गांधी परिवार पर भिड़े सिब्बल-गहलोत: सिब्बल बोले- सोनिया और राहुल पद छोड़ें तो दूसरों को मौका मिले; गहलोत ने कहा- आप कांग्रेस की ABCD नहीं जानते
यूपी, पंजाब सहित 5 राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। CWC की बैठक के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस की कमान गांधी परिवार को छोड़ देनी चाहिए, ताकि दूसरों को मौका मिले। सिब्बल ने पार्टी के भीतर राहुल की दखलंदाजी को लेकर भी सवाल उठाया।
वहीं सिब्बल के बयान पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार किया है। गहलोत ने कहा कि सिब्बल को कांग्रेस का कल्चर नहीं पता है। वे पार्टी की ABCD नहीं जानते हैं। सिब्बल अच्छे वकील रहे हैं, सोनिया जी और राहुल जी ने उन्हें बहुत मौके दिए हैं।
इधर, पार्टी में मचे घमासान के बीच कपिल सिब्बल ने बुधवार को अपने आवास पर G-23 नेताओं को डिनर पर बुलाया है। माना जा रहा है कि बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है।
घर की कांग्रेस नहीं, सबकी कांग्रेस पर हमारा फोकस
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में सिब्बल ने कहा कि राहुल गांधी डीफेक्टो प्रेसिडेंट रहे हैं। पंजाब में सीएम बनाने में उन्होंने फैसला किया था। आप बताइए किस हैसियत से उन्होंने यह डिसिजन लिया था? सिब्बल ने कहा कि हमारी मांग है कि घर की कांग्रेस के बजाय सबकी कांग्रेस हो। मैं इसके लिए आखिरी सांसें तक लड़ूंगा।
अगस्त 2020 में कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पार्टी में सुधार के लिए पत्र लिखा था। पत्र वायरल होने के बाद कांग्रेस में हलचल मच गई थी।
राहुल ने नहीं दिया रिप्लाई, टैगोर बोले- संघ की भाषा बोल रहे हैं
सिब्बल के घर की कांग्रेस के सवाल पर राहुल गांधी ने कोई जवाब नहीं दिया। पार्लियामेंट जाने के दौरान राहुल से सिब्बल को लेकर सवाल पूछा गया था, लेकिन बिना जवाब दिए वे आगे बढ़ गए। वहीं उनके करीबी कांग्रेस नेता मणिक्कम टैगोर ने सिब्बल पर अटैक किया है। टैगोर ने कहा कि सिब्बल संघ की भाषा बोल रहे हैं।
सांसद मणिक्कम टैगोर ने ट्वीट कर कहा कि सिब्बल RSS की भाषा बोल रहे हैं। कांग्रेस के बिना आइडिया ऑफ इंडिया की कल्पना नहीं की जा सकती है।
G-23 गुट के सदस्य हैं कपिल सिब्बल
कपिल कांग्रेस के भीतर बदलाव की मांग करने वाले G-23 गुट के सदस्य हैं। पिछले दिनों हार के बाद गुलाम नबी आजाद के आवास पर G-23 सदस्यों की बैठक भी हुई थी। हालांकि, बैठक के बाद G-23 के दो सदस्य गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा CWC की मीटिंग में भी शामिल हुए थे।
सोनिया ने की थी इस्तीफे की पेशकश
5 राज्यों में हार के बाद CWC की मीटिंग में कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की थी। सोनिया गांधी ने कहा था कि अगर आप सबको लगता है कि गांधी परिवार की वजह से कांग्रेस कमजोर हो रही है, तो मैं, राहुल और प्रियंका कोई भी त्याग करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा सहित CWC के सभी सदस्यों ने इसे एक स्वर में खारिज कर दिया।
UKPSC Upper PCS Preliminary Exam Answer Key (03 April 2022) Shift -I
61. दिसम्बर 2020 में गृह मंत्रालय ने सशस्त्र बल विशेष शक्तियाँ अधिनियम, 1958 के अन्तर्गत निम्न में से किस राज्य को छः महीने के लिए ‘अशान्त क्षेत्र’ घोषित किया था ?
(a) झारखण्ड
(b) नागालैण्ड
(c) पश्चिम बंगाल
(d) पंजाब
62. निम्न में से भारत के किस रेलवे स्टेशन को हाल ही में निजी क्षेत्र की सहभागिता के साथ एयरपोर्ट की तरह की आधुनिक सुविधाओं वाला बनाया गया है ?
(a) नई दिल्ली
(b) रानी कमलापति स्टेशन, भोपाल
(c) पुणे
(d) छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुम्बई
63. जंगली हाथियों को रेलवे ट्रैक से दूर रखने के लिए पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे द्वारा अपनाई गई अनूठी रणनीति का नाम बताएँ।
(a) प्लान फ्ली
(b) प्लान बी
(c) प्लान टी
(d) प्लान स्वीप
64. विश्व रैपिड शतरंज 2021 किसने जीता ?
(a) नोदिरबेक अब्दसत्तोरोब
(b) मैगनस कार्लसन
(c) डिंग लिरेन
(d) हिकारू नाकामुरा
65. प्रसिद्ध ‘गांगासागर मेला’ निम्न में से किस भारतीय पश्चिम बंगाल राज्य में आयोजित किया जाता है ?
(a) गुजरात
(b) पश्चिम बंगाल
(c) आन्ध्र प्रदेश
(d) राजस्थान
66. निम्नलिखित में से किस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ चलचित्र (ड्रामा) के लिए गोल्डन ग्लोब अवार्ड-2022 जीता?
(a) ड्यून
(b) द पॉवर ऑफ द डॉग
(c) किंग रिचर्ड
(d) द लॉस्ट डॉटर
67. सुमेलित कीजिए:
नृत्य राज्य
A. भरतनाट्यम् 1. उत्तर प्रदेश
B. कत्थक 2. तमिलनाडु
C. कुचिपुड़ी 3. केरल
D. मोहिनीअट्टम 4. आंध्र प्रदेश
कूट:
A B C D
(a) 1 3 2 4
(b) 2 4 1 3
(c) 2 1 4 3
(d) 4 2 1 3
68. विश्व की शीर्ष सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कम्पनियों के संदर्भ में सूची-I (कम्पनी) और सूची-II (सीईओ) का मिलान करके नीचे दिये गए कोड में से उत्तर का सही विकल्प चुनिए :
सूची-1 सूची एडीएक्स रणनीतियां II
(कम्पनी) (सीईओ)
A. गूगल 1. सत्या नडेला
B. माइक्रोसॉफ्ट 2. सुन्दर पिचाई
C. ट्विटर 3. पराग अग्रवाल
D. एडोबे 4. शान्तनु नारायन
कूट:
A B C D
(a) 1 3 2 4
(b) 2 1 3 4
(c) 1 2 4 3
(d) 4 3 2 1
69. नवम्बर 2021 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एशिया के सबसे बड़े हवाई अड्डे का शिलान्यास कहाँ किया ?
(a) नोएडा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जेवर
(b) कुशीनगर हवाई अड्डा
(c) दिल्ली हवाई अड्डा
(d) कैम्पेगौडा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, बेंगलूरू
70. निम्नलिखित में से किस नाटक एडीएक्स रणनीतियां की रचना हर्षवर्धन द्वारा की गई थी ?
(3) हर्षचरित
(b) कादम्बरी
(c) देवीचन्द्रगुप्तम्
(d) प्रियदर्शिका
71. निम्नलिखित में से कौन सा राजवंश महिला शासक रुद्रमादेवी से सम्बन्धित है ?
(a) पूर्वी गंग
(b) होयसल
(c) काकतीय
(d) पश्चिमी चालुक्य
72. ‘लीलावती’ का लेखक भास्कर द्वितीय था।
(a) चिकित्सक
(b) गणितज्ञ
(c) संगीतज्ञ
(d) मूर्तिकार
73. वह धार्मिक पुस्तक, जिसमें कृषि कर्म की आठ विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन मिलता है
(a) अवदानशतक
(b) आर्यमंजुश्रीमूलकल्प
(c) मिलिन्दपन्हो
(d) दीपवंश
74. शक-क्षत्रप काल में सोने-चाँदी के सिक्कों का अनुपात क्या था ?
(a) 1:20
(b) 1:25
(c) 1:35
(d) 1:10
75. गधैया था _______.
(a) सिक्का
(b) भूमि कर
(c) व्यापार कर
(d) सैन्य अधिकारी
76. उदियंजीरल किस वंश से सम्बन्धित था ?
(a) चेर वंश
(b) पाण्डय वंश
(c) चोल वंश
(d) सातवाहन वंश
77. निम्नलिखित में से किस राष्ट्रकूट शासक ने एलौरा के कैलास मन्दिर का निर्माण कराया था ?
(a) गोविन्द द्वितीय
(b) अमोघवर्ष
(c) इन्द्र तृतीय
(d) कृष्ण प्रथम
78. मौर्य काल में प्रणयम था
(a) आपातकालीन कर
(b) प्रेम विवाह
(c) भूमि अनुदान
(d) भूमि कर
79. निम्नलिखित में से किस राष्ट्रकूट शासक ने प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय को हराया था ?
(a) ध्रुव
(b) गोविन्द तृतीय
(c) इन्द्र तृतीय
(d) कृष्ण तृतीय
80. ‘हजार दीनारी’ नाम से किसे जाना जाता था ?
(a) बलबन
(b) मलिक काफूर
(c) सिकन्दर लोदी
(d) कुतुबुद्दीन ऐबक
वरुण और श्रद्वा की 'ABCD 3' की रिलीज डेट आउट, सामने आया वरुण का नया लुक
बॉलीवुड अभिनेता Varun Dhawan और अभिनेत्री Shraddha Kapoor अपनी अपने वाली फिल्म 'ABCD 3' को लेकर सुर्खियो में बने हुई हैं। इस मूवी को लेकर फैंस में काफी उत्साह बना हुआ हैं। डांसर रैंबो डिसूजा के निर्देशन में बनी यह फिल्म जल्द ही बॉक्स आॅफिस पर दस्तक देने वाली है। श्रद्वा कपूर ने अपने इंस्टाग्राम पर एक फोटो शेयर की हैं। इस तस्वीर में पक्षी के लुक में वरुण धवन नजर आ रहे हैं। साथ ही इस फिल्म की रिलीज डेट का भी खुलासा किया।
वॉल्वो बस: शानोशौकत वाली बस की सवारी
वॉल्वो ने शहरी हिंदुस्तानियों की यात्रा का तौर तरीका बदल दिया है. अब लोग 1,000 किमी तक का सफर बस से कर पा रहे हैं.
गीतांजलि शुक्ल
- नई दिल्ली,
- 04 अगस्त एडीएक्स रणनीतियां 2012,
- (अपडेटेड 26 नवंबर 2013, 12:31 PM IST)
एक दशक पहले जब वॉल्वो ने भारत में कदम रखा था तब तक सिटी और इंटर सिटी बसों या साधारण और 'डीलक्स' बसों में सिर्फ यही अंतर था कि लक्जरी बसों की सीटें थोड़ा पीछे झुक जाती थीं और उनकी बाहरी बॉडी ज्यादा रंग-बिरंगी होती थी. भारत ने असली लक्जरी बस का स्वाद चखा 2001 में जब वॉल्वो ने भारत में 20 बसें बेचीं. दिसंबर, 2011 तक भारत की सड़कों पर 5,000 वॉल्वो बसें दौड़ने लगी थीं.
वॉल्वो की भारत में शुरुआत अच्छी नहीं थी. स्वीडन की कंपनी वॉल्वो बस एडीएक्स रणनीतियां कॉर्पोरव्शन ने 1998 में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के एक टेंडर के लिए बोली लगाई थी, इसके साथ भारत के कई शहरों में अपने बी10 एलई लो एंट्री सिटी बसों का प्रदर्शन भी किया था. तब लोगों ने इस बसों में काफी दिलचस्पी ली थी. वॉल्वो के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (इंटरनेशनल रीजन) आकाश पासी बताते हैं, ''1998 के दिल्ली ऑटो एक्सपो में इसे बहुत से लोग देखने आए.''
इस बीच डीटीसी ने टेंडर टाल दिया. लेकिन एडीएक्स रणनीतियां कंपनी को भारत में अपनी बसों के लिए बाजार साफ दिख रहा था. हालांकि, तब पीछे की ओर इंजन वाली इन महंगी वॉल्वो बसों को लेकर कई सवाल और संशय थे. दरअसल वॉल्वो सिटी बसें राज्य परिवहन निगमों की बसों के मुकाबले दस गुना महंगी होती हैं.
पासी कहते हैं, ''ऐसी कोई वजह नजर नहीं आ रही थी कि भारत में वातानुकूलित बसें न चल सकें.'' इसलिए कंपनी ने वर्ष 2000 में हांगकांग और सिंगापुर से दो वॉल्वो बी7आर इंटर-सिटी बसें आयात कीं और उन्हें छह माह तक प्रदर्शन के लिए भारत की सड़कों पर उतारा.
फिर कंपनी ने निजी ऑपरेटर से संपर्क किया जो इंटर-सिटी 'डीलक्स' बसें चलाते थे और टिकटों की कीमतें बढ़ा सकते थे. पासी बताते हैं, ''वॉल्वो के पास कई तरह के प्रोडक्ट थे. हमें भारत के लिए सबसे उपयुक्त प्रोडक्ट का चुनाव करना था. लेकिन मैंने सबसे शानदार बस नहीं चुनी क्योंकि तब यहां के ऑपरेटरों को आगे की ओर इंजन वाली, बहुत कम सस्पेंशन और साधारण ब्रेक वाली बसें चलाने की आदत थी.''
ऑपरेटरों को यह समझने के लिए कि वॉल्वो बसों से उन्हें मुनाफ ा होगा, कंपनी की सेल्स टीम ने वॉल्वो बस की पूरी लाइफ के दौरान उस पर होने वाले खर्च और अन्य बसों का एडीएक्स रणनीतियां एक तुलनात्मक खाका पेश किया. वॉल्वो बसों में दूसरी बसों के मुकाबले कुछ ज्यादा सीटें भी थीं लेकिन 2000 के दशक के शुरुआती दिनों में इसका फायदा कम, नुकसान ज्यादा था. दरअसल उन दिनों राज्य सरकारें ऑपरेटरों से प्रति सीट के हिसाब से टैक्स वसूला करती थीं.
ऑपरेटरों के लिए इन बसों का सबसे बड़ा फायदा यह था कि वॉल्वो बसों को 22 घंटे तक लगातार बिना किसी मेंटेनेंस के चलाया जा सकता था. शुरुआत में ऑपरेटरों को संदेह था कि वॉल्वो हर 25 किमी पर मेंटेनेंस सेंटर बना पाएगी भी या नहीं. लेकिन उन्हें बताया गया कि वॉल्वो को इसकी जरूरत ही नहीं पड़ती. पासी बताते हें, ''हमने उन्हें बताया कि इसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी. हां, हम आपको हर 400 किमी पर एक मेंटेनेंस सेंटर देंगे.'' वॉल्वो ने एक और नया चलन शुरू किया. उसने पूरी बस के लिए सर्विस सपोर्ट दिया, न कि बस के अलग-अलग हिस्से के लिए, जैसा कि अब तक होता आया था.
उदाहरण के लिए वर्ष 2004 में 20 वॉल्वो खरीदने वाले मुंबई के नीता टूर ऐंड ट्रैवल्स ने यह अंदाजा लगाया कि वह सात ठिकानों के लिए सेवा शुरू कर सकती है. एक बस रात के 10 बजे अहमदाबाद से रवाना होकर सुबह 6 बजे मुंबर्ई पहुंच सकती है, फि र पुणे जा सकती है, वहां से वापस आकर रात 10 बजे अहमदाबाद पहुंच सकती है. इसके बाद ऑपरेटरों ने सेवा में सुधार पर ध्यान दिया. इसका यह भी मतलब था कि अब वे कुछ रूटों पर टिकट की कीमतों में 100 रु. तक इजाफा कर सकते थे.
बस टिकटों की ऑनलाइन बिक्री करने वाले पोर्टल रेडबस के संस्थापक और सीईओ फानिंद्र सामा कहते हैं, ''वॉल्वो ऐसे समय में आई जब प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही थी, लग्जरी के बारे में जागरूकता बढ़ गई थी और दूसरे एवं तीसरे दर्जे के कस्बों से शहरों की तरफ आना-जाना बढ़ रहा था.'' वॉल्वो तेज गति से लंबे रूट पर चल सकती थी इसलिए बंगलुरू-मुंबर्ई जैसे 1,000 किमी लंबे रूट पर यह लोकप्रिय हो गई.
वॉल्वो ने साबित किया है कि आमतौर पर किफायत पसंद भारतीयों के बीच ऐसे लोग भी हैं जो क्वालिटी के लिए कीमत चुकाने को तैयार हैं. आज देश के लग्जरी बस बाजार के 76 फ ीसदी हिस्से पर वॉल्वो का कब्जा है. वॉल्वो ने दक्षिण और पश्चिमी भारत से शुरुआत की. हालांकि 2004 तक भी इसकी देशव्यापी पहुंच नहीं बन पाई थी. पासी कहते हैं, ''हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण था सर्विस के साथ बिक्री बढ़ाना और दूसरा कोई रास्ता नहीं था.''
वॉल्वो ने न केवल ऑपरेटरों तक पहुंच बनाई बल्कि उससे जुड़े अन्य पक्षों से भी संपर्क साधा. भरपूर प्रचार भी किया, फिल्म थिएटरों में विज्ञापन चलवाए. वर्ष 2001 में बी7आर की लॉन्चिंग से पहले कंपनी ने चालकों और यात्रियों से भी फीडबैक लिया. पासी कहते हैं, ''हमें समझ आ गया कि सिर्फ प्रोडक्ट बेचने से काम नहीं चलेगा, हमें लग्जरी बस यात्रा का कांसेप्ट भी बेचना होगा.'' संयोग से राज्य सरकारों की कंपनियों ने न केवल वॉल्वो खरीदना शुरू किया बल्कि उनके लिए अलग ब्रांडिंग भी शुरू की जैसे कि आंध्र प्रदेश में इन्हें गरुड़ नाम दिया गया, महाराष्ट्र में शिवनेरी और कनार्टक में ऐरावत.
मुंबई-पुणे जैसे एक्सप्रेस-वे का विकास और मददगार रहा. आज यात्री वॉल्वो टिकट देने को कहते हैं. हालांकि अब वॉल्वो के सामने मर्सिडीज-बेंज और टाटा मोटर्स जैसे प्रतिद्वंद्वी भी खड़े हो गए हैं. हालांकि प्रतिस्पर्धा कड़ी होने पर वॉल्वो बाजार को बदलने के रणनीति कदम हमेशा से उठाती आई है.
इंटरसिटी की तरह ही वॉल्वो की सिटी बसों को भी सफ लता मिलती गई. जनवरी, 2006 में बंगलूरू मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन को वॉल्वो ने भारत में अपनी पहली सिटी बसें बेची. और अब जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत 13 शहरों में वॉल्वो बसें चल रही हैं. इसकी इंटरसिटी बसों की लंबाई 14.5 मीटर है जोकि भारत में अन्य बसों की तुलना में सबसे ज्यादा है. वॉल्वो एडीएक्स रणनीतियां में यात्रियों और सामान के लिए जगह भी ज्यादा होती है.
इसकी मल्टी-एक्सल सिटी बस को शहरी ट्रैफिक जाम का कारगर समाधान माना जा रहा है. वॉल्वो को उम्मीद है कि वह 300 से 400 किमी की दूरी के लिए खास तौर से बनाई गई अपनी 9100 मॉडल वाली बसों के एडीएक्स रणनीतियां जरिए मझैले आकार के शहरों के बीच और भी बेहतर संपर्क उपलब्ध करा पाएगी. वॉल्वो का मानना है कि इस श्रेणी में यातायात निश्चित रूप से बढ़ेगा.
वर्ष 2008 में वॉल्वो ने बंगलुरू के नजदीक बसों का उत्पादन शुरू किया था. फिलहाल एक साल में इसकी 1,100 बसें बनती हैं जबकि वर्ष 2013-14 तक सालाना उत्पादन को 2,500 तक करने का लक्ष्य है. रेड बस के सामा कहते हैं, ''वॉल्वो के लिए फायदे की बात यह है कि वह अपनी बसें खुद बनाती है, जबकि मर्सिडीज अब भी अपने बॉडी मेकर सतलज पर निर्भर है.''
भारत में कोई और कंपनी वॉल्वो जैसी सफलता पा कर सकती थी? शायद हां, अगर उसके पास वॉल्वो जैसे प्रोडक्ट होते और उसी की तरह बाजार को विकसित करने के एडीएक्स रणनीतियां लिए पर्याप्त धैर्य होता. वॉल्वो की सफलता की एक महत्वपूर्ण वजह यह है भी कि उसका यह निवेश भारत में बदलाव लाने वाला साबित हुआ है.
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