(4) उक्त अधिनियम की धारा 4 के आगे प्रकृति के किसी भी प्रेषण ऊपर आयकर अधिनियम, विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ 1961 के तहत किसी भी कार्यवाही के प्रयोजन के लिए खाते में नहीं लिया जाएगा करने के लिए भेजा है कि प्रदान करता है.

FDI-FPI

विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ में निवेश से होता है बड़ा लाभ

भारतीयों के लिए विदेश में निवेश के अवसरों में बढ़ोतरी रही है। पहले के मुकाबले विभिन्न रूपों में ज्यादा निवेश के मौके उपलब्ध हैं। विदेशी शेयर, म्युचुअल फंड और यहां तक कि विदेशी सूचकांकों में भी निवेश के अवसर मौजूद हैं। उम्मीद तो यही की जा रही है विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ कि आने वाले महीनों में विदेश में निवेश के और विकल्प सामने आ सकते हैं।

विकल्प
कोई निवेशक सीधे तौर पर विदेश में निवेश कर सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक भारत से बाहर सालाना 200,000 डॉलर तक के निवेश की छूट देता है। इसके जरिये फंड किसी विदेश खाते (कारोबार, निवेश और बैंक में) में स्थानांतरित होता है और उसके बाद इस रकम का इस्तेमाल विभिन्न निवेश के विकल्पों में होता है। निवेश के लिए रुपये को डॉलर में परिवर्तित किया जाता है। हाल के वर्षों में एक और चलन देखने विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ में आया है जिसके तहत निवेशक भारत में निवेश कर विदेशी बाजार में कारोबार कर सकते हैं। निवेश के इन दो तरीकों में काफी अंतर है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ( Reserve Bank of India- RBI) ने पिछले छह महीनों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार ( Foreign Exchange Reserves ) में 16.58 टन और अधिक स्वर्ण को शामिल किया है, जिससे देश की सोने की होल्डिंग 700 टन (लगभग 760.42) से अधिक हो गई है।

  • RBI द्वारा सोने का अधिग्रहण ऐसे समय में किया गया था जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ( Foreign Portfolio Investors- FPIs ) की भारत में रुचि समाप्त हो गई थी और विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2021 में 642.विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ 45 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से घटकर 29 अप्रैल, 2022 को 597.72 बिलियन अमेरिकी डाॅलर हो गया था।
  • अब भारत नौवांँ सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार धारक देश है।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment- FPI) में विदेशी निवेशकों द्वारा निष्क्रिय रूप से रखी गई प्रतिभूतियांँ और अन्य वित्तीय परिसंपत्तियांँ शामिल होती हैं। यह निवेशक को वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्रदान नहीं करता तथा ये बाज़ार की अस्थिरता के आधार पर अपेक्षाकृत तरल होती हैं।
    • FPI के उदाहरणों में स्टॉक, बॉण्ड , म्यूचुअल फंड , एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स , अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स (ADRs) और ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स (GDRs) शामिल हैं।

    FPIs के लाभ:

    • अंतर्राष्ट्रीय ऋण तक पहुँच:
      • निवेशक विदेशों में ऋण की बढ़ी हुई राशि तक पहुँचने में सक्षम हो सकते हैं, जिससे निवेशक अधिक लाभ प्राप्त और अपने इक्विटी निवेश पर उच्च रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।
      • जैसे-जैसे बाज़ार में तरलता बढ़ती जाती हैं, बाज़ार अधिक गहन और व्यापक होते जाते हैं, फलस्वरूप अधिक व्यापक श्रेणी के निवेशों को वित्तपोषित किया जा सकता है।
      • नतीजतन, निवेशक यह जानकर विश्वास के साथ निवेश कर सकते हैं कि यदि आवश्यकता हो तो वे अपने पोर्टफोलियो का शीघ्र प्रबंधन कर सकते हैं या अपनी वित्तीय प्रतिभूतियों को बेच सकते हैं।
      • वित्तपोषण के लिये बढ़ी हुई प्रतिस्पर्द्धा बेहतर प्रदर्शन, संभावनाओं और कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार करती है।
      • जैसे-जैसे बाज़ार की तरलता विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ और कार्यक्षमता विकसित होती है, इक्विटी की कीमतें निवेशकों विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ के लिये उचित व प्रासंगिक बन जाती हैं और अंततः ये बाज़ार की दक्षता को बढ़ावा देती हैं।

      विदेशी मुद्रा भंडार:

      • विदेशी मुद्रा भंडार एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित संपत्ति है, जिसमें बाँड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हो सकती हैं।
        • अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में है।
        • विदेशी मुद्रा संपत्ति
        • स्वर्ण भंडार
        • विशेष आहरण अधिकार (SDR) के पास रिजर्व ट्रेंच
        • सरकार के लिये बेहतर स्थिति: विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही बढ़ोतरी भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार तथा रिज़र्व बैंक को बेहतर स्थिति प्रदान करती है।
        • संकट प्रबंधन: यह आर्थिक मोर्चे पर विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ भुगतान संतुलन, (BoP) संकट की स्थिति से निपटने में मदद करता है।
        • रुपए का अभिमूल्यन (Rupee Appreciation): बढ़ते भंडार ने डॉलर के मुकाबले रुपए को मज़बूत करने में मदद की है।
        • बाज़ार में विश्वास: यह भंडार बाज़ारों और निवेशकों को विश्वास का स्तर प्रदान करेगा कि एक देश अपने बाहरी दायित्वों को पूरा कर सकता है।

        विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ

        परिपत्र सं - विदेशी मुद्रा (उन्मुक्ति) योजना, विदेशी मुद्रा में निवेश से होता है बड़ा लाभ 1991/INDIA विकास बांड स्कीम, 1991 में विप्रेषण. 611, 30-9-1991 दिनांक

        जारी करने की तारीख

        विषय: विदेशी मुद्रा (उन्मुक्ति) योजना, 1991, और विदेशी मुद्रा के प्रेषण और विदेशी मुद्रा बांड (उन्मुक्ति और छूट) अधिनियम, 1991 में निवेश के तहत फंसाया भारत विकास बांड स्कीम, 1991 में विप्रेषण - के बारे में.

        1991-92 के लिए आम बजट पेश करते हुए भाषण में वित्त मंत्री, विदेशी मुद्रा का बड़ा प्रवाह को आकर्षित करने के लिए दो योजनाओं की घोषणा की शुरूआत के अन्य बातों के साथ था. इस प्रयोजन के लिए, विदेशी मुद्रा के प्रेषण और विदेशी मुद्रा बांड (उन्मुक्ति और छूट) विधेयक, 1991 में निवेश, बस में संपन्न बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किया गया था. विधेयक, संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित रूप में, 18 सितंबर, 1991 पर राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त है, और के बाद से 1991 के अधिनियम संख्या 41 के रूप में अधिनियमित किया गया है. दो योजनाओं, अर्थात्., विदेशी मुद्रा (उन्मुक्ति) योजना, 1991, और भारत विकास बांड स्कीम, 1991 में विप्रेषण, भी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिसूचित और असाधारण भारत के राजपत्र, भाग द्वितीय में प्रकाशित किया गया है , धारा 3, क्रमशः उप - धारा (मैं), दिनांक 20 सितम्बर 1991, और 21 सितंबर, 1991,.

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