गृहकार्य शिक्षक द्वारा उत्पन्न सुनियोजित अधिगम परिस्थिति है। प्रत्येक ग्रह कार्य का मूल उद्देश्य छात्र को विशुद्ध, प्रत्यक्ष एवं प्रेरणात्मक अधिगम अनुभव प्रदान करना होता है। यह अग्रगामी अधिगम प्रक्रिया का एक अंग होता है।
एलआईसी लिमिटेड प्रीमियम एंडोमेंट योजना(टेबल नं. 830)
एलआईसी की लिमिटेड प्रीमियम एंडोमेंट योजना एक गारेंटीड रिटर्न एंडोमेंट योजना है। यह मार्केट के साथ जुडी हुई योजना नहीं है पर इसके तहत आपको बोनस की सुविधा प्रदान की जाती है। यहाँ पर प्रीमियम भुगतान की अवधि के केवल दो विकल्प हैं। 8 वर्ष और 9 वर्ष। इस योजना के तहत पालिसी धारक की अकस्मात मृत्यु होने पर, उसके नॉमिनी को मृत्यु लाभ के रूप में बीमित रकम के साथ सिंपल रिवर्सनरी बोनस और फाइनल एडीशन बोनस का भुगतान किया जाता है।
- गारंटीड रिटर्न के साथ यह एक एंडोमेंट योजना है।
- प्रीमियम भुगतान की सीमित अवधि।
- मैचुरिटी(परिपक्वता) अथवा मृत्यु पर बीमित रकम के साथ रिवर्सनरी बोनस का भुगतान।
- मैचुरिटी(परिपक्वता) पर मिलनेवाला लम्प सम राशि आप पुनः निवेश कर आपके वृधावस्था के लिए एन्युटी(वार्षिकी) खरीद सकते हैं।
- दो अतिरिक्त राइडर्स के साथ वैकल्पिक कवर उपलब्ध।
एलआईसी लिमिटेड प्रीमियम एंडोमेंट योजना के तहत मिलनेवाले लाभ:
मृत्यु लाभ: अगर पालिसी धारक की मृत्यु होती है, तो उसके नॉमिनी को बीमित रकम के साथ रिवर्सनरी बोनस का भुगतान किया जाता है। अगर पालिसी धारक ने सारे बकाया प्रीमियम का भुगतान किया है, तो नॉमिनी को फ़ाइनल एडीशन का भुगतान भी किया जाता है।
मैचुरिटी(परिपक्वता) लाभ: पालिसी के परिपक्व होने पर, पालिसी धारक को बीमित रकम के साथ रिवर्सनरी बोनस का भुगतान किया जाता है। अगर पालिसी धारक ने सारे बकाया प्रीमियम का भुगतान किया है तो नॉमिनी को फ़ाइनल एडीशन का भुगतान भी किया जाता है.
आयकर लाभ: आपके करयुक्त तनख्वाह से हर वर्ष जीवन बीमा के Rs. 1,50,000 तक के प्रीमियम भुगतान पर आयकर की धारा 80C के तहत छूट दी जाती है। मृत्यु लाभ तथा मैच्युरिटी लाभ भी आयकर की धारा 10(10D) के तहत करमुक्त होती है।
एलआईसी जीवन रक्षक योजना में सहभागी होने की शर्तें तथा प्रतिबन्ध:
न्यूनतम | अधिकतम | |
बीमित रकम(रु) | 3,00,000 | कोई सीमा नहीं |
पालिसी अवधि(वर्ष) | 12,16,21 | |
प्रीमियम भुगतान की अवधि(वर्ष) | 8,9 | |
पालिसी धारक की प्रवेश आयु | 18 | (अधिकतम आयु के लिए सारणी देखें) |
परिपक्वता पर आयु | - | (अधिकतम परिपक्वता आयु के लिए सारणी देखें) |
भुगतान मोड | वार्षिक, छमाही, तिमाही, मासिक(ईसीएस) और एसएसएस द्वारा |
अधिकतम प्रवेश आयु:
अवधि(वर्ष में) | प्रीमियम भुगतान की अवधि(8 वर्ष) | प्रीमियम भुगतान की अवधि(9 वर्ष) |
12 | 57 | 62 |
16 | 59 | 59 |
21 | 54 | 54 |
गृहकार्य की विशेषताएं
गृहकार्य वह साधन है जो छात्रों को स्वयं अभ्यास करके सीखने के लिए अवसर प्रदान करता है। इसके द्वारा छात्रों को कक्षा से बाहर सीखने के अनुभव प्राप्त होते हैं जो शिक्षण के उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं। इस प्रकार गृहकार्य प्रभावशाली शिक्षण का एक महत्वपूर्ण भाग है।
गृहकार्य को निम्न ढंग से परिभाषित किया जा सकता है-
गृहकार्य शिक्षक द्वारा उत्पन्न सुनियोजित अधिगम परिस्थिति है। प्रत्येक ग्रह कार्य का मूल उद्देश्य छात्र को विशुद्ध, प्रत्यक्ष एवं प्रेरणात्मक अधिगम अनुभव प्रदान करना होता है। यह अग्रगामी अधिगम प्रक्रिया का एक अंग होता है।
इस प्रकार गृहकार्य का प्रयोग अधिगम को प्रभावशाली एवं दृढ़ बनाने अर्थात शिक्षण के उद्देश्यों की अधिगम प्राप्ति के लिए किया जाता है। अतः यह उद्देश्य केंद्रित होता है। गृहकार्य हेतु विषय सामग्री का चयन एवं निर्माण कुछ सिद्धांतों के आधार पर किया जाना चाहिए। इनके निर्माण के प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं-
वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएं
आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एक वार्षिक दस्तावेज है, जो वित्त मंत्री द्वारा संसद में केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने से एक दिन पहले प्रस्तुत किया जाता है. इस वर्ष वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने वर्ष 2016-17 का आर्थिक सर्वेक्षण 31.01.2017 को संसद में पेश किया. आर्थिक सर्वेक्षण में EMA की विशेषताएँ पिछले वित्तीय वर्ष के समग्र आर्थिक परिदृश्य और अल्पावधि से मध्यम अवधि तक अर्थव्यवस्था की भावी संभावनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी है. 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गयी हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 की शुरूआत भारत के बारे में 8 दिलचस्प और महत्वपूर्ण तथ्यों के वर्णन से की गयी है. इसके अलावा वर्ष 2016 की 2 सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख इसमें किया गया है. इन दो घटनाओं में सबसे महत्वपूर्ण लंबे समय से प्रतीक्षित और ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का कार्यान्वयन है. दूसरी घटना रुपये 500 और रुपये 1000 के करेंसी नोटों के विमुद्रीकरण से संबंधित है. सर्वेक्षण में दोहराया गया है कि विमुद्रीकरण और जीएसटी से आर्थिक और सामाजिक लाभ होंगे. सर्वेक्षण में कहा गया है कि विमुद्रीकरण की लागत अल्पावधि संक्रमणकालीन है, लेकिन इसमें अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घावधि में व्यापक लाभ परिलक्षित होते हैं. इन लाभों में खपत में कमी, अर्थव्यवस्था का व्यापक डिजिटीकरण, बचत में बढ़ोतरी और भारतीय अर्थव्यवस्था का रूपांतरण शामिल है. इन सभी की अंतिम परिणति सकल घरेलू उत्पाद - जीडीपी में बढ़ोतरी, बेहतर कर अनुपालन और बेहतर कर राजस्व के रूप में होगी.
5 विशेषताएं जो एक सफल फ्रैंचाइज व्यवसाय EMA की विशेषताएँ को परिभाषित करती है।
एक सफल फ्रैंचाइजी व्यवसाय का निर्माण करना पड़ता है और इसके लिए फ्रैंचाइज मालिक में भी कुछ गुण होना आवश्यक है। पहला यह कि मालिक को आशावादी होना चाहिए और जोखिम लेकिन, परिकलित जोखिम लेने के लिए तैयार रहना चाहिए।
वह फ्रैंचाइज कंपनी द्वारा निर्धारित प्रोटोकाल्स और नियमों का पालन करने और नियत परिवर्तनों के साथ आगे बढ़ने के लिए सक्षम होंगे।
‘अगर आप फ्रैंचाइज में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, तो सबसे अच्छी चीज जो आप कर सकते हैं वह है छानबीन करना। छानबीन के ही एक हिस्से के रूप में आपको खुद को, अपनी विशेषताओं और अपने कौशल को भी देखने की जरूरत है।’ ब्रिटिश फ्रैंचाइज एसोसिएशन के संचालन प्रमुख पिप विकिन्स सलाह देते हैं।
साहीवाल गाय और उसकी खासियत
गहरा शरीर, ढीली चमड़ी, छोटा सिर व छोटे सींग इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं इसका शरीर साधारणत: लंबा और मांसल होता है। इनकी टांगें छोटी होती हैं, स्वभाव कुछ आलसी और इसकी खाल चिकनी होती है। पूंछ पतली और छोटी होती है।
यह गाय लाल और गहरे भूरा रंग की होती है कभी-कभी इसके शरीर पर सफेद चमकदार धब्बे भी होते हैं। ढीली चमड़ी होने के कारण इसे लोग लोला भी कहते हैं।
नर साहिवाल के पीठ पर बड़ा कूबड़ होता है व EMA की विशेषताएँ इसकी ऊंचाई 136 सेमी और मादा की ऊंचाई 120 सेमी के आसपास होती है।
नर गाय का वजन 450 से 500 किलो और मादा गाय का वजन 300-400 किलो तक होता है।
यह गाय 10 से 16 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। अपने एक दुग्धकाल के दौरान ये गायें औसतन 2270 लीटर दूध देती हैं। साथ ही इसके दूध में पर्याप्त वसा होता है। ये विदेशी गायों की तुलना में दूध कम देती हैं, लेकिन इन पर खर्च भी काफी कम होता है। साहीवाल की खूबियों और उसके दूध की गुणवत्ता के चलते वैज्ञानिक इसे सबसे अच्छी देसी दुग्ध उत्पादक गाय मानते हैं। इनकी कम होती संख्या से चिंतित वैज्ञानिक ब्रीडिंग के जरिये देसी गायों की नस्ल सुधार कर उन्हें साहीवाल में बदलने पर जोर दे रहे हैं, जिसके तहत देसी गाय की पांचवीं पीढ़ी पूर्णत: साहीवाल में बदलने में कामयाबी हासिल हुई है।
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