Crypto Vs Digital Currency: क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या हैं अंतर, समझें यहां
Crypto Vs Digital Currency: क्रिप्टो निवेशकों का मानना है कि किसी भी रूप में क्रिप्टो पर टैक्स लगाने का मतलब साफ है कि इसको बैन नहीं किया जाएगा. लेकिन, इससे इसको कानूनी वैधता भी नहीं मिलती है. अभी यह देखना बाकी है कि सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी पर आगे किस तरह का कदम उठाने का फैसला करती है.
Published: February 2, 2022 3:45 PM IST
Crypto Vs Digital Currency: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अपने बजट 2022-2023 के भाषण के दौरान घोषणा की कि डिजिटल संपत्ति (Digital Assets), जिसमें क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) और एनएफटी (NFT) शामिल हैं, उनके हस्तांतरण से किसी भी आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा. वित्त मंत्री की घोषणा ने अधिकांश क्रिप्टो और एनएफटी निवेशकों को अपनी संपत्ति के भविष्य के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया, लेकिन कइयों ने इसे ज्यादातर सकारात्मक घोषणा के तौर पर लिया. उनका कहना है कि किसी भी तरह का टैक्स लगाने का मतलब है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा, हालांकि, इसका मतलब नियमितीकरण भी नहीं है. अभी यह देखना बाकी है कि सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी पर आगे किस तरह का कदम उठाने का फैसला करती है.
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वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही अपनी डिजिटल मुद्रा लाएगा, जिसे सीबीडीसी (CBDC) या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी कहा जाएगा. आरबीआई डिजिटल मुद्रा पर कई महीनों से काम कर रही है और सीतारमण के मुताबिक, इसे अगले वित्तीय वर्ष में पेश किया जाएगा.
सीतारमण ने कहा कि आरबीआई की डिजिटल मुद्रा आने से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. डिजिटल मुद्रा भी अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली को बढ़ावा देगी.
डिजिटल संपत्ति के लिए कराधान की घोषणा के तुरंत बाद सीबीडीसी की घोषणा ने बहुत से लोगों को यह सोचकर भ्रमित कर दिया कि सीबीडीसी पर भी कर लगाया जाना चाहिए. हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है. डिजिटल मुद्राएं क्रिप्टोकरेंसी या एनएफटी जैसी डिजिटल संपत्ति नहीं हैं. डिजिटल मुद्राएं सरकार द्वारा जारी मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक रूप हैं, जबकि क्रिप्टोकरेंसी मूल्य का एक भंडार है जो एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है. लोगों ने विशेष रूप से महामारी के दौरान जिन डिजिटल वॉलेट का उपयोग करना शुरू किया, उनमें डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टोकरेंसी दोनों हो सकते हैं, लेकिन वे वास्तव में विनिमेय नहीं हैं.
डिजिटल मुद्रा से दो पार्टियों के बीच संपर्क रहित लेनदेन में उपयोग किया जा सकता है. जैसे आपके बैंक खाते से इलेक्ट्रॉनिक रूप से किसी और को भुगतान किया जाता है. सभी ऑनलाइन लेनदेन में डिजिटल मुद्रा शामिल होती है, एक बार जब आप उस पैसे को बैंक या एटीएम से निकाल लेते हैं, तो वह डिजिटल मुद्रा तरल नकदी में बदल जाती है.
क्रिप्टोकरेंसी, या डिजिटल सिक्के, मूल्य का एक भंडार है जो एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है. ये डिजिटल सिक्के सभी निजी स्वामित्व में हैं और बनाए गए हैं और अभी तक अधिकांश देशों में नियमित नहीं किए गए हैं.
डिजिटल मुद्रा को एन्क्रिप्शन की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हैकिंग और चोरी की संभावना को कम करने के लिए सभी उपयोगकर्ताओं को अपने डिजिटल वॉलेट और बैंकिंग ऐप को मजबूत पासवर्ड और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ सुरक्षित करने की आवश्यकता है. यही बात क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए डेबिट और क्रेडिट कार्डों पर भी लागू होती है जो इन डिजिटल मुद्रा लेनदेन की कुंजी हैं.
क्रिप्टोकरेंसी को मजबूत एन्क्रिप्शन द्वारा संरक्षित किया जाता है और क्रिप्टो में व्यापार करने में सक्षम होने के लिए, उपयोगकर्ताओं के पास पैसे के साथ एक बैंक खाता होना चाहिए और इस डिजिटल मुद्रा का आदान-प्रदान एक ऑनलाइन एक्सचेंज के माध्यम से किया जा सकता है ताकि संबंधित मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी प्राप्त की जा सके.
जब विनियमन की बात आती है, तो डिजिटल मुद्राओं को भारत में एक केंद्रीय प्राधिकरण क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए द्वारा सपोर्ट किया जाएगा, जो कि आरबीआई होगा. आीबीआई तरल, नकद और डिजिटल मुद्रा लेनदेन दोनों को नियंत्रित करता है. क्रिप्टोकरेंसी के मामले में, यह एक विकेन्द्रीकृत प्रणाली है और एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा विनियमित नहीं है. हालांकि, सभी क्रिप्टो लेनदेन एक विकेन्द्रीकृत खाता बही में दर्ज किए जाते हैं जो सभी के लिए उपलब्ध है.
स्थिरता के मोर्चे पर, जब लेनदेन की बात आती है तो डिजिटल मुद्राएं स्थिर और प्रबंधन में आसान होती हैं क्योंकि उन्हें वैश्विक बाजार में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है. दूसरी ओर, क्रिप्टो बहुत अस्थिर है और दरें लगभग नियमित रूप से बढ़ती और गिरती हैं.
डिजिटल मुद्रा लेनदेन का विवरण केवल इसमें शामिल लोगों, प्रेषक और रिसीवर और बैंक के लिए उपलब्ध है. क्रिप्टो लेनदेन का विवरण विकेन्द्रीकृत खाता बही के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध है.
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क्या सरकार अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने के बारे में सोच रही है?
सरकार बिटकॉइन समेत किसी प्रकार की निजी डिजिटल करेंसी के पक्ष में नहीं है मगर एक सरकारी समिति ने एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी की जरूरत बताई है.
जून में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा एक मसौदा पेश किया था, जिसके तहत क्रिप्टोकरेंसी जारी क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए करने, बनाने, खरीदने, बेचने, खत्म करने, इस्तेमाल करने या सौदा करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान था.
हाइलाइट्स
- केंद्र सरकार की अंतर-मंत्रालयी समिति ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है.
- अभी तक दुनिया भर में कुल 2,116 क्रिप्टोकरेंसी हैं, जिनका कुल बाजार पूंजीकरण $119.46 अरब का है.
- क्रिप्टोकरेंसी न तो लीगल टेंडर के समान हो सकती है और न ही इसे ऐसा समझा जाना चाहिए.
गौरतलब है कि इस समिति का गठन 2 नवंबर 2017 को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मामलों क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए के अध्ययन के लिए किया गया था. इस समिति को इस बारे में रूपरेखा बनाने के लिए भी कहा गया था. इसने क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए निजी क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपना फैसला दिया है. सरकार का तर्क है कि वह निवेशकों के पैसों को जोखिम में नहीं डाल क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए सकती.
मगर आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई वाली एक अन्य सरकारी समिति ने एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी की जरूरत बताई है. उसका कहना है कि इसे लीगल टेंडर माना जा सकता है. इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का नियंत्रण होगा. इस पैनल में इलेक्ट्रॉनिक और आईटी मंत्रालयों के सचिव, सेबी प्रमुख और RBI के डिप्टी गवर्नर भी शामिल थे.
अभी तक दुनिया भर में कुल 2,116 क्रिप्टोकरेंसी हैं, जिनका कुल बाजार पूंजीकरण $119.46 अरब का है. GREX और RealX के सीईओ मनीष कुमार ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि समिति ने सिर्फ निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है.
उन्होंने कहा, "इस समिति ने क्रिप्टोकरेंसी की अवधारणा को खारिज नहीं किया है. इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि किप्टो-तकनीक के दूसरे प्रयोगों को हरी झंडी दिखाई गई है." GREX एक निजी मार्केट प्लेटफॉर्म है, जो कंपनियों को वित्तीय प्रोडक्ट्स तक पहुंच बनाने में मदद करता है.
कुमार ने कहा, "जो हम समझ पा रहे हैं, उसके मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी की अवधारणा पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. इस समिति का मानना है कि निजी उद्यमों के बजाय सिर्फ सरकार के पास ही क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के अधिकार होने चाहिए."
उधर, अंतर-मंत्रालय समिति ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर वह स्थाई समिति के रूप में अपने पक्ष पर दोबारा विचार करने के लिए तैयार है. सुप्रीम कोर्ट की वकील और साइबर लॉ विशेषज्ञ एनएस नप्पिनई ने कहा कि सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पेश करने का विचार एक गलत धारणा है.
उन्होंने कहा, "क्रिप्टोकरेंसी न तो लीगल टेंडर (सरकार द्वारा जारी क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए मुद्रा) के समान हो सकती है और न ही इसे ऐसा समझा जाना चाहिए. भले ही यह कागज पर हो या डिजिटल रूप में. सरकार द्वारा जारी डिजिटल करेंसी वैध करेंसी होगी."
उन्होंने कहा कि अभी तक यह भी साफ नहीं है कि सरकार क्यों अपनी डिजिटल करेंसी पेश करने के बारे में सोच रही है. उनके अनुसार, "यदि सरकार इसे जारी करती है, जो इसकी वैल्यूएशन रुपये के सामने आंकी जाएगी. इसकी वैल्यू घरेलू करेंसी से अधिक या कम नहीं हो सकती है."
नप्पिनई ने बताया कि सरकार को इस मंशा के पीछे के मकसद का आंकलन करना होगा. उन्होंने कहा, "अपनी अलग डिजिटल करेंसी पेश करने की कवायद में लगने से पहले सरकार को भी कई सवालों के जवाब देने होंगे." क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध लगाने से बेहतर होगा उसके लिए कानून पेश हो.
मौजूदा समय में भारत में डिजिटल करेंसी पर प्रतिबंध नहीं है. मगर नियामक प्राधिकरणों ने कारोबारियों और यूजर्स को इससे जुड़े जोखिम के विषय में बार बार सावधान किया है. साथ ही वे उन्हें इस प्रकारण के कृत्रिम उपकरणों की खरीद-फरोख्त से दूर रहने की भी सलाह देते रहे हैं.
साल 2018 के आम बजट में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साफ किया था कि क्रिप्टोकरेंसी लीगल टेंडर (वैध पैसा) नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार इन्हें वित्तीय प्रणाली से हटाने के क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए सभी संभव प्रयास करेगी. उन्होंने 'भुगतान या उस प्रणाली के अंश के लिए अवैध वित्तीयकरण' में इनका इस्तेमाल रोकने की बात भी कही थी.
जून में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा एक मसौदा पेश किया था, जिसके तहत क्रिप्टोकरेंसी जारी करने, बनाने, खरीदने, बेचने, खत्म करने, इस्तेमाल करने या सौदा करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान था. नप्पिनई का मानना है कि वे 'निजी क्रिप्टोकरेंसी' के भविष्य को लेकर संशय में हैं.
उन्होंने कहा, "आखिरकार, फेसबुक के ऐलान के बाद भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ान के लिए जाग गया. फेसबुक ने अपनी कृत्रिम करेंसी 'लिब्रा' लॉन्च करने का ऐलान किया है. मगर सरकार का सबसे बड़ा डर है कि इनका इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए हो सकता है."
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RBI के डिप्टी गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी को बताया पोंजी स्कीम से बदतर, कहा- बैन करना ही शायद सबसे बेहतर विकल्प
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की वकालत करते हुए RBI के डिप्टी गवर्नर ने कहा- शायद यही सबसे बेहतर विकल्प होगा.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर (T Rabi Sankar) का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी का कोई वास्तविक म . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : February 14, 2022, 22:18 IST
नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी का कोई वास्तविक मूल्य (Intrinsic Value) नहीं है और यह किसी पोंजी स्कीम से भी बदतर हो सकती है. अच्छा है कि क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया जाए. ये कहना है भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर (T Rabi Sankar) का. उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की वकालत करते हुए कहा शायद यही सबसे बेहतर विकल्प होगा.
शंकर ने कहा है कि हमने उन तर्कों की जांच की है, जो इस बात की वकालत करते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट किया जाना चाहिए. हमने जांच में पाया कि उनमें से कोई भी बुनियादी जांच में खरा नहीं उतर पाया है. उन्होंने कहा, हमने देखा कि क्रिप्टो-प्रौद्योगिकी सरकारी नियंत्रण से बचने के लिए एक दर्शन (Philosophy) पर आधारित है. क्रिप्टोकरेंसी को खास तौर से रेगुलेटेड फाइनेंशियल सिस्टम को बायपास करने के लिए विकसित किया गया है.
इसे मुद्रा के तौर पर परिभाषित नहीं कर सकते
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कि हमने यह भी देखा है कि क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा, परिसंपत्ति या कमोडिटी के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है. उनके पास कोई अंतर्निहित कैश फ्लो नहीं है. टी रबी शंकर ने कहा, उन्हें औपचारिक वित्तीय प्रणाली से दूर रखने के लिए ये पर्याप्त कारण होने चाहिए. इसके अलावा, ये वित्तीय अखंडता, विशेष क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए रूप से KYC रेजिम और एएमएल/सीएफटी नियमों को कमजोर करते हैं और कम से कम संभावित रूप से असामाजिक गतिविधियों की सुविधा प्रदान करते हैं.
RBI ने कहा- यह देश की सुरक्षा को खतरा
इससे पहले भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने के खिलाफ बोल चुका है. उसने बार-बार कहा है कि इसे मान्यता देने से देश की सुरक्षा को खतरा पैदा होगा. इसके अलावा इकोनॉमिक और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी के लिए भी ठीक नहीं है.
क्या कहा था वित्तमंत्री ने
बीते शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharman) ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर राज्यसभा में बड़ा बयान देते हुए कहा कि टैक्स लगाने का मतलब ये नहीं कि क्रिप्टोकरेंसी वैध हो गई है. उन्होंने कहा है कि सरकार ने सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी के मुनाफे पर टैक्स लगाया है. सरकार ने इसे वैध बनाने, प्रतिबंध लगाने या रेगुलेट करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. उन्होंने कहा था, “जब हमें इसके बारे में पूरा इनपुट मिल जाएगा, फिर यह फैसला होगा.”
बजट में लगाया था 30% टैक्स + 1% टीडीएस
गौरतलब है कि बजट 2022-23 में वर्चुअल एसेट (Virtual Asset) से हुए मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स (Tax on crypto) लगाने की बात कही गई थी. इसके अलावा इसके ट्रांजेक्शन पर भी 1 फीसदी टीडीएस (TDS on Crypto) लगाने का ऐलान किया गया था. इससे यह माना जा रहा था कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लीगलाइज करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है. लेकिन, शुक्रवार को निर्मला सीतारमण के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि क्रिप्टो पर सरकार की पॉलिसी क्या होगी, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है.
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