शेयर बाजार में निवेश (Share Bazar Mein Invest) कैसे करें
शेयर बाजार में निवेश (Share Bazar Mein Invest) को लेकर पिछले कुछ सालों में भारतीयों में काफी जागरूकता बढ़ी है। अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश (Share Bazar Mein Invest) करना चाह रहे हैं, लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे निवेश करना है, तो यहां जानें इसका तरीका। शेयर बाजार में निवेश (Share Bazar Mein Invest) करना अब काफी आसान है। आप कहीं भी बैठे बैठे शेयर बाजार (Share Bazar) में ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। अब तो मोबाइल से शेयर बाजार में निवेश (Share Bazar Mein Invest) करने का तरीका लोकप्रिय हो रहा है।
Table of Contents
सेविंग्स अकाउंट, डीमैट एकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट: (Savings, Trading and Demat A/c)
जिस तरह से बैंकों से लेन-देन के लिए बैंक सेविंग्स अकाउंट की जरूरत होती है, उसी तरह शेयर बाजार (Share Bazar) में पैसे लगाकर पैसा कमाने के लिए तीन तरह के अकाउंट की जरूरत होती है- पहला, बैंक सेविंग्स अकाउंट, डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट। ये तीनों अकाउंट एक दूसरे से जुड़े रहते हैं।
याद रखें, बैंक में आप सीधे पैसे जमा करते हैं, लेकिन शेयर बाजार (Share Bazar) में आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। इसके लिए आपको मार्केट रेगुलेटर सेबी और स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई, एनएसई) से पंजीकृत किसी ब्रोकर या एडवाइजरी (Sebi Registered Advisor)की मदद लेनी होगी। ऐसे ब्रोकर्स की लिस्ट ट्रेडिंग अकाउंट कैसे काम करता है? आपको सेबी की वेबसाइट (www.sebi.gov.in) पर मिल जाएगी।
बैंक सेविंग्स अकाउंट तो आप सभी को मालूम होगा कि किसी बैंक में खुलवाना होता है, लेकिन बाकी के दो अकाउंट डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट कहां खुलवाना होगा, ये जानना भी जरूरी है। डीमैट और ट्रेडिंग काउंट खुलवाने से पहले उसके बारे में भी थोड़ा जान लें।
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ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account)
यह एक ऐसा खाता है, जिसमे निवेशक या ट्रेडर के शेयर बेचने के बाद मिला पैसा या फिर शेयर खरीदने के लिए जरूरी पैसा जमा होता है। यह अकाउंट कैसे काम करता है यह भी जान लें। सबसे पहले निवेशक या ट्रेडर अपने ट्रेडिंग अकाउंट ट्रेडिंग अकाउंट कैसे काम करता है? में पैसा जमा करते है। उसके बाद वे जिस शेयर को खरीदना या बेचना चाहते हैं, उन शेयर का दाम देखते हैं। इसके बाद वे उस शेयर के दाम के हिसाब से खरीदने या बेचने का ऑर्डर रखते है। यह ऑर्डर स्टॉक एक्सचेंज यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर पहुंचता है। इस ऑर्डर का काउंटर ऑर्डर मिल जाए तो यह ऑर्डर लागू हो जाता है।
अगर शेयर खरीदने का ऑर्डर रखा गया था, तो शेयर खरीदे जाते हैं। साथ ही, इसके पैसे लगने वाले टैक्स और चार्ज के साथ ट्रेडिंग अकाउंट में से कट जाते है और शेयर डीमैट अकाउंट में दो दिन में जमा हो जाते हैं। लेकिन अगर शेयर बेचने का ऑर्डर रखा होगा तो शेयर बेच दिए जाएंगे और उसका पैसा टैक्स और ब्रोकरेज काट कर ट्रेडिंग अकाउंट में जमा कर दिया जाएगा। इस तरह ट्रेडिंग अकाउंट काम करता है।
अब बात आती है डीमैट अकाउंट की (Demat Account)
पहले शेयर को पेपर फॉर्म में रखा जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब इसे इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म या डीमैटेरियलाइज्ड फॉर्म में रखा जाता है। डीमैटेरियलाइज्ड को ही संक्षेप में डीमैट कहते हैं। इस तरह शेयर को जिस अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखा जाता है, उसे डीमैट अकाउंट कहते हैं। शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है। डीमैट अकाउंट से म्युचुअल फंड, करंसी और कमोडिटी डेरिवेटिव्ज, एनसीडी, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूति (जी-सेक) आईपीओ, एफपीओ वगैरह भी खरीद -बिक्री कर सकते हैं।
अब बात बैंक अकाउंट की (Bank Account)
शेयर बाजार Share Bazar में कारोबार के लिए आपके पास बैंक सेविंग्स अकाउंट भी होना जरूरी है, ताकि शेयरों की बिक्री से मिलने वाली रकम या शेयर खरीदने के लिए पैसों का भुगतान किया जा सके। कंपनियां अपने निवेशकों को डिविडेंड का भुगतान भी उसी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करती हैं। कई ब्रोकर्स अपने ग्राहकों को तीनों अकाउंट की सुविधा देते हैं।
शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं? जानिए कैसे खोलें डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट
अब आप फिजिकल डॉक्यूमेंट जमा किए बगैर ऑनलाइन ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं. शेयरों में निवेश के लिए इन्हें खुलवाना जरूरी है.
डिजिटल फॉर्म भरें
पहले ब्रोकर की वेबसाइट पर जाएं. फिर अकाउंट खोलने का फॉर्म भरें. इसमें आपको नाम, पता, पैन और उस बैंक अकाउंट की डीटेल्स भरनी होंगी जिन्हें डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट से जोड़ना है. साथ ही सबसे उपयुक्त ब्रोकरेज प्लान को सेलेक्ट करने की जरूरत होती है.
डॉक्यूमेंट अपलोड करें
आधार, पैन, कैंसिल्ड चेक जैसे डॉक्यूमेंट की स्कैन कॉपी अपलोड करने की जरूरत पड़ती है. निवेशक की तस्वीर के साथ स्कैन किए हुए सिग्नेचर की भी जरूरत हो सकती है.
इन-पर्सन वेरिफिकेशन
इन-पर्सन वेरिफिकेशन ब्रोकर करते हैं. इसे डिजिटल कॉल या व्यक्ति की वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से किया जाता है. इसके लिए निवेशकों को स्क्रीन पर दिए जाने वाले निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाता है.
आधार ई-वेरिफिकेशन
व्यक्ति अब दोबारा फॉर्म चेक करके उसे जमा कर सकता है. इस फॉर्म को ओटीपी के जरिये आधार ऑथेंटिकेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से साइन किया जा सकता है. एक बार जमा की गई जानकारी, स्कैंन्ड दस्तावेज और आईपीवी हो जाने पर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुल जाता है. आप ट्रेडिंग अकाउंट में फंड ट्रांसफर कर सकते हैं और किसी अन्य डीमैट अकाउंट में रखी गई प्रतिभूतियों को नए अकाउंट में ला सकते हैं.
किन बातों का रखें ध्यान
- ब्रोकरेज फर्मों के अलग-अलग प्लानों का अध्ययन करें और तुलना करें कि कौन सबसे अच्छे रेट और सर्विस ऑफर कर रहा है.
- डिस्काउंट ब्रोकर्स के ब्रोकरेज चार्ज फुल सर्विस ब्रोकरों के मुकाबले कम होते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर्स तमाम तरह की ऐड-ऑन सर्विस भी देते हैं. इनमें एडवाइजरी, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इत्यादि शामिल हैं.
इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.
पैसे कमाने, बचाने और बढ़ाने के साथ निवेश के मौकों के बारे में जानकारी पाने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर जाएं. फेसबुक पेज पर जाने के लिए यहां क्लिक करें
शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं? जानिए कैसे खोलें डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट
अब आप फिजिकल डॉक्यूमेंट जमा किए बगैर ऑनलाइन ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं. शेयरों में निवेश के लिए इन्हें खुलवाना जरूरी है.
डिजिटल फॉर्म भरें
पहले ब्रोकर की वेबसाइट पर जाएं. फिर अकाउंट खोलने का फॉर्म भरें. इसमें आपको नाम, पता, पैन और उस बैंक अकाउंट की डीटेल्स भरनी होंगी जिन्हें डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट से जोड़ना है. साथ ही सबसे उपयुक्त ब्रोकरेज प्लान को सेलेक्ट करने की जरूरत होती है.
डॉक्यूमेंट अपलोड करें
आधार, पैन, कैंसिल्ड चेक जैसे डॉक्यूमेंट की स्कैन कॉपी अपलोड करने की जरूरत पड़ती है. निवेशक की तस्वीर के साथ स्कैन किए हुए सिग्नेचर की भी जरूरत हो सकती है.
इन-पर्सन वेरिफिकेशन
इन-पर्सन वेरिफिकेशन ब्रोकर करते हैं. इसे डिजिटल कॉल या व्यक्ति की वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से किया जाता है. इसके लिए निवेशकों को स्क्रीन पर दिए जाने वाले निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाता है.
आधार ई-वेरिफिकेशन
व्यक्ति अब दोबारा फॉर्म चेक करके उसे जमा कर सकता है. इस फॉर्म को ओटीपी के जरिये आधार ऑथेंटिकेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से साइन किया जा सकता है. एक बार जमा की गई जानकारी, स्कैंन्ड दस्तावेज और आईपीवी हो जाने पर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुल जाता है. आप ट्रेडिंग अकाउंट में फंड ट्रांसफर कर सकते हैं और किसी अन्य डीमैट अकाउंट में रखी गई प्रतिभूतियों को नए अकाउंट में ला सकते हैं.
किन बातों का रखें ध्यान
- ब्रोकरेज फर्मों के अलग-अलग प्लानों का अध्ययन करें और तुलना करें कि कौन सबसे अच्छे रेट और सर्विस ऑफर कर रहा है.
- डिस्काउंट ब्रोकर्स के ब्रोकरेज चार्ज फुल सर्विस ब्रोकरों के मुकाबले कम होते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर्स तमाम तरह की ऐड-ऑन सर्विस भी देते हैं. इनमें एडवाइजरी, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इत्यादि शामिल हैं.
इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.
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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान ट्रेडिंग अकाउंट कैसे काम करता है? से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.
कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
कैसे काम करता है शेयर बाजार
मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.
शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.
निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?
इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.
इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों ट्रेडिंग अकाउंट कैसे काम करता है? से व्यापार प्रभावित होते हैं.
Trading account meaning in Hindi – ट्रेडिंग अकाउंट क्या है ?
Trading Account एक ऐसा खाता है जिसमे निवेशक या ट्रेडर के पैसा जमा होते है। यह Trading Account निवेशक या ट्रेडर के डीमैट अकाउंट से लिंक कर दिया जाता है। जिसकी वजह से शेयर खरीदने के बाद शेयर Demat अकाउंट में जमा हो जाते है। और शेयर बेचने पर Demat Account में से शेयर निकल जाते है ।
चाहे हमें शेयर बाजार में निवेश करना हो या ट्रेडिंग Trading Account तो खुलवाना ही पड़ता है। इसका कारण यह है, की Trading Account से ही किसी भी शेयर को खरीदने और बेचने का ऑर्डर स्टॉक एक्सचेंज पर भेजा जाता है।
ट्रेडिंग अकाउंट कैसे काम करता है ? (Working a of Trading Account)
Trading Account कुछ इस तरह काम करता है –
सबसे पहले निवेशक या ट्रेडर अपने Trading Account में पैसा जमा करते है। उसके बाद वे जिस शेयर को खरीदना ट्रेडिंग अकाउंट कैसे काम करता है? या बेचना चाहते है, उन शेयर का दाम देखते है । इसके बाद वे उस शेयर के दाम के हिसाब से खरीदने या बेचने का ट्रेडिंग अकाउंट कैसे काम करता है? ऑर्डर रखते है यह ऑर्डर Stock Exchange पर पहुँचता है।
इस ऑर्डर का Counter order मिल जाए तो यह ऑर्डर Execute हो जाता है। अगर शेयर खरीदने का ऑर्डर रखा गया था तो शेयर ख़रीदे जाते है।
और इसके पैसे लगने वाले टैक्स और चार्ज के साथ ट्रेडिंग अकाउंट में से कट जाते है, और शेयर डीमैट अकाउंट में दो दिन में जमा हो जाते है।
लेकिन अगर शेयर बेचने का ऑर्डर रखा होगा तो शेयर बेच दिए ट्रेडिंग अकाउंट कैसे काम करता है? जाएंगे और उसका पैसा टैक्स और ब्रोकरेज काट कर ट्रेडिंग अकाउंट में जमा कर दिया जाएगा। इस तरह ट्रेडिंग अकाउंट काम करता है।
ट्रेडिंग अकाउंट के लाभ (Benefits of a Trading Account)
- बदलती टेक्नोलॉजी के कारण Online Trading की सुविधा से शेयर की खरीद बिक्री बहुत ही आसान हो गई है।
- शेयर खरीदने पर पैसा कटना और बेचने पर पैसा जमा होना यह सभी ऑटोमैटिक हो जाता है।
- ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा की वजह से लिखित या कॉल कर के ऑर्डर देने की जरुरत नहीं रहती। और भेजा गया ऑर्डर बहुत जल्दी कम्पलीट हो जाता है।
- सिर्फ एक मोबाइल के द्वारा किसी भी जगह से शेयर खरीद और बेच सकते है।
ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट के बिच का फर्क (Difference Between Demat and Trading Account)
ज्यादातर लोग Trading और Demat Account एक साथ खुलवाने की वजह से इन दोनों के बिच का फर्क नहीं जानते। लेकिन इन दोनों के बिच बहुत बड़ा फर्क होता है। Demat Account एक ऐसी जगह है जिसमे आपके द्वारा ख़रीदे गए शेयर को रखा जाता है। इस लिए यह एक स्टोरेज की तरह होता है, जिसमे कोई शेयर खरीदने पर शेयर जमा होता है, और बेचने पर शेयर निकल जाता है।
जबकि Trading Account का उपयोग है शेयर ख़रीदने और बेचने के लिए ऑर्डर रखने की सुविधा देना ,ट्रेडिंग अकाउंट में पैसा जमा रखा जा सकता है, जबकि डीमैट अकाउंट में पैसा जमा नहीं होता।
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