कौन हैं हर्षद मेहता?
हर्षद मेहता का जन्म 29 जुलाई 1954 को पनेल मोटी, राजकोट गुजरात में हुआ था। उनका बचपन मुंबई के कांदिवली में गुजरा। उन्होंने होली क्रॉस बेरोन बाजार सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई की। लाजपत राय कॉलेज से मेहता ने बी.कॉम की पढ़ाई की। आठ सालों तक उन्होंने छोटी नौकरियां की। उनकी पहली नौकरी न्यू इंडिया अश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में बतौर सेल्स पर्सन की थी। फिर उन्होंने हरिजीवनदास नेमीदास सिक्योरिटीज नाम की ब्रोक्रेज फर्म में नौकरी की। 1984 में खुद की ग्रो मोर रिसर्च एंड असेट मैनेजमेंट नाम की कंपनी शुरू की और बीएसई में बतौर ब्रोकर मेंबरशिप ली। मेहता ने मार्केट के हर पैंतरे प्रसन्न परिजीवनदास से सीखे। मेहता को 'बिग बुल' कहा जाता था क्योंकि उसने स्टॉक मार्केट में बुल रन शुरू किया था।

BIG BUDGET FILM BOYCOTTED

प्राइम ब्रोकर क्या है?

What is a Prime Broker

एक प्रधान ब्रोकर आम तौर पर एक बड़े बैंक या एक निवेश कंपनी समाशोधन, संचालन समर्थन, लेनदेन और जोखिम प्रबंधन के निपटान से संबंधित धन से बचाव के लिए सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध कराने है. एक ब्रोकरेज कंपनी,एक व्यापारिक कार्यालय, एक संचालन कार्यालय और एक प्रबंध कंपनी है, जो विभिंन कार्यों को हल करने के लिए बचाव कोष में मदद करती है, एक प्रधान ब्रोकर की संरचना में शामिल हैं.

विकास एक प्रधान की दलाली

प्रधानमंत्री ब्रोकरेज सेवा से बचाव निधियों के तेजी से विकास के कारण 1970 के दशक में उत्पंन । बड़े प्राइम ब्रोकर क्या है निवेश बैंकों को अपनी सेवाओं की पेशकश करने के लिए एक निश्चित शुल्क के लिए धन बचाव प्राइम ब्रोकर क्या है शुरू कर दिया: अनुकूल शर्तों पर क्रेडिट, तकनीकी सहायता, लेखा सेवाओं और अनुसंधान, और वे भी प्रमुख निवेशकों. को मिला । 2000 के मध्य के बाद से, प्रधानमंत्री की लोकप्रियता-ब्रोकरेज सेवाओं में गिरावट शुरू हुई, और 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान, उनकी संख्या तेजी से बचाव धन और संपत्ति की संख्या में गिरावट के बाद उनके नियंत्रण में कमी आई.

सबसे बड़ा अमेरिकी निवेश बैंक लीमैन ब्रदर्स, बचाव कोष, जो बैंक से मार्जिन वित्तपोषण प्राप्त की दिवालियापन के बाद, उनकी संपत्ति संपार्श्विक के रूप में बैंक में स्थानांतरित नहीं कर सके । संकट के दौरान कई प्राइम ब्रोकर्स की क्रेडिट रेटिंग भी कम कर दी गई, और हेगड़े फंड को सबसे अच्छी क्रेडिट रेटिंग के साथ बैंकों में ले जाने लगे, क्योंकि जब प्राइम ब्रोकर की ओर से लेन-देन करते समय कंपनी की हाई रेटिंग काफी अहमियत की थी । संकट के बाद, बचाव कोष, जो एक प्रमुख दलाल की सेवाओं का उपयोग कर रहे थे, जोखिम विविधीकरण के लिए कई कंपनियों की प्राइम ब्रोकर क्या है सेवाओं का उपयोग शुरू कर दिया .

विदेशी मुद्रा प्रधानमंत्री दलालों

विदेशी मुद्रा प्रधानमंत्री दलालों उच्च चलनिधि प्रदाताओं रहे है-सबसे बड़ी दुनिया भर में जाना जाता बैंकों: बैंक ऑफ अमेरिका, बार्कलेज कैपिटल, मॉर्गन स्टेनली, ड्यूश बैंक और अंय .

विदेशी मुद्रा प्रधानमंत्री दलालों की ओर से और छोटे बैंकों और दलालों की कीमत पर लेनदेन करते है और अंतरबैंक बाजार में अपने गारंटर के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि एक ब्रोकरेज कंपनी और विशेष रूप से एक निजी निवेशक बड़े लेनदेन स्वतंत्र रूप से नहीं कर सकते . एक ग्राहक के साथ एक सौदा करने के बाद, प्रधानमंत्री दलाल अपने आप पक्षों के जोखिम को रोकने के लिए अंतरबैंक बाजार में विपरीत लेनदेन करता है.

केवल उन विदेशी मुद्रा ब्रोकरेज कंपनियों है कि अधिक से अधिक पारदर्शी काम और संमानित नियामकों से एक लाइसेंस है, एक प्रधानमंत्री दलाल के साथ एक समझौते में प्रवेश और अंतरबैंक बाजार में ग्राहकों के सौदों ले सकते हैं.

अपने मार्जिन पर ट्रेड करें

सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए प्राइम ब्रोकर क्या है वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.

वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के प्राइम ब्रोकर क्या है हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.

बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.

फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा

अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.

ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.

ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें

अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.

कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.

1 साल का यह कोर्स कर आप भी कमा सकते हैं लाखों रुपये, जानिए- Course के बारे में

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नई दिल्ली, जेएनएन। आज के युग में मार्केटिंग, बैंकिंग, स्टॉक ब्रोकिंग, अकाउंटेंसी के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन प्रगति हो रही है। साथ ही इन क्षेत्रों में करियर के अवसर भी लगातार बढ़ रहे हैं। कॉमर्स स्ट्रीम के छात्रों के लिए स्टॉक ब्रोकर एक आकर्षक करियर मना जाता है। अगर आप यह समझते हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी कैसे काम करता है और आपको इन सब क्षेत्रों में रुचि है, तो स्टॉक ब्रोकिंग क्षेत्र का चयन करना आपके करियर के लिए यकीनन सही होगा. ।

फाइनेंशियल शब्दों में स्टॉक्स और अन्य सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने की प्रॉसेस को ‘स्टॉक ब्रोकिंग’ कहा जाता है। हमारे देश में स्टॉक मार्केट के फील्ड में स्टूडेंट्स के लिए अभी बहुत अच्छे करियर ऑप्शंस उपलब्ध हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में इंडियन ब्रोकिंग इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट (पिछले वर्ष की मॉडरेट ग्रोथ रेट) 5 से 10 फीसदी से ज्यादा है और एस्टीमेटेड रेवेन्यू 19 से 20 हजार करोड़ के आसपास रहेगा। इसलिए, भारत में स्टॉक ब्रोकिंग के फील्ड में कैंडिडेट्स का भविष्य आशाजनक है और कुछ वर्षों के वर्क एक्सपीरियंस के बाद इन प्रोफेशनल्स को काफी अच्छा सालाना सैलरी पैकेज भी मिलता है।

हर्षद मेहता: कहानी चार हजार करोड़ के उस घोटाले की जिसने बदल डाली शेयर बाजार की दिशा

Dimple Alawadhi

‌डिंपल अलावाधी
Updated Fri, 09 Apr 2021 05:43 PM IST

  • हर्षद मेहता ने 1990 के दशक में देश का वित्तीय बाजार हिला कर रख दिया था।
  • यह घोटाला करीब 4,000 करोड़ रुपये का था।
  • इसके बाद ही सेबी को शेयर मार्केट में गड़बड़ी रोकने की ताकत दी गई।

हर्षद मेहता घोटाला

इन दिनों हर्षद मेहता का नाम फिर से चर्चा में है। हर्षद मेहता ऐसे शख्स हैं जिन्होंने 1990 के दशक में देश का वित्तीय बाजार बुरी तरह से हिला कर रख दिया था। इसके बाद उनके जीवन पर किताब भी लिखी गई और वेब सीरीज भी बनी। अब अभिनेता अभिषेक बच्चन की फिल्म 'द बिग बुल' रिलीज हुई है, जिसके बाद से लोगों में इस कहानी का क्रेज और बढ़ गया है।

विस्तार

इन दिनों हर्षद मेहता का नाम फिर से चर्चा में है। हर्षद मेहता ऐसे शख्स हैं जिन्होंने 1990 के दशक में देश का वित्तीय प्राइम ब्रोकर क्या है बाजार बुरी तरह से हिला कर रख दिया था। इसके बाद उनके जीवन पर किताब भी लिखी गई और वेब सीरीज भी बनी। अब अभिनेता अभिषेक बच्चन की फिल्म 'द बिग बुल' रिलीज हुई है, जिसके बाद से लोगों में इस कहानी का क्रेज और बढ़ गया है।

आज भी लोगों के जहन में है 1992 के स्कैम की यादें
देश में इकोनॉमिक रिफॉर्म्स की शुरुआत साल 1991 में हुई थी। भारतीय अर्थव्यस्था के लिए साल 1990 से 1992 का समय बड़े बदलाव का वक्त था। लेकिन इस बीच एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने शेयरों की खरीद-बिक्री की प्रकिया में ऐतिहासिक परिवर्तन किए। इस घोटाले के जिम्मेदार हर्षद मेहता थे। यह घोटाला करीब 4,000 करोड़ रुपये का था और इसके बाद ही सेबी को शेयर मार्केट में गड़बड़ी रोकने की ताकत दी गई। घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता का 2002 में निधन हो गया। लेकिन 1992 के बहुचर्चित स्टॉक मार्केट स्कैम की यादें भी अब बहुत कम लोगों के जेहन में हैं।

सरकार को करोड़ों टैक्स देता हूं- लाइव इंटरव्यू में ‘ब्रोकर’ कहने पर नाराज हो गए राकेश झुनझुनवाला

सरकार को करोड़ों टैक्स देता हूं- लाइव इंटरव्यू में ‘ब्रोकर’ कहने पर नाराज हो गए राकेश झुनझुनवाला

राकेश झुनझुनवाला को शेयर बाज़ार का बिग बुल कहा जाता है (Photo-Financial Express/File)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शेयर मार्केट के वारेन बफे समझे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला की मुलाकात काफी चर्चित रही। राकेश झुनझुनवाला ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया जहां उनसे पीएम से मुलाकात को लेकर सवाल किए गए। इसी दौरान उन्हें स्टॉक ब्रोकर कहा गया जिस आप उन्होंने अपनी आपत्ति जताई और कहा कि वो कोई ब्रोकर नहीं हैं बल्कि सरकार को सालाना करोड़ों रुपए टैक्स देते हैं।

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में उनसे पूछा गया, ‘आप प्रधानमंत्री से मिले, बहुत सी बातें हुईं, तस्वीरें वायरल हो गईं। एक स्टॉक ब्रोकर प्राइम मिनिस्टर से क्यों मिला?’ स्टॉक ब्रोकर कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए राकेश झुनझुनवाला ने कहा, ‘मैम, पहले मुझे एक बात कहने दीजिए। मैं हर साल सरकार को 15 लाख डॉलर (11.25 करोड़ रुपए) देता हूं। मैं कोई ब्रोकर नहीं हूं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘आपने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से क्यों मिला? तो मुझे नहीं पता वो क्यों मिले, आपको उनसे ही पूछना चाहिए।’

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