प्रत्येक देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिसका प्रयोग वस्तुओं के आयत –निर्यात में किया जाता है, इसे ही विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। भारत में समय-समय पर इसके आंकडे विदेशी मुद्रा बाजार क्या है भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं।
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विदेशी मुद्रा बाजार वह बाजार है जहां खरीदार और विक्रेता विदेशी मुद्राओं की खरीद और बिक्री में शामिल होते हैं। बस, जिस बाजार में विभिन्न देशों की मुद्राएं खरीदी और बेची जाती हैं, उसे विदेशी मुद्रा बाजार कहा जाता है।
विदेशी मुद्रा बाजार को आमतौर पर विदेशी मुद्रा के रूप में जाना जाता है, एक विश्वव्यापी नेटवर्क, जो दुनिया भर में एक्सचेंजों को सक्षम बनाता है। विदेशी मुद्रा बाजार के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं।
ट्रांसफर फंक्शन: विदेशी मुद्रा बाजार का मूल और सबसे अधिक दिखाई देने वाला कार्य भुगतान के निपटान के लिए एक देश से दूसरे देश में धन (विदेशी मुद्रा) का हस्तांतरण है। इसमें मूल रूप से एक मुद्रा का दूसरी मुद्रा में रूपांतरण शामिल है , जिसमें विदेशी मुद्रा की भूमिका क्रय शक्ति को एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित करना है।
उदाहरण के लिए, यदि भारत का निर्यातक संयुक्त राज्य अमेरिका से माल आयात करता है और भुगतान डॉलर में किया जाना है, तो रुपये को डॉलर में बदलने की सुविधा फॉरेक्स द्वारा की जाएगी। हस्तांतरण कार्य क्रेडिट उपकरणों के उपयोग के माध्यम से किया जाता है, जैसे कि बैंक ड्राफ्ट, विदेशी मुद्रा के बिल और टेलीफोन स्थानान्तरण।
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विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) अथवा संक्षेप में फेमा पूर्व में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) विदेशी मुद्रा बाजार क्या है के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया है । फेमा ०१ जून, २००० को अस्तित्व में आया । विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) का मुख्य उद्देश्य बाहरी व्यापार तथा भुगतान को सरल बनाने के उद्देश्य तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास तथा रखरखाव के संवर्धन के लिए विदेशी मुद्रा से विदेशी मुद्रा बाजार क्या है संबंधित कानून को समेकित तथा संशोधन करना है । फेमा भारत के सभी भागों के लिए लागू है । यह अधिनियम भारत के बाहर की स्वामित्व वाली अथवा भारत के निवासी व्यक्ति के नियंत्रण वाली सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा एजेन्सियों के लिए लागू है ।. और अधिक
रुपए के मूल्य में गिरावट के मायने
व्यापक व्यापार घाटे के साथ हाल ही में विदेशी विदेशी मुद्रा बाजार क्या है मुद्रा भंडार में कमी के कारण भारतीय रुपए के मूल्य में गिरावट दर्ज़ की गई और कुछ ही समय पहले यह अब तक के निचले स्तर पर पहुँच गया। रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था तक सभी के लिये चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में यह जानकारी होना आवश्यक है कि रुपए के मूल्य में विदेशी मुद्रा बाजार क्या है हो रही गिरावट के मायने क्या हैं?
- विदेशी मुद्रा भंडार के घटने या बढ़ने का असर किसी भी देश की मुद्रा पर पड़ता है। चूँकि अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना गया है जिसका अर्थ यह है कि निर्यात की जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमत डॉलर में अदा की जाती है।
- अतः भारत की विदेशी मुद्रा में कमी का तात्पर्य यह है कि भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के आयात मूल्य में वृद्धि तथा निर्यात मूल्य में कमी।
- उदहारण के लिये भारत को कच्चा तेल आदि खरीदने हेतु मूल्य डॉलर के रूप में चुकाना होता है, इस प्रकार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से जितने डॉलर खर्च कर तेल का आयात किया उतना उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ इसके लिये भारत उतने ही डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करे तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी को पूरा किया जा सकता है। लेकिन यदि भारत से किये विदेशी मुद्रा बाजार क्या है जाने वाले निर्यात के मूल्य में कमी हो तथा आयात कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हो तो ऐसी स्थिति में डॉलर खरीदने की ज़रूरत होती है तथा एक डॉलर खरीदने के लिये जितना अधिक रुपया खर्च विदेशी मुद्रा बाजार क्या है होगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।
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