इसे थोड़ा भाजपा के बयान से देखिये। साल 2013 में डॉलर के मुकाबले रुपये गिरकर 68 रुपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुकाबले रुपया तभी मजबूत होगा जब बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है देश में मजबूत नेता आएगा। उस समय कहा जा रहा था कि यह बताना मुश्किल है कि डॉलर के मुकाबले रुपया ज्यादा गिर रहा है या कांग्रेस पार्टी? कांग्रेस पार्टी और रुपये के गिरने में होड़ लगी है। 2018, 2019, 2020 और 2021 में लगातार रुपया कमज़ोर होता गया। चार बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है साल से भारत का रुपया कमज़ोर होता जा रहा है। अब यह कमजोर होकर सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है।
रुपया कमजोर नहीं बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है – वाशिंगटन डीसी में बोलीं निर्मला सीतारमण तो लोगों ने किए ऐसे कमेंट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Express Photo by Tashi Tobgyal)
डॉलर के मुकाबले रूपये में हो रही रिकॉर्ड गिरावट के बाद सरकार पर विपक्ष हमला कर रहा है। पीएम मोदी के पुराने भाषण के जरिये ही उनपर तंज कसा जा रहा है, जबकि मोदी सरकार का कहना है कि रूपये में गिरावट नहीं हो रही है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है और अन्य देशों की करेंसी की मुकाबले रूपया अच्छी स्थिति में है। वित्त मंत्री ने कहा कि आरबीआई (RBI) रुपये को नीचे जाने से रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है।
रूपये की गिरावट पर बोलीं वित्त मंत्री
निर्मला सीतारमण अमेरिका की अपनी आधिकारिक यात्रा पर हैं। वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कांफ्रेंस रिपोर्टर ने उनसे रुपये में हो रही गिरावट को लेकर सवाल किया तो वित्त मंत्री ने कहा कई मैं इसे ऐसे नहीं देखती हूं कि रुपया गिर रहा है, बल्कि ऐसे देखती हूं कि डॉलर मजबूत हो रहा है। डॉलर तेजी से मजबूत हो रहा है इसलिए वे करेंसीज कमजोर होंगी, जिसकी तुलना में ये मजबूत हो रहा है।
वित्त मंत्री के इस बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है बयान के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। प्रभाकर मिश्र ने लिखा कि फिर तो ठीक है! डॉलर को मजबूत होने से हम कैसे रोक सकते हैं। रोहिणी सिंह ने लिखा कि ‘ठंड नहीं बढ़ रही, हमारी सहने की क्षमता कम हो रही है’ की अपार सफलता के बाद! कुलदीप कादयान ने लिखा कि लो जी बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है हम सबकी नजर में ही फर्क है, रुपया कमजोर नहीं मजबूत है वो बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है तो डॉलर थोड़ा ज्यादा तगड़ा हो गया तो क्या करें, कोई नहीं अपने रुपए को थोड़ा सर्दियों में घी खिलाते हैं ताकि तगड़ा हो जाये।
Explainer: 'रुपया गिर नहीं रहा- डॉलर मज़बूत हो रहा' वित्तमंत्री के इस बयान पर क्या कहते हैं आंकड़े और एक्सपर्ट?
भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर है.
अमेरिकी डॉलर इस समय करीब 22 साल के उच्चतम स्तर पर ट्रेडिंग कर रहा और इसके मुकाबले दुनियाभर की करेंसी बौनी नजर आ रही ह . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 17, 2022, 17:35 IST
अमेरिकी डॉलर इस समय 22 साल के सबसे मजबूत स्थिति में है.
दुनियाभर में होने व्यापारिक लेनदेन में 40 फीसदी हिस्सेदारी डॉलर की रहती है.
अगर डॉलर में 10 फीसदी की मजबूती आई है तो महंगाई 1 फीसदी बढ़ जाएगी.
नई दिल्ली. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले कमजोर होती भारतीय मुद्रा का बचाव करते हुए कहा था- ‘रुपया गिर नहीं रहा- डॉलर मज़बूत हो रहा’. उनके इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले गए और विपक्ष ने रुपये की अनदेखी और बढ़ते आर्थिक दबाव को लेकर निशाना भी साधा था. हालांकि, वित्तमंत्री के बयान को बड़े कैनवास पर देखा जाए तो यह काफी हद तक सही भी नजर आता है.
लगातार कमजोर हो रहा रुपया?: अमेरिका में वित्त मंत्री सीतारमण बोलीं-रुपया कमजोर नहीं, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को (16 अक्टूबर) डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर होते रुपए पर अमेरिका में बयान दिया। निर्मला सीतारमण ने कहा कि रुपया कमजोर नहीं, बल्कि डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि रुपए ने अन्य उभरती मार्केट करेंसी की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।
डॉलर के मुकाबले रुपया ऑल टाइम लो पर
वित्त मंत्री का ये बयान ऐसे समय आया है, जब डॉलर के मुकाबले रुपया अपने ऑल टाइम लो पर बना हुआ है। शुक्रवार को रुपया 12 पैसे टूट कर 82.36 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
रुपए में लगातार गिरावट को लेकर सवाल
वित्त मंत्री इन दिनों इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) और वर्ल्ड बैंक की वार्षिक बैठकों में भाग लेने के लिए अमेरिका में हैं। इसी बीच वॉशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनसे रुपए में लगातार गिरावट को लेकर सवाल पूछा गया।
बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है। आज 1 डॉलर तब मिलेगा जब 82.38 रुपये दिए जाएंगे। आप कहेंगे कि डॉलर से आप के ऊपर तो कुछ भी फर्क नहीं पड़ता तो चिंता की क्या बात है? आपका 100 रुपया आज भी 100 रुपया है। उससे उतना ही सामान और सेवा खरीदी जा सकती है जितनी पहले मिलती थी तो चिंता की क्या बात? लेकिन यहीं आप ग़लत हैं। हकीकत यह है कि जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो भले ही आप चिंता करे या न करे,भले ही आपने जीवन में कभी डॉलर न देखा हो, मगर आप और हम जैसों आम लोगों पर ही असर पड़ता है।
भारत में सब कुछ तो पैदा नहीं होता। अपनी कई बुनियादी जरूरतों के लिए भारत विदेशों पर निर्भर है। विदेशी व्यापार डॉलर में होता है। क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को ही देखिये। भारत की जरूरत का तकरीबन 85 फीसदी बाहर से आयात बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है होता है। जब तेल की खरीदारी डॉलर में होगी तो इसका मतलब है कि बाहर से तेल मंगाने पर आपको ज़्यादा रुपया देना होगा। इससे क्या होगा। आपके देश में तेल के दाम बढ़ंगे। तेल यानी पेट्रोल, डीज़ल बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है के दाम बढ़गें तो आपको ज़्यादा रुपया चुकाना पड़ेगा। साथ ही अन्य सामानों पर भी महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ेगी तो इसका सबसे ज्यादा असर उन्हीं 90 प्रतिशत कामगारों पर पड़ेगा जो महीने में 25 हजार रुपये से कम कमाते हैं। यानी डॉलर के मुकाबले जब रुपया गिरता है तो आम आदमी की कमर तोड़ने वाले महंगाई अर्थव्यवस्था के गहरी जड़ों में समाने लगती हैं।
हाइलाइट्स
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 22 अक्तूबर, 2022 को 82.52 के भाव पर चल रहा था.
इस साल जनवरी में एक डॉलर के मुकाबले रुपये का वजन 73.81 के स्तर पर था.
यानी इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा पर 8.71 रुपये का बोझ बढ़ा.
नई दिल्ली. कोरोनाकाल जैसे गंभीर आर्थिक संकट से बाहर निकलकर तेज विकास हासिल करने की तरफ बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था की राह में इस समय सबसे बड़ा रोड़ा अमेरिका डॉलर बना हुआ है. तमाम ग्लोबल और लोकल परिस्थितियों की वजह से भारतीय मुद्रा इस समय दबाव में चल रही है और डॉलर के मुकाबले अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर है. लेकिन, सिर्फ इस बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है स्थिति को अगर ग्लोबल कैनवास पर देखें तो रुपया सिर्फ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ही कमजोर हुआ है, जबकि दुनिया की अन्य बड़ी करेंसियों को उसने साल 2022 में जबरदस्त पटखनी दी है.
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है 22 अक्तूबर, 2022 को 82.52 के भाव पर चल रहा था. अगर इसे 2022 की शुरुआत में देखें तो जनवरी में एक डॉलर के मुकाबले रुपये का वजन 73.81 के स्तर पर था. यानी इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा पर 8.71 रुपये का बोझ बढ़ा. अगर प्रतिशत में देखें तो यह 10 फीसदी भी थोड़ा ज्यादा है. वैसे तो किसी भी मुद्रा में 10 फीसदी की कमजोरी को सही नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन जिस तरह से अमेरिकी डॉलर अभी दुनियाभर की करेंसी पर हावी है, यह भारत के लिए ज्यादा चिंताजनक स्थिति नहीं है.
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