डाओ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज Meaning in English - Dao Jons Indastriyal Evarej Meaning in Hindi
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Important Dictionary Terms
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सेंसेक्स पहुंचा नए रिकॉर्ड ऊंचाई पर, जानें क्या हैं इस उछाल के पीछे 5 प्रमुख कारण
घरेलू बाजारों में देर रात की खरीदारी के बाद सेंसेक्स गुरुवार को अपने नई सर्वकालिक उच्च स्तर 62412.33 के स्तर पर पहुंच गया. इसके अलावा निफ्टी50 भी 216.85 अंक बढ़कर 18,484.10 अंक पर बंद हुई. लेकिन सवाल यह है कि आखिर बाजारों में इस बढ़ोत्तरी के मुख्य कारण क्या हैं.
नई दिल्ली: संभावित फेड धुरी पर आशावाद के एक नए दौर और मजबूत वैश्विक संकेतों ने दलाल स्ट्रीट बुल्स को एक बहुत बड़ा उछाल दिया है. घरेलू बाजारों में देर रात की खरीदारी से बीएसई बैरोमीटर सेंसेक्स गुरुवार को 62412.33 के नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया. 30-पैक इंडेक्स, जो लगभग 900 अंकों की इंट्राडे रैली करता है, 762.10 अंक या 1.24 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 62,272.68 के अपने नए उच्च स्तर पर बंद हुआ.
इस बीच, इसका एनएसई समकक्ष, निफ्टी50, 216.85 अंक या 1.19 प्रतिशत बढ़कर 18,484.10 पर बंद हुआ. सूचकांक गुरुवार को पहले 52 सप्ताह के उच्च स्तर 18,529.70 पर पहुंच गया. बीएसई में सूचीबद्ध सभी शेयरों का बाजार पूंजीकरण 283.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाने से दलाल स्ट्रीट के निवेशक आज 2.46 लाख करोड़ रुपये के धनी हो गए. गुरुवार को बाजार की इस बढ़त के पीछे प्रमुख कारक इस प्रकार हैंः-
फेडरल रिजर्व दर वृद्धि में मंदी
फेडरल रिजर्व के नवीनतम मीटिंग मिनटों से पता चला है कि ज्यादातर नीति निर्माता ब्याज दरों में वृद्धि की धीमी गति की उम्मीद करते हैं, भले ही वे अनिश्चित हों कि बेंचमार्क दर कितनी ऊंची होगी. विश्लेषकों ने कहा कि फेडरल रिजर्व द्वारा छोटी दरों में बढ़ोतरी जोखिम वाली संपत्तियों के साथ-साथ सोने जैसी सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों के लिए भी सकारात्मक है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, 'व्यापक आधार पर खरीदारी की अगुवाई में घरेलू सूचकांकों में ठोस बढ़त देखी गई, क्योंकि निवेशकों ने एफओएमसी बैठक के नवीनतम मिनटों को डाइजेस्ट कर लिया, जिससे संकेत मिलता है कि दर वृद्धि चक्र धीमा हो सकता है.'
फर्म वैश्विक बाजार
इससे पहले एशियाई बाजारों में, जापान का निक्केई 225 0.95 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.96 प्रतिशत बढ़ा, जबकि चीन का शंघाई कंपोजिट 0.25 प्रतिशत गिरा. पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी बाजार हरे निशान में बंद हुए थे. डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 1.08 प्रतिशत, एसएंडपी 500 0.59 प्रतिशत और नैस्डैक कंपोजिट 0.99 प्रतिशत चढ़ा. थैंक्सगिविंग हॉलिडे के लिए गुरुवार को अमेरिकी बाजार बंद हैं.
कच्चे तेल की कीमतें
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से निवेशकों की धारणा को और बल मिला. नायर ने कहा कि रूसी तेल की कीमतों पर संभावित सीमा और अमेरिकी उत्पादों के भंडार में बढ़ोतरी की बातचीत से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है. ब्रेंट क्रूड वायदा 0.3 प्रतिशत गिरकर 85.13 डॉलर पर आ गया. अमेरिकी कच्चा तेल वायदा 0.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77.74 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. वे बुधवार को 3 प्रतिशत से अधिक गिर गए थे, क्योंकि ग्रुप ऑफ सेवन (जी7) देशों ने मौजूदा बाजार स्तर से ऊपर रूसी तेल की कीमत कैप पर विचार किया था.
भारतीय रुपये की कीमत में इजाफा
भारतीय रुपया पिछले सत्र में 81.8450 से बढ़कर 81.63 अमेरिकी डॉलर हो गया, अमेरिकी डॉलर में व्यापक गिरावट के बीच फेडरल रिजर्व मिनट्स ने दर वृद्धि की गति में गिरावट की उम्मीदों की फिर से पुष्टि की.
मासिक F&O एक्सपायरी
कारोबारियों द्वारा शॉर्ट कवरिंग के कारण भी खरीदारी में तेजी आई, क्योंकि आज मौजूदा महीने की डेरिवेटिव एक्सपायरी सीरीज का आखिरी दिन था.
Difference between S&P 500, Dow Jones and Nasdaq
Information about major indices of American stock markets
Many people who are new to investment and trading in US stock markets are not aware of the difference between the three major डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज क्या है stock indices. There are many websites on stock markets but they use technical jargons which make it difficult for a newbie to understand the concepts of stock markets. I डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज क्या है will try to explain it in simple terms for you. The S&P 500, Dow Jones and Nasdaq are three different American stock markets and there is a major difference between their indices. Dow Jones Industrial Average is also commonly known as Dow, it was started in 1896 and it represents the trading in stocks of top 30 companies of United States. Nasdaq 100 was started in 1985 and is majorly comprised of stocks of IT (information technology) and technological companies. Nasdaq represents trading in stocks of 100 such companies. S&P 500 was started in 1957 and like the name suggests, this index represents stocks from major 500 companies operating in United States of America. The S&P 500 companies are chosen from various different sectors such as finance, banking, energy, technology, manufacturing etc. These companies usually have a market value of more than 5 billion dollars.
Now comes the question as to which index should a trader track amongst the three indices, and how to use the difference between these indices to determine the sectors which are driving or dragging the US stock markets. Since the three indices S&P 500, Dow Jones and Nasdaq consist of different companies, the percentage change in their indices tells you a lot about which sector is driving or dragging the US markets. I will explain it with an example. Let us assume that on a given day, you see that Nasdaq is up by 0.7%, S&P 500 has gained 0.55% and Dow is up by 0.6%. Here you can see that it is Nasdaq which has gained the most amongst the three indices. Now as you know that Nasdaq comprises of stocks from IT (information technology) and other technological companies, then it means that companies from डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज क्या है these sectors are leading the gains in S&P 500 and Dow as well. Again, if one particular sector is leading the gains in S&P 500, obviously, there would a few sectors whose companies would be dragging the S&P 500 index down else it too should have been equal to 0.7%. If you can identify these sectors, then you can plan your trades and investments accordingly.
Since the S&P 500 has stocks from 500 top companies of America, it is widely believed to be a true barometer of the American economy. Almost all of the companies which are part of S&P 500 have overseas operation in other countries of the world, hence S&P 500 in a way also represents world economy as well. Most of the traders in US stock market and all over the world track changes in S&P 500 index and the price of stocks of its companies. The volatility in the stock market is also tracked from S&P 500 index. The S&P 500 futures are widely tracked all over the world and usually guide the stock markets of Asian and European countries. If you are new to trading in US stock markets, then you should track movements of various sectors and companies in S&P 500.
ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका में मंदी! शेयर मार्केट में भारी गिरावट, आज भारत में दिखेगा असर
नवंबर के महीने में खुदरा बिक्री (Retail Sales) के आंकड़ों में अनुमान से अधिक गिरावट आने के बाद गुरुवार को अमेरिकी मार्केट (US Share Market) में भारी गिरावट दर्ज की गई. इस वजह से अमेरिका में मंदी की आशंका (Recession in USA) गहरा गई है. क्योंकि फेडरल रिजर्व के लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है. डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज के लिए सितंबर के बाद गुरुवार सबसे खराब दिन साबित हुआ.
अमेरिकी बाजार में जोरदार गिरावट
डाउ जोन्स (Dow Jones) 764.13 अंक या 2.25% गिरकर 33,202.22 पर आ गया. एसएंडपी (S&P) 500, 2.49 फीसदी गिरकर 3,895.75 पर आ गया, जिससे दिसंबर में इसकी गिरावट लगभग 4.5 फीसदी हो गई. नैस्डैक कंपोजिट (Nasdaq Composite) 3.23 फीसदी गिरकर 10,810.53 पर आ गया. क्योंकि टेक-हैवी इंडेक्स ने 2022 में अपने नुकसान के आंकड़े को लगभग 31 फीसदी तक बढ़ा दिया है.
एप्पल-माइर्क्रोसॉफ्ट के शेयर टूटे
S&P 500 के ट्रेडिंग में केवल 14 स्टॉक पॉजिटिव नजर आए. एप्पल के शेयरों के साथ मेगा-कैप टेक स्टॉक में गिरावट दर्ज की गई. एप्पल अल्फाबेट के शेयर 4 फीसदी टूटे. वहीं, अमेजन और माइर्क्रोसॉफ्ट के शेयरों में 3 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई. Digiday की रिपोर्ट बाद नेटफ्लिक्स के शेयर 8.6 फीसदी तक गिर गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि नेटफ्लिक्स व्यूअरशिप में आई गिरावट के बाद विज्ञापनदाताओं को पैसे वापस करने की पेशकश कर रहा है.
महंगाई पड़ रही है भारी
निराशाजनक खुदरा बिक्री रिपोर्ट के अनुसार, महंगाई दर कंज्यूमर्स पर भारी पड़ रही है. कॉमर्स डिपार्टमेंट के अनुसार, नवंबर के महीने में खुदरा बिक्री में 0.6 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि Dow Jones ने 0.3 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था. केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने अपनी ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की है. इस इजाफे के बाद से अमेरिकी मार्केट में बिकवाली शुरू हो गई. केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि वह 2023 तक दरों में बढ़ोतरी जारी रखेगा और अपने फेड फंड की दर को 5.1% से अधिक उच्च स्तर पर ले जाने का अनुमान लगाया है.
फेड रिजर्व ने बढ़ाया है इंटरेस्ट रेट
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद फेड रिजर्व का टार्गेट रेट 4.25 फीसदी से लेकर 4.50 फीसदी के बीच पहुंच गया है. ये ब्याज दर पिछले 15 सालों यानी 2007 के बाद सबसे अधिक है. Dow Jones बुधवार को 34,000 से नीचे बंद हुआ था और फिर खराब खुदरा बिक्री डेटा के बाद से गुरुवार को बिकवाली तेज हो गई. मंदी की आशंका बढ़ने से बैंक शेयरों में भी गिरावट आई है. जेपी मॉर्गन चेस को लगभग 2.5 फीसदी का नुकसान हुआ है.
मंदी में फंस चुका है ब्रिटेन
ब्रिटेन पहले से ही आर्थिक मंदी की चपेट में आ चुका है. वहां, बढ़ती महंगाई दर ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की सरकार ने मंदी पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में इजाफा किया है. अमेरिकी मार्केट में आई गिरावट का असर आज भारतीय बाजार में भी दिख सकता है और शुक्रवार को भी स्टॉक मार्केट में बिकवाली नजर आ सकती है.
बैंक ऑफ इंग्लैंड ने बढ़ा दी हैं ब्याज दरें
बैंक ऑफ इंग्लैंड ने गुरुवार को अपनी प्रमुख ब्याज दर में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की है. इस सेंट्रल बैंक ने ब्याज दर में 0.50 फीसदी का इजाफा कर इसे 3.5 प्रतिशत पर पहुंचा दिया है. ये पिछले 14 सालों में इसका सबसे ऊंचा स्तर है. दिसंबर 2021 के बाद से ये लगातार 9वां मौका है, जब बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में इजाफा किया है.
भारत में क्या होगा असर?
गुरुवार को कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में बिकवाली दर्ज की गई थी. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों इंडेक्स तेज गिरावट के साथ क्लोज हुए थे. सेंसेक्स 879 अंकों की बड़ी गिरावट के साथ 61,799 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 245 अंक टूटकर 18,415 पर पहुंच गया था. अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी सीधे तौर पर भारत को भी प्रभावित करती हैं. फेड रिजर्व के ब्याज दरों में इजाफे में के बाद विदेशी इन्वेस्टर्स का निवेश भारतीय शेयर बाजार कम हो सकता है.
इससे घरेलू बाजारों से विदेशी निवेशकों की निकासी में बढ़ोतरी हो जाएगी. एक बार फिर से FII के भारत से बाहर निकलने की शुरुआत हो सकती है और बाजार में लगातार गिरावट देखने को मिल सकती है. हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपने रेपो रेट में 0.35 फीसदी का इजाफा किया है.
क्या है Dow Jones जिसकी वजह से डूबे भारतीय निवेशकों के 10 लाख करोड़ रुपये
डाओ जोंस दरअसल अमेरिकी स्टॉक मार्केट है। डॉव जोन्स के अंतर्गत 30 बड़ी कंपनियों लिस्टेड हैं। शेयर मार्केट में आई इस सुनामी के पीछे छुपे कई कारणों में से एक डाव जोन्स हैं ।
डाओ जोंस दरअसल अमेरिकी स्टॉक मार्केट है। डॉव जोन्स के अंतर्गत 30 बड़ी कंपनियों लिस्टेड हैं।
शेयर बाजार लगातार गिर रहा है, निवेशक लगातार घाटे में जा रहे हैं, हर सेकेंड करोड़ों का नुकसान हो रहा है। निवेशक शेयर बाजार की इस स्थिति के सामन्य होने की प्रर्थना कर रहे हैं। शेयर मार्केट में आई इस सुनामी के पीछे छुपे कई कारणों में से एक डाव जोन्स हैं । हम आपको बतातें हैं कि आखिर क्या है ये डॉव जोन्स जिसने ना सिर्फ भारतीय बल्कि दुनियाभर के निवेशकों की जान मुश्किल में डाल दी है।
क्या है डाओ जोन्स
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डाओ जोंस दरअसल अमेरिकी स्टॉक मार्केट है। डॉव जोन्स के अंतर्गत 30 बड़ी कंपनियों लिस्टेड हैं। साथ ही इन बड़ी कंपनियों के शेयर का रेट पता चलता है। बहरहाल सोमवार को डॉव जोन्स 1175 अंको की गिरावट के साथ 24345 अंकों पर बंद हुआ था। 2011 के बाद अमेरिकी शेयर मार्केट में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली। क्योंकि भारतीय स्टॉक मार्केट कुछ हद तक अमेरिकी स्टॉक मार्केट से प्रभावित रहता है, इसलिए अमेरिकी स्टॉक मार्केट में आए इस भूकंप के झटके भारतीय स्टॉक मार्केट में भी महसूस हुए हैं।
डॉओ जोन्स के डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज क्या है डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज क्या है डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज क्या है अंदर लिस्टेड हैं ये कंपनियां
डॉओ जोन्स में भी भारतीय सेंसेक्स की तरह 30 कंपनियां लिस्टेड हैं। जो 30 कंपनियां डॉओ जोन्स के अंदर लिस्टेड हैं उनके नाम कुछ इस तरह से हैं, नाइक, माइक्रोसॉफ्ट, एपल, बोइंग, 3एम, अमेरिकन एक्सप्रेस, कैटरपिलर, शेवरॉन, सीस्को, कोका-कोला, डिजनी,डॉवजू पॉन्ट, एक्सन मोबिल, जनरल इलेक्ट्रिक, गोल्डमैन, होम डिपो, आइबीएम, इंटेल, जॉनसन एंड जॉनसन, जेपी मॉर्गन चेज, मैकडॉन्लड, मर्क, पीफाइजर, प्रॉक्टर एंड गैंबल, ट्रैवलर कंपनीज, यूनाइटेड टेक्नोलॉजी, यूनाइटेड हेल्थ, वेरिजॉन, वीजा औऱ वॉलमार्ट।
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