायनिंग क्षमता मौजूदा 25 करोड़ टन से बढ़ाकर साल 2025 तक 45 करोड़ टन करने का लक्ष्य रखा है और हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा तक पहुंच सस्ती और भरोसेमंद होनी चाहिए। उन्होने कहा कि कोरोना संकट की वजह से दुनिया भर में ऊर्जा की मांग में कमी आई है और आगे कुछ समय तक नरमी संभव है लेकिन लंबी अवधि में भारत की ऊर्जा खपत दोगुनी होगी।

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