यदि आप युवा हैं और आपमें जोखिम लेने की क्षमता है तो लाभ के समंदर के किनारे बैठे रहना समझदारी भी नहीं है।

Smart Investment: म्यूचुअल फंड को लेकर कहीं आपके साथ भी न हो जाए फर्जीवाड़ा, जानिए कहां खोलें अकाउंट और कैसे करें शुरुआत?

बीते कुछ वर्षों में शेयर बाजार और इसके अन्य उपकरणों में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ी है। इसका एक कारण भारतीय शेयर बाजारों द्वारा दिया गया रिकॉर्ड रिटर्न है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: February 05, 2022 11:00 IST

Mutual Fund Investment- India TV Hindi

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Mutual Fund Investment

Highlights

  • बीते कुछ वर्षों में शेयर बाजार और इसके अन्य उपकरणों में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ी है
  • आप म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करके, विभिन्न उपकरणों में निवेश कर सकते हैं
  • आप जो पैसा निवेश करते हैं उससे म्यूचुअल फंड कंपनियां शेयर, बॉन्ड और कई अन्य वित्तीय उपकरण खरीदती हैं

हमारे दफ्तर में काम करने वाली वरिष्ठ पत्रकार विनीता जी को बीते दिन एक निवेश सलाहकार ने संपर्क किया जो म्यूचुअल फंड में निवेश की सलाह दी। उन्हें एक अनजान फंड में भारी निवेश के लिए सलाह दी गई। यह ऐसा फंड था जिसकी कोई पुरानी ट्रेड हिस्ट्री नहीं थी। साथ ही उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि यह फंड कहां निवेश करता है, इसकी रेटिंग कितनी है और सबसे बड़ा सवाल आपके पैसे की सुरक्षा होगी कि नहीं। शुक्र ही वे इस फर्जीवाड़े में उलझने से बच गईं। लेकिन हर कोई उनके जैसा खुश किस्मत नहीं होता है।

बीते कुछ वर्षों में शेयर बाजार और इसके अन्य उपकरणों में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ी है। इसका एक कारण भारतीय शेयर बाजारों द्वारा दिया गया रिकॉर्ड रिटर्न है। अखबारों में छपने वाली इन मुनाफेभरी खबरों के बीच अब आम भारतीयों को भी बाजार पहले से अधिक लुभाने लगा है। लेकिन जहां अधिकतर लोगों को बाजार में निवेश को लेकर जानकारी नहीं है। वहीं अपनी छोटी कमाई पर दांव लगाने वाले नए निवेशकों के लिए उतार चढ़ाव से भरे बाजार में पैसे लगाना खतरों से खाली नहीं है। हालांकि यह भी ठीक नहीं है कि आप हाथ पर हाथ रखे दुनिया को मुनाफा उठाते देखते रहें।

यदि आप युवा हैं और आपमें जोखिम लेने की क्षमता है तो लाभ के समंदर के किनारे बैठे रहना समझदारी भी नहीं है।

बाजार के इन खतरों को कम करते हुए निवेश का आसान उपाय है म्यूचुअल फंड। आप जैसे किसी बैंक की एफडी या पोस्टऑफिस स्कीम में निवेश करते हैं ठीक वैसे ही म्यूचुअल फंड में भी निवेश कर सकते हैं। यहां आप बाजार में सीधे पैसा नहीं कमाते, बल्कि आपकी ओर से बाजार के जानकार पैसा लगाते हैं। न तो आपको शेयर बाजार के रोज के उतार चढ़ाव पर नजर रखनी होती है और न हीं एक साथ ढेर सारा पैसा लगाना होता है। आप मात्र 500 रुपये की एसआईपी यानि हर महीने एक निश्चित रकम लगाकार शुरुआत कर सकते हैं।

आज इंडिया टीवी पैसा की टीम आपके लिए म्यूचुअल फंड से जुड़ी पूरी जानकारी लेकर आई है। यहां आपको म्यूचअल फंड में निवेश की शुरुआत करने से लेकर सभी जानकारियां आसानी से मिल जाएंगी।

क्या होता है म्यूचुअल फंड (What is Mutual Funds)

म्यूचुअल फंड जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है कि एक फंड में कई लोगों का पैसा लगाया जाता है। मान लीजिए आप म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं तो फंड कंपनी आपके पैसे से अलग अलग कंपनियों के शेयर खरीदती हैं। जब इन कंपनियों के शेयर बढ़ते या घटते हैं तो आपको उसी के हिसाब से नफा या नुकसान होता है। यहां आप सीधे पैसे नहीं लगाते हैं। आपकी ओर से अनुभवी फंड मैनेजर कंपनी की बैलेंस शीट किसी की भी सलाह पर निवेश करना और अन्य आंकड़े देखकर मजबूत शेयरों में पैसा लगाते हैं।

म्यूचुअल फंड में क्या फायदा है?

आप जो पैसा निवेश करते हैं उससे म्यूचुअल फंड कंपनियां शेयर, बॉन्ड और कई अन्य वित्तीय उपकरण खरीदती हैं। परिणामस्वरूप, व्यक्ति म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करके, विभिन्न उपकरणों में निवेश कर सकते हैं। इसका फायदा यह होता है कि आपका पैसा एक जगह नहीं लगाया जाता। मान लीजिए कि आपको किसी की भी सलाह पर निवेश करना शेयरों में नुकसान हुआ और बॉण्ड में फायदा तो आपका नुकसान की संभावना बहुत कम होगी।

कैसे खुलवाएं खाता

पहले करवाएं केवाइसी

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना इतना आसान और सरल हो गया है कि कोई व्यक्ति निवेश करने के बारे में सोच सकता है। म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को अपना केवाईसी पूरा करना होगा जो एक बार की प्रक्रिया है। केवाईसी का मतलब है कि आपको अपनी जानकारी देनी होगी, आपका आधार और पैनकार्ड इसमें मदद करते हैं। केवाईसी सत्यापन पूरा करने में आपकी मदद करने के लिए आप किसी डिस्ट्रिब्यूटर या निवेश सलाहकार के पास जा सकते हैं या आप ऑनलाइन ई.केवाईसी कर सकते हैं।

कहां खरीद सकते हैं म्युचुअल फंड

केवाईसी सत्यापन के बाद निवेश करने के लिए तैयार होने पर, आप किसी म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर, रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार, स्टॉक मार्केट ब्रोकर या बैंक जाकर भी म्युचुअल फंड खरीद सकते हैं। ऑनलाइन के जमाने में आप सीधे कंपनी की वेबसाइट पर जाकर फंड चुन सकते हैं।

सलाहकार के साथ शुरुआत करना बेहतर

सीधे निवेश करने या किसी डिस्ट्रिब्यूटर के माध्यम से निवेश करने के बीच चुनाव आपका फैसला है। अगर आपको खुद अपने निवेश करना पसंद है, तो आप बेशक फंड की वेबसाइट या किसी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। लेकिन अगर आप सलाह लेना चाहते हैं या आपको निवेश करने में मदद की ज़रूरत है, तो आप किसी प्रतिनिधि के माध्यम से निवेश कर सकते हैं, जैसे डिस्ट्रिब्यूटर, निवेश सलाहकार या बैंक आदि।

म्यूचुअल फंड कितने प्रकार के होते हैं?

म्यूचुअल फंड तीन प्रकार होते हैं- इक्विटी म्यूचुअल फंड, डेट म्यूचुअल फंड, हाइब्रिड म्यूचुअल फंड।इक्विटी फंड सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। वहीं डेट फंड आपका पैसा कंपनियों द्वारा जारी ऋणपत्रों में पैसा लगाते हैं। यह इक्विटी के मुकाबले कम जोखिम भरा होता है। वहीं तीसरे हाइब्रिड फंड में इक्विटी किसी की भी सलाह पर निवेश करना और डेट दोनों का समावेश होता है। इसके अलावा ओपन एंडेड फंड, क्लोज एंडेड फंड, सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड, पैसिवली मैनेज्ड फंड।

म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है?

इसमें निवेशक एकमुश्त रकम फंड में लगाते हैं। इसके बाद एक तय समय अंतराल पर उस स्कीम से थोड़ा-थोड़ा निवेश इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर करते रहते हैं। डेट फंड में एकमुश्त पैसा लगाने से सुरक्षित रिटर्न मिलता रहता है, वहीं एक तय अवधि में आपका पैसा धीरे धीरे ज्‍यादा रिटर्न देने वाली इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर हो जाता है।

अंत में. क्या म्यूचुअल फंड सही है?

छोटी अवधि में केवल ज्यादा रिटर्न के लिए इनमें निवेश करने पर आप नुकसान उठा सकते हैं। इनके साथ बहुत ज्‍यादा जोखिम होता है। नए निवेशकों को इन स्‍कीमों में पैसा लगाने की सलाह नहीं दी जाती है। मल्टीकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों का सुझाव अक्सर उन निवेशकों को दिया जाता रहा है जो निवेश के साथ थोड़ा जोखिम ले सकते हैं।

Dhanteras-Diwali पर कहां करें निवेश, जिससे मिलेगा ज्यादा रिटर्न? 5 टिप्स

Glod Investment: सोना खरीदने की योजना बना रहे निवेशकों के पास क्या विकल्प है?

Dhanteras-Diwali पर कहां करें निवेश, जिससे मिलेगा ज्यादा रिटर्न? 5 टिप्स

धनतेरस (Dhanteras) से शुरू हो रहा दिवाली (Diwali) का पर्व लोगों को निवेश का मौका भी देता है, सोने-चांदी (Gold Investment) में निवेश, प्रॉपर्टी (Property) में या कहीं और. इस दिन को शुभ मानते हुए निवेश की योजना कई लोग मना रहे होंगे. साथ ही पहली बार निवेश करने वाले भी इस त्योहार का इंतजार कर रहे होंगे.

तो धनतेरस और दिवाली के अवसर पर कहां कर सकते हैं निवेश, कैसी हो सकती है निवेश की रणनीति? पहली बार निवेश कर रहे हैं तो कैसे और कहां से करें शुरुआत?

Dhanteras-Diwali पर कहां करें निवेश, जिससे मिलेगा ज्यादा रिटर्न? 5 टिप्स

1. सोना खरीदने की योजना बना रहे निवेशकों के पास क्या विकल्प है?

धनतेरस पर सोने में निवेश करने का विकल्प अच्छा है. जब शेयर मार्केट में बहुत उतार चढ़ाव हो और गिरावट बनी हुई हो तो ऐसे में सोना कभी निराश नहीं करता है, लॉन्ग टर्म में ही सही लेकिन सोना अच्छा रिटर्न देता है. इस समय सोना खरीदने का मौका अच्छा है, क्योंकि दाम पिछले साल के मुकाबले कम है. इस समय एमसीएक्स पर सोने की कीमत 50 हजार रुपये के आसपास चल रही है. ऐसे में तीन तरीकों से सोने में निवेश किया जा सकता है.

गोल्ड ईटीएफ (ETF): निवेशकों के पास स्टॉक एक्सचेंज पर गोल्ड ईटीएफ की यूनिट खरीदने और बेचने का विकल्प होता है. गोल्ड ईटीएफ सालभर में ही अच्छा रिटर्न देते हैं. इसके लिए आपको डीमैट अकाउंट चाहिए होगा.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड: सोने में सुरक्षित निवेश सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को माना जाता है क्योंकि यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं, इसमें सोने की गुणवत्ता की चिंता भी नहीं होती है. SGB पर सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज भी मिलता है. बॉन्ड की मैच्योरिटी पूरी होने पर निवेशकों को 1 ग्राम सोना की मौजूदा कीमत के हिसाब से भुगतान किया जाता है.

डिजिटल गोल्ड:डिजिटल गोल्ड ऑनलाइन सोना खरीदने का तरीका है. इसके जरिए गोल्ड आपके पास फिजिकल ना होकर डिजिटल वॉलेट में स्टोर हो जाएगा. इसकी भी आप खरीदी बिक्री कर सकते हैं. वहीं आप डिजिटल गोल्ड को फिजिकल गोल्ड में भी कुछ अतिरिक्त चार्जेज देकर बदल सकते हैं.

2. किन सेक्टर्स में कर सकते हैं निवेश?

मिंट से बातचीत में अपसाइड एआई के को-फाउंडर धनतेरस, दिवाली के त्योहार के साथ अतनु अग्रवाल ने कहा कि हम मशीन के जरिए इंवेस्ट करते हैं जो कि निवेश करने से पहले मार्केट को समझता है, इसका फायदा है कि ये लोगों की तरह किसी भावना में निवेश नहीं करता. अतनु अग्रवाल ने बताया कि निवेशक फार्मा सेक्टर्स, बैंकिग, फाइनेंशियल और इंश्यॉरेंस सेक्टर्स, सीमेंट, इंडस्ट्रीयल सेक्टर्स या केमिक्ल में निवेश कर सकते हैं.

इसके अलावा यह भी ध्यान रखना चाहिए कि धनतेरस, दिवाली के त्योहार के अलावा मार महंगाई की भी है और खतरा मंदी का किसी की भी सलाह पर निवेश करना है. इसलिए कुछ ऐसे सेक्टर्स में भी निवेश करना चाहिए जो महंगाई/मंदी से दूर हो या उनपर इसका असर नहीं पड़ता हो. एक्सपर्ट इसके लिए खासकर दो सेक्टर्स का सुझाव देते हैं. एक है, एफएमसीजी- फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड यानी की खाने पीने का आइटम, जैसे दूध, मैगी या फ्रिज, टीवी, आदी और दूसरा है पावर एनर्जी के सेक्टर्स.

3. कैसा हो पोर्टफोलियो?

इस दिवाली आप अपने पोर्टफोलियो को भी ठीक कर ले. सबसे जरूरी बात जब शेयर बाजार में बड़ा उतार चढ़ाव हो, महंगाई और मंदी का खतरा हो तो ऐसे में अर्थशास्त्री शरद कोहली कहते हैं आपको अपने पोर्टफोलियो का 10 से 15 फीसदी निवेश गोल्ड में रखना चाहिए. इसके अलावा- एक ही फंड हाउस के सभी फंड न लें, फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह से और खराब फंड की पहचान किसी की भी सलाह पर निवेश करना कर उससे बाहर निकले. पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाय करना तो जरूरी है लेकिन कई बार बहुत ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन भी नुकसानदायक होता है.

इसके अलावा एक्सपर्ट सुझाते हैं जो बिल्कुल रिस्क नहीं लेना चाहते हैं वे एफडी में निवेश करें जिसपर आजकल ठीक-ठीक रिटर्न मिल रहा है, इसके अलावा प्रोविडेंट फंड, सरकारी बॉन्ड में निवेश की सलाह भी जाती है. गोल्ड में निवेश करना है तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में ही निवेश करें और अपने पोर्टफोलियो को बेहतर बनाएं.

4. निवेश की रणनीति कैसी हो?

मिंट से बातचीत में अतनु अग्रवाल ने बताया कि, पैसा बनाने के लिए मजबूत निवेश चाहिए. मजबूत निवेश का एक मतलब होता है आप ऐसी जगहों पर निवेश करें जिनका आपस में कोई लेना देना नहीं है. जैसे इक्विटी (शेयर मार्केट) और फिक्सड डिपॉजिट इन दोनों में कोई संबंध नहीं है. एक तरफ जहां शेयर बाजार में उतार चढ़ाव होता है वहां फिक्सड डिपॉजिट में ब्याज दर एक ही होती है. इसलिए आप स्टॉक्स, डेट (Debt) और एफडी तीनों में निवेस करें. इसी तरह गोल्ड, रियल एस्टेट और क्रिप्टो में भी आपस में कोई संबंध नहीं है.

Stocks vs Mutual Funds: निवेशक को कहां करना चाहिए निवेश जिससे मिले ज्यादा रिटर्न

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि म्यूचुअल फंड लक्ष्य आधारित निवेश है. इसमें आपको पता है कि सालाना आधार पर अमूमन कितना रिटर्न मिलेगा. लॉन्ग टर्म में यह मल्टीबैगर साबित होता है.

Stocks vs Mutual Funds: निवेशक को कहां करना चाहिए निवेश जिससे मिले ज्यादा रिटर्न

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इन्वेस्टमेंट स्कीम का रिटर्न महंगाई के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए. वर्तमान में महंगाई दर 5-6 फीसदी के बीच है. ऐसे में अगर निवेश के परंपरागत साधनों में निवेश करते हैं तो नेट रिटर्न कम होगा. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा शेयर बाजार में भी निवेश होता है जिसके कारण रिटर्न ज्यादा मिलता है और आपका नेट रिटर्न ज्यादा होगा.

निवेशकों (Investors) के मन में एक सवाल बार-बार आता है कि उन्हें म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश करना चाहिए या फिर शेयर बाजार (Share market investment) में निवेश करना चाहिए. शेयर बाजार में निवेश का मुख्य रूप से दो तरीका है. पहला- खुद शेयर खरीदें और बेचें. दूसरा तरीका है कि म्यूचुअल फंड के जरिए शेयर बाजार में निवेश करें. निवेश का दोनों तरीका अच्छा है, अंतर बस इतना है कि डायरेक्ट शेयर खरीदने पर फायदे और नुकसान दोनों के लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे. यह आपको तय करना है कि बाजार में कब एंट्री लेनी है, कौन सा शेयर खरीदना है, कितने दिन के लिए निवेश करना है. अगर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो फंड मैनेजर आपके बदले ये तमाम फैसले लेता है.

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आप भी शेयर बाजार की जानकारी रखते हैं. स्टॉक मार्केट पर आपकी अच्छी पकड़ है तो बाजार में डायरेक्ट निवेश करने पर कई गुना रिटर्न कमाया जा सकता है. अगर आप किसी के सलाह पर बाजार में निवेश करते हैं इससे कमाई भी होती है तो इन्वेस्टमेंट का यह तरीका ठीक नहीं है. ऐसे लोगों को म्यूचुअल फंड में इक्विटी स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए जहां शानदार रिटर्न मिलता है. म्यूचुअल फंड के मैनेजर काफी स्किल्ड होते किसी की भी सलाह पर निवेश करना हैं. उन्हें पता होता है कि पोर्टफोलियो किस तरह डिजाइन करना है. किस सेक्टर में, किस कंपनी में कितना निवेश करना चाहिए, उन्हें इसकी पूरी जानकारी होती है.

पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड रखें

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि पोर्टफोलियो को हमेशा डायवर्सिफाइड रखें. इससे रिस्क कम रहता है. पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखने से रिस्क फैक्टर घटता है. बाजार में किसी तरह की हलचल का आपके इन्वेस्टमेंट पर कम असर होता है. कोई इंडिविजुअल जब किसी खास सेक्टर के खास स्टॉक में निवेश करता है तो उसका रिस्क ज्यादा होगा. वहीं, म्यूचुअल फंड में आपके पैसा अलग-अलग सेक्टर के अलग-अलग स्टॉक्स में निवेश किया जाता है. इस तरह सेक्टर डायवर्सिफिकेशन के साथ-साथ स्टॉक डायवर्सिफिकेशन का भी लाभ मिलता है.

सही स्टॉक सलेक्शन पर मल्टीबैगर रिटर्न

निवेशकों को इस बात को समझना चाहिए कि अगर आप खुद किसी की भी सलाह पर निवेश करना से शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो राइट स्टॉक पिक होने पर आपको मल्टीबैगर रिटर्न मिल सकता है. लेकिन, म्यूचुअल फंड आपको इतने कम समय में मल्टीबैगर रिटर्न नहीं देगा. हालांकि, इस किसी की भी सलाह पर निवेश करना बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि खुद से निवेश करने पर आपका इन्वेस्टमेंट कई गुना घट भी सकता है, म्यूचुअल फंड के साथ ऐसा नहीं होता है. आसान शब्दों में खुद से निवेश करने पर ज्यादा रिटर्न के साथ ज्यादा रिस्क भी जुड़ा है. म्यूचुअल फंड बैलेंस्ड रिटर्न के साथ-साथ बैलेस्ड रिस्क का भी भरोसा देता है.

म्यूचुअल फंड लक्ष्य आधारित निवेश

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि म्यूचुअल फंड लक्ष्य आधारित निवेश है. इसमें आपको पता है कि सालाना आधार पर अमूमन कितना रिटर्न मिलेगा. लॉन्ग टर्म में यह मल्टीबैगर साबित होता है. इसमें निवेश करने के बाद आपका एक्टिव रहना जरूरी नहीं है. खुद से बाजार में निवेश करने पर उस स्टॉक और सेक्टर के बारे में अपडेटेड जानकारी जरूरी है. अगर आप शेयर बजार में ट्रेडिंग करते हैं या फिर इसकी बारिकी को समझना चाहते हैं तो समय के साथ निवेश का तरीका सीखा जा सकता है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स अनुभव लेने के बाद ही बाजार में खुद से निवेश की सलाह देते हैं.

ULIP से दूर होगी रुपये पैसे की टेंशन, यहां समझें इसमें निवेश के फायदे

यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी यूलिप (ULIP) एक तरह का लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट है जो निवेशक को रिटर्न देने के साथ-साथ बीमा कवरेज मुहैया करता है.

ULIP से दूर होगी रुपये पैसे की टेंशन, यहां समझें इसमें निवेश के फायदे

भारतीय निवेशकों के लिए यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान एक अच्छा विकल्प है जो एक निवेशक को समय के साथ संपत्ति जमा करने और अपने लाइफ के टार्गेट को पूरा करने में मदद करता है.

हर इंसान के लाइफ में सपनों का घर खरीदने, बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने, बच्चे की शादी, रिटायरमेंट प्लानिंग जैसे तमाम जरूरी टार्गेट होते हैं. जिन्हें वह अपने तरीके से पूरा करता है. कुछ लोग अपनी सेविंग पर अच्छा रिटर्न पाने के लिए लंबी अवधि वाले सुरक्षित स्कीम में निवेश करते हैं. उन्हीं स्कीम में से एक यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी यूलिप (ULIP) प्लान भी है.

क्या है ULIP

भारतीय निवेशकों के लिए यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान एक अच्छा विकल्प है जो एक निवेशक को समय के साथ संपत्ति जमा करने और अपने लाइफ के टार्गेट को पूरा करने में मदद करता है. यूलिप एक तरह का लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट है जो निवेशक को रिटर्न देने के साथ-साथ बीमा कवरेज मुहैया करता है. यूलिप प्लान में, प्रीमियम के एक हिस्से को बीमा कवरेज मुहैया कराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इस प्लान के बड़े हिस्से को मार्केट से जुड़े फंड स्कीम जैसे इक्विटी फंड, बैलेंस्ड फंड और फिक्स्ड इनकम फंड में निवेश किया जाता है. ये सभी लंबी अवधि में निवेश पर रिटर्न की देते हैं.

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यूलिप के फायदे

यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी यूलिप (ULIP) भविष्य के टार्गेट को पूरा करने में कैसे मदद कर सकता है. आइए उसके बारे में गहराई से जानें.

सेविंग की शर्तें

यूलिप में कम से कम 5 साल की लॉक-इन अवधि होता है. इसमें निश्चित अतंराल के बाद निवेश करना होता है. लंबी अवधि के टार्गेट को प्राप्त करने के लिए एक पॉलिसीहोल्डर को 10 साल या उससे अधिक समय के लिए निवेश करने की जरूरत होती है ताकि संबंधित टार्गेट के लिए पर्याप्त फंड जुटाया जा सके.

लांग टर्म वेल्थ

यूलिप इक्विटी और डेट फंड दोनों में निवेश करने का विकल्प देता है. साथ ही ये उन पर आने वाले जोखिम से मुकाबला भी करने में सक्षम होता है. बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने में यूलिप का इक्विटी फंड में सक्षम हो सकता है. इसमें निवेश करके अधिक फंड जुटाया जा सकता है. ये सयम के साथ बढ़ रही महंगाई से मुकाबला भी कर सकता है. यूलिप के जरिए रेगुलर इक्विटी में निवेश, मार्केट के उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान के असर को कम करने में मददगार होता है. यूलिप के लंबी अवधि वाले निवेश जो 10 साल या उससे अधिक समय का होता है उस पर पॉजिटीन रिटर्न मितला है. हालांकि, ऐसे प्लान में निवेश करने से पहल निवेशकों को इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि यह यूलिप प्लान का पिछला परफार्मेंश कैसा रहा है. और उसके आधार पर आकलन कर लेना चाहिए कि निवेश किया जा सकता है या नहीं.

कंपाउंडिंग बेनिफिट

कंपाउंडिंग की शक्ति सिर्फ एसेट पर कमाई करना है. और इस कमाई पर भी फिर से रिटर्न बनाना है. ऐसे में निवेशकों को ये जान लेना चाहिए की रिटर्न का जनरेशन सभी साल में नहीं होता है. यूलिप जैसी लंबी अवधि का प्लान कंपाउंडिंग बेनिफिट लेने का एक बेहतर मौका देता है. दरअसल इससे फंड के नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) को बढ़ने का समय मिलता है और इस प्लान में निवेश करके बाजार की अस्थिरता पर काबू पाया जा सकता है. अधिक फंड वाले टार्गेट को पूरा करने के लिए यूलिप प्लान में कम से कम 10 से 15 साल या उससे अधिक समय तक निवेश करना चाहिए.

टैक्स कटौती से राहत

यूलिप प्लान टैक्स बचाने में भी मदद करता है. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 80C और 10 (10D) के तहत यूलिप से मिलने वाले प्रीमियम और रिटर्न टैक्स-फ्री होते हैं. हालांकि, 2021 के बजट में यूलिप प्लान के मैच्योर हो जाने पर मिले रिटर्न पर टैक्स नियम लागू है.

कुल मिलाकर देखें तो अपनी सेविंग पर अच्छा रिटर्न पाने के लिए यूलिप प्लान में निवेश भी एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. जो लोग अपनी सेविंग किसी लंबी अवधि के स्कीम पर खर्च करना चाहते हैं वे इन प्लान को चुन सकते हैं.

(Article By Sameer Bansal, Chief Distribution Officer, PNB MetLife)

डिस्क्लेमर: यह लेखक के निजी विचार हैं. पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी स्कीम में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय योजनाकार से सलाह लें.

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