इंट्राडे – डे ट्रेडर्स को इंट्राडे ट्रेडर्स के रूप में भी जाना जाता है। इस रणनीति में भाग लेने के लिए आपको बाजार खुलने के बाद शेयर खरीदना चाहिए और बाजार बंद होने से पहले शेयर बेचना चाहिए। शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब एक ही दिन में एक ही स्टॉक को खरीदना और बेचना है।

Stock Chart School -Learn Stoc

स्टॉक चार्ट स्कूल लोगों के सीखने और स्टॉक मार्केट से पैसे कमाने का तरीका बदल रहा है!

• यह मुफ़्त है, असली के लिए।

• मजा आता है। क्या आप स्टॉक चार्ट ट्रेडिंग गाइड या ट्यूटोरियल पढ़ने से ऊब गए हैं? अब और नहीं!

• यह प्रभावी है। समीक्षा के सवालों के बाद काटने के आकार के पाठों को स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है पढ़कर सीखने का आनंद लें।

इंटरनेट कनेक्शन के बिना पढ़ना, सीखना और किसी भी समय और किसी भी जगह का आनंद लेना!

स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए स्टॉक चार्ट स्कूल एक व्यापक मार्गदर्शिका है। स्टॉक चार्ट स्कूल में पाठ तेज, आसान और प्रभावी हैं; प्रत्येक पाठ्यक्रम को दो या तीन घंटे से कम समय में पूरा किया जाना है। किसी पूर्व अनुभव की आवश्यकता नहीं है।

स्टॉक चार्ट स्कूल निम्नलिखित विषयों को शामिल करता है:

"बुनियादी मान्यताओं"
"मौलिक बनाम तकनीकी विश्लेषण"
"प्रवृत्ति का उपयोग"
"समर्थन और प्रतिरोध"
"आयतन का महत्व"
"एक चार्ट क्या है?"
"चार्ट प्रकार"
"चार्ट पैटर्न"
"मूविंग एवरेज"
"संकेतक और थरथरानवाला"
"सिर और कंधों"
"कप और हैंडल"
"डबल टॉप एंड डबल बॉटम"
"त्रिभुज"
"झंडे और दंड"
"द वेज"
"अंतराल"
"ट्रिपल टॉप्स एंड बॉटम्स"
"राउंड बॉटम्स"
"बोलिंगर बैंड"
"झूमर बाहर निकलें"
"इचिमोकू बादल"
"कॉफमैन का अनुकूली मूविंग एवरेज (KAMA)"
"केल्टनर चैनल"
"मूविंग एवरेज"
"चलती औसत लिफाफे"
"पैराबोलिक SAR"
"धुरी बिंदु"
"मूल्य चैनल"
"मूल्य से मात्रा"
"वॉल्यूम-भारित औसत मूल्य (VWAP)"
"वक्र"
"संचय / वितरण लाइन"
"अरुण"
"अरून ऑसिलेटर"
"औसत दिशात्मक सूचकांक (ADX)"
"औसत ट्रू रेंज (एटीआर)"
"बैंडविड्थ"
"% B संकेतक"
"चिकिन मनी फ्लो (CMF)"
"चिकिन थरथरानवाला"
"चन्दे ट्रेंड मीटर (CTM)"
"कमोडिटी चैनल इंडेक्स (CCI)"
"कोप्पॉक कर्व"
"सहसंबंध गुणांक"
"डिसिजन पॉइंट प्राइस मोमेंटम ऑस्किलेटर (पीएमओ)"
"पता लगाया गया मूल्य थरथरानवाला (DPO)"
"आंदोलन में आसानी (EMV)"
"बल सूचकांक"
"जन सूचकांक"
"एमएसीडी (मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स / डाइवरेज ऑसिलेटर)"
"एमएसीडी हिस्टोग्राम"
"मनी फ्लो इंडेक्स (MFI)"
"निगेटिव वॉल्यूम इंडेक्स (एनवीआई)"
"बैलेंस वॉल्यूम पर (OBV)"
"प्रतिशत मूल्य थरथरानवाला (पीपीओ)"
"प्रतिशत आयतन थरथरानवाला (PVO)"
"मूल्य सापेक्ष / सापेक्ष शक्ति"
"Pring’s Know Sure Thing (KST)"
"प्रिंग का स्पेशल के"
"रेट ऑफ़ चेंज (स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है ROC) और मोमेंटम"
"सापेक्ष शक्ति सूचकांक (RSI)"
"आरआरजी सापेक्ष शक्ति"
"स्टॉकचर्ट्स टेक्निकल रैंक (SCTR)"
"ढलान"
"मानक विचलन (अस्थिरता)"
"स्टोचैस्टिक ऑसिलेटर (फास्ट, स्लो और फुल)"
"StochRSI"
"ट्रिक्स"
"ट्रू स्ट्रेंथ इंडेक्स"
"अल्सर सूचकांक"
"अंतिम थरथरानवाला"
"भंवर संकेतक"
"विलियम्स% R"

Technical Analysis

SHARE MARKET से होने वाले लाभों को देख कर,हमारा इसकी तरफ आकर्षित होना बिलकुल उचित है,

क्योकि हर कोई अपने बचत के पैसो का निवेश कर के ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहता है,लेकिन इस बात को बिल्कुल भी IGNORE नहीं किया जा सकता कि SHARE MARKET जोखिम से भरा हुआ है,

शेयर बाजार कि सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि – यहाँ हर कोई शेयर बाज़ार से लाभ कमाने के लिए ही ENTRY करता है, लेकिन सिर्फ 10% लोग ही शेयर बाजार से सही तरह से पैसे बना पाते है, और बाकी 90 % लोगो को LOSS होता है,

और यहाँ 90 % लोगो को LOSS होने का कारण है कि उन्हें ये पता नहीं होना कि –

  • शेयर्स कब ख़रीदे,
  • शेयर्स किस भाव में ख़रीदे
  • शेयर्स कितना ख़रीदे
  • शेयर्स कब बेचे
  • शेयर्स किस भाव में बेचे
  • शेयर्स कितना बेचे
  • और LOSS की स्थिति में अपने LOSS को कैसे नियंत्रित करे,

शेयर बाजार का RISK और RISK पे नियंत्रण

वैसे तो पूरे शेयर बाजार में दो ही काम होता है, शेयर खरीदना और शेयर बेचना,अब यही सबसे मजेदार पार्ट भी है, और इस बाजार कि दूसरी सच्चाई और सबसे निराली बात ये है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि, कोई शेयर्स कब खरीदना चाहिए, और कब बेचना चाहिए, यही इसका जोखिम पार्ट भी है,

बाजार में जोखिम इसी बात का है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि कोई शेयर्स कब ख़रीदे, कितने भाव में ख़रीदे, और कब बेचे तथा कितने भाव में बेचे,

सारा जोखिम इसी बात का है,

क्योकि यहाँ कोई भी हमेशा 100 % सही नहीं हो सकता, और कोई भी ऐसा एक तरीका नहीं है जो सिख के हम ये कह सके कि हम शेयर बाजार के बारे में सब सिख चुके है, और हम शेयर बाजार में हमेशा फायदे में ही रहेंगे.

शेयर बाजार स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है के जोखिम को नियंत्रित करने के उपाय –

हमने देखा कि शेयर बाजार में दो कम होते है – शेयर्स खरीदना और शेयर्स बेचना,

बार के साथ ग्राफ

एक बार चार्ट का उपयोग किसी विशिष्ट समय पर स्टॉक या स्टॉक की गति को निर्धारित करने के लिए किया जाता है; यह एक विशिष्ट समय अवधि (15 मिनट, 1 घंटा, 1 दिन, आदि) के लिए स्टॉक, कमोडिटी या एफएक्स शेयर का उद्घाटन, उच्च और निम्न है।

मुझे पता था, मैंने ले लिया, और मैंने सौदा बंद कर दिया। तकनीकी विश्लेषण स्टॉक की कीमत, बार चार्ट या चार्ट की किसी अन्य शैली, जैसे कैंडलस्टिक या लाइन चार्ट की गति को प्रदर्शित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

एक पंक्ति में ग्राफ

एक लाइन चार्ट बार चार्ट स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है या कैंडलस्टिक चार्ट से अलग होता है। स्टॉक की कीमत की गति को मापने में आपकी सहायता स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है करने के लिए लाइन चार्ट पर एक लाइन को दर्शाया गया है, जैसा कि नाम में है। बार और कैंडलस्टिक चार्ट की तुलना में लाइन चार्ट को समझना अधिक कठिन होता है।

बार चार्ट की तरह, कैंडलस्टिक चार्ट मूल्य परिवर्तन दर्शाते हैं। यह एक निश्चित अवधि (15 मिनट, 1 घंटा, 4 घंटे स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है आदि) के लिए स्टॉक, कमोडिटी या फॉरेक्स शेयर के ओपनिंग, हाई, लो और क्लोज (OHLC) को निर्धारित करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

बार चार्ट में स्टॉक को बार द्वारा दर्शाया जाता है। कैंडलस्टिक चार्ट में, शेयर की कीमत को मोमबत्तियों द्वारा दर्शाया जाता है। कैंडलस्टिक चार्ट बार चार्ट, लाइन चार्ट और अन्य प्रकार के चार्ट की तुलना में व्याख्या करना आसान होता है। एक तेजी के बाजार में, मोमबत्तियां हरी होती हैं, जबकि एक नकारात्मक बाजार में, मोमबत्तियां लाल होती हैं।

अंक और अंकों के साथ आरेख (Diagram with points and figures)

अंक और आंकड़ों के साथ आरेख बार चार्ट, जैसे कैंडलस्टिक स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है चार्ट, स्टॉक मूल्य में उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ग्राफिक का एक प्रकार है। 1898 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “हॉयल” में लेखक “हॉयल” ने इस तकनीक का परिचय दिया। स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है नतीजतन, इसका उपयोग पुरानी चार्टिंग तकनीक में किया जाता है।

इस चार्ट दृष्टिकोण में, दो प्रकार के आंकड़े हैं: शून्य और क्रॉस। शून्य संख्या का उपयोग लाल बाजार, यानी मंदी के बाजार को दर्शाने के लिए स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है किया गया है। क्रॉस को हरे रंग के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, जो एक तेजी से बाजार का संकेत देता है।

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Tips: स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए बेहतरीन शेयरों का चयन करना पहला स्टेप होता है. इसके लिए मुख्य रूप से दो तरीकों से एनालिसिस किया जाता है जैसे कि फंडामेंटल एनालिसिस या टेक्निकल एनालिसिस. हालांकि कभी-कभी कंफ्यूजन होती है कि इन दोनों ही एनालिसिस के जरिए शेयरों का चयन किया जाए या किसी एक एनालिसिस के सहारे स्टॉक मार्केट से मुनाफे की रणनीति अपनाई जाए.

Fundamental Analysis

इसमें कंपनी के फाइनेंशियल्स और P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखते हैं. इसके अलावा और भी रेशियो को एनालाइज करते हैं. अब अगर जैसे पीई रेशियो की बात करें तो इसकी वैल्यू अगर कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है जब पीबी रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है. इसके अलावा फंडामेंटल एनालिसिस में बीटा को भी देखते हैं जो अगर एक से अधिक है तो इसका मतलब हुआ कि मार्केट की तुलना में यह अधिक वोलेटाइल है. जो कंपनियां हाई डिविडेंड यील्ड वाली हैं और कर्ज मुक्त हैं, वे फंडामेंटली रूप से बहुत मजबूत हैं.

टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में थोड़ा अधिक कांप्लेक्स है. इसके तहत रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) जैसे 30-40 टेक्निकल इंडिकेटर्स का एनालिसिस किया जा सकता है. इस एनालिसिस में स्टॉक की मजबूती और रूझानों का अनुमान लगाया जाता है.

Fundamental vs Technical Analysis

फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस को कुछ फैक्टर पर किया जााता है जैसे कि समय, रिस्क और ट्रैकिंग.

  • समय- फंडामेंटल एनालिसिस आमतौर पर ऐसे समय में किया जाता है जब आपको लंबे समय के लिए किसी स्टॉक को होल्ड करना है. इसके तहत ऐसे स्टॉक की पहचान की जाती है जो समय के साथ और मजबूत होंगे. इसके विपरीत टेक्निकल एनालिसिस को शॉर्ट टर्म में किसी स्टॉक में पैसे लगाने के लिए किया जाता है. इसमें बुलिश स्टॉक की पहचान की जाती है.
  • रिस्क- फंडामेंटल रूप से मजबूत शेयरों में निवेश पर रिस्क कम होता है जबकि टेक्निकल वैरिएबल्स में ऐसा दावा नहीं किया जा सकता है.
  • ट्रैकिंग- फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है.
  • वैल्यू: फंडामेंटल एनालिसिस में किसी कंपनी के कारोबार, इंडस्ट्री और मार्केट के साथ घरेलू व अंतरराष्ट्रीय माहौल का आकलन करते हुए फेयर वैल्यू डेवलप करते हैं. वहीं टेक्निकल में हिस्टोरिकल रिटर्न और भाव में बदलाव के जरिए आगे कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन किया जाता है.

Best Career Option: स्टॉक ट्रेंडिंग में रखते हैं इंट्रेस्ट, तो 12वीं के बाद बनाएं ट्रेडर के तौर पर करियर

Career in Stock Trending: ट्रेडिंग इंडस्ट्री में रोजगार के स्कोप भी काफी बढ़ रहे हैं. एक अच्छा ट्रेडर बनने के लिए फाइनांशियल स्टेटस, फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का नॉलेज होना जरूरी है. जानें फुल टाइम ट्रेडर बनने के फायदे

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