रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 तक सभी बैंकों का शिक्षा ऋण बकाया मिलाकर कुल 78,823 करोड़ रुपये था जो 25 मार्च 2022 तक बढ़कर 82,723 करोड़ रुपये हो गया। रिसर्जेंट इंडिया में प्रबंध निदेशक ज्योति प्रकाश गादिया ने बताया कि कॉलेजों से निकलने वाले स्नातकों की संख्या नए रोजगार सृजन की तुलना में कहीं अधिक है जिसकी वजह से शिक्षा ऋणों का समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा है।

Modi RTI Vishesh Series

Profit-Loss and Discount MCQ (लाभ-हानि एवं बट्टा)

2. एक व्यापारी ने ₹ 120 प्रति भेड़ की दर से 60 भेड़ खरीदा। उसने उनमें से 40 भेड़ को ₹ 150 प्रति भेड़ की दर से बेच दिया। इनमें से 10 मर गये, तो शेष भेड़ का विक्रय मूल्य क्या होगा। यदि वह ₹ 800 का लाभ कमाना चाहता हे?

Answer is B

3. एक पेंसिल का क्रय मूल्य, उसके विक्रय मूल्य का 4 गुना है, तो विक्रेता को कितने प्रतिशत लाभ अथवा हानि होगी?

  1. 25% की हानि
  2. 50% की हानि
  3. 75% की हानि
  4. 125% की हानि

Answer is C

4. यदि एक वस्तु का क्रय मूल्य, विक्रय मूल्य का 80% है, तो विक्रय मूल्य, क्रय मूल्य का कितना प्रतिशत है?

Answer is C

5. एक वस्तु के क्रय मूल्य का 80%, उसके विक्रय मूल्य के 60% के बराबर है। तो क्रय मूल्य और विक्रय मूल्य का अनुपात बताइये।

Discount

1. 10%, 20% तथा 25% के क्रमिक बड्डो के समतुल्य बद्टा है।

Answer is A

2. एक दुकान ₹ 800 अंकित मूल्य वाली एक कुर्सी को 10% तथा 15% के क्रमवार बड्टो पर खरीदा। वह कुर्सी को लाने में ₹ 28 खर्च किया और ₹ 800 में कुर्सी बेच दिया। उसका प्रतिशत लाभ है।

Answer is C

3. ₹ 15000 के एक बिल पर 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं 50% का एक एकल छूट तथा 30% और | 29% की क्रमागत बड्डे में कितने रूपये का अन्तर होगा?

Answer is C

4. एक वस्तु का उत्पादन मूल्य ₹ 900 था। एक व्यापारी 10% की छूट देने के बाद 25% का लाभ चाहता है। अंकित मूल्य होगा-

  1. ₹ 1500
  2. ₹ 1250
  3. ₹ 1200
  4. ₹ 1000

Answer is B

5. एक कॉलेज की लाइब्रेरी को ₹ 5000 से अधिक की पुस्तकें खरीदने पर 15% बट्टा मिलता है। नकद पैसा देने पर लाइब्रेरी को 5% का अतिरिक्त बट्टा मिलता है। यदि ₹ 8000 की पुस्तकें नकद में खरीदी गई, तो उनके लिए लाइब्रेरी को कितना नकद पैसा देना पड़ेगा?

नोटबंदी के दौरान लाई गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के पैसे का क्या हुआ, सरकार को नहीं पता

Modi 2

नई दिल्ली: सोचिए. अगर भारत में गरीब न होते तो क्या होता? कुछ होता या न होता लेकिन इतना तो तय था कि हमारी राजनीति काफी नीरस हो जाती. ये गरीब ही हैं, जिनकी वजह से भारत की राजनीति इतनी दिलचस्प बनी हुई है.

चाहे वो इंदिरा गांधी का गरीबी हटाओ का नारा हो या मनमोहन सिंह का मनरेगा हो या फिर नरेंद्र मोदी द्वारा शुरु की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना हो. गरीब ही हैं जो पिछले 70 सालों से भारतीय राजनीति की लहलहाती फसल को खाद-पानी मुहैया कराते आ रहे हैं.

आठ नवंबर 2016, भारतीय राजनीतिक इतिहास का एक ऐसा दिन, जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सकेगा. इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विमुद्रीकरण (नोटबंदी) की घोषणा की थी. ये आर्थिक घटना, आर्थिक आपदा साबित हुई या आर्थिक रूप से गेमचेंजर बनी, इसका लेखाजोखा इतिहास के पन्नों में जब किया जाएगा, तब किया जाएगा.

Education Loan: एजुकेशन लोन देने में बैंक क्यों कर रहे हैं आना-कानी? लेटलतीफी से छात्रों के छूट रहे हैं पसीने

Sachin Chaturvedi

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: September 25, 2022 18:43 IST

Education loan- India TV Hindi

Photo:FILE Education loan

Education Loan: एजुकेशन लोन ने पहले से ही बढ़ते एनपीए से परेशान देश के बैंकों की टेंशन को और बढ़ा दिया है। एजुकेशन लोन की वापसी में बैकों के पसीने छूट रही है। बैंकों की टेंशन की गवाही हाल में आए एनपीए के 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं आंकड़े बयां कर रहे हैं। एजुकेशन लोन पोर्टफोलियो में चूक की दर करीब आठ प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। इस ऊंची दर को देखते हुए बैंक अब सतर्क हो गए हैं और इस तरह के कर्ज की मंजूरी में विशेष सावधानी बरत रहे हैं।

बैंकों की सख्ती से छात्रों की बढ़ी परेशानी

सरकारी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उच्च एनपीए की वजह से शिक्षा कर्ज की मंजूरी देने में शाखाओं के स्तर पर सतर्कता भरा रवैया अपनाया जा रहा है। इसकी वजह से वास्तविक मामले नजरंदाज हो जाते हैं और इनमें विलंब भी होता है। वित्त मंत्रालय ने शिक्षा ऋण पोर्टफोलियो का जायजा लेने के लिए हाल में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की बैठक बुलाई थी।

आरबीआई के एक पत्र में कहा गया कि भारत में वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिए गए शिक्षा कर्ज के एनपीए में हाल के वर्षों में तेज वृद्धि हुई है जो चिंता का विषय है और देश में उच्च शिक्षा के लिए बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज में वृद्धि प्रभावित हो सकती है। जून 2022 में प्रकाशित इस पत्र में कहा गया कि भारत में करीब 90 फीसदी शिक्षा ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देते हैं। मार्च 2020 तक शिक्षा ऋण के कुल बकाया में निजी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी करीब सात फीसदी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की तीन फीसदी है।

90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं

रविवार को चंद्रमा का संचार कन्या राशि में रहेगा। इसी के साथ आज का दिन कन्या राशि के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। साथ ही आज 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं वृष राशि के लोगों को भी कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है। आइए जानते हैं आज का दिन मेष से मीन तक बाकी सभी राशियों के लिए कैसा रहने वाला है।

मेष टैरो राशिफल : आर्थिक मामलों में सोच समझकर रहें
गणेशजी कहते हैं कि आज इस राशि के लोग किसी की बात को अपने दिल पर न लगाएं। नौकरी करने वालों को आर्थिक मामलों में सोच-समझकर चलना होगा।। व्यापारी वर्ग के लिए आज का दिन बहुत अच्छा रहने वाला है। आज व्यापार में जबरदस्त नतीजे हासिल होंगे। आज काम के सिलसिले में किए गए प्रयास आपको अच्छे नतीजे प्रदान करेंगे। साथ ही आज बुजुर्गों द्वारा मिली हुई राय को नजर अंदाज ना करें। अविवाहित हैं तो रिश्ते की बात आगे बढ़ सकती है। दोस्तों के साथ कुछ बातें शेयर कर सकते हैं।
आज भाग्य 95 % आपके पक्ष में रहेगा। योग प्राणायाम का अभ्यास करें।

Opinion: आखिर पंजाब के किसानों को सेस फ्री एग्री ट्रांजेक्शन्स पर आपत्ति क्यों है?

Opinion: आखिर पंजाब के किसानों को सेस फ्री एग्री ट्रांजेक्शन्स पर आपत्ति क्यों है?

पंजाब और हरियाणा के किसान लगभग 40 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर कड़कड़ाती ठंड और कोविड-19 से लड़ते हुए केंद्र सरकार के कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

Farmers protest: जब आप ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर स्टॉक खरीदते या बेचते हैं, तो आप कोई ब्रोकरेज शुल्क नहीं देते हैं. 0.1 प्रतिशत का सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स है और 0.015 प्रतिशत की स्टैंप फ्री है. ये ना के बराबर शुल्क है. अब इसकी तुलना करें पंजाब में किसी विनियमित मंडी में सरकार के गेहूं और साधारण चावल बेचने से. खरीदार को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान करना पड़ता है, जो बाजार मूल्य से अधिक हो जाता है. इस पर उन्हें 3 प्रतिशत ग्रामीण विकास शुल्क, 3 प्रतिशत मंडी उपकर और 2.5 प्रतिशत कमीशन एजेंट शुल्क देना पड़ता है. यह सब मिला कर 8.5 प्रतिशत तक हो जाता है. तो किसानों को 90 प्रतिशत व्यापारी पैसे क्यों खो देते हैं एक ऐसे कानून का स्वागत करना चाहिए जो कृषि उत्पादों को ऐसे उच्च शुल्क के भुगतान के बिना व्यापार करने की अनुमति देता है?

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