Gujarat Election Winners List: गुजरात में बीजेपी की एतिहासिक जीत, ये है राज्य के सभी 182 विनर्स की लिस्ट
ऑस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ ट्रेड डील को दी मंजूरी, जानिए भारतीय व्यापार को क्या फायदा होगा?
India-Australia Trade अपने जीतने वाले ट्रेडों से कैसे जानें deal: ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीस ने मंगलवार को घोषणा की है, कि भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को ऑस्ट्रेलिया संसद में पारित कर दिया गया है। यानि, अब ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच व्यापार को लेकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होने का रास्ता साफ हो गया है, जिसका मतलब ये हुआ, कि भारत और ऑस्ट्रेलिया अब अहम व्यापारिक साझेदार बन गये हैं। ऑस्ट्रेलियाई संसद में कानून पास होने के बाद अब भारतीय व्यापार को ऑस्ट्रेलिया में जबरदस्त फायदा होने की संभावना बन गई है और ऑस्ट्रेलिया ने भारत के साथ किया गया अपना वादा पूरा कर लिया है।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर संसद में कानून पारित होने की घोषणा उस वक्त की है, जब वो अगले साल मार्च महीने में भारत के दौरे पर आने वाले हैं। उन्होंने इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी और भारत के साथ ट्रेड एग्रीमेंट के जल्द पारित होने की घोषणा की थी। ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री ने कहा कि, "मैंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की, जहां हमने ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच घनिष्ठ आर्थिक सहयोग समझौते को अंतिम रूप देने पर चर्चा की थी, जिसे हम ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच आर्थिक संबंधों के विस्तार के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। मैं मार्च में भारत का दौरा करूंगा।" उन्होंने कहा कि, "हम भारत में एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल लेकर जाएंगे। और यह एक महत्वपूर्ण यात्रा होगी और हमारे दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार होगा।"
ऑस्ट्रेलिया को क्या फायदा होगा?
पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलियाई व्यापार मंत्री डॉन फैरेल ने कहा था कि, भारत के साथ व्यापार समझौता ऑस्ट्रेलियाई सर्विस कंपनियों और ऑस्ट्रेलियाई प्रोफेशनल्स के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश करने का एक बड़ा अवसर बनाएगा। फैरेल ने कहा कि, "इस समझौते की गुणवत्ता, बाजार पहुंच और ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायों के अवसर के संदर्भ में हमारी द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।" उन्होंने कहा कि "भारत के साथ हुए इस समझौते से खाद्य और कृषि, टेक्नोलॉजी और ग्रीन एनर्जी से लेकर हेल्थ और शिक्षा सेवाओं तक, कई क्षेत्रों में ऑस्ट्रेलियाई व्यापार के लिए अद्वितीय विकास अवसर प्रस्तुत करता है।" आपको बता दें कि, ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) पर 2 अप्रैल को हस्ताक्षर किए गए थे। ऑस्ट्रेलियाई सरकार के मुताबिक, दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में ऑस्ट्रेलिया की पैठ को सुरक्षित करेगा और ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायों को लगभग डेढ़ अरब उपभोक्ताओं के बाजार में अपने संचालन को अनलॉक या विस्तारित करने की क्षमता देगा।
FTA से भारत को क्या फायदा होगा?
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच किए गये व्यापारिक समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया भारत को कपड़ा, चमड़ा, आभूषण और खेल उत्पादों जैसे 95 प्रतिशत से अधिक भारतीय सामानों के लिए अपने बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच प्रदान करेगा। अप्रैल महीने में भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई व्यापार, पर्यटन और निवेश मंत्री डैन तेहान ने एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए थे। इस व्यापार समझौते को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक क्षण बताया था। इस समझौते से अगले पांच वर्षों में दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय व्यापार को 27 अरब डॉलर से बढ़ाकर 45-50 अरब डॉलर करने में मदद मिलेगी। ऑस्ट्रेलिया पहले दिन से लगभग 96.4 प्रतिशत निर्यात (मूल्य के आधार पर) के लिए भारत को जीरो ड्यूटी एक्सेस की पेशकश कर रहा है। इसमें कई उत्पाद शामिल हैं जिन पर वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में 4-5 प्रतिशत सीमा शुल्क लगता है। लेकिन, अब ये शुल्क माफ हो जाएगा, जिससे ऑस्ट्रेलियन बाजार में भारतीय सामान काफी सस्ते हो जाएंगे और प्रतिद्वंदियों से मुकाबले के काबिल हो जाएंगे।
कैसे अपने अगले नौकरी साक्षात्कार में सफल होने के लिए
एक नौकरी साक्षात्कार आप और नियोक्ता के बीच एक वार्तालाप है. एक साक्षात्कार के दौरान नियोक्ता आप कई अतीत में अपने काम के अनुभव के बारे में सवाल करेंगे, अपनी शिक्षा और लक्ष्य.
साक्षात्कार के दौरान आप एक अच्छा प्रभाव बनाने के लिए चाहते हैं जाएगा. इसका मतलब यह है कि आप नियोक्ता बताते हैं कि आप इस काम के लिए एक अच्छे व्यक्ति हैं और बहुत दोस्ताना हो करने के लिए प्रयास करना चाहिए.
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साक्षात्कार से पहले, कंपनी के बारे में आप जितना जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. गूगल और लिंक्डइन पर सर्च करें इन सवालों के जवाब:
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Gujarat Election Result 2022: गुजरात में कांग्रेस को नेता विपक्ष का पद मिलना भी मुश्किल, पहले कभी नहीं था इतना बुरा हाल!
मल्लिकार्जुन खड़गे को 2014 में कांग्रेस संसदीय दल के नेता के तौर पर नेता विपक्ष का पद नहीं मिल सका था. 2019 में भी कांग्रेस यह पद हासिल नहीं कर सकी. (File Photo)
Congress may not get LOP Post in Gujarat: गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की एतिहासिक जीत ने प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का ऐसा बुरा हाल कर दिया है, जैसा पहले कभी देखने को नहीं मिला. 27 साल से राज्य की सत्ता से बेदखल कांग्रेस के लिए इस बार तो नेता विपक्ष का पद मिलना तक संभव नहीं रह गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार 17 सीटों तक सिमटती नजर आ रही है. अंतिम परिणाम आने तक अगर यही आंकड़े बने रहे जो अभी हैं, तो गुजरात विधानसभा में नेता विपक्ष (Leader of Opposition) का पद खाली ही रह जाएगा.
नेता विपक्ष के पद के लिए कितनी सीटें चाहिए?
दरअसल, संसद या विधानसभा में नेता विपक्ष का पद उसी दल के लीडर को मिल सकता है, जिसके सदस्यों की संख्या उस सदन की कुल संख्या के कम से कम 10 फीसदी के बराबर हो. गुजरात विधानसभा में कुल 182 विधायक होते हैं. इस हिसाब से नेता विपक्ष का पद हासिल करने के लिए कांग्रेस के पास कम से कम 19 विधायक होने चाहिए, जो उसके पास नहीं हैं. सदन में नेता विपक्ष को कैबिनेट मंत्री के बराबर का दर्जा और सुविधाएं दी जाती हैं. साथ ही, विधानसभा में बैठने के लिए विपक्ष की कतार में सबसे आगे की सीट भी अलॉट की जाती है. वैसे कांग्रेस को ऐसी हालत का सामना पहली बार नहीं करना पड़ रहा है. गुजरात में तो नहीं, लेकिन देश की संसद में कांग्रेस को पिछले दो चुनावों से ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ रहा है. पहले 2014 और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के इतने सांसद चुनकर नहीं आ सके कि नेता विपक्ष का पद उसे दिया जा सके.
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ यही हुआ
सबसे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ 44 सांसद चुनकर आए, जबकि लोकसभा में कुल 543 सदस्य होते हैं. यानी नेता विपक्ष का पद हासिल करने के लिए 55 सांसद होने चाहिए थे, जो कांग्रेस के पास नहीं थे. उस वक्त लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नियमों का हवाला देते हुए सदन में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता विपक्ष का पद देने से इनकार कर दिया था. संसद में नेता विपक्ष का न होना सिर्फ कांग्रेस के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिहाज से भी नुकसानदेह था, क्योंकि नेता विपक्ष को कई संवैधानिक पदों पर नियुक्ति के बनाए जाने वाले पैनल में शामिल होकर अहम भूमिका निभानी होती है. यही वजह है कि कांग्रेस अपने नेता को यह दर्जा दिए जाने की मांग करती रही. लेकिन उसे यह पद नहीं मिल सका. मोदी सरकार ने संवैधानिक नियुक्तियों के लिए बनाए जाने वाले पैनल में खड़गे को विशेष आमंत्रित के तौर पर बुला लिया, लेकिन सदस्य नहीं बनाया. खड़गे इसका विरोध करते हुए बैठकों में नहीं गए. अब उन्हीं खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए गुजरात में पार्टी को नेता विपक्ष का पद नहीं मिलने की हालत पैदा हो गई है.
पैसा कमाने की मशीन हैं रोहित शेट्टी, देखिए कैसे करते हैं दर्शकों पर जादू
इस संसार में भांति-भांति के लोग होते हैं। कुछ योग्यता के बल पर चमकते हैं, कुछ अवसर के बल पर और कुछ बस भाग्य के सहारे चमक लेते हैं। कुछ तो ऐसे भी होते हैं जिनके लिए न बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया होता है। ये किसी के लिए न थमते हैं, न किसी की सुनते हैं, बस अपनी धुन में चलते हैं, क्योंकि पैसा बोलता है और रोहित शेट्टी से बढ़िया तो इस बात को कोई नहीं समझा सकता।
सब पैसों का मामला है
हाल ही में अभी सर्कस नामक फिल्म का ट्रेलर आया जिस पर लोगों ने खूब रिएक्शन दिए और तुरंत रिएक्शंस की बाढ़ सी आ गई।
ओफ्फो, फिर एक रीमेक!
रणवीर सिंह, फिर नहीं!
बॉलीवुड ओरिजिनल कब होगा?
कॉमेडी कहां है?
लॉजिक, वो क्या होता है?
अच्छा जी, हमें तो जैसे कुछ पता ही नहीं था, परंतु क्या रोहित शेट्टी यही सोचकर यह फिल्म बनाए थे? शेरलॉक में एक बहुत ही प्रसिद्ध संवाद है, “सेन्टीमेन्ट इज अ केमिकल डिफेक्ट फाउंड इन द लूज़िंग साइड”, अर्थात भावुकता केवल पराजित लोगों को ही शोभा देती है। ऐसा क्यों? असल में रोहित शेट्टी अपने जीतने वाले ट्रेडों से कैसे जानें भली भांति जानते हैं कि जनता क्या चाहती है क्योंकि यदि वे केवल क्रिटिक्स या तर्क पर ध्यान देते तो लक्ष्मी जी इन पर इतनी कृपा नहीं बरसाती।
पहली सफलता गोलमाल
वो कैसे? इनके सबसे पहली सफलता गोलमाल से ही देख लीजिए। इन्होंने ऐसे लोगों का साथ लिया जो इनके स्क्रिप्ट के साथ न्याय कर सकें। कलाकार ऐसे चुने थे इन्होंने जो इस फिल्म को अलग ही स्तर पर ले जाएं और लेखक, लेखक ठहरे नीरज वोरा जो केवल चलते फिरते मीम नहीं थे, उनके कलम से भी ऐसे दमदार स्क्रिप्ट्स निकले कि आज भी उन्हें देखकर आप पेट पकड़ पकड़कर हंसेंगे। गोलमाल के लगभग हर संवाद का एक न एक मीम तो आसानी बन जाएगा। अब ऐसे में बॉलीवुड के आकाओं को लगा जैसे रोहित के बच्चे का कुछ करना पड़ेगा।
परंतु हो कुछ नहीं पाया, क्योंकि धनबल भी कोई वस्तु है भैया जिसके आगे सब फेल है, स्टारडम भी। यदि स्टार पावर कुछ होती तो शाहरुख खान कभी रोहित शेट्टी के मुंह भी नहीं लगते, उनके साथ दो-दो फिल्म बनाना तो दूर की बात। परंतु वो क्या है न कि जब बुरा समय आता है तो साम, दाम, दंड, भेद सब अपनाना पड़ता है। आपको क्या लगता है, चेन्नई एक्सप्रेस और दिलवाले शाहरुख खान को उनके स्टारडम से मिली? नहीं, रोहित शेट्टी के धनोपार्जन की विशेष कला से शाहरुख खान तक आकर्षित हो गए, वो अलग बात है कि दिलवाले को मुंह की खानी पड़ी।
रोहित शेट्टी के विचारों पर बात
अब आप कहेंगे कि रोहित शेट्टी तो हिन्दू विरोधी हैं, उन्होंने कई हिन्दू विरोधी प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा दिया है। सत्य के अनेक रूप होते हैं, अंतर इस बात से पड़ता है कि आपने कौन सा पक्ष किसके मुख से सुना है। अब यही रोहित शेट्टी किसी को हिन्दू विरोधी लगता होगा, पर कोई ये नहीं देखेगा कि सूर्यवंशी और मूल गोलमाल में इन्होंने नकारात्मक किरदारों का नाम ही अलग दिया था।
इसी प्रवृत्ति पर रोहित शेट्टी ने स्वयं आक्रामक होते हुए पिछले वर्ष बात उठाई थी। सूर्यवंशी की सफलता के पश्चात जब इस फिल्म में मुस्लिमों के कथित ‘नकारात्मक चित्रण’ को लेकर द क्विंट की पत्रकार अबीरा धार ने रोहित शेट्टी को घेरने का प्रयास किया, तो रोहित शेट्टी ने उन्हीं के तर्क का प्रयोग करते हुए कहा, “सिंघम में जयकांत शिकरे तो मराठी था, एक हिन्दू. उसके सीक्वेल में एक हिन्दू बाबा विलेन था. सिम्बा में भी दुर्वा रानाडे महाराष्ट्र का ब्राह्मण था. ये तीनों नकारात्मक शक्तियां हिन्दू थी, तब आपको कोई समस्या नहीं हुई, तो अब क्यों?”–
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