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स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है

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क्या है मर्चेट डिस्काउंट रेट, दुकानदार क्यों लेते हैं यह शुल्क?

क्या है मर्चेट डिस्काउंट रेट, दुकानदार क्यों लेते हैं यह शुल्क?

2. किसे मिलती है एमडीआर की रकम?
क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट पर एमडीआर की रकम तीन हिस्सों में बंट जाती है. सबसे बड़ा हिस्सा क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को मिलता है. इसके बाद कुछ हिस्सा उस बैंक को मिलता है, जिसकी प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) मशीन दुकानदार के यहां लगी होती है. अंत में एमडीआर का कुछ हिस्सा पेमेंट कंपनी को मिलता है. वीजा, मास्टर कार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस प्रमुख पेमेंट कंपनियां हैं.

3. कितना है एमडीआर?
सरकार और रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. आरबीआई ने एमडीआर में बदलाव किया है. यह बदलाव 1 जनवरी 2018 से लागू होगा. इसके तहत छोटे दुकानदार को बिल की रकम का अधिकतम 0.40 फीसदी एमडीआर के रूप में चुकाना होगा. दूसरे दुकानदारों के लिए एमडीआर 0.90 फीसदी होगा. एमडीआर चार्ज को बढ़ने से रोकने के लिए आरबीआई ने छोटे दुकानदार के लिए प्रति बिल अधिकतम 200 रुपये और बड़े दुकानदारों के लिए अधिकतम 1,000 रुपये की सीमा तय कर दी है. क्रेडिट कार्ड पर एमडीआर 0 से 2 फीसदी के बीच हो सकता है. पेट्रोल या डीजल खऱीदने पर ऑयल कंपनियां एमडीआर का बोझ ग्राहक पर डालती हैं.

स्प्रेड ट्रेडिंग क्या है: अर्थ और प्रकार

हिंदी

समय के साथ, ट्रेडिंग के लिए बाजार प्रौद्योगिकी और डिस्पोजेबल आय में वृद्धि के कारण विकसित हो चुका है, इसीलिए, ट्रेडिंग के लिए दृष्टिकोण भी बदला है।

एक समय था जब एक प्रतिष्ठित और अच्छी तरह से स्थापित कंपनी (ज्यादातर बैंकिंग, स्टील, खनन आदि उद्योगों से) से स्टॉक खरीदने की सरल ट्रेड रणनीति को इस्तेमाल किया जाता था और इसे कई वर्षों तक उस स्टॉक के स्काईरॉकेट्स के मूल्य तक बरकरार रखा जा सकता था। वास्तव में, कई अभी भी ऐसा करते हैं।

हालांकि, टेक कंपनियों की शुरुआत और ऑनलाइन क्षेत्र में प्रमुख रूप से आगे बढ्ने के साथ, इन विश्वसनीय कंपनियों की संख्या कम हो गई है। इसके अतिरिक्त, जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी विकसित होती जा रही है, ये कंपनियाँ भी समय के साथ खुद को पीछे छोड़ती हुई दिखाई देती है (ईंधन और कोयला अब उतना मूल्यवान नहीं है क्योंकि अब स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत मौजूद हैं)।

फीस और चार्ज में दी छूट

सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card fees) बनवाने पर लगने वाली फीस और चार्ज में भी छूट दी स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है है. दरअसल, केसीसी बनवाने में 2 से 5 हजार रुपए तक का खर्च आता है. सरकार के निर्देश पर इंडियन बैंक एसोसिएशन ने एडवाइजरी जारी कर बैंकों से फीस और चार्ज में छूट देने को कहा था.

कौन ले सकता है KCC?

  • खेती-किसानी, मछलीपालन और पशुपालन से जुड़ा कोई भी व्यक्ति किसान क्रेडिट कार्ड लेने का पात्र है.
  • किसान अपनी, किसी और की जमीन पर खेती करता हो तो भी इसका लाभ ले सकता है.
  • न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम 75 साल होनी चाहिए.
  • किसान की उम्र 60 साल से अधिक है तो एक को-अप्लीकेंट भी लगेगा, जिसकी उम्र 60 से कम हो.
  • किसान के फॉर्म भरने के बाद बैंक कर्मचारी देखेगा कि आप इसके लिए योग्य हैं या नहीं.
  • पशुपालन और मछलीपालन भी इसके तहत 2 लाख रुपये तक का कर्ज मिल सकेगा.
  • बस इसके बाद आपको किसान क्रेडिट कार्ड इश्यू हो जाएगा.

किसान क्रेडिट कार्ड के फायदे

  • किसान क्रेडिट कार्ड से किसान खेती से जुड़ी जरूरत की चीजें खरीद सकता है और बाद में फसल बेचकर अपना लोन चुका सकता है.
  • 1.60 लाख रुपए तक का लोन लेने के लिए जमीन को बंधक रखने की जरूरत नहीं होती है.
  • बिना किसी सिक्योरिटी के लोन मिल जाता है.
  • SBI के स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है मुताबिक, सभी KCC अकाउंट होल्डर को ATM कम डेबिट कार्ड फ्री में जारी किए जाते हैं.
  • 3 लाख रुपए तक के लोन पर सालाना आधार पर 2 प्रतिशत तक ब्याज में राहत का प्रावधान है.
  • जल्दी लोन चुकाने पर सालाना ब्याज में 3 स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है प्रतिशत तक की राहत मिल सकती है.
  • किसान क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरें अलग-अलग बैंकों पर निर्भर करता है. आमतौर पर यह 9-11.50 प्रतिशत तक होता है.
  • खेतों में फसल को कीड़ों के हमले या किसी प्राकृतिक आपदा के चलते नुकसान होने पर फसल का बीमा कवर भी मिलता है.
  • फिलहाल फसल बीमा कराना स्वैच्छिक कर दिया गया है.
  • किसान क्रेडिट कार्ड के साथ डेयरी से जुड़ा लोन भी उपलब्ध कराया जाता है.
  • किसान क्रेडिट कार्ड में हर साल रिन्यूअल के आधार पर 10 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ पांच साल तक का किसान क्रेडिट कार्ड बनाया जाता है.

Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस

Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस

जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो इसे बेच सकते हैं. (Representative Image)

Trading in Crypto Currencies: दुनिया भर में निवेशकों के बीच क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. इसमें क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है जरिए ट्रेडिंग होती है. इस एक्सचेंज पर मौजूदा मार्केट वैल्यू के आधार पर क्रिप्टो करेंसीज को खरीदा-बेचा जाता है. जहां इनकी कीमत मांग और आपूर्ति के हिसाब से तय होती है. जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टो करेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो बेच सकते हैं. स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर भी ट्रेडिंग के लिए फीस चुकानी होती है. इसलिए अगर आपने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले इनकी ट्रेडिंग पर लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है फीस के बारे में जरूर जान लें.

एक्सचेंज फीस

  • क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है. भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है. ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है.
  • फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है. क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं. इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है.
  • क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है. ये माइनर्स शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि कोई ट्रांजैक्शंन सही है या गलत, यह सुनिश्चित करना इन माइनर्स का काम है. एक्सचेंज स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है. अगर नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है.स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है
  • आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है. लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी न हो. जो यूजर्स स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है. माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए फीस दी जाती है.

वॉलेट फीस

  • क्रिप्टो करेंसी को एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. यह वॉलेट एक तरह से ऑनलाइन बैंक खाते के समान होता है जिसमें क्रिप्टो करेंसी को सुरक्षित रखा जाता है. अधिकतर वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है. यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है. अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं.
  • क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है.
    (Article: Shivam Thakral, CEO, BuyUcoin)
    (स्टोरी में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दिए गए सुझाव लेखक के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस स्प्रेड और फीस का क्या मतलब है ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)
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