पूर्व डीजीपी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है – ”मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूँगा, लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है। धीरज रखें, मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूँगा।”
दवाइयों के रॉबिनहुड: ठीक हो चुके लोगों से कोरोना मेडिसिन जमा कर रहा मुंबई का कपल, 12 दिन में 20 किलो का स्टॉक; गरीबों को फ्री बांटेंगे
कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक हुई वृद्धि की वजह से मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में ऑक्सीजन, दवाइयों और बेड की कमी है। मुंबई में कोरोना रॉबिनहुड का विकल्प की दवाइयां खरीदने के लिए मेडिकल स्टोर्स के बाहर हर दिन लंबी-लंबी कतारें नजर आ रही हैं। कई लोग तो महंगी दवाएं खरीद भी नहीं पाते। ऐसे लोगों को राहत पहुंचाने का बीड़ा मुंबई के एक कपल ने इन दिनों उठाया है।
मुंबई के डॉक्टर मार्कस रैने और उनकी पत्नी डॉ. रैना कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों के घरों से दवाएं कलेक्ट करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। कफ परेड इलाके में रहने वाले इस कपल ने पिछले 10 दिन में कोरोनावायरस की 20 किलो दवाइयां इकट्ठी की हैं।
गांवों में स्वास्थ्य केंद्रों को दी जाएंगी दवाइयां
ये दवाइयां देश के ग्रामीण इलाकों में मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को दी जाएगी, ताकि कोरोना की चपेट में आए गरीब लोगों को मुफ्त में दवाएं मिल सके। रैने कपल की इस कोशिश को सोशल मीडिया में जमकर तारीफ मिल रही है और उन्हें दवाइयों का रॉबिनहुड कहा जा रहा है।
रॉबिनहुड का विकल्प
Sam Bankman-Fried is being sued by bankrupt bitcoin lender BlockFi for shares in Robinhood that the former FTX CEO reportedly pledged रॉबिनहुड का विकल्प as collateral earlier this month.
According to Financial Times, Sam Bankman-Fried has been sued by BlockFi over his ownership of Robinhood . The report was released right after BlockFi filed for chapter 11 bankruptcy protection a few hours ago. BlockFi’s complaint seeks Robinhood’s shares because SBF allegedly maintained them as collateral.
It should be made known that, Robinhood, which was purchased in May of this year, has 7.6% of the stock owned by the founder of FTX. The shares purchased by SBF’s Emergent Technologies were then valued at around $648 million . Additionally, it is claimed that Bankman-Fried was the only director that held the majority of the shares. The plans for the acquisition of Robinhood came after the thereof action, but it did not carry out eventually.
जेडीयू का सेफ गेम
जेडीयू (JDU) के अपने 115 प्रत्याशियों में भले ही गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) का नाम नहीं हो, लेकिन उनके ही जूनियर रहे बिहार के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी का नाम शामिल रॉबिनहुड का विकल्प है। 31 जुलाई को सेवा से रिटायर हुए आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार ने भी हाल ही में जदयू की सदस्यता ली थी। पार्टी ने इन्हें गोपालगंज की भोरे सीट (सुरक्षित) से टिकट दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जानेवाले सुनील कुमार…पटना के एसएसपी समेत बिहार में आईजी से लेकर रॉबिनहुड का विकल्प एडीजी (पुलिस मुख्यालय), डीजी (होमगार्ड) और डीजी (अग्निशमन) समेत कई पदों पर रह चुके हैं।
वैसे राजनीतिक तौर पर देखें तो जेडीयू ने ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया है। इस सीट से सुनील कुमार के बड़े भाई अनिल कुमार कई बार विधायक रह चुके हैं। महागठबंधन के सीटों के बंटवारे में सीटिंग विधायक अनिल कुमार की ये सीट लेफ्ट के खाते में चली गई है। इसलिए सुनील कुमार की राह आसान मानी जा रही है। इसके अलावा दलित बिरादरी से होने की रॉबिनहुड का विकल्प वजह से इनकी उम्मीदवारी, जदयू के राजनीतिक समीकरण में भी फिट बैठती है।
अब क्या करेंगे पांडेयजी?
काशी के बाबा से मुहूर्त निकलवाकर जदयू में शामिल हुए गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) की ग्रहदशा ठीक नहीं चल रही है। बक्सर की सीट बीजेपी रॉबिनहुड का विकल्प के खाते में जाने के बाद भी एक उम्मीद थी कि उन्हें वाल्मीकिनगर से उपचुनाव लड़ाया जा सकता है। जदयू सांसद बैद्यनाथ महतो की मृत्यु के कारण इस सीट पर उपचुनाव होना है। लेकिन जदयू ने यहां से भी दिवंगत सांसद बैद्यनाथ महतो के बेटे सुनील कुमार को अपना उम्मीदवार बनाने का ऐलान कर दिया है। इस तरह गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) के लिए इस साल का सियासी विकल्प लगभग खत्म ही हो गया है। अब बस एक ही उम्मीद बची है कि उन्हें बिहार विधानसभा परिषद का सदस्य बना दिया जाए। लेकिन ये वो मंजिल नहीं, जिसके लिए उन्होंने इतने पापड़ बेले!
ये सवाल अब भी बरकरार है कि गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) को टिकट क्यों नहीं मिला…या ऐसी क्या कमी है कि जेडीयू ने उनके नाम पर विचार नहीं किया? अगर बात बड़बोलेपन की है, तो बीजेपी और जेडीयू में ऐसा कई नेता हैं, जो अपनी बयानबाजी के विवादों में रहे हैं। वहीं, अगर जातीय समीकरण की बात करें तो एनडीए ने सवर्णों को टिकट देने में कोई कोताही नहीं की है। फिर ऐसा क्या है जिसकी वजह से जेडीयू बोगो सिंह, अमरेन्द्र पांडे जैसे बाहुबलियों और उनके भाई-भतीजों को तो टिकट दे देती है, लेकिन किसी पुलिस अधिकारी को नहीं?
सुल्ताना डाकू अंग्रेजों की नाक में दम करने वाला रॉबिनहुड, उसे पकड़ने के लिए बुलाए गए ब्रिटेन से पुलिस अधिकारी
नई दिल्ली। कानपुर में तीन जुलाई को मारे गए 8 पुलिसवालों का मुख्य हत्यारोपी और चर्चित गैंगस्टर्स विकास दुबे ( Vikas Dubey ) को मध्य प्रदेश पुलिस ( MP Police ) ने आज उज्जैन ( Ujjain ) से गिरफ्तार कर लिया है। इसी के साथ देश में अब तक चर्चित डॉन, गैंगस्टर्स, आतंकी, डाकुओं की चर्चा भी सुर्खियों में है। यही वजह है कि 96 साल बाद सुल्ताना डाकू ( Sultana Daku ) भी एक बार फिर चर्चा में है।
JDU से टिकट नहीं, LJP में चांस कम, क्या निर्दलीय बक्सर लड़ेंगे गुप्तेश्वर पांडेय
पटना. बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक और वीआरएस ले चुके आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन नीतीश कुमार के हाथों जेडीयू की सदस्यता लेने के बाद भी उनको टिकट नहीं मिला. अब पांडेय के सामने दो ही विकल्प हैं. या तो नीतीश कुमार पर भरोसा रखें और भविष्य में चुनावी वैतरणी पार करने के मौके का इंतजार करें. या इसी चुनाव में निर्दलीय लड़ जाएं या फिर चिराग पासवान की एलजेपी जैसी किसी और पार्टी या गठबंधन के टिकट पर भाग्य आजमा लें.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 289