विश्व व्यापार में संरक्षणवाद और मुद्रा में हेरफेर की हालिया घटना भारत की मैक्रो-आर्थिक स्थिरता को कैसे प्रभावित करेगी ?
विश्व व्यापार में संरक्षणवाद, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित या नियंत्रित करने के सरकारी कार्यों और नीतियों को संदर्भित करता है| (जैसे: यू.एस.ए ने दुनिया भर के अरबों डॉलर के सामान पर टैरिफ लगा दिया है, हाल ही में सभी स्टील आयात पर 25% टैरिफ, और एल्यूमीनियम पर 10% टैरिफ)। संरक्षणवाद का उपयोग एक राष्ट्र को आर्थिक मंदी से उबरने में मदद करने के इरादे से किया जाता है। मुद्रा हेरफेर का अर्थ विभिन्न सरकारों द्वारा अन्य विदेशी मुद्राओं के सापेक्ष अपनी मुद्राओं के मूल्य को बदलने के लिए की गई कार्रवाइयों से है (जैसे: चीन नियमित रूप से अन्य मुद्राओं के सापेक्ष अपनी मुद्रा रेनमिनबी (आरएमबी) के मूल्य परिवर्तन में हस्तक्षेप करता है।)। हाल के समय में, वैश्विक अर्थव्यवस्था में इन दोनों घटनाओं में तेजी देखी गई। संरक्षणवाद के साथ-साथ मुद्रा हेरफेर को विरूपणकारी व्यापार प्रथाओं और वैश्विक मुक्त व्यापार के लिए एक प्रतिकूल कारक के रूप में देखा जाता है।
भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता पर इन घटनाओं के प्रभाव हैं:
- मुद्रास्फीति: मुद्रा में हेरफेर (सामान्यतया मूल्यह्रास) महंगे आयात के परिणामस्वरूप किया जाता है जो उपभोक्ताओं की विकल्प को सीमित करता है और वे माल और उत्पादों की सीमित मात्रा के लिए अधिक भुगतान करने को विवश हो जाते हैं, जिससे परिणाम स्वरुप मुद्रास्फीति होती है। इसी तरह संरक्षणवाद भी उपभोक्ताओं की पसंद/विकल्पों को सीमित कर देता है। कुल मिलाकर, वैश्विक प्रतिस्पर्धा कई वस्तुओं और उत्पादों की कीमत को नियन्त्रण में रखने का एक महत्वपूर्ण कारक है और उपभोक्ताओं को अपने विवेक से खर्च करने की क्षमता प्रदान करता है।
- आर्थिक विकास: संरक्षणवाद आयात लागत में वृद्धि की ओर जाता है, क्योंकि निर्माताओं और उत्पादकों को विदेशी बाजारों के लिए उपकरण, सामान और मध्यवर्ती उत्पादों के लिए अधिक भुगतान करना पड़ता है। इससे वास्तविक जीडीपी कम होगी।
- रोजगार: संरक्षणवाद न केवल वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को सीमित करने के बारे में है, बल्कि कुशल मानव संसाधनों को भी संदर्भित करता है। इस पर किसी भी प्रतिबंध से न केवल बेरोजगारी बढ़ेगी, बल्कि विकास में भी बाधा आएगी।
- चालू खाता घाटा: एक मजबूत निर्यात आधार की अनुपस्थिति में, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने वाले मध्यवर्ती उत्पाद, संरक्षणवाद के कारण अधिक महंगे हो जाते हैं, जिससे चालू खाता घाटा बढ़ जाता है। उच्च चालू खाता घाटा रुपये में और दबाव डालता है, विदेशी उधार की लागत को और बढ़ा देता है।
- उद्योगों पर प्रभाव: संरक्षणवाद नए उद्योग की अक्षमताओं को बढ़ावा दे सकता है क्योंकि इसमें प्रौद्योगिकी के उपयोग और दीर्घकालिक निवेश के माध्यम से खुद को कुशल बनाने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं होगा।
- निर्यात पर प्रभाव: 2018-19 में मौद्रिक नीतियों में, आरबीआई ने लगातार देखा कि संरक्षणवाद भारत की विकास दर को चुनौती देता है, क्योंकि यह भारतीय निर्यात को प्रभावित करता है, खासकर कपड़ा, दवा, रत्न और आभूषण क्षेत्र में। इसने रोजगार सृजन क्षमता को भी प्रभावित किया है।
चूंकि, भविष्य में आने वाले समय में संरक्षणवाद और मुद्रा जोड़तोड़ रुकते नहीं दिखते हैं, इसलिए भारत के लिए इन विकृत दुविधाओं से सावधानी से बच के चलना आवश्यक है। भारतीय नीति निर्माताओं को, वैश्विक दुनिया की मौजूदा अनिश्चितताओं के जवाब में, अभिनव और लचीला होना पड़ेगा ।
अमेरिकी डॉलर को अब टक्कर देगी भारतीय मुद्रा, PM Modi ने बनाया मास्टर प्लान..
न्यूज डेस्क: मौजूदा समय में भारतीय करेंसी डॉलर के मुकाबले काफी सस्ती है। मुद्रा का व्यापार कैसे करें इसको लेकर देश में तमाम तरह की बातें किए जा रहे हैं। लोग काफी निराश भी हैं। वहीं अब मोदी सरकार की ओर से भारतीय करेंसी को मजबूती प्रदान करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसी कड़ी में सरकार की ओर से इंटरनेशनल ट्रेड का निर्णय लिया गया है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर को ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। हालांकि, अब मोदी सरकार ने इस अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर फैसला ले लिया है और भारत भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने की संभावनाएं तलाश रहा है। इसके लिए भारत लगातार कुछ देशों से बात भी कर रहा है। इस बीच कुछ देशों ने रुपए में कारोबार करने पर भी सहमति जताई है।
श्रीलंका है राजी
वहीं, भारत उन देशों की तलाश कर रहा है, जिनके पास डॉलर की कमी है। इसी क्रम में श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की है। सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (CBSL) ने कहा कि वह भारतीय रुपये को श्रीलंका की विदेशी मुद्रा के रूप में नामित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
इंडियन करेंसी का उपयोग
श्रीलंकाई बैंकों ने कथित तौर पर भारतीय रुपये में व्यापार के लिए विशेष वोस्ट्रो रुपया खाते या एसवीआरए नामक विशेष रुपया व्यापार खाते खोले हैं। इससे श्रीलंका और भारत के नागरिक एक दूसरे के बीच अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर के बजाय भारतीय रुपये का उपयोग कर सकते हैं। वहीं भारत के इस कदम से अमेरिका भी हैरान है और भारत के इस फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की नजर जरूर पड़ सकती है।
भारत अवसर की तालाश में
इसके अलावा रूस उन देशों की सूची में भी शामिल हो सकता है जो आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का इस्तेमाल करेंगे। इसके अलावा भारत ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्जमबर्ग और सूडान समेत कई अन्य देशों में भी रुपये में कारोबार करने के अवसर तलाश रहा है। दूसरी ओर रुपये के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने से उम्मीद की जा रही है कि भारत का व्यापार घाटा कम होगा और वैश्विक बाजार में इसे मजबूत करने में मदद मिलेगी।
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PM Mudra Loan Process : ऐसे ले मुद्रा लोन, सिर्फ 7 दिनों में मिल जायेगा Loan , देखें यहाँ डिटेल्स
PM Mudra Loan Process : प्रधान मंत्री मुद्रा ऋण योजना (Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana) 8 अप्रैल 2015 को शुरू की गई थी। यह योजना गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि छोटे / छोटे उद्यमों को 10 लाख रुपये तक का ऋण (Loan) प्रदान करने के लिए शुरू की गई है। इन योजनाओं के माध्यम से लोगों को 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के ऋण (Loan) आसानी से और बहुत सस्ती ब्याज दरों (Interest Rates) पर देने की व्यवस्था की गई थी।
PM Mudra Loan Process
Pradhan Mantri Mudra Loan Process
देश के हर व्यक्ति को काम मिले ( Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana ) , इसके लिए केंद्र सरकार नौकरी देने से ज्यादा स्वरोजगार पर जोर दे रही है ! केंद्र सरकार ने पूरी जिंदगी नौकरी में बिताने के बजाय लोगों को अपना व्यवसाय करने और दूसरे लोगों को रोजगार देने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण योजना (Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana) का उद्देश्य रोजगार से संबंधित प्रशिक्षण, प्रोत्साहन, बाजार प्रदान करना और रोजगार सृजन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। पीएम मुद्रा योजना (PM Mudra Yojana) में छोटे से लेकर बड़े काम के लिए लोन (Loan) दिया जाता है।
Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana
मुद्रा बैंक ऋण योजना (Mudra Bank Loan Yojana) परिचालन बढ़ाने के लिए स्टार्ट अप या मौजूदा व्यावसायिक उपक्रमों को पुनर्वित्त करने में मदद करती है। इसके अभी तक अपने स्वयं के बैंक स्थापित नहीं हुए हैं, इसलिए यह व्यवसाय उद्यमियों को ऋण (Loan) प्रदान करने के लिए छोटे वित्त बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों आदि की मदद लेता है। व्यवसाय इस ऋण के लिए प्रधान मंत्री मुद्रा ऋण योजना (Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana) के तीन प्रभागों के तहत आवेदन कर सकते हैं:
- शिशु योजना
- किशोर योजना
- तरुण योजना
शिशु योजना 50,000 रुपये तक का ऋण (Loan) प्रदान करती है। किशोर योजना 5,00,000 रुपये तक ऋण (Loan) प्रदान करने पर केंद्रित है और तरुण योजना 10,00,000 रुपये तक की बड़ी परिचालन आवश्यकताओं के लिए आवश्यक बड़े टिकट आकार पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण योजना (Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana) पर कोई छिपा हुआ शुल्क या शुल्क नहीं है और चुकौती अवधि 5 साल के लिए है।
Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana: पात्रता
10 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी भारतीय नागरिक गैर-कृषि गतिविधि जैसे विनिर्माण, प्रसंस्करण, व्यापार आदि के लिए एक विस्तृत और संरचित व्यवसाय योजना के साथ, प्रधान मंत्री मुद्रा ऋण योजना (Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana) के तहत, मुद्रा ऋण (Mudra Loan) के लिए 10,00,000 रुपये तक स्वीकृत किया जा सकता है।
प्रधान मंत्री मुद्रा ऋण योजना (Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana) सख्ती से छोटे पैमाने के व्यवसायों के उद्देश्य के लिए है। आप अपनी मुद्रा लोन (Mudra Loan) पात्रता ऑनलाइन जांच सकते हैं। ऋण (Loan) आवेदक नए वाहन के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन व्यक्तिगत उपयोग के लिए नहीं। इसका उपयोग केवल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा सकता है।
मुद्रा ऋण के लिए आवेदन कैसे करें (PM Mudra Loan Process)
मुद्रा लोन (Mudra Loan) लेने के लिए आपको अपने नजदीकी बैंक में जाना होगा। कुछ बैंकों ने तो अपने ग्राहकों के लिए ऑनलाइन सुविधाएं भी मुहैया कराई हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना (Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana) में छोटे से लेकर बड़े काम के लिए लोन (Loan) दिया जाता है। रोजगार की स्थिति को देखते हुए इस योजना को तीन श्रेणियों में बांटा गया है- पीएम मुद्रा शिशु ऋण (PM Mudra Shishu Yojana), पीएम मुद्रा किशोर योजना (PM Mudra Kishore Yojana) और पीएम मुद्रा तरुण योजना (PM Mudra Tarun Yojana) आंकड़े बताते हैं कि पीएम मुद्रा योजना (PM Mudra Yojana) के तहत वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक 1,23,425.40 करोड़ रुपये तक का कर्ज (Loan) दिया जा चुका है !
2015 से चल रही PM Mudra Loan Yojana
प्रधान मंत्री मुद्रा ऋण योजना (Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana) 8 अप्रैल 2015 को शुरू की गई थी। यह योजना गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि छोटे / छोटे उद्यमों को 10 लाख रुपये तक का ऋण (Loan) प्रदान करने के लिए शुरू की गई है। इन योजनाओं के माध्यम से लोगों को 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के ऋण (Loan) आसानी से और बहुत सस्ते ब्याज दरों पर देने की व्यवस्था की गई थी।
Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana
पीएम मुद्रा शिशु योजना (PM Mudra Shishu Yojana) के तहत 50,000 रुपये तक, पीएम मुद्रा किशोर योजना (PM Mudra Kishore Scheme) के तहत 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक और पीएम मुद्रा तरुण योजना (PM Mudra Tarun Yojana) के तहत 5 से 10 लाख रुपये तक के ऋण उपलब्ध हैं। आंकड़ों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण योजना (Pradhan Mantri Mudra Loan Yojana) के तहत वर्ष 2021-22 में अब तक 1.23 लाख करोड़ रुपये तक का लोन ( Loan ) दिया जा चुका है !
डिजिटल इंडिया: डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था के लिए एक कार्यक्रम
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (1.5 MB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है का उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिणत करना है। यह 7 अगस्त 2014 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (1.5 MB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है पर प्रधानमंत्री - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की बैठक के दौरान कार्यक्रम के प्रारूप पर लिए गये महत्वपूर्ण निर्णयों का अनुपालन और सरकार के सभी मंत्रालयों को इस विशाल कार्यक्रम के प्रति जागरूक करने के लिए है जो सरकार के सभी क्षेत्रों पर रोशनी डालती है। यह कार्यक्रम मुद्रा का व्यापार कैसे करें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) द्वारा परिकल्पित किया गया है।
यह कार्यक्रम वर्तमान वर्ष से 2018 तक चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जायेगा। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (1.5 MB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है परिवर्तनकारी प्रकृति का है जो यह सुनिश्चित करेगा की सरकारी सेवाएँ इलेक्ट्रॉनिक रूप से नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं।
वर्तमान में अधिकतर ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के लिए धन का स्रोत केन्द्रीय या राज्य सरकारों में संबंधित मंत्रालयों / विभागों के बजटीय प्रावधानों के माध्यम से होता है। डिजिटल इंडिया (1.5 MB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है की परियोजना(ओं) के लिए धन की आवश्यकताओं का आकलन संबंधित नोडल मंत्रालयों/विभागों द्वारा किया जाएगा।
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