जब मैंने उज्वल, उज्ज्वल और उज्जवल पर पोल करने का फ़ैसला किया तो मुझे डर लगा कि कहीं सही विकल्प के पक्ष में 100% वोट न कोई सही दलाल है पड़ जाएँ। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क़रीब 20% ने ग़लत विकल्प चुने जिनमें से 4% ने उज्वल और 16% ने उज्जवल को सही बताया। लेकिन जिन 80% ने उज्ज्वल को सही माना है, उनको भी यह जानने में रुचि हो सकती है कि उज्ज्वल क्यों सही है।
स्पष्ट कीजिए कि क्यों- कोई प्रकाशिक उत्तापमापी (उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है, - Physics (भौतिक विज्ञान)
कोई प्रकाशिक उत्तापमापी (उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है, खुले में रखे किसी लाल तप्त लोहे के टुकड़े का ताप काफी कम मापता है, परन्तु जब उसी लोहे के टुकड़े को भट्टी में रखते हैं। तो वह ताप का सही मान मापता है?
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इसका कारण यह है कि खुले में रखे तप्त लोहे का गोला तेजी से ऊष्मा खोता है और ऊष्मा धारिता कम होने के कारण तेजी से ठण्डा होता जाता है, इससे उत्तापमापी को पर्याप्त विकिरण ऊर्जा लगातार नहीं मिल पाती। इसके विपरीत भट्ठी में रखने पर गोले का ताप स्थिर बना रहता है और वह नियत दर से विकिरण उत्सर्जित करता रहता है।
खतरे का रंग लाल क्यों होता है काला क्यों नहीं- GK in Hindi
भारत की संस्कृति में काले रंग को अशुभ और लाल रंग को शुभ माना जाता है। काला रंग काल का प्रतीक है और लाल रंग सुहाग का। फिर क्या कारण है कि खतरे का रंग लाल होता है। जबकि इस लॉजिक के हिसाब से खतरे का रंग काला होना चाहिए। आइए इस का साइंटिफिक रीजन पता लगाते हैं-
यह बात बिल्कुल सही है कि भारत में लाल रंग को शुभ और काले रंग को अशुभ माना जाता है। काला रंग शुभ कार्यों में वर्जित होता है। जबकि लाल रंग का तिलक माथे पर धारण किया जाता है। बावजूद इसके खतरे का संकेत देने के लिए लाल रंग का उपयोग किया जाता है। आम रास्ते पर खतरे का संकेत हो या फिर किसी टावर पर लगी हुई लाल बत्ती, यहां तक की सार्वजनिक स्थानों पर रखे हुए बिजली के खतरनाक उपकरणों पर भी लाल रंग में ' खतरा' लिखा होता कोई सही दलाल है है। दरअसल, इसके पीछे मुख्य कारण होता है रंगों की विशेषता।
लाल रंग की विशेष बात सरल शब्दों में
यह तो अपन जानते ही हैं कि सभी रंग सूर्य की किरणों के प्रभाव के कारण बनते हैं। हर रंग की अपनी एक विशेष बात होती है और वह मनुष्य के मन पर प्रभाव डालता है। काला रंग प्रकाश को अवशोषित करता है। यदि आप काले रंग को ध्यान से देखेंगे तो एक क्षण के लिए आपको कुछ और दिखना बंद हो जाएगा। ऐसा हुआ तो खतरा बढ़ जाएगा।
लाल रंग मनुष्यों का ध्यान खींचता है। भीड़ में कितने भी रंग हो, लाल रंग हर हाल में अपनी उपस्थिति प्रदर्शित कर देता है। लाल रंग को देखने पर उत्साह का संचार होता है या नहीं इंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं। खतरे की स्थिति में सक्रियता अनिवार्य है। यही कारण है कि लाल रंग को खतरे का संकेत बनाया गया है। दरअसल, खतरे के संकेत पर लाल रंग का होना मनुष्य के जीवन के लिए शुभ है, अशुभ नहीं है।
लाल रंग को खतरे का संकेत चुनने के पीछे वैज्ञानिक कारण
किसी भी वस्तु के रंग के दिखाई देने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण होता है कि वह वस्तु जिस रंग की होती है उस रंग को तो परावर्तित कर देती है जबकि बाकी के रंगों को अवशोषित कर लेती है। जो वस्तु सभी रंगों को परावर्तित कर देती है वह सफेद दिखाई देती है और जबकि जो वस्तु सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है वह काली दिखाई देती है। बाकी के सभी रंग इसके बीच में होते हैं।
लाल रंग की तरंग धैर्य (wavelength) सबसे लंबी होती है, जिसे मनुष्य अपनी आंखों से देख सकता है। लाल रंग की तरंग धैर्य 625 से 740 nm (nanometers) होती है। जबकि काले रंग की कोई wavelength नहीं होती। जो स्थान सभी रंगों को अवशोषित कर लेता है वह काला दिखाई देता है। यानी लाल रंग सबसे दूर से और दूर तक दिखाई देता है। सिर्फ ब्लैक ही नहीं बल्कि सभी रंगों की तुलना में भी: कोई सही दलाल है यह देखिए
80. उज्ज्वल, उज्जवल और उज्वल, सही क्या है और क्यों?
जब मैंने उज्वल, उज्ज्वल और उज्जवल पर पोल करने का फ़ैसला किया तो मुझे डर लगा कि कहीं सही विकल्प के पक्ष में 100% वोट न पड़ जाएँ। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क़रीब 20% ने ग़लत विकल्प चुने जिनमें से 4% ने उज्वल और 16% ने उज्जवल को सही बताया। लेकिन जिन 80% ने उज्ज्वल को सही माना है, उनको भी यह जानने में रुचि हो सकती है कि उज्ज्वल क्यों सही है।
सही शब्द उज्ज्वल (उत्+ज्वल) है। इसी उज्ज्वल से उज्वल और उज्जवल जैसे वैकल्पिक शब्द निकले। एक वाक्य में कहें तो कुछ लोग बोलने के क्रम ने अगला ज् खा गए जिससे उज्वल बना तो कुछ और लोगों ने अगले ज् पर बल दे दिया जिससे उज्जवल बन गया।
ऐसा क्यों हुआ, यह मेरे मित्र और भाषाई चिंतक योगेंद्रनाथ मिश्र ने क्रमवार तरीक़े से इस तरह समझाया है :
- उज्वल, उज्ज्वल और उज्जवल – एक ही शब्द के तीन रूप हैं।
- मूल कोई सही दलाल है शब्द संस्कृत का उज्ज्वल है, जो उत् और ज्वल की संधि से बना है। उत् और ज्वल में संधि होने पर उत् का त् ज् में बदल गया। इस कारण उज्ज्वल शब्द में दो ज् (ज्ज्) हैं। एक जो उत् के त् में था और ज् में बदला और दूसरा जो ज्वल में पहले से ही था।
- हिन्दी में दो ज् वाला रूप ही मान्य है।
- चूँकि उज्ज्वल शब्द में तीन व्यंजन संयुक्त रूप में आए हैं (ज् ज् व), इसीलिए उनके उच्चारण में कठिनाई है। ऐसे में कुछ लोग उच्चारण की सरलता के लिए बोलते समय ज्ज को व से अलग कर देते हैं और ऐसा ही लिखने कोई सही दलाल है लगते हैं। यानी उज्जवल। परंतु ऐसा कोई शब्द है नहीं। इसलिए अमान्य है।
- उज्ज्वल का उज्वल रूप भी उच्चारण की सरलता का परिणाम है। जैसे – महत्त्व से महत्व।
- हिन्दी में महत्त्व (त्+त्) के साथ महत्व (त्) भी चल रहा है। महत्त्व के तद्भव रूप में।
- परंतु उज्ज्वल का उज्वल रूप प्रयोग में अभी स्वीकृत नहीं है। इसलिए वह भी अमान्य है।
योगेंद्रजी की व्याख्या पढ़ने के बाद यह तो आप जान ही गए होंगे कि सही शब्द उज्ज्वल है लेकिन यदि कोई सही दलाल है आप हिंदी शब्दसागर का ऑनलाइन संस्करण देखेंगे तो उसमें उज्ज्वल नहीं, उज्जवल मिलेगा (देखें चित्र)। ऑनलाइन कोश में उज्ज्वल भी है लेकिन उसका अर्थ कुछ और दिया गया है – प्रीति, अनुराग आदि।
यह साफ़-साफ़ कंपोज़िटर, प्रूफ़ रीडर और फ़ाइनल कॉपी अप्रूवर की लापरवाही है क्योंकि शब्दसागर के मूल प्रिंट संस्करण में उज्ज्वल ही है (देखें चित्र)।
जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ, हिंदी शब्दसागर एक प्रामाणिक कोश है, लेकिन शिकागो यूनिवर्सिटी की साइट पर डले उसके ऑनलाइन संस्करण पर आँख मूँदकर भरोसा न करें क्योंकि कंपोज़िंग के मामले में इसमें बहुत ही लापरवाही बरती गई है। सही की जगह यह आपको ग़लत ज्ञान भी दे सकता है।
अगर कभी आपको किसी शब्द के बारे में शंका हो तो शब्दसागर के प्रिंट संस्करण का सहारा लें। अगर वह उपलब्ध नहीं है तो उसके पुराने संस्करणों के पीडीएफ़ इंटरनेट से डाउनलोड करें। कभी ज़रूरत हो तो उन्हीं का सहारा लें। मैं वही करता हूँ।
Moonga Ratna: मूंगा पहनने से चमक सकती है किस्मत, जानें किस राशि के लोगों को यह कब और कैसे पहनना चाहिए
Moonga Ratan: मूंगा रत्न बहुत ही भाग्यशाली रत्न है, कुंडली के मुताबिक इस रत्न को पहनने से धन लाभ होता है। यह रत्न किस्मत बदल सकता है। कुंडली के मुताबिक नहीं पहने से इस रत्न से लाभ की जगह हानि भी हो सकती है।
- मूंगा रत्न पहने से होता है धन लाभ
- कुंडली के मुताबिक पहनना चाहिए मूंगा रत्न
- किस्मत बदल सकता है मूंगा रत्न
Lucky Moonga Ratna: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मूंगा रत्न को मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ग्रह से जोड़ा गया है। यदि कुंडली में मंगल की स्थिति कमजोर हो तो उन जातकों को मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है। इसका रंग लाल, सिंदूरी, गेरुआ, सफेद और काला होता है। इस रत्न को पहनने से मंगल की दशा मजबूत होती है। जिससे इस ग्रह के शुभ प्रभावों में वृद्धि होने लगती है। मूंगा को सुंदर और आकर्षित होने के कारण ही नवरत्नों में एक माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में ग्रहों की स्थिति सामान्य नहीं होती है। वे लोग ग्रहों से जुड़े दान, मंत्र जाप, यंत्र पूजा, रत्न धारण करने जैसे उपाय करते हैं। कुंडली के मुताबिक व्यक्ति अपनी राशि के अनुसार नग धारण कर सकता है।
मंगल का रत्न मूंगा बना सकता है धनवान
मंगलवार के कारक देव हनुमान जी माने गए हैं, मूंगा रत्न जो अत्यंत प्रभावी रत्न है, यदि मंगल संबंधी कोई परेशानी है तो इस रत्न को किसी जानकार की सलाह पर धारण किया जाता है। मूंगे के संबंध में ये मान्यता है कि ये व्यक्ति को कई चीजों में सफलता दिलाने में खास सहायक होता है। यहां तक माना जाता है कि यदि कोई जातक सही समय पर, सही विधि से, सहीं भार का मूंगा कुंडली में मंगल के अनुरुप धारण करता है, तो ये रत्न उसे धनवान तक बना देता है। कुल मिलाकर मूंगा एक ऐसा भाग्यशाली रत्न है जो लोगों की किस्मत भी बदल देता है।
जानिए मूंगा से जुड़ी ये खास बातें जिनका आपको रखना ध्यान है:-
1. मूंगा पहनने से पहले कुंडली जरूर दिखाएं क्योंकि मंगल की दो राशि मेष और वृश्चिक होती है।
2. यदि किसी की कुंडली में मांगलिक दोष हो तो उसे मूंगा धारण करने से फायदा होता है। मूंगा मांगलिक दोष के प्रभाव को कम करता है।
3. जिसकी मेष, वृश्चिक राशि हो या लग्न हो एवं सिंह, धनु, मीन, राशि हो वे लोग भी मूंगा पहन सकते हैं।
4. माणिक, पुखराज, मोती के साथ भी मूंगा पहना जा सकता है।
5. मूंगा माणिक, पुखराज व मोती का संयुक्त लॉकेट भी पहन सकते हैं।
6. जिनमें साहस, आत्मविश्वास की कमी हो, खून से संबंधित विकार हो, जो स्वप्न आने से डरते हो वह कुंडली दिखा कर मूंगा पहन सकते हैं।
7. मूंगा चांदी, तांबा, सोना धातु में पहना जाता है। इसे तर्जनी, मध्यमा, अनामिका अंगुली में धारण किया जाता है।
8. मंगल कोई सही दलाल है ग्रह आपकी कुंडली में एक राशि व्यय या छठे आठवे भाव में हो तब सोच-समझ कर ही मूंगा पहनें। नहीं तो लाभ की जगह हानि हो सकती है।
मूंगा रत्न पहनने से मिलेंगे ये फायदे
इस रत्न को सोने,चांदी या तांबे में पहनने से बच्चों को नजर नहीं लगती एंव भूत-प्रेत व बाहरी हवा का भय खत्म हो जाता है। मूंगा धारण करने से साहस व आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को मूंगा पहनने से अत्यन्त लाभ होता है। उदासी व मानसिक अवसाद पर काबू पाने के लिए मूंगा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। पुलिस, आर्मी, डाक्टर, प्रापर्टी का काम करने वाले, हथियार निर्माण करने वाले, सर्जन, कम्प्यूटर साप्टवेयर व हार्डवेयर इन्जीनियर आदि लोगों को मूंगा पहनने से विशेष लाभ होता है। किसी व्यक्ति को रक्त से सम्बन्धित कोई परेशानी है तो वह मूंगा पहन सकता है। मिर्गी तथा पीलिया रोगियों के लिए मूंगा पहनना लाभकारी होता है। शुगर रोगी अगर मूंगा धारण करेंगे तो उनका शुगर कंट्रोल में बना रहेगा। जिनके मासपशियों में दिक्कत रहती है, उन्हें मूंगा पहनने से फायदा मिलता है। मेष, वृश्चिक, सिंह, धनु व मीन राशि वाले लोग मूंगा धारण कर सकते है।
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मूंगा धारण करने की विधि भी जान लीजिये
जब भी मूंगा धारण करें धूम्रपान व नानवेज से दूरी बनाएं रखें। सोमवार के दिन सुबह नहाने के बाद कच्चे दूध व गंगाजल में मूंगे को डाल दें। मंगलवार की सुबह 108 बार ॐ भौमाय नमः मंत्र का जाप करें और मूंगे को हनुमान जी के चरणों में रखकर प्रार्थना कर मूंगा रत्न धारण कर विधि के साथ मूंगे को तर्जनी या अनामिका उंगली में पहन लें।
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मैंने स्किन केयर के लिए चेहरे पर हर रोज लगाया नींबू, पर शायद यह एक बड़ी गलती थी
नो डाउट नींबू एक सुपरफूड है। इम्युनिटी बढ़ाने में इसका जवाब नहीं और स्किन के लिए भी यह फायदेमंद होता है। पर इसके लगातार उपयोग के कुछ साइड इफैक्ट भी हैं, जिनके बारे में मैं नहीं जानती थी।
नींबू आपकी स्किन को नेचुरली साफ कर सकता है। चित्र : शटरस्टॉक।
खूबसूरत त्वचा के लिए हम हमेशा घरेलू नुस्खों को ट्राय करते हैं। यह बात बिल्कुल सही है कि प्राकृतिक उपाय केमिकल प्रोडक्ट्स से बेहतर हैं, लेकिन अधूरी जानकारी खतरनाक होती है। कुछ यही हुआ कोई सही दलाल है मेरे साथ जब मैं नींबू के फायदे पढ़ कर इसकी दीवानी हो गई।
सभी लॉकडाउन का अपने तरीके से फायदा उठा रहे हैं। मैंने भी सोचा कि घर में कोई सही दलाल है धूल और प्रदूषण से दूर, त्वचा की देखभाल करती हूं, जिसे अब तक काम का बहाना बनाकर मैं टालती आ रही थी। त्वचा की केयर करने के लिए मैंने घरेलू नुस्खे अपनाने का मन बनाया। नींबू दाग धब्बों को कम करता है और त्वचा की रंगत निखारता है, यह मैंने सुन रखा था। थोड़ी मदद गूगल की ली और तय कर लिया कि हर दिन 10 मिनट चेहरे पर नींबू लगाउंगी।
नींबू का रस स्किन को ग्लोइंग बना सकता है,लेकिन सही इस्तेमाल से। चित्र: शटरस्टॉक ।
और मैंने चेहरे पर नींबू लगाने की शुरुआत की…
पहले दिन मैंने नींबू थोड़ी देर चेहरे पर लगाया और सूखने के बाद धो लिया। धोने के बाद ही मुझे चेहरे पर चमक दिखी, और चेहरा कम ऑयली हो गया। इस परिणाम से मैं प्रेरित हो गयी और रोज अपने रूटीन का पालन करने लगी।
चौथे दिन मुझे नींबू लगाते ही चेहरे पर जलन महसूस हुई। यूं मेरी स्किन सेंसिटिव नहीं है। इसलिए मैंने इस जलन को इग्नोर कर दिया।
उसके बाद से हर बार नींबू लगाने पर जलन बढ़ने लगी और नाक के आसपास लाल रैशेस भी आने लगे।
सातवें दिन मैंने नींबू के साइड इफेक्ट्स से जुड़ी रिसर्च पढ़ी तो दंग रह गयी।
क्यों नींबू से मुझे जलन और रैशेस होने लगे थे?
जर्नल कॉस्मेटिक्स डर्मेटोलॉजी की 2013 की स्टडी के अनुसार नींबू का ph लेवल बहुत कम होता है। नींबू में मौजूद सिट्रिक एसिड नियमित इस्तेमाल पर स्किन इर्रिटेशन पैदा करता है।
यही नहीं नियमित रूप से नींबू का रस त्वचा पर लगाने से फाइटोफोटोडर्मेटाइटिस की समस्या हो जाती है। इसमें त्वचा सूरज की रोशनी के प्रति सेंसिटिव हो जाती है, जिससे सनबर्न आसानी से हो जाता है। यही नहीं, स्किन धूप में लाल पड़ने लगती है और पैची हो जाती है।
नींबू का रस स्किन को ड्राई कर सकता है। चित्र- शटरस्टॉक।
लेकिन नींबू के फायदे कोई सही दलाल है भी तो हैं?
जब मुझे नींबू लगाने से इतनी समस्या हुई तो मेरा पहला सवाल यही था कि ब्यूटी एक्सपर्ट नींबू को इस्तेमाल क्यों करते हैं।
इस बात में कोई दो-राय नहीं है कि नींबू त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद विटामिन सी स्किन डैमेज कम करता है और झुर्रियां कम करता है। नींबू स्किन से ऑयल हटाता है और दाग धब्बों को कम करता है। नींबू में एंटीऑक्सीडेंट प्रोपर्टी होती हैं जो फ्री रेडिकल्स को खत्म कर त्वचा को स्वस्थ बनाती है।
नींबू का इस्तेमाल त्वचा पर सीधे नहीं किया जाता
· यही सबसे बड़ी गलती थी जो मैं कर रही थी। नींबू एसिडिक होता है इसलिए सीधे त्वचा पर लगाने से नुकसान कर सकता है।
· नींबू के फायदे उठाने के लिए नींबू को शहद के साथ मिक्स करके लगाना चाहिए। शहद स्किन को मॉइस्चराइज करता कोई सही दलाल है है और नींबू की एसिडिटी को भी कम करता है।
· अगर आपकी त्वचा सेंसिटिव है तो नींबू का इस्तेमाल न करें। उसके बजाय विटामिन सी के कैप्सूल का इस्तेमाल करें। ग्रीन टी भी स्किन के लिए अच्छा विकल्प है।
· एक और जरूरी बात- नींबू रोज नहीं लगाना चाहिए। हफ्ते में दो से तीन बार काफी है।
मैंने अपनी स्किन को डैमेज करके एक बात सीखी है, बिना पूरी जानकारी कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल नही करना चाहिए, चाहे वह केमिकल प्रोडक्ट हो या प्राकृतिक।
लेखक के बारे में
विदुषी शुक्ला
पहला प्यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते।
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