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अस्वीकरण: ये संकेत केवल शिक्षा के उद्देश्य के लिए हैं। डेमो अकाउंट पर इसका उपयोग करें, इसलिए हम इस डेटा का उपयोग करने के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी व्यापारिक हानि के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेते हैं।

विदेशी मुद्रा में लाभ

निश्चित उद्देश्यों से अनिवासी भारतीय बैंको में अक्सर अपने स्वदेश प्रत्यावर्तनीय निधि (Repatriable funds) को निम्नलिखित मीयादी जमा के रूप में भारतीय रुपये या विदेशी मुद्रा में जमा करतें हैं.

  • एनआरई मीयादी जमा (रुपये में) - ब्याज की उच्च दर का लाभ उठाने के लिए.
  • एफसीएनआर (बी) मीयादी जमा- स्वयं को विनिमय दर के जोखिम से बचाने के लिए.

हालांकि दोनों योजनाओं विदेशी मुद्रा में लाभ में कुछ नुकसान भी हैं. एनआरई मीयादी जमा योजना में तुलनात्मक रूप से रिटर्न अधिक होने पर भी जमाकर्ता को संभावित विनिमय दर में उतार चढाव से जूझना पड़ सकता हैं. स्वदेश-प्रत्यावर्तन/परिपक्वता के समय रुपये का मूल्यह्रास होने के कारण यह भी संभव है कि ब्याज-दर में मिलने वाला कोई भी लाभ समाप्त हो जाए. हालांकि एफसीएनआर (बी) मीयाद जमा मामले में, जमाकर्ता ब्याज दरों में अधिक उतार चढ़ाव से गारंटीकृत रहता है परन्तु इसमें ब्याज दरें तुलनात्मक रूप से कम होती हैं.

अतएव अनिवासी भारतीयों के लिए बेहतर निवेश के रूप में, बैंक द्वारा एक नयी जमा योजना बनायी गयी है जिसका नाम यूनियन स्मार्ट विदेशी मुद्रा योजना है जो न केवल बेहतर रिटर्न सुनिश्चित करती है बल्कि विनिमय दरों के जोखिम को कम करता है/बचाता है. विदेशी मुद्रा से रूपये के विनिमय में वायदा दर कम होने पर, यह योजना बेहतर आय प्रदान करती है.

इस योजना के लाभ:

  • विदेशी मुद्रा में एफसीएनआर (बी) की तुलना में इस योजना से अधिक रिटर्न प्राप्त करें.
  • विनिमय दर में कमी से रक्षा करता है.
  • अर्जित ब्याज पूरी तरह आयकर की परिधि के बहार होता है (वर्तमान मानदंड़ों के अनुसार)
  • परिपक्वता आगम (दोनों मूल + ब्याज) को पूर्णत: स्वदेश प्रत्यावर्तित किया जा सकता है.

किसके लिए:
अनिवासी भारतीय / भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) / भारत के विदेशी नागरिक (ओसीआई)

उद्देश्य:
अनिवासी भारतीयों को उनके विदेशी मुद्रा संसाधनों / निधियों में अधिक से अधिक आय प्रदान करना.

जमा की अवधि:
जमा की अवधि 12 महीने की होगी

जमा की न्यूनतम राशि :
10,000 अमरीकी डालर या इसके समकक्ष.

ब्याज की दर
12 महीनों के लिए एनआरई मीयादी जमा राशि पर लागू दरों के सामान

अन्य शर्तें:
इस योजना के तहत अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए जमा राशि को सिर्फ और सिर्फ एनआरई- डीआरसी योजना के तहत निवेश करना आवश्यक हैं.

विदेशी मुद्रा भंडार: अर्थ, संरचना, उद्येध्य और लाभ

विदेशी मुद्रा भंडार; विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों, सोना, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और आईएमएफ में आरक्षित स्थिति से मिलकर बनता है. भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का कुल आकार 29 मई 2020 को 493 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.

Foreign Exchange Reserves:Meaning

विदेशी मुद्रा भंडार का क्या अर्थ है? (What is meaning of Foreign Exchange Reserves?)

विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा, गोल्ड रिजर्व, एसडीआर और आईएमएफ कोटा डिपाजिट, ट्रेज़री बिल, बॉन्ड और अन्य सरकारी प्रतिभूतियों शामिल होतीं हैं. यह रिज़र्व, सरकार की देनदारियों (जैसे केंद्रीय बैंक के पास सरकार या वित्तीय संस्थानों द्वारा जमा और सेंट्रल बैंक द्वारा जारी स्थानीय मुद्रा) को बैक उप सपोर्ट प्रदान करने के लिए रखा जाता है. RBI भारत में विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक है.

वर्तमान में चीन के पास दुनिया में सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है. इसका विदेशी मुद्रा भंडार यूएस $ 3,091,459 मिलियन (यूएस $ 3 ट्रिलियन) था और इसके बाद जापान 1,368,567 मिलियन अमेरिकी डॉलर था. यह देखकर ख़ुशी होती है कि भारत का स्थान शीर्ष 5 देशों में है. नीचे दी गई तालिका देखें,

सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाले देशों की सूची (List of countries with highest Foreign Exchange Reserve):-

रैंक

देश

विदेशी मुद्रा भंडार (millions of US$)

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विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना (Composition of Foreign Exchange Reserves)

विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना में विदेशी मुद्राएँ, सोना, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और आईएमएफ में आरक्षित रिज़र्व कोटा शामिल होते है. मई 2020 के अंत में भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 493 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.

इस रिजर्व में सबसे बड़ा योगदान विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों का है जो कि US$455 बिलियन है, इसके बाद स्वर्ण भंडार US$32 बिलियन, SDRs का आकार US$1.432 billion का और IMF में रिज़र्व पोजीशन के रूप में US$4.158 था.

विदेशी मुद्रा रिजर्व का उद्देश्य और लाभ (Purpose and Benefits of the Foreign Exchange Reserve):-

1.विदेशी मुद्रा भंडार कई उद्देश्यों की पूर्ति करता है, लेकिन इसकी होल्डिंग के पीछे सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक केंद्रीय सरकारी एजेंसी (भारत में भारतीय रिजर्व बैंक) के पास इतना बैकअप फंड है कि यदि देश की मुद्रा का इतना अधिक अवमूल्यन/ह्रास हो जाता है, तो भी जिन लोगों के पास सरकार के बांड्स, भारतीय मुद्रा इत्यादि हैं या किसी विदेशी संस्था को भुगतान करना है तो उनका भुगतान कर दिया जायेगा.

2.विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग मौद्रिक नीति को प्रभावित करने के लिए भी किया जाता है. यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण घरेलू मुद्रा का मूल्य घटता है तो भारत सरकार की तरफ से रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा की आपूर्ति उस बाजार में कर देती है ताकि घरेलू मुद्रा में मूल्य में बहुत अधिक गिरावट रोकी जा सके.

3. अधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाले देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी छवि होती है क्योंकि व्यापारिक देश अपना भुगतान पाने के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं. भारत 1991 के वित्तीय संकट के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिफॉल्टर घोषितहोने की कगार पर था.

4. अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है.

विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में अन्य जानकारी: - (Other information about the Foreign Exchange reserve)

1.सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में रखा जाता हैं क्योंकि यह दुनिया में सबसे अधिक कारोबार वाली और विश्वसनीय मुद्रा है.
चीन के पास दुनिया का सबसे अधिक यूएस $ 3.1 ट्रिलियन विदेशी मुद्रा भंडार है.

2. यह काफी आश्चर्यजनक है कि यूएसए के पास मार्च 2020 में सिर्फ US$ 129,264 मिलियन का विदेशी मुद्रा भंडार था.

3. भारत, दुनिया में सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला पांचवा है.

4. भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार ने 29 मई, 2020 को 493 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्वोच्च स्तर को छू लिया है.

विदेशी मुद्रा भंडार किसी अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य मीटर की तरह है. यदि किसी देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार का अच्छा है, तो उसकी वित्तीय स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही अच्छा माना जाता है.

तो यह थी विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में समग्र जानकारी. हम आशा करते हैं कि इस लेख को पढने के बाद आपको समझ आ गया होगा कि विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है और इसको क्यों इकठ्ठा किया जाता है?

Forex Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार का रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना हमेशा अच्छे संकेत ही नहीं देता, जानिए क्यों

विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में इस वृद्धि से मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता (Macro economic stability) लाने में काफी मदद मिलती है। फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) से होने वाली सुविधाओं की बात करें तो हमारे पास अब 18 महीने के आयात के हिसाब से पर्याप्त डॉलर मौजूद है।

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हाइलाइट्स

  • विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में वृद्धि से मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता लाने में काफी मदद मिलती है।
  • भारत के साथ एक खास बात यह है कि हम एक्सपोर्ट सरप्लस देश नहीं हैं।
  • पूंजी निवेश में जोरदार वृद्धि की वजह से हमारा डॉलर का भंडार (Forex Reserve) भर रहा है।

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने के फायदे
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में इस वृद्धि से मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता लाने में काफी मदद मिलती है। फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) से होने वाली सुविधाओं की बात करें तो हमारे पास अब 18 महीने के आयात के हिसाब से पर्याप्त डॉलर मौजूद है। अगर साल 1991 की बात करें तो उस समय हमारे पास 2 हफ्ते का फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) भी नहीं था। फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) की जरूरत कच्चे तेल के आयात, ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स आदि के मामले में होती है। भारत कई चीजों के आयात के लिए दुनिया के दूसरे देशों पर निर्भर है। इसमें वैक्सीन, स्टील, ऑटो कंपोनेंट आदि शामिल है। इन सब बातों के बीच सवाल यह है कि क्या बहुत अधिक मात्रा में डॉलर जमा होने (Forex Reserve) के कुछ नुकसान भी हैं।

एक्सपोर्ट सरप्लस देश नहीं है भारत
अगर बात दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंक की करें विदेशी मुद्रा में लाभ तो डॉलर जमा करने वाले (Forex Reserve) सेंट्रल बैंक में चीन, रूस, सऊदी अरब और जापान आदि शामिल हैं। भारत के साथ एक खास बात यह है कि हम एक्सपोर्ट सरप्लस देश नहीं हैं। जिन देशों का निर्यात अधिक होता है वहां वे हद से ज्यादा डॉलर कमाते हैं। हमारे साथ स्थिति उल्टी है। एशियाई देशों में भारत करंट अकाउंट डिफिसिट (Current account Deficit) के मामले में शीर्ष पर है। हम निर्यात से अधिक सामान का आयात करते हैं। वास्तव में हमारे फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व (Forex Reserve) में इतनी बड़ी वृद्धि फायदेमंद साबित नहीं हो सकती। अगर हर साल हमारा डॉलर अधिक खर्च होता है तो हमारा फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) कैसे बढ़ सकता है?

विदेशी निवेश लोन की तरह
इसकी वजह यह है कि करंट अकाउंट डेफिसिट (Current account Deficit) होने के बाद भी पूंजी निवेश में जोरदार वृद्धि की वजह से हमारा डॉलर का भंडार (Forex Reserve) भर रहा है। फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर (FPI) या फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) के माध्यम से भारत में डॉलर की आवक बढ़ रही है। डॉलर के इस आवक की वजह से शेयरों की खरीदारी बढ़ रही है जिससे यह भरोसा होता है कि भारत के जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) की संभावनाओं पर विदेशी निवेशकों (FII) का भरोसा बना हुआ है।

500 अरब डॉलर का निवेश
पिछले तीन दशक में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में 500 अरब डॉलर का निवेश आया है। शेयर बाजार (Stock Market) में विदेशी निवेशक जो निवेश करते हैं वे वास्तव में एक लोन की तरह हैं। इन्हें एक्सटर्नल कमर्शियल बौरोइंग (ECB) कहते हैं। मौजूदा विदेशी लोन की बात करें तो यह करीब $560 अरब या हमारे फॉरेक्स रिजर्व के 93 फीसदी के बराबर है। हमारे फॉरेक्स रिजर्व में वृद्धि का यह एक बड़ा कारण है। शेयर बाजार (Stock Market) में किया गया निवेश किसी भी समय निकाला जा सकता है और इससे बड़ा संकट सामने आ सकता है।

गोल्ड भंडार में कमी
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां डॉलर में व्यक्त की जाती हैं। इसमें डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन में अंकित संपत्ति भी शामिल विदेशी मुद्रा में लाभ हैं। देश का स्वर्ण भंडार 50.2 करोड़ डॉलर घटकर 37.604 अरब डॉलर रह गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10 लाख डॉलर घटकर 1.513 अरब डॉलर रह गया। आईएमएफ (IMF) के पास देश का आरक्षित भंडार भी 1.6 करोड़ डॉलर घटकर पांच अरब डॉलर रह गया।

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सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा व्यापार मार्गदर्शिकाएँ कहाँ देखें?

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2022,
  • (अपडेटेड 07 जून 2022, 11:19 AM IST)
  • फोरेक्स ट्रेडर बनने के लिए आप दर्जनों ऑनलाइन फोरेक्स ट्रेडिंग स्कूल से ट्रेनिंग ले सकते है

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