इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति कम है और मौजूदा स्तर पर उससे निपटा जा सकता है.
रुपया कमजोर नहीं, डॉलर हो रहा है मजबूत : सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इस वर्ष भारतीय मुद्रा रुपये में आई आठ फीसदी की गिरावट को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा है कि कमजोरी रुपये में नहीं आई बल्कि डॉलर में मजबूती आई है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में शामिल होने के बाद सीतारमण ने संवाददाताओं से बातचीत में भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बताते हुए कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपया में स्थिरता बनी हुई है। सीतारमण ने बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी है। मैं बार-बार कह रही हूं कि मुद्रास्फीति भी इस स्तर पर है जहां उससे निपटना संभव है।’
रुपया-डॉलर का ग्राफ क्या इशारा करता है
यहां हम आपको बता देते हैं कि पिछले हफ्ते आखिर उन्होंने क्या कहा था: “सबसे पहले, मैं इसे ऐसे देखना चाहूंगी कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है, बल्कि डॉलर लगातार मजबूत होता जा रहा है." फिर इसी पद पर यानि कभी वित्त मंत्री रहे और अब विपक्ष के नेता कांग्रेसी पी चिदंबरम ने निर्मला सीतारमण के बयान पर प्रतिक्रिया देने में देरी नहीं की और कहा " एक उम्मीदवार या पार्टी जो चुनाव हारती है, वह हमेशा कहेगी. हम चुनाव नहीं हारे, लेकिन दूसरी पार्टी ने चुनाव जीता."
"मैं तकनीकी पहलू नहीं समझा रही, लेकिन यह तथ्य है कि भारत का रुपया शायद इस डॉलर की दर में बढ़ोतरी का सामना कर पा रहा है, डॉलर को मजबूत करने के पक्ष में अभी एक्सचेंज रेट है और मुझे लगता है कि भारतीय रुपये ने कई दूसरे इमर्जिंग इकनॉमी की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है.”
ग्लोबल इकनॉमी में डॉलर का कैसे है वर्चस्व ?
ये वो सवाल है जिनका बेहतर जवाब पॉपुलर जोक के जरिए समझा जा सकता है?
सवाल: क्या आप सिंगल हैं?
जवाब: कौन पूछ रहा है इस पर निर्भर करता है .
बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप एक्सपोर्टर हैं या फिर बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है इंपोर्टर या फिर दोनों का मिक्स..या फिर इंपोर्टेड प्रोडक्ट के कंज्यूमर. यदि आप फ्रेंच पनीर या इतालवी ओलिव पसंद करते हैं, तो आप अमेरिकी डॉलर में सामान नहीं खरीद रहे होंगे, लेकिन पिछले एक साल में अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपये के मूल्य में लगभग 10% की गिरावट अभी भी आपको चिंतित करेगी क्योंकि अधिकांश फॉरेन बिल अभी भी प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष तौर पर डॉलर में होते हैं. अनौपचारिक रूप से, डॉलर राजा है और यह एक ऐसी चीज है जिसका सिक्का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में चलता है. यह सच है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से उस देश की तरफ पूंजी का फ्लो ज्यादा होता है और इससे डॉलर और मजबूत होता है लेकिन इस मामले में इतना ही सबकुछ नहीं है. इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जिस पर ध्यान देना जरूरी है.
एक्सचेंज रेट और इकनॉमी में गहरा नाता
2013 में उन्होंने जो ट्वीट किए थे, आपको सिर्फ उसको देखना चाहिए जो आज के संदर्भ में भी काफी हद तक सही हैं. लेकिन अगर आप एक एक्सपोर्टर हैं, तो चीजें साफ साफ दिख सकती हैं क्योंकि बिल आप अमेरिकी डॉलर में भर रहे हैं. उदाहरण के लिए सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट जो वॉल स्ट्रीट या सिलिकॉन वैली के क्लाइंट को सेवाएं दे रहा है उसके बिल से भी सब समझ में आ जाएगा.
वास्तव में, आप तर्क दे सकते हैं कि एक हेल्दी एक्सचेंज रेट पॉलिसी ऐसी है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है कि यह एक्सपोर्टर्स का जोश कम नहीं करती है क्योंकि लंबे समय में, एक अर्थव्यवस्था की वैश्विक ताकत इस बात से निर्धारित होती है कि वह कितना एक्सपोर्ट कर सकती है और, विशेष रूप से नेशनल इनकम (GDP) में इसका क्या हिस्सा रहता है. कितना कम वो इंपोर्ट करते हैं ताकि व्यापार घाटा और इसके भी ज्यादा, चालू खाता घाटा यानी CAD (जिसमें रेमिटेंस और पर्यटन आय भी शामिल है) व्यापक रूप से बढ़ ना जाए.
रुपए में उठापटक की वजह क्या?
चालू वित्तीय साल 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत का करेंट अकांउट डेफिसिट 23.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 2.8%) दर्ज किया गया जो जनवरी-मार्च तिमाही में 13.4 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 1.5%) से ज्यादा) है. एक साल पहले के नंबर से यह 6.6 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 0.9%) ज्यादा है.
आप पहली तिमाही में जो CAD है उसका ठीकरा यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए तनाव पर फोड़ सकते हैं और फिर एक साल पहले के सरप्लस घाटा को कोविड -19 महामारी से जुड़ी कम आर्थिक गतिविधियों का नतीजा बता सकते हैं लेकिन एक सामान्य तथ्य यहां पर यह है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में भी ज्यादा संभावनाएं नहीं हैं. कमजोर भारतीय रुपये के कारण पहली तिमाही जितना व्यापक घाटा भले ही ना हो लेकिन घाटा बढ़ा ही है.
फिर भी इस बात को दिमाग में रखना महत्वपूर्ण है कि हेल्दी फॉरेन एक्सचेंज पॉलिसी ऐसा कुछ नहीं है कि लंबी अवधि में यह प्रतिस्पर्धा की क्षमता को प्रभावित करती है. आप सिर्फ चीन पर नजर डालें, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ लगातार संघर्ष में रहता है और चीनी सरकार अपनी करेंसी ‘रेनमिनीबी’ को कमजोर बनाए रखती है.
रुपया गिर नहीं रहा है, बल्कि डॉलर मज़बूत हो रहा है: वित्त मंत्री सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से रुपये की मज़बूती को लेकर अपनाए जाने वाले उपायों के बारे में पूछा गया था, जिस पर उन्होंने कहा कि डॉलर लगातार मज़बूत हो रहा है. इसलिए तय है कि मज़बूत होते डॉलर के सामने बाकी सभी मुद्राएं कमज़ोर प्रदर्शन करेंगी. The post रुपया गिर नहीं रहा है, बल्कि डॉलर मज़बूत हो रहा है: वित्त मंत्री सीतारमण appeared first on The Wire - Hindi.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से रुपये की मज़बूती को लेकर अपनाए जाने वाले उपायों के बारे में पूछा गया था, जिस पर उन्होंने कहा कि डॉलर लगातार मज़बूत हो रहा है. इसलिए तय है कि मज़बूत होते डॉलर के सामने बाकी सभी मुद्राएं कमज़ोर प्रदर्शन करेंगी.
वाशिंगटन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोर होती स्थिति के संबंध में एक सवाल का जवाब देते हुए रविवार को कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है, बल्कि डॉलर मजूबत हो रहा है.
डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट पर मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए जवाब, बोलीं- रुपया गिर नहीं रहा बल्कि..
नई दिल्ली। why indian rupee is falling : डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट से देश में खबलबी मची हुई है। इससे व्यापार में घाटे में चल रहा है। वहीं अब इस मामले में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बयान दिया है। मंत्री ने रुपये गिरने की वजह बताया है। कहा कि भारतीय रुपया गिर नहीं रहा है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। बाकी देशों की करेंसी के मुकाबले भारत रुपया बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। इससे निपटने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
why indian rupee is falling : बता दें कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार गिर रहा है और 1 डॉलर की कीमत 82 रुपये के पार तक पहुंच गई है। वहीं अमेरिका दौरे पर पहुंचीं ने भारतीय रुपया के गिरने, क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर जवाब दिया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पहले तो मैं ये कहना चाहूंगी कि रुपया नहीं गिर रहा, बल्कि डॉलर मजबूत हुआ है। भारतीय रुपये का प्रदर्शन अच्छा है। भारतीय रुपये में ज्यादा अस्थिरता देखने को नहीं मिली है।
अमरीका में बोली वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण- रुपया कमजोर नहीं, डॉलर हो रहा मजबूत
अमरीका के वाशिंगटन डीसी में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय रुपया कमजोर नहीं हो रहा, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी, ईडी सहित अन्य मामलों के बारे में भी मीडिया के सवालों को जवाब दिया।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस समय अमरीका के दौरे पर हैं,जहां उन्होंने 24 द्विपक्षीय बैठकें किया। इसके साथ ही सचिवों व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने अपने समकक्षों के साथ 25 बैठकें कीं। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमरीका की अपनी आधिकारिक यात्रा पर वाशिंगटन डीसी में मीडिया को संबोधित किया, जहां उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारतीय रुपया कमजोर नहीं हो रहा, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। वहीं दूसरे देशों की करेंसी की तुलना में तो रुपया अच्छा कर रहा है।
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