How to start trading in 4 easy steps
With an OctaFX account, you can access the foreign exchange market and start trading. Once you register, you'll receive an email with your Personal Area login details, trading account credentials, and all the necessary instructions. You'll need to login to your Personal Area to manage your funds, get bonuses, and take part in our promotions. The trading account credentials are used to access the trading platform itself.
2. Make a deposit
Log in to your Personal Area to make a deposit without any commissions. At OctaFX, you can start trading with a minimum of $25. The minimum deposit can vary depending on your region and the payment method.
According to the Risk Management basics, the more funds you have, the fewer risks you are exposing yourself to.
3. Sign in to the web-based platform
The web-based platform requires no installation and allows you to trade from any device anytime. Alternatively, you can download a desktop version, or the OctaFX Trading App for your Android device. You can compare the platforms and choose the best one.
4. Start trading
Open an order
To open an order, you can simply select the volume of your position and press Buy or Sell.
Basically, you ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं? open a Buy order if you expect the price to go up and open a Sell order if you expect the price to go down. It means that you buy a certain amount at a lower price now to sell it back at a higher price later and gain profit from the price difference.
Set leverage
Leverage reduces marginal requirements, the amount necessary to maintain a certain position, and helps you open orders with a volume larger than your balance would allow otherwise. It is important to note that the higher the volume of your order, the more you gain or lose for each pip.
Let's say, you have a trading account with 500 USD and a 1:500 leverage applied. You decide to open a position for 1 lot (100,000 units) on EUR/USD, when the price is at 1.13415. The required margin for this position is 226.83 USD, almost half of your funds. Each pip movement is then worth 10 USD. Therefore, the price only needs to drop to 1.13145 for you to lose nearly all of the money in your account. If you open a position for 0.5 lots, each pip will cost you only 5 USD. In this case, if the price falls to 1.13145, your loss will amount 135 USD.
This should be taken into account when making a trading decision and evaluating the potential risk of an adverse price fluctuation.
Predict the price movement
As a beginner, you can simply track the general direction of the price on the chart and open Buy orders when it goes up or Sell orders when it goes down. This may not get you a guaranteed profit every time, however, it is a good start for developing your strategy.
If you have little to no experience, it's better to avoid trading during major news releases, as the market tends to be highly volatile. Two more advanced methods of price prediction are technical analysis and fundamental analysis. Basic risk management techniques may also prove beneficial in reducing losses.
Make a profit
There are many strategies that allow you to profit from currency price fluctuations, for example, scalping, martingale, hedging, news trading, and many others. Read our article to find a detailed description of the most common strategies and choose the best one for you.
Close an order
Your order profit fluctuates depending on the current market price until the moment you close it. If you feel like you’ve gained substantial profit, open the Trade tab on your platform, find the open position, press on it to open a context menu, and select Close order.
Before you start
There are certain concepts and terms that are essential to get familiar with. We’ve covered them in the How to Trade Forex article. You can also explore our Education section. It'll help you expand your knowledge about the market in general and our services in particular. If you feel like practising with virtual funds before switching to real trading, you can open an OctaFX demo account.
Explainer: रुपये में ग्लोबल ट्रेड की मंजूरी से क्या डॉलर के दबदबे पर कोई फर्क पड़ेगा? भारत को कैसे होगा फायदा
Rupees vs Dollar: RBI का कहना है कि ग्लोबल ट्रेड ग्रोथ में भारत से एक्सपोर्ट को प्रमोट करने और ग्लोबल कारोबारी कम्युनिटी का रुपये में बढ़ते इंटरेस्ट को सपोर्ट करने के लिए यह कदम उठाया गया है.
रिजर्व बैंक रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए मैकेनिज्म लेकर आया है. (Representational Image)
RBI big move on Indian Rupees: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए रुपये में विदेशी व्यापार करने की इजाजत दे दी है. रिजर्व बैंक रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए मैकेनिज्म लेकर आया है, जिसके तहत अब एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा. RBI ने नोटिफिकेशन जारी कर इसकी डीटेल जानकारी दी है. आरबीआई का कहना है कि ग्लोबल ट्रेड ग्रोथ में भारत से एक्सपोर्ट को प्रमोट करने और ग्लोबल कारोबारी कम्युनिटी का रुपये में बढ़ते इंटरेस्ट को सपोर्ट करने के ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं? लिए यह कदम उठाया गया है. रिजर्व बैंक के इस कदम के बाद अहम सवाल यह भी है कि क्या रुपये में विदेशी व्यापार की मंजूरी का अमेरिकी डॉलर की पोजिशन पर कुछ फर्क पड़ेगा? साथ ही इस कदम से भारत के ट्रेड को कैसे फायदा होगा.
बना रहेगा डॉलर का दबदबा
आनंद राठी सिक्युरिटीज के चीफ इकोनॉमिस्ट सुजान हजरा का कहना है, रिजर्व बैंक के इस कदम से नियर टर्म में भारत को फॉरेन एक्सचेंज की कमी झेल रहे कई इमर्जिंग देशों के साथ व्यापार करने में सहूलियत होगी. साथ ही यह उस प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपये को एक महत्वपूर्ण करेंसी बनाने की कोशिश कर रहा है. जहां तक बात डॉलर के दबदबे को लेकर है, तो इस कदम से हाल-फिलहाल फॉरेन ट्रेड के लिए प्रमुख करेंसी के रूप में अमेरिकी डॉलर की पोजिशन में कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है.
उनका कहना है, यह कदम ट्रेड पार्टनर्स के बीच भारतीय रुपये की स्वीकार्यता बढ़ाने की प्रक्रिया का हिस्सा है. हाल के दिनों में हमने चीन की ओर से अपनी करेंसी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा स्वीकार्य बनाने के लिए अलग-अलग उपायों को देखा है. इस तरह की पहल के जरिए भारत भी यही कोशिश कर रहा है.
HDFC बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरूआ का कहना है, रुपये को इंटरनेशल ट्रेड सेटलमेंट की मंजूरी से डॉलर की पोजिशन पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. भारतीय रुपये में अभी इतनी ताकत नहीं है कि वह इंटरनेशनल पेमेंट को ज्यादा प्रभावित कर सके. इससे पहले, चीन ने भी यह कोशिश की है, लेकिन वो भी बहुत सफल नहीं हुआ.
बरूआ का कहना है, यूरो जैसी मजबूत करेंसी में भी इंटरनेशनल ट्रेड की ज्यादा बिलिंग अभी नहीं होती है. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि इसका ज्यादा फर्क पड़ेगा. इस मूव का फायदा यह होगा कि हम रूस और कुछ अन्य ट्रेड पार्टनर के साथ घरेलू करेंसी में ट्रेड कर सकेंगे. इसे हमें डॉलर डॉमिनेंस से नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि इसका कोई असर नहीं होगा.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
RBI के इस मैकेनिज्म से भारत को क्या लाभ?
सुजान हजरा कहते हैं, हाल के समय में कुछ इमर्जिंग मार्केट फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व की कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में इन देशों के साथ भारत का व्यापार प्रभावित हो सकता है. आरबीआई की ओर से रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट को मंजूरी दिए जाने से कुछ हद तक स्थिति में बदलाव आ सकता है. बायलेटरल ट्रेड बैलेंस के नेट सेटलमेंट का एक मैकेनिज्म आने वाले समय में इस प्रक्रिया को और सुविधाजनक बना सकता है. उनका कहना है, रुपये में इनवॉयस और पेमेंट से ट्रांजैक्शन कॉस्ट और फॉरेन करेंसी में ट्रांजैक्शन से जुड़े मार्केट रिस्क भी कम होंगे.
अभीक बरूआ का कहना है, आरबीआई के इस कदम से कई सारे देशों के साथ ट्रेड भारतीय करेंसी में हो सकते हैं. जैसे, अभी रूस में डॉलर पेमेंट पर रोक लगी है. ऐसे में अगर रुपये में सेटलमेंट शुरू होता है, तो इस तरह के रिस्क वाले काफी ट्रेड आसानी से हो सकते हैं. इस मैकेनिज्म के बाद भारत- रूस के साथ ट्रेड सेटलमेंट में दिक्कत नहीं होगी.
क्या है RBI का मैकेनिज्म?
RBI के नोटिफिकेशन के मुताबिक, रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए ऑथराइज्ड डीलर (AD) को RBI से अनुमति लेनी होगी. विदेशी मुद्रा अधिनियम कानून 1999 के तहत रुपये में इनवॉयस की व्यवस्था होगी. जिस देश के साथ कारोबार होगा, उसकी मुद्रा और रुपये की कीमत बाजार आधारित होगी.
नोटिफिकेशन के मुताबिक, रुपये में भी सेटलमेंट के नियम दूसरी करेंसीज की तरह ही होंगे. एक्सपोर्टर्स को रुपये की कीमत में मिले इनवॉयस के बदले एडवांस भी मिल सकेगा. वहीं, कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी FEMA (Foreign Exchange Management Act- 1999) के तहत कवर होंगे. नोटिफिकेशन के मुताबिक, ट्रेड सेटलमेंट के लिए संबंधित बैंकों को पार्टनर कारोबारी देश के AD बैंक के स्पेशल रुपया वोस्ट्रो (VOSTRO) अकाउंट की जरूरत होगी.
Insider Trading: आखिर क्या है इनसाइडर ट्रेडिंग, जिसमें फंसे हैं कई मशहूर बिजनेसमैन, जानिए अब तक के बड़े मामले
Insider Trading: अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो आपको इससे जुड़े नियम-कानूनों को अच्छें से जान लेना चाहिए. स्टॉक मार्केट में आपने की बार इनसाइडर ट्रेडिंग शब्द सुना होगा, पर क्या आपको इसकी पूरी जानकारी है.
Insider Trading (Photo: Wikimedia)
- नई दिल्ली ,
- 26 जुलाई 2022,
- (Updated 26 जुलाई 2022, 11:20 AM IST)
पिछले कुछ सालों में बढ़े हैं इनसाइडर ट्रेडिंग के मामले
राकेश झुनझुनवाला भी फंसे हैं इनसाइडर ट्रेडिंग के मामले में
हाल ही में, कई मामलों में बहुत से लोगों पर Insider Trading (इनसाइडर ट्रेडिंग) का आरोप लगाया गया है. जिसमें उन्होंने अवैध लाभ में पांच मिलियन डॉलर से अधिक कमाए हैं. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने ल्यूमेंटम होल्डिंग्स के पूर्व मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी 49 वर्षीय अमित भारद्वाज और उनके दोस्तों, धीरेनकुमार पटेल (50), श्रीनिवास कक्करा (47), अब्बास सईदी (47) और रमेश चित्तोर (45) पर आरोप लगाए ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं? हैं.
एसईसी का आरोप है कि कैलिफोर्निया में रहने वाले इन लोगों ने ल्यूमेंटम द्वारा दो कॉर्पोरेट अधिग्रहण घोषणाओं से पहले ट्रेडिंग की और 5.2 मिलियन अमरीकी डॉलर से ज्यादा अवैध फायदा कमाया. अब सवाल है कि आखिर Insider Trading या भेदिया कारोबार क्या है.
क्या है इनाइडर ट्रेडिंग
इनसाइडर ट्रेडिंग को इनसाइडर डीलिंग के रूप में भी जाना जाता है. जब कंपनी के कर्मचारी अवैध तरीके से कंपनी के शयर्स की खरीद-बिक्री करके मुनाफा कमाते हैं, तो इसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहते हैं. यह खासकर कंपनी की किसी गोपनीय जानकारी के आधार पर किया जाता है और कर्मचारियों के पता होता है कि आने वाले समय में कंपनी के शेयर्स के दाम बढ़ेंगे.
उदहारण के लिए, आपकी कंपनी का किसी दूसरी कंपनी के साथ मर्जर होने वाला है या कंपनी अपने शेयर्य गिरवी रखकर लोन लेती है. और इस तरह की गोपनीय जानकारी की खबर प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों को होती है. अगर ये अधिकारी डील को अनाउंस होने से पहले ही अपने किसी करीबी के नाम से कंपनी के शेयर खरीद ले ताकि मर्जर के बाद जब शेयर्स के दाम बढ़े तो इन्हें बेचकर वह अच्छा मुनाफा कमा सकता है.
हालांकि, प्रमोटर शेयर की खरीद SEBI के दिशा-निर्देशों के मुताबिक करता है तो यह गलत नहीं है. लेकिन गलत तरीकों से की गई खरीद और बिक्री के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होती है.
सामने आए हैं कई बड़े मामले
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI ने अप्रैल 2017 से अब तक कुल 177 - एक साल में औसतन लगभग 38 इनसाइडर ट्रेडिंग मामलों की जांच की है. इन मामलों में इंडस्ट्री से जुड़े कुछ मशहूर लोग भी शामिल हैं. इनमें सन फार्मा के दिलीप शांघवी और इसके कुछ निदेशकों, किरण मजूमदार-शॉ, राकेश झुनझुनवाला, भारती एयरटेल की प्रमोटर फर्म इंडियन कॉन्टिनेंट इनवेस्टमेंट जैसे नाम शामिल हैं.
राकेश अग्रवाल बनाम सेबी
साल 1996 में, ABS इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, राकेश अग्रवाल ने एक जर्मन व्यवसाय, बेयर एजी के साथ एक समझौते किया था. जर्मन कंपनी, ABS इंडस्ट्रीज लिमिटेड के 51% शेयरों को खरीदने वाली थी. यूपीएसआई द्वारा अधिग्रहण की घोषणा के बाद, अग्रवाल ने अपने एबीएस इंडस्ट्रीज के स्वामित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बेच दिया, जिसका स्वामित्व उसके बहनोई, आई.पी. केडिया के पास था. इस मामले में सेबी ने माना कि राकेश अग्रवाल इनसाइडर ट्रेडिंग के दोषी थे.
हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड बनाम सेबी
हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड ("एचएलएल") ने सार्वजनिक निवेश संस्थान, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया ("यूटीआई") से ब्रुक बॉन्ड लिप्टन इंडिया लिमिटेड ("बीबीएलआईएल") के विलय की सार्वजनिक घोषणा से दो सप्ताह पहले बीबीएलआईएल 8 लाख शेयर खरीदे. सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग का संदेह करते हुए, अध्यक्ष, सभी कार्यकारी निदेशकों, कंपनी सचिव और एचएलएल के तत्कालीन अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस ("एससीएन") जारी किया था.
राकेश झुनझुनवाला बनाम सेबी
सेबी ने मशहूर इकोनोमिस्ट राकेश झुनझुनवाला को भी इनसाइडर ट्रेडिंग के मामले में नोटिस भेजा था. नोटिस के अनुसार, राकेश झुनझुनवाला ने एप्टेक एजुकेशन और ट्रेनिंग कंपनी के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग किया था. यह कंपनी झुनझुनवाला और उनके परिवार की है. सेबी के अनुसार राकेश झुनझुनवाला ने साल 2006 में एप्टेक कंपनी के शेयर 56 रूपये पर खरीदे थे. उसके बाद से कंपनी में उनके और उनके परिवार के लोगों का हिस्सेदारी बढ़कर 49 प्रतिशत हो गया है.
हाल ही में, राकेश झुनझुनवाला, उनकी पत्नी रेखा और आठ अन्य लोगों ने एप्टेक के स्टॉक से जुड़े इस इनसाइडर ट्रेडिंग मामले को सेबी को सामूहिक रूप से 37 करोड़ रुपये का भुगतान करके सुलझाया है.
1 दिन में मिल सकता है बंपर रिटर्न, जानें बाजार में इंट्राडे कमाई के फंडे
Intraday Trading: शेयर बाजार में 1 दिन की ट्रेडिंग में भी हो सकती है बंपर कमाई
Intraday Trading: शेयर बाजार में 1 दिन की ट्रेडिंग में भी हो सकती है बंपर कमाई
Intraday Trading: शेयर बाजार की बात आती है तो अमूमन यही खयाल आता है कि बाजार में पैसा लगाकर लंबा इंतजार करना होगा. तभी बेहतर मुनाफा हो सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है. बाजार निवेशकों को 1 दिन में भी बंपर मुनाफा कमाने का मौका देता है. बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहते हैं. इसमें सुबह पैसा लगाकर दोपहर तक अच्छी कमाई की जा सकती है. यहां शेयर खरीदा तो जाता है लेकिन उसका मकसद निवेश करना नहीं, बल्कि एक दिन में उसमें होने वाली बढ़त से मुनाफा कमाना होता है. ध्यान रहे कि इसमें जरूरी नहीं है कि आपको फायदा ही हो.
कैसे कर सकते हैं Intraday ट्रेड
अगर शेयर बाजार में डे-ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसके लिए ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं? पहले ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं? आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होता है. इस अकाउंट में आप या तो ब्रोकर को फोन पर ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं या ऑनलाइन भी खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं.
कैसे चुनें सही स्टॉक
#सिर्फ लिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग करें, 2 या 3 ऐसे स्टॉक चुन सकते हैं.
#वोलेटाइल स्टॉक से दूर रहें
#अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों में करें खरीददारी
#शेयर का चुनाव करने के पहले बाजार का ट्रेंड जरूर देख लें, मार्केट के ट्रेंड के खिलाफ न जाएं.
#रिसर्च के बाद जिन शेयरों को लेकर कांफिडेंट हैं, उनमें निवेश करें
#शेयर खरीदने के पहले यह तय करें कि किस भाव में खरीदना है और उसका लक्ष्य कितना है. स्टॉप लॉस जरूर लगाएं.
#जैसे ही लक्ष्य पूरा हो, प्रॉफिट बुकिंग करें.
Stocks in News: Paytm, Bajaj Finance, Nykaa, IOC समेत इन शेयरों पर रखें नजर, इंट्राडे में दिखेगा एक्शन
Stocks to Buy: सिर्फ 30 दिन के लिए बाजार में लगाएं पैसा, मिल सकता है 27% तक रिटर्न, लिस्ट में ये 4 शेयर
Dharmaj Crop Guard: IPO खुलते ही ग्रे मार्केट में शेयर का बढ़ा क्रेज, ब्रोकरेज ने दी Subscribe रेटिंग, क्यों है फायदे का सौदा
Nifty: नया हाई छूने में लगे 13 महीने, इन शेयरों के दम पर बनाया रिकॉर्ड, निवेशकों को 500% तक दिए रिटर्न
कितने पैसों की पड़ती है जरूरत
इंट्रा डे में आप किसी शेयर में कितनी भी रकम लगा सकते हें. शेयर बाजार में नियम है कि जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उस दिन पूरा पैसा नहीं देना होता है. नियम के तहत जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उसके 2 ट्रेडिंग दिनों के बाद पूरा भुगतान करना होता है. फिर भी आपको शेयर के भाव का शुरू में 30 फीसदी रकम निवेश करना होता है.
कैसे मिलता है फायदा
इसका उदाहरण 6 मार्च 2019 यानी बुधवार को शेयर बाजार में होने वाली ट्रेडिंग से ले सकते हैं. दीवान हाउसिंग फाइनेेंस कॉरपोरेशन (DHFL) के शेयरों में निवेश करने वालों के लिए बुधवार का दिन बेहतर साबित हुआ. बुधवार को पॉजिटिव सेंटीमेंट जुड़ने के बाद कंपनी के शेयर में 20 फीसदी तक तेजी आई है.
DHFL का शेयर मंगलवार को 134 रुपये के भाव पर बंद हुआ था. वहीं बुधवार को यह 147.40 के भाव पर खुला और कुछ देर में ही 160 रुपये के भाव पर पहुंच गया. यानी प्रति शेयर 26 रुपये का फायदा हुआ. इस लिहाज से अगर किसी ने 50 हजार रुपये लगाए होंगे तो उसकी रकम बढ़कर 60 हजार रुपये हो गई. कुछ घंटों में ही 10 हजार रुपये का फायदा.
जानकारों की राय
एक्सपर्ट के अनुसार हालांकि शेयर बाजार का अधिकांश कारोबार डे ट्रेडिंग का ही होता है, लेकिन फिर भी सावधानी के साथ कारोबार करना चाहिए. शेयर का चुनाव करने के पहले बाजार का ट्रेंड जरूर देखना चाहिए. मार्केट के ट्रेंड के खिलाफ न जाएं. शेयर खरीदने के पहले यह तय करें कि किस भाव में खरीदना है और उसका लक्ष्य कितना है. स्टॉप लॉस जरूर लगाएं.
(Discliamer: हम यहां इंट्राडे कारोबार के बारे में जानकारी दे रहे हैं, न कि निवेश की सलाह. शेयर बाजार के अपने जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.)
Get Business News in Hindi, latest India News in Hindi, and other breaking news on share market, investment scheme and much more on Financial Express Hindi. Like us on Facebook, Follow us on Twitter for latest financial news and share market updates.
Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए
Crypto Trading : क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है और निवेश को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्शन कोड का इस्तेमाल करती है. आप अपने क्रिप्टो टोकन या तो सीधे बायर को बेच सकते हैं या फिर ज्यादा सुरक्षित रहते हुए एक्सचेंज पर ट्रेडिंग कर सकते हैं.
Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.
यह भी पढ़ें
अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.
क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर किया जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?
इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.
कौन कर सकता है ट्रेडिंग?
ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.
यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?
यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 499