गौरतलब है कि विगत एक वर्ष में बड़ौदा के नगरीय निकाय को बांड जारी करने पर एए प्लस की रेटिंग मिली है। इसके अलावा भोपाल नगर निगम और इंदौर नगर निगम द्वारा पूर्व में जारी प्रायवेट बांड को एए रेटिंग मिली थी। दूसरी ओर नगर निगम द्वारा अब राज्य शासन से ग्रीन पब्लिक बांड जारी कर बाजार से राशि उधार लेने के लिए मंजूरी मिलना बाकी है। इसके लिए भी प्रक्रिया जारी है। राज्य शासन से मंजूरी मिलते ही सेबी में इस बांड को जारी करने के लिए दस्तावेज जमा करने की प्रक्रिया निगमों में निवेश पूरी की जाएगी। गौरतलब है कि इंदौर नगर निगम देश का पहला नगरीय निकाय हो जो ग्रीन पब्लिक बांड जारी कर रहा है।

इंदौर में विजयवर्गीय की सीख- पार्षद बदनाम होंगे तो पार्टी की बदनामी होगी, इसकी चिंता कीजिए

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Green Public Bond: जारी होने से पहले इंदौर नगर निगम के ग्रीन पब्लिक बांड को मिली ‘एए प्लस’ व ‘एए’ रेटिंग

Green Public Bond: जानकारों के मुताबिक यह रेटिंग बताती है कि बांड निवेश के लिए कितना सुरक्षित है। दोनों एजेंसियों द्वारा निगमों में निवेश दी गई रेटिंग के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि निगम के ग्रीन पब्लिक बांड के जारी होने के बाद ज्यादा निवेशक मिलेंगे।

Green Public Bond: जारी होने से पहले इंदौर नगर निगम के ग्रीन पब्लिक बांड को मिली ‘एए प्लस’ व ‘एए’ रेटिंग

Green Public Bond उदय प्रताप सिंह, इंदौर। नगर निगम द्वार जलूद में सोलर प्लांट प्रोजेक्ट के लिए ग्रीन पब्लिक बांड जारी करने के मसौदे को मंगलवार को निगम परिषद सम्मेलन में मंजूरी मिली। वहीं दूसरी ओर निगम के इस बांड के जारी हाेने से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेटिंग तय करने वाली एजेंसी इंडिया रेटिंग ने इसे ‘एए प्लस’ व अन्य एजेंसी केयर ने ‘एए’ रेटिंग दी है। जानकारों के मुताबिक यह रेटिंग बताती है कि बांड निवेश के लिए कितना सुरक्षित है। दोनों एजेंसियों द्वारा दी गई रेटिंग के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि निगम के ग्रीन पब्लिक बांड के जारी होने के बाद ज्यादा निवेशक मिलेंगे।

जानिए क्या है निगमों में निवेश लखनऊ नगर निगम बॉन्ड, जिसकी CM योगी की मौजूदगी में BSE में हुई लिस्टिंग

बीएसई में बॉन्ड की लिस्टिंग

  • नई दिल्ली ,
  • 02 दिसंबर 2020,
  • (अपडेटेड 02 दिसंबर 2020, 1:28 PM IST)
  • लखनऊ नगर निगम के बॉन्ड की BSE में हुई लिस्टिंग
  • बीएसई में हुई 200 करोड़ के बॉन्ड की लिस्टिंग
  • यूपी के सीएम योगी इस अवसर पर मौजूद रहे

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज मुंबई में लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (LMC) के बॉन्ड लिस्टिंग कार्यक्रम में शामिल हुए. लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (LMC) बॉन्ड जारी करने वाला उत्तर भारत का पहला नगर निगम बन गया है. आइये जानते हैं कि क्या होते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड और इनसे नगर निगम किस तरह से पैसे जुटाते हैं?

सरकारी जमीन पर नहीं मल्टीस्टोरी बिल्डिंग: नगर निगम अफसर पर परेशान करने का आरोप, कहा- निवेश पर भी गंभीरता से करेंगे विचार

अजमेर के सिविल निगमों में निवेश लाइन में सावित्री कॉलेज के सामने बन रही निगमों में निवेश मल्टी स्टोरी बिल्डिंग सरकारी जमीन पर नहीं बल्कि रजिस्टर्ड निगमों में निवेश स्वामित्व की जमीन पर है और न ही कोई अवैध निर्माण किया गया है। यह दावा मैसर्स दीपमाला इन्फ्राएस्टेट एण्ड टाउन्स प्रा. लिमिटेड के आर.डी. थारवानी ने प्रेसवार्ता के दौरान किया। उन्होंने अजमेर में किए जाने वाले एक हजार करोड़ के निवेश पर भी फिर से विचार करने की बात कही।

सतगुरु ग्रुप के वाइस प्रेसीडेन्ट ​​​​​​थारवानी ने कहा कि कुछ लोग सतगुरु समूह की स्पष्ट स्वामित्व वाली संपत्तियों को बदनाम कर रहे हैं। जबकि उनके पास 100 से अधिक वर्षों के कब्जे से पंजीकृत बिक्री विलेख, दस्तावेजों की पूर्ण श्रृंखला, 100 से अधिक वर्षों का कब्जा, उचित जमाबंदी है। नगर पालिका से 70 वर्ष से अधिक पुराने मानचित्र की स्वीकृति एवं वर्ष 2020 में हाल ही में स्वीकृत भवन योजना भी।

नगर निगम द्वारा निवेश क्षेत्र में 5000 वर्गफुट तक के आवासीय भवनों के अब तक 606 प्रकरण पर सीधे भवन अनुज्ञा जारी

राजनांदगांव: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल निगमों में निवेश की मंशा अनुरूप शासन द्वारा बिना किसी कठिनाई के आम नागरिकों को व्यवहारिक, सरल एवं पारदर्शी तौर पर सीधे लाभ पहुंचाने के लिए सरलीकृत ऑनलाइन प्रक्रिया निगमों में निवेश अंतर्गत बिल्डिंग परमिशन मैनेजमेंट सिस्टम सर्वर पर 5000 वर्गफुट निगमों में निवेश तक आवासीय भवनों में मात्र एक रूपए प्रक्रिया शुल्क पर डायरेक्ट भवन अनुज्ञा जारी की जा रही है। शासन की इस योजना को जिले में अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। सरलीकृत ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत अब तक नगर निगम द्वारा 606 आवेदकों को योजना का शत-प्रतिशत लाभ पहुँचाया गया है।

इस योजना अंतर्गत नगर निगम के माध्यम से पंजीकृत आर्किटेक्ट तथा इंजीनियर के माध्यम से भू स्वामी द्वारा आवेदन अपलोड करने पर सिस्टम द्वारा स्वत: ही परीक्षण उपरांत भूमि विकास नियम एवं एवं भू सम्बन्धी नियम संबंधी स्वचालित ले-आउट प्लान स्क्रीनिंग उपरांत प्रक्रिया शुल्क अदा करने पर सीधे नियमानुसार सशर्त भवन अनुज्ञा प्रमाण पत्र जारी हो जाता है। जिससे हितग्राही को कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे प्रकरणों में स्थल निरीक्षण किया जाता है। जिनमें दस्तावेज एवं आवेदक द्वारा दी गयी जानकारी में असमानता होती है। विकास अनुज्ञा स्वीकृत होने उपरांत कर्मकार शुल्क एवं निगम अन्य शुल्क जिनमें अनुज्ञा, नगर सुधार, जल कर, रेन वाटर एवं विकास शुल्क ऑनलाइन जमा करने उपरांत अंतिम रूप से भवन अनुज्ञा की मंजूरी दी जाती है।

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