असम यात्रा से कांग्रेस गदगद, क्या चुनावों में मिलेगा इसका फायदा? जानें क्या बोले राजनीतिक विशेषज्ञ

एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है

नेशनल डेस्क: आजादी के बाद से ही असम में एक प्रभावशाली ताकत रही कांग्रेस ने पिछले आठ वर्षों में यहां अपने जनाधार को खिसकते एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है देखा है। लेकिन, राज्य में प्रदेश कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा' के प्रति लोगों के उत्साह ने पार्टी नेतृत्व को खुश होने की वजह दे दी है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यात्रा ने भले ही राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी को एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ला दिया है, लेकिन इसका चुनावी लाभ होगा या नहीं, यह देखना अभी बाकी है। प्रदेश कांग्रेस की ‘भारत जोड़ा यात्रा' 45 दिनों में 535 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद पिछले हफ्ते असम के सबसे पूर्वी बिंदु सादिया में समाप्त हुई।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने कहा कि यात्रा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को खासकर चुनावी हार के बाद प्रोत्साहित किया है। सैकिया ने कहा, ‘‘खासकर सत्तासीन हमारे विरोधी यात्रा की प्रासंगिकता को लेकर सवाल करते थे। यह यात्रा पार्टी को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि जनता के मुद्दों और सरकार में शामिल लोगों की नाकामियों को सामने लाने के लिए थी। हम यह करने में सफल रहे हैं।'' लोकसभा सदस्य अब्दुल खलीक ने कहा, ‘‘लोगों की प्रतिक्रिया उम्मीद से बेहतर रही। कुछ लोगों ने सोचा था कि यात्रा जब अल्पसंख्यक बहुल इलाकों से बाहर निकलेगी तो इसमें भारी संख्या में जनता की भागीदारी नहीं दिखेगी। लेकिन सभी जाति और समुदायों के लोग हमसे जुड़े।''

गुवाहाटी स्थित हांडिक गर्ल्स कॉलेज में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर पल्लवी डेका का मानना ​​है कि यात्रा ने देशभर में कांग्रेस के समर्थकों में जोश भरने का काम किया है, लेकिन उन्होंने पार्टी की चुनावी किस्मत पर इसका कोई असर पड़ने को लेकर संदेह जताया। प्रोफेसर डेका ने कहा, ‘‘अब तक हम केवल यही कह सकते हैं कि पार्टी की मौजदूगी बढ़ाने और राहुल गांधी की छवि मजबूत करने के अलावा यात्रा का एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है असम पर कोई प्रत्यक्ष असर नहीं है. ।'' कांग्रेस ने आजादी के एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है बाद से 1980 के दशक के एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है मध्य तक असम में शासन किया, लेकिन इस दौरान तीन साल की अल्प अवधि के लिए (वर्ष 1977-79) इसे जनता दल सरकार को सत्ता सौंपनी पड़ी।

कांग्रेस को राज्य में पहली बार तब चुनौती का सामना करना पड़ा, जब 1979 से 1985 तक चले असम आंदोलन ने इसे झकझोर एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है कर रख दिया। सन् 1985 में नए दल असम गण परिषद (एजीपी) का कांग्रेस के विकल्प के रूप में उदय हुआ और इसने सत्ता हासिल कर ली। हालांकि, वर्ष एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है 1991 में कांग्रेस सत्ता वापस पाने में कामयाब रही। इसके बाद 1996 में फिर से एजीपी की अगुवाई में सरकार का गठन हुआ। लेकिन इसके बाद वर्ष 2001 से 2014 तक कांग्रेस सत्ता में रही। वर्ष एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है 2014 में असम की सत्ता एक बार फिर कांग्रेस के हाथों से फिसल गई, क्योंकि पार्टी के उदीयमान एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है सितारे हिमंत विश्व शर्मा कुछ अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। शर्मा के साथ आने के बाद एक धुरी बिंदु एक व्यापारी को क्या देता है असम विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बड़ी जीत हासिल की। पार्टी तब से राज्य में सत्ता में है।

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