Updated on: November 20, 2022 21:59 IST
आप बस एक क्लिक में Apple के शेयर खरीद सकते हैं, जानिए कैसे?
ऐसे कई प्लेटफॉर्म हैं जो भारतीय निवेशकों को Nasdaq में लिस्टेड शेयर खरीदने का मौका देते हैं
Google, एपल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के शेयरों से होने वाला मुनाफा देखकर आपने भी इनमें निवेश करने के बारे में सोचा होगा। अगर कुछ ऐसा ही खयाल आपके मन में है तो हम बता रहे हैं कि आप कैसे निवेश कर सकते हैं।
Apple का मार्केट कैपिटलाइजेशन करीब 2.51 लाख करोड़ डॉलर है। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट लगभग 2.27 लाख करोड़ करोड़ डॉलर पर है। अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होने के बावजूद एपल के शेयर्स को भारत में खरीदा जा सकता है।
नैस्डेक स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड एपल के शेयर्स को खरीदना आपके iPhone से NSE पर ट्रेडिंग वाले स्टॉक्स को खरीदने जितना ही आसान है।
स्टॉक मार्केट के एक्सपर्ट्स ने बताया कि कुछ ऐप्स भारतीय इनवेस्टर्स को आसानी से विदेशी स्टॉक्स को खरीदने की सुविधा देती हैं।
एपल के शेयर का प्राइस अभी लगभग 152 डॉलर है और इसकी 52 सप्ताह की रेंज 103.10 डॉलर से 154.98 डॉलर के बीच है। मौजूदा मार्केट प्राइस पर एपल क्या स्टॉक का 1 शेयर खरीदना इसके लायक है के शेयर का देश में प्राइस लगभग 11,000 रुपये है। हालांकि, इनवेस्टर्स एपल, एमेजॉन या माइक्रोसॉफ्ट सहित अमेरिकी स्टॉक्स का कुछ हिस्सा भी खरीद सकते हैं।
किसी कंपनी का शेयर खरीदने से पहले इस तरह चेक करें कि वह सस्ता है या महंगा, हमेशा फायदे में रहेंगे
आमतौर पर नए-नए निवेशकों को 500 रुपये के मुकाबले 50 रुपये वाले स्टॉक ज्यादा आकर्षक लगते हैं, सस्ते लगते हैं। ये उन निवेशकों की बड़ी भूल हो सकती है।
Written By: ANISH KUMAR SINGH
Updated on: November 20, 2022 21:59 IST
Photo:FILE शेयर
नई दिल्ली, अनीश कुमार सिंह। म्यूचुअल फंड से अपनी इन्वेस्टमेंट की यात्रा शुरू करने के बाद एक समय ऐसा आता है कि आप शेयरों को भी इन्वेस्टमेंट के लिहाज से खरीदकर लॉन्ग टर्म के लिए रखना चाहते हैं। ऐसे में बहुत से लोग पेनी स्टॉक में फंस जाते हैं। पेनी स्टॉक वैसे स्टॉक होते हैं जिनकी कीमत 50 रुपये प्रति शेयर से कम होती है। नए-नए इन्वेस्टर्स इन पेनी स्टॉक को सस्ता समझकर खरीद लेते हैं। चूंकि इस तरह के स्टॉक में Volatility यानी अस्थिरता ज्यादा होती है और इनमें से कई फंडामेंटली स्ट्रॉन्ग भी नहीं होते, इसलिए नए-नए निवेशक इन पेनी स्टॉक्स में उलझकर अपना बड़ा नुकसान कर लेते हैं। ऐसे नुकसान से बचने के लिए क्या करें, आइए जानते हैं।
शेयर लेने में सब्जी खरीदने जैसा दिमाग लगाएं
आमतौर पर नए-नए निवेशकों को 500 रुपये के मुकाबले 50 रुपये वाले स्टॉक ज्यादा आकर्षक लगते हैं, सस्ते लगते हैं। ये उन निवेशकों की बड़ी भूल हो सकती है। इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं। आप सब्जी मार्केट क्या स्टॉक का 1 शेयर खरीदना इसके लायक है जाते हैं। वहां आपको आलू 50 रुपये किलो मिल रहा होता है, और परवल 60 रुपये किलो। आप किसे सस्ता समझेंगे। जो लोग सब्जी मार्केट नहीं जाते हैं उन्हें आलू और परवल में यहां आलू सस्ता लगेगा, लेकिन हकीकत में यहां आलू के मुकाबले परवल सस्ता है। अमूमन आलू का भाव खुदरा मार्केट में 30 रुपये प्रति किलो क्या स्टॉक का 1 शेयर खरीदना इसके लायक है के ईर्द-गिर्द रहता है बशर्ते कि उसकी सप्लाई में कोई बड़ी कमी न हो, या फिर किसी अप्रत्याशित कारण से अचानक उसकी डिमांड न बढ़ गई हो। जबकि परवल अपने सीजन में 15 से 20 रुपये पाव के हिसाब से दिल्ली-एनसीआर में आसानी से मिल जाता है। यानी परवल की यहां Intrinsic Value(जिसे हम आम बोल-चाल की भाषा में मोलाई भाव भी कह सकते हैं)उसके करेंट प्राइस के बराबर या पास में है। यानि आमतौर पर कोई भी ग्राहक दुकानदार से दाम कम करने के लिए नहीं कहेगा। इसका मतलब ये है कि उस ग्राहक को पता है कि परवल सही दाम पर बिक रहा है। और वो अपने हिसाब से परवल ले लेता है। लेकिन 50 रुपये प्रति किलो आलू बेचने वाले के पास ग्राहक जाकर उससे दाम कम करने के लिए जरूर कहेगा। यानी उस ग्राहक को आलू का Intrinsic Value पता है। जो अभी काफी ज्यादा है। इस उदाहरण से आप समझ गए होंगे कि परवल यहां आलू के मुकाबले सस्ता है। अगर आप ये बात जान गए तो आप अच्छे शेयर का चुनाव भी कुछ यही फॉर्मूला लगाकर कर सकते हैं।
Intrinsic Value बताएगा शेयर सस्ता है या महंगा
आसान शब्दों में कहें तो जिस तरह आप सब्जी खरीदने में आम तौर पर मोलाई करते हैं। यानी सब्जी के दाम को कम करने के लिए दुकानदार को कहते हैं, ठीक उसी तरह का काम इन्वेस्टमेंट की भाषा में Intrinsic Value का है। शेयर सस्ता है या महंगा बहुत हद तक इससे पता चल जाता है। अगर शेयर की करेंट प्राइस Intrinsic Value से अधिक है तो शेयर महंगा है, और अगर कम है तो शेयर लेने लायक है (ऊपर के उदाहरण से आपको ये बात समझ आ गई होगी) आपको Intrinsic Value निकालने की जरूरत भी नहीं। इसे आप गूगल में सर्च कर देख सकते हैं या फिर टिकर टेप जैसी साइट पर जाकर इसे देख सकते हैं। चलिए सस्ते शेयर का पता लगाने के लिए Intrinsic Value को समझने का पहला स्टेज तो आप पार कर गए, अब बारी आती है दूसरे स्टेज की।
PE Ratio जानकर सस्ते शेयर को चुने
इसे Price Upon Earning Ratio कहते हैं। साधारण भाषा में कहें तो किसी शेयर से 1 रुपये कमाने के लिए कितने रुपये आपको लगाने पड़ेंगे, ये PE Ratio से पता लगता है। किसी शेयर का PE जितना कम हो उतना सही माना जाता है। एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए आपकी लिस्ट में एक ही क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियां हैं। दोनों कंपनियां अच्छा रिटर्न जेनरेट कर रही हैं। एक कंपनी का PE ज्यादा और दूसरी का कम है, तो पहली नज़र में जिस कंपनी का PE कम है उसपर आपको फोकस करना चाहिए। आम तौर पर 20 या इससे कम की PE अच्छी मानी जाती है। लेकिन कुछ इमर्जिंग शेयरों के लिए ये Ratio बहुत ज्यादा भी हो सकता है। वैसे तीन और जरूरी Ratio होते हैं जिनका इस्तेमाल हम अच्छे शेयर के चुनाव में करते हैं। PB ratio, Current ratio और Debt to Equity ratio..जिन्हें हम बाद में जानेंगे।
जो शेयर अच्छा है, जरूरी नहीं अभी सस्ता है
इसका एक बेहतरीन उदाहरण आपको देता हूं। मेरे एक मित्र को D-Mart का शेयर बहुत अच्छा लगा(इस शेयर का जिक्र महज उदाहरण के तौर पर किया गया है, इसे किसी तरह का Recommendation न समझें) आमतौर पर हम सुनते हैं कि उसी स्टॉक में निवेश करो जिसके बारे में आप जानते हैं, जिसका प्रोडक्ट आप इस्तेमाल करते हैं। ये ठीक भी है। FMCG सेक्टर में HUL और ITC के प्रोडक्ट्स किसके घर में प्रयोग नहीं किए जाते। लेकिन अगर इसके प्रोडक्ट्स बाजार भाव से सस्ते में मिले तो क्या कहना। मेरे एक मित्र मेरे पास आए और बोले, भाई D-Mart में सामान सस्ते मिलते हैं। लोगों की काफी भीड़ रहती है। सामान हाथों-हाथ बिक जाते हैं। ये कंपनी शानदार प्रॉफिट बनाती होगी। तो क्यों न इसके शेयर लिए जाएं, तो सुझाव ये है कि अभी इस शेयर को इन्वेस्टमेंट के लिहाज से नहीं लिया जा सकता। इसके दो कारण हैं। पहला कारण इसका करेंट प्राइस इसकी Intrinsic Value से ज्यादा है। यानी खरीदने के लिए जो इसका भाव होना चाहिए ये उससे काफी महंगे रेट पर मौजूद है(ख़बर लिखे जाने के दिन तक) और दूसरी बात ये कि इसका PE Ratio भी सेक्टर के PE की तुलना में ज्यादा है। फिलहाल इसका PE:187 है। यानी इस शेयर से एक रुपये कमाने के लिए आपको 187 रुपये लगाने होंगे। हां, आप एक काम कर सकते हैं, इस शेयर को हर डेढ़ या 2 फीसदी की गिरावट पर खरीदते जाएं। या फिर किसी बड़े डीप करेक्शन का इंतज़ार करें। जिसमें आपका मनपसंद स्टॉक अपने Intrinsic Value के आस-पास आ जाए, या फिर उसका PE ratio उसके सेक्टर के ratio के आस-पास आ जाए। इस तरह आप कुछ जरूरी चीजों को समझकर अच्छे शेयर का चुनाव कर सकते हैं। और अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग सेक्टर के बेहतरीन स्टॉक्स से हमेशा हरियाली में रख सकते हैं, साथ ही भविष्य में बढ़िया पैसे जनरेट कर पाएंगे।
(लेखक इंडिया टीवी में सीनियर एडिटर के पद पर कार्यरत हैं।)
बड़ी घटनाओं क्या स्टॉक का 1 शेयर खरीदना इसके लायक है के समय शेयर प्राइस देखें, इससे इसकी मजबूती का पता चलेगा- अजय मेनन
मुंबई. जल्दी पैसे कमाने की चाह में लोग अक्सर शेयर बाजार का रुख करते हैं। लेकिन शेयर में पैसे बनाना आसान नहीं है। इसके लिए धैर्य और अनुशासन के साथ काफी रिसर्च और बाजार की समझ होना भी जरूरी है। देश में सिर्फ 2% लोग स्टॉक में निवेश करते हैं। हम यहां बाजार में इस्तेमाल होने वाले चुनिंदा शब्दों के बारे में बता रहे हैं। बाजार में सफल होने का कोई निश्चित फार्मूला नहीं है। फिर भी इन पर ध्यान देकर बेहतर रिटर्न हासिल किया जा सकता है।
स्टॉक प्राइस: इसका मतलब है कि एक शेयर खरीदने के लिए आप कितने पैसे दे रहे हैं। स्टॉक की कीमत रोज घटती-बढ़ती रहती है लेकिन इससे उस स्टॉक विशेष के बारे में जानकारी नहीं मिलती। इसलिए शेयर प्राइस के साथ कंपनी की कमाई जैसे तथ्यों को भी जोड़ कर देखना चाहिए। इससे पता चलेगा कि आप शेयर के लिए जितने पैसे दे रहे हैं वह उस लायक है या नहीं।
स्टॉक प्राइस चार्ट: यह रोज की कीमत का चार्ट होता है। इससे ट्रेंड का अंदाजा मिलता है। आमतौर पर 52 हफ्ते के दौरान शेयर की कीमत का ट्रेंड देखा जाता है। शेयर की कीमत कब एक साल के उच्चतम और न्यूनतम स्तर पर गई, उसे महत्वपूर्ण आर्थिक घटनाओं से जोड़कर देखा जा सकता है। इससे पता चलेगा कि इन घटनाओं का शेयर पर क्या असर होता है।
मार्केट कैपिटलाइजेशन: इसे मार्केट कैप भी कहते हैं। इससे पता चलता है कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी के शेयरों की क्या स्टॉक का 1 शेयर खरीदना इसके लायक है संख्या को कीमत से गुणा करके इसे निकालते हैं। 5,000 करोड़ रु. तक मार्केट कैप वाली कंपनी को स्मॉल कैप, 25 हजार करोड़ तक की कंपनी को मिडकैप और इससे ज्यादा की कंपनी को लार्ज कैप कहते हंै। दो कंपनियों के बीच विश्लेषण के लिए यह महत्वपूर्ण टूल है।
वॉल्यूम: इससे पता चलता है कि स्टॉक में कितनी ट्रेडिंग हो रही है, कितने लोग शेयर खरीद और बेच रहे हैं। हमेशा ज्यादा वॉल्यूम (कम से कम 10,000) वाले शेयर खरीदने चाहिए। ऐसे शेयर खरीदना-बेचना आसान होता है। कम स्टॉक वाले शेयरों से बचना चाहिए क्योंकि जब बेचना चाहें तब हो सकता है खरीदार ही ना मिले।
ईपीएस: यानी प्रति शेयर मुनाफा। कंपनी क्या स्टॉक का 1 शेयर खरीदना इसके लायक है के मुनाफे को शेयरों की संख्या से भाग देकर इसे निकाल सकते हैं। ज्यादा ईपीएस का मतलब है कि लोग ज्यादा प्रॉफिट की उम्मीद में शेयर की ज्यादा कीमत देने के लिए तैयार हैं।
पीई अनुपात: यह शेयर की कीमत और प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) का अनुपात होता है। कमाई में पिछले 12 महीने (ट्रेलिंग 12 मंथ- टीटीएम) यानी 4 तिमाही का मुनाफा देखा जाता है। शेयर वैलुएशन जानने का यह महत्वपूर्ण तरीका है।
डिविडेंड यील्ड: कंपनी शेयरधारकों को मुनाफे का जो हिस्सा देती है उसे डिविडेंड कहते हैं। प्रति शेयर डिविडेंड को शेयर प्राइस से भाग कर यील्ड निकलता है। ज्यादा यील्ड का मतलब है निवेशक को ज्यादा डिविडेंड मिलेगा। इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि कंपनी मुनाफे का बिजनेस बढ़ाने में इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। कम यील्ड का एक मतलब यह भी हो सकता है कि कंपनी मुनाफा बांटने के बजाय ग्रोथ पर ज्यादा खर्च कर रही है। अच्छे स्टॉक्स के लिए 1-2% यील्ड बेहतर होता है।
- ये लेखक के निजी विचार हैं। इनके आधार पर निवेश से नुकसान के लिए दैनिक भास्कर जिम्मेदार नहीं होगा।
इन 10 शेयरों में लगाएं पैसा, 3 साल में मिलेगा शानदार रिटर्न
कई ब्रोकरेज फर्म मिडकैप और स्मालकैप के कई स्टॉक्स पर दांव लगा रही हैं. इन कंपनियों को लगता है कि 2020 तक ये निवेशकों को शानदार रिटर्न देंगी
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के एडवाइजरी हेड (पीसीजी) देवर्श वकील का कहना है कि हम लंबे समय में हाई क्वालिटी मिडकैप को लेकर आशावादी बने हुए हैं. उनका कहना है कि पिछले 2 साल में मिडकैप शेयरों में अच्छी मजबूती देखी गई है.
यस सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसीडेंट एवं रिसर्च हेड निताशा शंकर का कहना है कि मिडकैप और स्मालकैप इंडेक्स का वैल्यूशन काफी महंगा लग रहा है . इस बात का ध्यान रखे कि कंपनी कितनी ताकतवर है. उनका कहना है कि मिडकैप, स्मालकैप, और लार्ज कैप के वर्गीकरण के बजाय इन बातों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है कि कंपनी का फाइनेंशियल रेशियो, बैलेंस शीट और उस सेक्टर का भविष्य क्या है. कई मार्केट एनॉलिस्ट्स ने मिडकैप और स्मालकैप शेयरों को अपनी टॉप शेयरों की लिस्ट बनाई है जोकि अगले 3 साल में 100 फीसदी रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं.
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एनॉलिस्ट-निताशा शंकर
कंपनी -यस सिक्योरिटीज
पद-सीनियर वीपी एवं रिसर्च हेड
सिंफनी-देश में घरेलू एयर कूलर ग्रोथ के अलावा, यस सिक्योरिटीज का मानना है कि मध्यम एवं लंबी अवधि में कॉमर्शियल एयर कूलर प्रोडक्ट्स की मांग मजबूत रहने की संभावना है. कंपनी की सब्सिडियरीज की वित्तीय प्रदर्शन में सुधार हो रहा है.
फ्यूचर रिटेल-फ्यूचर रिटेल की अधिग्रहण के जरिये ग्रोथ स्ट्रेटजी और आक्रामक स्टोरों की विस्तार से कंपनी आगे अच्छा प्ररदर्शन कर सकती है. जीएसटी लागू होने और नोटबंदी से संगठित रिटेलर्स को फायदा हो रहा है.
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एनॉलिस्ट-विनोद नायर
पद- रिसर्च हेड
कंपनी-जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज
एनबीएफसी -कंपनी की भारी भरकम आर्डर बुक से संकेत मिलता है कि कंपनी अगले 5 साल में अच्छी कमाई ग्रोथ देखने को मिलेगी. कंपनी का आर्डर बुक 75 हजार करोड़ है जोकि वित्त वर्ष 2016-17 की बिक्री से 12 गुना ज्यादा है.
कंपनी ऑर्डर फ्लो गाइडेंस के मामले में बहुत की शानदार मुहाने पर बैठी है. कंपनी को चालू वित्त वर्ष (FY18) में 25 हजार करोड़ के आर्डर मिलने का अनुमान है. कम प्रतिस्पर्धा और बड़े प्रोजेक्ट्स को हैंडल करने में माहिर होने से कंपनी को फायदा होगा. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 17-19 के दौरान कंपनी42 फीसदी कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट की कमाई हासिल करेगी. कंपनी का एबिट्डा मार्जिन 60 बेसिस का सुधार होगा. आने वाले दिनों में कंपनी निर्माण क्षेत्र में प्रीमियम वैल्यूएशन हासिल करेगी.
आरती इंडस्ट्रीज
यह कंपनी बेंजीन आधारित डेरीवेटिव्स उत्पाद में दुनियाभर में शीर्ष पर है. साथ ही कंपनी के जो ग्राहक हैं वह फार्मा से लेकर एग्रो केमिकल खासतौर से पॉलिमर, पेंट और पिगमेंट में फैले हुए हैं. वित्त वर्ष 11- वित्त वर्ष 17 के दौरान आश्रचर्यजनक प्रदर्शन से कंपनी का रेवेन्यू और नेट प्रॉफिट 14 फीसदी से 25 फीसदी कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट से बढ़ा है.
कंपनी का फोकस हाई मार्जिन प्रोडक्ट्स पर है. पिछले 2-3 साल में कंपनी ग्लोबल मार्केट को ध्यान में रखते हुए आक्रामक तरीके से कई उत्पाद कैटेगरी में विस्तार कर रही है. मौजूदा समय में दुनिया की कई केमिकल कंपनियां अपने उत्पाद चीन की मुकाबले भारत से खरीद बढ़ा रही है इसके आरती इंडस्ट्रीज को फायदा होगा.
ब्रोकरेज फर्म-एक्सिस सिक्योरटीज की राय
स्टील स्ट्रिप व्हील- कंपनी आटोमोबाइल सेक्टर की कंपनी है. यह दोपहिया वाहनों से लेकर कामर्शियल वाहनों के पहिये बनाती है. भारत में अभी दूसरे देशों के मुकाबले कम गाड़ियां हैं धीरे-धीरे यह बढ़ रहा है. कंपनी मारुति सुजुकी को पहिये सप्लाई करने वाली प्रमुख कंपनी है.
दिलीप बिल्डकॉन
यह कंपनी देश की प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनी है. कंपनी सड़क, हाइवे, पुल भी बनाती है. कंपनी के पास खुद के उपकरण हैं यानी कंपनी किसी से लीज पर उत्पाद नहीं लिये हैं. इससे कंपनी के प्रोजेक्ट समय से डिलीवर होते हैं. इससे कंपनी की साख बनती है और इसका लाभ मिलता गै.
मोल्ड टेक पैकेजिंग
भारत बड़ी आबादी वाला देश है. देश में करीब 125 करोड़ लोग रहते हैं और लोगों की सालाना प्रति व्यक्ति आय 6-7 फीसदी की दर से बढ़ रही है. यानी मजबूत घरेलू खपत अर्थव्यवस्था वाला देश है भारत . इसका लाभ जाहिर तौर पर इशका लाभ एफएमसीजी कंपनियों को मिलेगा.
पैकिंग एफएमसीजी कंपनियों का अहम हिस्सा है. कंपनी की इन मोल्ड लेबलिंग (आईएमएल) में काफी बड़ी जगह बनाई है. कंपनी का 50 फीसदी रेवेन्यू आईएमएल से आता है. कंपनी इसकी क्षमता बढ़ाने पर और काम कर रही है जिससे मांग को पूरा किया जा सके. कंपनी के मार्जिन में सुधार हो रहा है रिटर्न रेशियो भी सुधर रहा है.
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ब्रोकरेज हाउस-च्वाइस ब्रोकिंग
कर्नाटका बैंक -2020 को ध्यान में रखते हुए बैंक के मैनेजमेंट ने बिजनेस साइज वित्तीय वर्ष -17 (93,740 करोड़) के मुकाबले करीब दोगुना (1.80 लाख करोड़) करने का लक्ष्. रखा है. बैंक ने क्रेडिट डिपॉजिट रेशियो 80 फीसदी रखने का लक्ष्य तय किया है. बैंक का लक्ष्य कम से कम 1 फीसदी आबादी का प्रमुख बैंक बनने का है. च्वाइस ब्रोकिंग के मुताबिक कर्नाटका बैंक के प्रदर्शन में लगातार सुधार हो रहा है. कंपनी के मैनेजमेंट ने कई बेहतर कदम उठाए हैं. आगे भी बैंक का कारोबार और प्रॉफिट बढ़ने की संभावना है.
पीएनसी इंफ्राटेक
यह कंपनी ढांचागत निर्माण,विकास से जुड़ी कंपनी है. पीएनसी इंफ्राटेक इंफ्रा प्रोजेक्ट्स से जुड़ी खासतौर से हाइवे, पुलो, फ्लाइओवर और, पावर ट्रांसमिशन लाइन, एयरपोर्ट रनवे जैसी इंफ्रा मे लगी है. कंपनी की ऑर्ढर बुक शानदार है.
नीलकमल
कंपनी प्लास्टिक प्रोडक्ट्स बनाती है. कंपनी प्लास्टिक फर्नीचर्स, फर्नीशिंग और एससेसरीज से जुड़ी है. कंपनी 10 नए उत्पादों में निवेश करने जा रही है. कंपनी मोनो ब्लॉक और वैल्यू एंडेड सेगमेंट्स में विस्तार करने जा रही है. कंपनी प्लास्टिक स्टोरेज के क्षेत्र में उत्तर और पश्चिमी भारत में विस्तार कर रही है.
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डिस्क्लेमर -(ऊपर दिये क्या स्टॉक का 1 शेयर खरीदना इसके लायक है गए सुझाव ब्रोकरेज फर्मों की दी जानकारी पर आधारित हैं. यह ETMarkets.com की राय नहीं है. कोई भी निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें)
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