आप भी करते हैं बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट तो जान लें कितना लगेगा टैक्स, ये हैं टैक्स का पूरा गणित
अगर आप अलग-अलग जगह पर निवेश करना पसंद करते हैं तो उसमें बॉन्ड में निवेश भी शामिल करें. ऐसा करने से लोगों के पोर्टफोलियो में अलग-अलग तरह के निवेश दिखते हैं और यह डायवर्सिफाई हो पाता है.
By: ABP Live | Updated at : 31 Mar 2022 12:21 PM (IST)
बॉन्ड खरीदने के फायदे
बॉन्ड एक साधन है जिसके द्वारा सरकार और कंपनियां पैसा जुटाती है. हर साल सरकार और अलग-अलग प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां भी अपना बॉन्ड जारी करती है. इस बॉन्ड के जरिए सरकार और कंपनियां पैसा जुटाती है. सरकार जिस बॉन्ड को जारी करती है वह सरकारी बॉन्ड यानी Government Bond कहलाता है. वहीं प्राइवेट कंपनियां जिस बॉन्ड को जारी करती क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं है उस बॉन्ड को कॉर्पोरेट बांड कहते हैं. सरकार और प्राइवेट कंपनियां अपने खर्चे को पूरा करने के लिए निवेशकों के लिए बॉन्ड जारी करती है. बाद में इस बॉन्ड को वह बेच देती है. इससे जो पैसा जुटता है वह सरकारी प्रोजेक्ट और कंपनी की ग्रोथ के लिए खर्च किया जाता है.
बॉन्ड खरीदने के फायदे-
अगर आप अलग-अलग जगह पर निवेश करना पसंद करते हैं तो उसमें बॉन्ड में निवेश भी शामिल करें. ऐसा करने से लोगों के पोर्टफोलियो में अलग-अलग तरह के निवेश दिखते हैं और यह डायवर्सिफाई हो पाता है. बता दें कि मार्केट में ऐसे बॉन्ड भी मौजूद है जो आपको टैक्स छूट में लाभ देते हैं. इसके अलावा ऐसे बॉन्ड भी मार्केट में है जो आपको लॉन्ग टर्म में कैपिटल गेन्स पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा. गौरतलब है कि बॉन्ड में निवेश करना बहुत सुरक्षित माना जाता है.
सरकारी बॉन्ड में पैसे डूबने की संभावना बहुत कम होता है. इसके साथ ही इस पर ब्याज दर पहले से तय रहता है. लेकिन, बहुत से बॉन्ड पर टैक्स लगता है जिसे किसी भी निवेशक को निवेश करने से पहले जानना जरूरी है. तो चलिए जानते हैं कि इस बॉन्ड पर कितना क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं टैक्स लगेगा.
लिस्टेड बॉन्ड
लिस्टेड बॉन्ड (Listed Bond) एक लॉन्ग टर्म का बॉन्ड है. इस बॉन्ड की समय सीमा एक साल से ज्यादा की होती है. इस बॉन्ड की कमाई पर टैक्स इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगता है. इसके अलावा इसकी कमाई पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स का भी टैक्स स्लैब लगता है जो 10.4 प्रतिशत होता है.
News Reels
सेक्शन 10 (15) टैक्स फ्री बांड
यह बॉन्ड भी एक तरह का लिस्टेड बॉन्ड है जिसमें निवेश करने पर आप बॉन्ड की मैच्योरिटी से पहले भी पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. इस स्कीम में आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स स्लैब के अनुसार 10.4 प्रतिशत टैक्स लगता है.
54 ईसी बॉन्ड
यह भी एक तरह का हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन आदि द्वारा जारी किया जाने वाला सरकारी लिस्टेड बॉन्ड है. इस बॉन्ड में टैक्स स्लैब के नियमों के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होता है.
ये भी पढ़ें-
Published at : 31 Mar 2022 01:25 PM (IST) Tags: Government bond Corporate Bond Bond Investment हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
Mutual Fund में निवेश की प्लानिंग? ऐसे उठाएं अधिक ब्याज का लाभ, जानें कैसे करें तैयारी
शॉर्ट टर्म इनवेस्टर्स, जिनके पास 6 महीने से लेकर दो साल तक का टाइम है, उन्हें डेट म्यूचुअल फंड्स- लिक्विड, मनी मार्केट और बॉन्ड फंड्स में निवेश करना चाहिए।
Mutual Funds में निवेश की कैसे करें प्लानिंग (फोटो-Freepik)
म्यूचुअल फंड में अधिक समय के लिए निवेश की सलाह दी जाती है, ताकि आपको एक अच्छा फंड मिल सके। अगर आप भी निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं और म्यूच्युअल फंड से अच्छा पैसा बनाना चाहते हैं तो यह खबर आपकी मदद कर सकती है। आइए विशेषज्ञों से जाने कैसे करें निवेश की प्लानिंग और किस तरह आपको अधिक रिटर्न मिल सकता है?
किस तरह के फंड में अधिक रिटर्न
कर और निवेश विशेषज्ञों के अनुसार, दरों में बढ़ोतरी का असर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न पर शॉर्ट टर्म यानी 6 महीने से लेकर दो साल तक हो सकता है। मिंट की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि शॉर्ट टर्म क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं इनवेस्टर्स, जिनके पास 6 महीने से लेकर दो साल तक का टाइम है, उन्हें डेट म्यूचुअल फंड्स- लिक्विड, मनी मार्केट और बॉन्ड फंड्स में निवेश करना चाहिए। इस तरह के फंड से उनके मौजूदा वार्षिक औसत रिटर्न से 0.50 से 1 फीसदी अधिक ब्याज मिल सकता है।
एक से तीन महीने के लिए इन फंडों में कर सकते हैं निवेश
माईफंडबाजार के सीईओ और संस्थापक विनीत खंडारे ने मिंट से कहा कि प्रत्येक निवेशक पोर्टफोलियो को उन फंडों में निवेश कर सकते हैं, जिनके ब्याज दर बढ़ रहे हैं। हालाकि इसमें 2 से कम के लिए निवेशित रहना चाहिए। वहीं अगर एक महीने या उससे कम के निवेश करना चाहते हैं तो अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड ले सकते हैं, जबकि तिमाही महीने के निवेश के लिए मनी मार्केट फंड खरीद सकते हैं।
Budhaditya Yog: सूर्य देव का होगा वृश्चिक में प्रवेश, बुधादित्य राजयोग क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं से 3 राशि वालों की चमक सकती है किस्मत
Venus Transit: शुक्र ग्रह ने किया वृश्चिक राशि में प्रवेश, इन 3 राशि वालों को मिली दरिद्र योग से मुक्ति, क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं धनलाभ के आसार
Raj Yog: नवपंचम राजयोग बनने से इन 3 राशि वालों का चमक सकता है भाग्य, बुध और शुक्र ग्रह की रहेगी असीम कृपा
लंबे समय तक निवेशित रहने क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं वाले टारगेट फंड का कर सकते हैं चयन
इसके अलावा अगर आप एक साल के लिए निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं, तो निवेशकों को हाई रिटर्न और बाजार में उसके स्थिति को देखना चाहिए। लंबे समय तक निवेशित रहने वाले निवेशक टर्म निवेश के साथ टारगेट मैच्योरिटी फंड में निवेश कर सकते हैं।
बदल सकते हैं म्यूच्युल फंड
आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर म्यूचुअल फंड निवेश में बदलाव पर, मास्टरट्रस्ट की वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पालका अरोड़ा चोपड़ा ने कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण ब्याज दरों में वृद्धि के साथ, निवेशकों को अपने मौजूदा डेट फंड पोर्टफोलियो को बदलना होगा। साथ ही नए निवेश की योजना भी बनाई चाहिए। बढ़ती ब्याज दरों से लाभ प्राप्त करने के लिए तरल और मुद्रा बाजार फंड में निवेश करना चाहिए। निवेशक लंबे समय तक डायनेमिक बॉन्ड फंड देख सकते हैं।
शॉर्ट टर्म के लिए किस फंड में अधिक ब्याज
शॉर्ट टर्म में डेट फंड से उम्मीद जैसे रिटर्न पर ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला ने कहा कि दो साल तक की मैच्योरिटी वाला कोई भी डेट म्यूचुअल फंड लिक्विड या ओवरनाइट फंड की तुलना में काफी अधिक ब्याज दे सकता है। लिक्विड फंड में कम अस्थिरता के साथ लगभग 4.75 प्रतिशत से 5 प्रतिशत ब्याज आय की पेशकश करने की संभावना है। एक बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड जिसमें 6.80 प्रतिशत से 7 प्रतिशत दो साल के लिए बैलेंस फंड हो सकते हैं। इन फंडों के 3-6 महीनों में काफी अच्छा होने की उम्मीद है।
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के पंकज मथपाल के अनुसार, डेट म्यूचुअल फंड के लिए नीचे दिए गए कुछ फंडों में निवेश कर सकते हैं, जिसमें निवेशकों को वार्षिक रिटर्न से 0.50 प्रतिशत से 1.0 प्रतिशत अधिक ब्याज मिल सकता है।
कम समय के फंड दिला सकते हैं अधिक मुनाफा
Short term funds: चालू वित्तीय वर्ष में रेपो रेट में और 50-75 आधार अंकों की वृद्धि किए जाने का अनुमान है। इस परिदृश्य में डेट फंड मैनेजर अल्पकालिक फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर रोक लगाने के लिए हाल ही में मौद्रिक नीति समिति की बैठक में चौथी बार रेपो रेट बढ़ाया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 50 आधार अंक बढ़ाये जाने के बाद रेपो रेट 5.4% से बढ़कर 5.9% हो गई है। रेपो रेट में लगातार बढ़ोत्तरी के इस दौर में अल्पकालिक योजनाओं में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान समय में यील्ड कर्व समतल है, ऐसी स्थिति में लंबे समय के लिए निवेश करने में जोखिम हो सकता है।
निवेश करने के बारे में विशेषज्ञों की सलाह
वर्तमान परिदृश्य में निवेश करने के बारे में कई विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की है। मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सीआईओ महेंद्र कुमार जाजू के अनुसार मौजूदा परिदृश्य में अल्पावधि योजना में निवेश करना ही सही होगा। क्योंकि एसडीएफ के द्वारा लिक्विडिटी के सामान्य होने और आगामी नीतियों के कारण इसमें अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है। इस समय में एक वर्ष से कम समय के लिए किया गया निवेश यानी अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड आपको को ज्यादा मुनाफा दिला सकता है।
टाटा म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के हेड मूर्ति नागराजन ने जानकारी दी कि लगभग तीन साल के बाद यील्ड कर्व समतल रूख दिखा रहा है। इस स्थिति में निवेशकों को समय के आधार पर निवेश करने की सलाह दी जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि निवेशक एक महीने के लिए अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में, 1 से 2 महीने के लिए मनी मार्केट फंड में या 2 से 4 महीने, 4 से 6 महीने के लिए फ्लोटिंग रेट फंड में और 6 महीने के शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा जो निवेशक ही एक साल के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, वे निवशक गिल्ट फंड में भी निवेश कर सकते हैं। गिल्ट फंड में एक साल के लिए निवेश किया जा सकता है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए जो सख्त नीति अपनाई है, उसके जारी रहने की उम्मीद की जा रही है, और अनुमान है कि आने वाले समय में वह और भी सख्त कदम उठा सकता है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि फेडरल दिसंबर तक एमपीसी को नियंत्रित करने के लिए और 35 आधार अंकों की वृद्धि कर सकता है। एक्सिस म्यूचुअल फंड की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि मौजूदा यील्ड कर्व में शॉर्ट से मीडियम टर्म में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छा मौका है। तीन साल या उससे अधिक समय के लिए निवेश करने पर जोखिम की संभावना हो सकती है। बाजार की मौजूदा रणनीति प्रतिस्पर्धी और कम अस्थिरता वाली होने के कारण निवेशक छह महीने और दो साल की अवधि के लिए निवेश करना पसंद कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति बनी रह सकती है और नीतिगत दरों में तब तक बढ़ोतरी जारी रहेगी जब तक कि मुद्रास्फीति कम होती नहीं दिखाई देती। इसलिए अगर आप भी निवेश करना चाहते हैं तो अल्पावधि योजनाओं में ही निवेश करें।
Short term funds: चालू वित्तीय वर्ष में रेपो रेट में और 50-75 आधार अंकों की वृद्धि किए जाने का अनुमान है। इस परिदृश्य में डेट फंड मैनेजर अल्पकालिक फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर रोक लगाने के लिए हाल ही में मौद्रिक नीति समिति की बैठक में चौथी बार रेपो रेट बढ़ाया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 50 आधार अंक बढ़ाये जाने के बाद रेपो रेट 5.4% से बढ़कर 5.9% हो गई है। रेपो रेट में लगातार बढ़ोत्तरी के इस दौर में अल्पकालिक योजनाओं में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान समय में यील्ड कर्व समतल है, ऐसी स्थिति में लंबे समय के लिए निवेश करने में जोखिम हो सकता है।
निवेश करने के बारे में विशेषज्ञों की सलाह
वर्तमान परिदृश्य में निवेश करने के बारे में कई विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की है। मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सीआईओ महेंद्र कुमार जाजू के अनुसार मौजूदा परिदृश्य में अल्पावधि योजना में निवेश करना ही सही होगा। क्योंकि एसडीएफ के द्वारा लिक्विडिटी के सामान्य होने और आगामी नीतियों के कारण इसमें अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है। इस समय में एक वर्ष से कम समय के लिए किया गया निवेश यानी अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड आपको को ज्यादा मुनाफा दिला सकता है।
टाटा म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के हेड मूर्ति नागराजन ने जानकारी दी कि लगभग तीन साल के बाद यील्ड कर्व समतल रूख दिखा रहा है। इस स्थिति में निवेशकों को समय के आधार पर निवेश करने की सलाह दी जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि निवेशक एक महीने के लिए अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में, 1 से 2 महीने के लिए मनी मार्केट फंड में या 2 से 4 महीने, 4 से 6 महीने के लिए फ्लोटिंग रेट फंड में और 6 महीने के शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा जो निवेशक ही एक साल के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, वे निवशक गिल्ट फंड में भी निवेश कर सकते हैं। गिल्ट फंड में एक साल के लिए निवेश किया जा सकता है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए जो सख्त नीति अपनाई है, उसके जारी रहने की उम्मीद की जा रही है, और अनुमान है कि आने वाले समय में वह और भी सख्त कदम उठा सकता है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि फेडरल क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं दिसंबर तक एमपीसी को नियंत्रित करने के लिए और 35 आधार अंकों की वृद्धि कर सकता है। एक्सिस म्यूचुअल फंड की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि मौजूदा यील्ड कर्व में शॉर्ट से मीडियम टर्म में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छा मौका है। तीन साल या उससे अधिक समय के लिए निवेश करने पर जोखिम की संभावना हो सकती है। बाजार की मौजूदा रणनीति प्रतिस्पर्धी और कम अस्थिरता वाली होने के कारण निवेशक छह महीने और दो साल की अवधि के लिए निवेश करना पसंद कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति बनी रह सकती है और नीतिगत दरों में तब तक बढ़ोतरी जारी रहेगी जब तक कि मुद्रास्फीति कम होती नहीं दिखाई देती। इसलिए अगर आप भी निवेश करना चाहते हैं तो अल्पावधि योजनाओं में ही निवेश करें।
डेट फंड किसे कहते हैं? फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले क्या लिक्विड फंड बेहतर?
अगर आप अधिकतम तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर आपके सामने पहला विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का है. लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड (Debt Funds) में निवेश कर सकते हैं.
दरअसल, डेट फंड कम जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद करता है. क्योंकि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. अक्सर देखा गया है कि Fixed Deposit के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual Fund) में ज्यादा रिटर्न मिल जाता है.
वैसे अगर निवेश का लंबे समय तक का प्लान है तो फिर निवेशक को इक्विटी फंड में निवेश की सलाह दी जाती है, क्योंकि वो बाजार में अस्थिरता से हुए नुकसान को पूरा कर सकते हैं. लेकिन छोटी अवधि के लिए डेट फंड्स बेहतर विकल्प हैं. निवेशक को डेट फंड में ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
इसके अलावा जिन निवेशकों की आय स्थिर नहीं है, उन्हें एक बड़ा हिस्सा डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए. ताकि उनका निवेश अधिक सुरक्षित रहे और जरूरत पड़ने पर तुरंत अपना पैसा निकाल सकें. डेट फंड्स (Debt Funds) का पैसा फिक्स्ड रिटर्न (Fixed Return) देने वाले बॉन्ड में लगाया जाता है.
डेट फंड क्या है?
डेट फंड म्यूचुअल फंड में निवेश का एक कैटेगरी है. डेट म्यूचुअल फंड फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी में पैसा लगाते हैं. इनमें बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर वगैरह क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं शामिल हैं. यानी सुरक्षित जगह पर निवेश किया जाता है. आमतौर पर डेट फंड की तय मैच्योरिटी डेट होती है. यहां पैसा इक्विटी फंड के मुकाबले सुरक्षित होता है.
डेट म्यूचुअल फंड की विभिन्न कैटेगरी हैं. कुछ स्कीम्स शॉर्ट-टर्म सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. वहीं, दूसरी लंबी अवधि के बॉन्ड में पैसा लगाती हैं. इन सभी कैटेगरी में जोखिम भी अलग-अलग तरह का होता है. इसलिए निवेश से पहले सही कैटेगरी का चयन जरूरी है.
डेट फंड के फायदे
डेट फंड का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को सुरक्षित निवेश के जरिए अच्छा रिटर्न देना होता है. डेट फंड को ही लिक्विड (Liquid Fund) भी कहा जाता है. क्योंकि इसमें लिक्विडिटी की भी कोई समस्या नहीं होती है. यानी जब चाहें आप अपना पैसा निकाल सकते हैं. इन फंडों से पैसे निकालने के आवेदन करने के एक दिन के भीतर आपके खाते में पैसा आ जाता है. वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट में समय से पहले पैसे निकालने पर भारी नुकसान होता है. (Photo: Getty Images)
Debt funds से मुनाफे पर टैक्स का प्रावधान है. डेट फंड को 3 साल के बाद भुनाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता है. 3 साल के पहले डेट म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने से हुए मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है. इस शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को आपकी कुल आमदनी में जोड़ा जाएगा और फिर Tax Slab के हिसाब से Tax की गणना की जाएगी. (Photo: Getty Images)
कॉरपोरेट बॉन्ड फंड : स्थिर रिटर्न और जोखिम भी नहीं
नई दिल्ली । कॉरपोरेट बॉन्ड को नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) भी कहा जाता है। कंपनियां बैंक लोन के विकल्प के रूप में कॉरपोरेट बॉन्ड जारी कर पैसे जुटाती हैं। यह एक तरह का कर्ज है जिसके बदले कंपनियां ब्याज चुकाती हैं। किसी कंपनी का कॉरपोरेट बॉन्ड कितना सुरक्षित है, इसके लिए क्रेडिट रेटिंग ऐजेंसियां रेटिंग जारी करती हैं। शॉर्ट और लॉन्ग टर्म के लिए अलग-अलग रेटिंग जारी होती है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 813