अधिकांश घर खरीदार अपने घरों का चयन करते समय स्थान और आंतरिक सज्जा के प्रकार को बहुत महत्व देते हैं। एक बेहतर स्थान संपत्ति निवेश पर बेहतर प्रशंसा का वादा करता है। जब संपत्ति के प्रकार की बात आती है, तो मेट्रो शहरों में खरीदारों के लिए कुछ विकल्प होते हैं, क्योंकि उच्च अचल संपत्ति की कीमतें लोगों को अपने बजट के भीतर परियोजनाओं की तलाश करने के लिए मजबूर करती हैं। जबकि अपार्टमेंट स्वतंत्र घरों की तुलना में सस्ते होते हैं, जैसे कि विला या स्वतंत्र फर्श, प्रत्येक प्रकार की संपत्ति के कुछ फायदे हैं जो एक घर खरीदार को खरीदारी करने से पहले पता होना चाहिए। यह भी देखें: अर्ध-सुसज्जित बनाम सुसज्जित बनाम पूरी तरह से सुसज्जित अपार्टमेंट : वे कैसे भिन्न हैं?

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AdSense का इस्तेमाल 20 लाख (2 मिलियन) लोग कर रहे हैं, इसकी वजह यहां दी गई है

अपनी साइट से पैसे कमाएं

विज्ञापन देने वाले लाखों लोग आपके विज्ञापन स्पेस के लिए बोली लगाते हैं. इससे, विज्ञापन के ज़्यादा स्पेस भरेंगे, ज़्यादा काम के विज्ञापन दिखेंगे, और कमाई भी ज़्यादा होगी.

मोबाइल के लिए ऑप्टिमाइज़ विज्ञापन

Google आपकी विज्ञापन यूनिट के साइज़ को ऑप्टिमाइज़ कर सकता है, ताकि डेस्कटॉप या मोबाइल पर ये अपने-आप फ़िट हो सकें. इससे, उनके दिखने और उन पर क्लिक किए जाने की संभावना बढ़ जाती है.

समय बचाएं

अपनी साइट पर एक छोटा-सा कोड जोड़ें. इसके बाद, Google आपकी साइट के लेआउट के मुताबिक बनाए गए विज्ञापनों को अपने-आप दिखाएगा. इस तरह, विज्ञापन कोड में बदलाव करने में लगने वाला आपका समय बचेगा.

देखें कि AdSense से आपकी कितनी कमाई हो सकती है

अपनी संभावित आय देखने के लिए, अपनी साइट की कोई एक कैटगरी और साइट पर आने वाले लोगों का इलाका चुनें.

साइट पर आने वाले लोगों की जगह और कॉन्टेंट की कैटगरी को इस तरह सेट किया गया है

हर महीने मिलने वाले पेज व्यू

हर महीने आपकी वेबसाइट के पेज कितनी बार लोड हुए और कितने लोगों ने उन्हें देखा.

आपकी संभावित सालाना आय

यह एक अनुमान है जिसका इस्तेमाल संदर्भ के रूप में किया जाना चाहिए.

* आपकी कमाई कितनी होगी, इसकी कोई गारंटी या वादा नहीं है. ये अनुमान चुने गए कॉन्टेंट की कैटगरी और इलाके के आधार पर दिए गए हैं. असल आय कई चीज़ों पर निर्भर करती है, जैसे कि विज्ञापन देने वाले की मांग, इस्तेमाल करने वाले की जगह, डिवाइस, कॉन्टेंट का विषय, सीज़न, विज्ञापन का साइज़, और मुद्रा विनिमय की दरें.

सबसे ज़्यादा पैसे चुकाने वाले विज्ञापन ही लाइव दिखाए जाते हैं

ऑनलाइन विज्ञापन देने वालों के सबसे बड़े नेटवर्क में शामिल होकर अपनी आय बढ़ाएं. जो लोग आपके विज्ञापन स्पेस के लिए बोली लगाते हैं वे ही ये विज्ञापन देते हैं.

पहला फ़ायदा

दूसरा फ़ायदा

ऑडियंस को उनके काम के विज्ञापन दिखेंगे

विज्ञापनों की जांच की जाती है, ताकि यह पक्का हो सके कि वे अच्छी क्वालिटी और आपके कॉन्टेंट या ऑडियंस के काम के हों, भले ही उन्हें स्मार्ट फ़ोन और टैबलेट पर ही क्यों न देखा जा रहा हो. इसका नतीजा? ऑनलाइन ज़्यादा पैसे कमाए जा सकते हैं.

हर चीज़ का कंट्रोल आपके पास होता है

ऐसे विज्ञापन जो लोगों को नहीं दिखाए जाने चाहिए उन्हें ब्लॉक किया जा सकता है. साथ ही, आपको यह चुनने का विकल्प भी मिलता है कि किस तरह के विज्ञापन आपकी साइट के लिए सही हैं और वे कहां दिखें.

तीसरा फ़ायदा

शुरू करें

AdSense के साथ काम शुरू करने के लिए आपको बस तीन चीज़ें चाहिए

Google खाता

अगर आप Gmail या किसी दूसरी Google सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपके पास पहले से एक खाता है. अगर ऐसा नहीं है, तो साइन अप करने के लिए बस क्लिक करें और हम एक नया खाता बनाने में आपकी मदद करेंगे. इससे आप AdSense और Google के सभी उत्पादों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

फ़ोन नंबर और डाक का पता

आपके फ़ोन नंबर और डाक के पते को आपके बैंक खाते से जोड़ दिया जाता है, ताकि आपको पैसे मिल सके.

अपनी साइट को AdSense से कनेक्ट करें

अपनी साइट में छोटा सा कोड जोड़ें और बाकी काम Google खुद कर लेगा. इससे आप अपना कारोबार बढ़ाने पर ध्यान दे सकते हैं.

AdSense विशेषज्ञ से संपर्क करके अपने लिए खास सहायता पाएं.

ऐसा लगता है कि यह Google खाता किसी AdSense खाते से नहीं जुड़ा हुआ है. चिंता वाली कोई बात नहीं है. आपके पास दो विकल्प हैं. आप या तो AdSense से जुड़े Google खाते से साइन इन करें या आज ही AdSense खाते के लिए साइन अप करें.

आपके Google खाते में आपके जन्म की तारीख मौजूद नहीं है. आगे बढ़ने के लिए, कृपया यहां अपनी जानकारी अपडेट करें. इसके बाद, फिर से कोशिश करें.

जैसा कि AdSense के नियमों और शर्तों में बताया गया है, AdSense से कमाई करने के लिए एक उम्र तय की गई है. आपकी उम्र उससे कम नहीं होनी चाहिए.

अगर आपकी उम्र कम है, वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है? तो आपके माता-पिता या अभिभावक आपकी तरफ़ से ऐप्लिकेशन सबमिट कर सकते हैं.

आपके लिए कौन सा बेहतर निवेश विकल्प है: फिजिकल गोल्ड, बॉन्ड या गोल्ड ईटीएफ

आगे सोने में तेज़ी आएगी या मंदी, ये उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच तनातनी पर निर्भर करेगा. जानकारों का कहना है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सोने में निवेश का बेहतर विकल्प है.

आपके लिए कौन सा बेहतर निवेश विकल्प है: फिजिकल गोल्ड, बॉन्ड या गोल्ड ईटीएफ

सोने की कीमतों में तेज़ी क्या जारी रहेगी ? ज्यादातर एक्सपर्ट्स की राय है कि मौजूदा स्तर से सोने में ज्यादा तेज़ी की संभावना नहीं है. क्योंकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने की तेज़ी को बाज़ार डिस्काउंट कर चुका है. दो महीने में सोने का भाव 9 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है. इस कैलेंडर ईयर में सोने का भाव 17 फीसदी उछला है.
कोरियाई प्रायद्वीप में संकट से सोने की कीमतों में उछाल आया लेकिन अमेरिका के ऊपर परमाणु बम के संकट से डॉलर में गिरावट आई है.

चढ़ेगा सोना या गिरेंगे दाम
आगे सोने में तेज़ी आएगी या मंदी, ये उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच तनातनी पर निर्भर करेगा. ब्रोकरेज फर्म एंजेल ब्रोकिंग के चीफ एनॉलिस्ट (गैर कृषि जिंस) प्रथमेश माल्या का कहना है कि अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव अगर बढ़ा तो सोने में तेज़ी आएगी. विदेशी बाज़ार में सोने का भाव 1360 डॉलर प्रति औंस के पार जा सकता है. अगर दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ तो सोने की कीमतों में गिरावट आएगी.

कोटक महिंद्रा म्युचुअल फंड के हेड (फिक्स्ड इनकम) लक्ष्मी अय्यर के मुताबिक वैश्विक राजनीतिक तनाव का असर सोने की कीमतों पर पहले से दिख रहा है. अगर कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव घटा तो सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी.

डॉलर में कमजोरी से सोने को सपोर्ट
डॉलर में कमज़ोरी से सोने की कीमतों को सपोर्ट मिला है. अमेरिकी केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज़ दरें नहीं बढ़ा रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में सोने की बिक्री और खरीद डॉलर में होती है. डॉलर में कमज़ोरी का फायदा सोने की कीमतों को होता है. डॉलर के वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है? मुकाबले रुपया मज़बूत हुआ है . आने वाले दिनों में रुपये के मुकाबले डॉलर 64-65 रुपये के दायरे में रहेगा.

gold

आगे सोने की मांग कम रहेगी
त्योहारी और शादियों की सीजन होने से दूसरी छमाही में सोने की कीमतें दूसरी छमाही में बढ़ती हैं. लेकिन इस साल इस दौरान सोने की मांग कम रहने की संभावना है. 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने से सोने की बिक्री घटने का अनुमान है. इसके अलावा सरकार की तरफ से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (पीएमएलए) लागू होने से ज्वेलर्स ने सोने की खरीद घटाई है. पीएमएलए एक्ट में 50 हजार से ऊपर के सोने की खरीद पर केवाईसी जरूरी हो गया है.

गोल्ड बॉन्ड से फिजिकल गोल्ड में ज्यादा रिटर्न
गोल्ड बॉन्ड के मुकाबले फिजिकल गोल्ड में ज्यादा ब्याज़ मिला है. 20 नवंबर 2015 यानी गोल्ड बॉन्ड की पहली किस्त में जहां 8.26 फीसदी रिटर्न मिला है, वहीं फिजिकल गोल्ड में 16.86 फीसदी रिटर्न मिला है. इसी तरह गोल्ड बॉन्ड की दूसरी किस्त में 11.78 फीसदी का रिटर्न मिला है जबकि इसी दौरान फिजिकल गोल्ड में 13.35 फीसदी रिटर्न मिला है. सरकार ने अब तक गोल्ड बॉन्ड की नौ किस्तें लॉन्च की हैं. बीएसई और एनएसई में गोल्ड बॉन्ड की तरलता कम है. ज्यादातर बॉन्ड की कीमत इश्यू प्राइस से डिस्काउंट पर मिल रहे हैं.

क्या सोना खरीदने का यह सही समय है
बाजार के जानकार मौजूदा स्तर से सोने में गिरावट पर ख़रीदारी करने की सलाह दे रहे हैं. विदेशी बाज़ार में सोना जब 1200 डॉलर प्रति औंस के करीब आये यानी घरेलू बाज़ार में सोने का भाव 27,800 प्रति दस ग्राम के आसपास हो, तभी निवेश करें.

फिजिकिल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ या बॉन्ड ?
अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं तो ज्वेलरी में निवेश न करें क्योंकि इसमें मेकिंग चार्ज और लॉकर वगैरह में रखने के खर्च जुड़े होते है. अगर आप फिजिकल गोल्ड खरीदना चाहते हैं तो गोल्ड बार में निवेश करें. लेकिन अब इस पर 3 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा. यानी सोना बेचने पर जीएसटी वापस नहीं मिलेगी. इसलिए सॉवरेन गोल्ड फिजिकल से अच्छा विकल्प है. इसमें सोने पर इंटरेस्ट मिलता है. लेकिन बीएसई या एनएसई में कम लिक्वीडिटी से निवेशकों को यह कम भा रहा है. ज्यादातर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सोने की कीमतों से नीचे कारोबार कर रहे हैं. अव तक जारी ज्यादातर किस्तों में सॉवरेन गोल्ड पर इंटरेस्ट भी 10 फीसदी से कम ही रहा है.

ज्यादातर गोल्ड ईटीएफ के भाव में गिरावट देखने को मिली है जबकि पिछले एक साल में भाव लगभग स्थिर हैं. उदाहरण के लिए एक्सिस गोल्ड ईटीएफ का रिटर्न करीब 8 फीसदी घटा है जबकि यूटीआई गोल्ड ईटीएफ की कीमतों में भी पौने पांच फीसदी की गिरावट आई है. जानकारों का कहना है कि सॉवरेन गोल्ड बेहतर फैसला है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 5 साल के लिए निवेश करना निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है.

फ्लैट बनाम हाउस: कौन सा बेहतर है?

फ्लैट बनाम हाउस: कौन सा बेहतर है?

अधिकांश घर खरीदार अपने घरों का चयन करते समय स्थान और आंतरिक सज्जा के प्रकार को बहुत महत्व देते हैं। एक बेहतर स्थान संपत्ति निवेश पर बेहतर प्रशंसा का वादा करता है। जब संपत्ति के प्रकार की बात आती है, तो मेट्रो शहरों में खरीदारों के लिए कुछ विकल्प होते हैं, क्योंकि उच्च अचल संपत्ति की कीमतें लोगों को अपने बजट के भीतर परियोजनाओं की तलाश करने के लिए मजबूर करती हैं। जबकि अपार्टमेंट स्वतंत्र घरों की तुलना में सस्ते होते हैं, जैसे कि विला या स्वतंत्र फर्श, प्रत्येक प्रकार की संपत्ति के कुछ फायदे हैं जो एक घर खरीदार को खरीदारी करने से पहले पता होना चाहिए। यह भी देखें: अर्ध-सुसज्जित बनाम सुसज्जित बनाम पूरी तरह से सुसज्जित अपार्टमेंट : वे कैसे भिन्न हैं?

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प्रशांत किशोर ने चुनाव लड़ने से किया इनकार, कहा बिहार के लिए 'बेहतर विकल्प' जरूर तैयार करूंगा

सीएम नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने दावा किया और कहा कि “उन्होंने (कुमार ने) 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर अपनी कुर्सी छोड़ दी थी। अब वह सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हैं।”

Prashant Kishor refuses to contest elections says will definitely prepare better alternative Bihar | प्रशांत किशोर ने चुनाव लड़ने से किया इनकार, कहा बिहार के लिए 'बेहतर विकल्प' जरूर तैयार करूंगा

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlights प्रशांत किशोर ने अपने सियासी प्लान को लेकर एक बयान दिया है। बिहार में चुनाव लड़ने पर बोलते हुए उन्होंने कहा है कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे। ऐसे में उन्होंने यह भी कहा है कि वे बिहार के लिए एक 'बेहतर विकल्प' जरूर तैयार करेंगे।

पटना: चुनाव रणनीतिकार और राजनीतिक नेता प्रशांत किशोर ने खुद के चुनाव लड़ने की संभावना से शनिवार को इनकार किया लेकिन अपने गृह राज्य बिहार के लिए एक ‘‘बेहतर विकल्प’’ बनाने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराई है।

जदयू नेताओं के आरोप पर प्रशांत ने किया पलटवार

पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय नगर बेतिया में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किशोर ने उन्हें ‘धंधेबाज’ बताने वाले जनता दल यूनाइटिड (जदयू) के नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अपनी पार्टी के शीर्ष नेता एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछना चाहिए कि उन्होंने “मुझे दो साल के लिए अपने निवास पर क्यों रखा था।”

आपको बता दें कि जदयू नेताओं ने किशोर पर आरोप लगाया था कि वह‘‘धंधेबाज’’ हैं और उनके पास राजनीतिक कौशल नहीं है।

चुनाव में खुद नहीं लड़ूंगा- प्रशांत

‘आईपैक’ के संस्थापक से बार-बार पूछा गया कि क्या वह खुद चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं चुनाव क्यों लड़ूंगा, मेरी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है।’’ किशोर रविवार को होने वाले पश्चिम चंपारण के जिला सम्मेलन से एक दिन पहले पत्रकारों से बात कर रहे थे।

इस सम्मेलन में नागरिकों की राय ली जाएगी कि क्या ‘‘जन सुराज’’ अभियान को राजनीतिक दल में बदला जाए या नहीं। गौरतलब है कि वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है? किशोर राज्य की 3500 किलोमीटर लंबी पद यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिलों में इसी तरह से जनता से राय ली जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

इस कारण जदयू नेता है प्रशांत से नाखुश

जदयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘अगर मैं नीतीश कुमार के राजनीतिक उद्यम में शामिल हो जाता हूं तो वह एक बार फिर से मुझ पर मेहरबान दिखेंगे। चूंकि मैंने अपने लिए एक अलग रास्ता चुना इसलिए वह और उनके समर्थक मुझसे नाखुश हैं।”

10 साल पहले से लेकर अब तक सीएम नीतीश कुमार में बदलाव नहीं- प्रशांत

किशोर ने जदयू के नेताओं पर प्रहार करते हुए कहा कि उन्हें नीतीश कुमार से पूछना चाहिए “अगर मेरी कोई राजनीतिक समझ नहीं थी तो मैं दो साल तक उनके आवास पर क्या कर रहा था।” एक प्रश्न के उत्तर में किशोर ने कहा कि उन्हें अतीत में कुमार के लिए काम करने का पछतावा नहीं है। उन्होंने कहा कि कुमार 10 साल पहले जो थे और जो अब हैं, उनमें बहुत अंतर है।

किशोर ने दावा किया, “उन्होंने (कुमार ने) 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर अपनी कुर्सी छोड़ दी थी। अब वह सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हैं।”

अगर सीएम नीतीश 10 लाख नौकरियां देने का वादा करते है तो मैं अभियान छोड़ दूंगा- किशोर

प्रशांत किशोर ने महागठबंधन सरकार के एक साल में 10 लाख नौकरियों के वादे का उपहास उड़ाते हुए कहा, ‘‘मैंने इसे कई बार कहा है और मैं इसे फिर से कहता हूं। अगर वे वादा पूरा करते हैं तो मैं अपना अभियान छोड़ दूंगा।’’

किशोर ने चुटकी लेते हुए कहा कि उन्हें आश्चर्य है, “हमारे मुख्यमंत्री को यह एहसास क्यों हुआ कि वह 10 लाख नौकरियां प्रदान कर सकते हैं। ऐसा लगता है कि उनके पास कुछ अवतरित हुआ है।”

पीके का पैंतरा : प्रशांत किशोर ने कहा- खुद नहीं लड़ूंगा चुनाव, पर जनता को 'बेहतर विकल्प' जरूर दूंगा

Prashant Kishor : प्रशांत किशोर ने कहा कि जद (यू) के नेता मुझे खरी-खोटी सुनाना पसंद करते हैं। उन्हें नीतीश कुमार से पूछना चाहिए कि अगर मुझे कोई राजनीतिक समझ नहीं थी तो मैं दो साल से उनके आवास पर क्या कर रहा था।

प्रशांत किशोर

Prashant Kishor : राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने शनिवार को खुद चुनाव लड़ने की संभावना से इनकार किया, लेकिन अपने गृह राज्य बिहार के लिए एक 'बेहतर विकल्प' बनाने का वादा जरूर दोहराया। यहां एक संवाददाता सम्मेलन में संबोधित करते हुए उन्होंने जद (यू) के नेताओं को जमकर लताड़ लगाई।

दरअसल, जद (यू) के नेताओं से पीके इस पर खासे खफा थे कि उन्होंने पीके पर थोड़े राजनीतिक कौशल के साथ एक 'धंधेबाज' (व्यापारी) जैसे आरोप लगाए थे। पीके ने इस दौरान जद (यू) के नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जाकर पूछें कि उन्होंने मुझे अपने आवास पर दो साल के लिए क्यों रखा था।

संवाददाता सम्मेलन में आई-पीएसी (I-PAC) के संस्थापक प्रशांत किशोर से बार-बार यह सवाल पूछा गया कि क्या वह खुद चुनाव मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं? इस पर जवाब में उन्होंने कहा कि मैं चुनाव क्यों लड़ूंगा? मेरी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है। वह रविवार को होने वाले पश्चिम चंपारण के जिला सम्मेलन की पूर्व संध्या पर बोल रहे थे।

इस सम्मेलन में लोगों की राय ली जाएगी कि क्या 'जन सुराज' अभियान को राजनीतिक दल बनाया जाना चाहिए। राज्य की 3,500 किलोमीटर लंबी 'पदयात्रा' पर आए किशोर ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में इसी तरह से रायशुमारी होगी, जिसके आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी।

किशोर ने दावा किया कि अगर नीतीश कुमार अपने 'राजनीतिक उद्यम' में शामिल होते हैं तो वह एक बार फिर उन पर यह उपकार करेंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि मैंने अपने लिए एक स्वतंत्र राह चुनी है है, इसलिए वह और उनके साथी मुझसे नाखुश हैं। उन्होंने कहा कि जद (यू) के नेता मुझे खरी-खोटी सुनाना पसंद करते हैं। उन्हें नीतीश कुमार से पूछना चाहिए कि अगर मुझे कोई राजनीतिक समझ नहीं थी तो मैं दो साल से उनके आवास पर क्या कर रहा था।

एक सवाल के जवाब में किशोर ने कहा कि उन्हें नीतीश कुमार के साथ पहले काम करने का कोई मलाल नहीं है। उन्होंने कहा कि वह (कुमार) 10 साल पहले जो थे और अब जो हैं, उसमें बहुत अंतर है। उन्होंने लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 2014 में अपनी कुर्सी छोड़ दी थी। लेकिन अब सत्ता में बने रहने के लिए वह किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हैं।

महागठबंधन सरकार के सालाना 10 लाख नौकरियों के वादे का मजाक उड़ाते हुए किशोर ने कहा कि मैंने यह कई बार कहा है और फिर से कहता हूं- अगर वे वादा पूरा करते हैं तो मैं अपना अभियान छोड़ दूंगा।

विस्तार

Prashant Kishor : राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने शनिवार को खुद चुनाव लड़ने की संभावना से इनकार किया, लेकिन अपने गृह राज्य बिहार के लिए एक 'बेहतर विकल्प' बनाने का वादा जरूर दोहराया। यहां एक संवाददाता सम्मेलन में संबोधित करते हुए उन्होंने जद (यू) के नेताओं को जमकर लताड़ लगाई।

दरअसल, जद (यू) के नेताओं से पीके इस पर खासे खफा थे कि उन्होंने पीके पर थोड़े राजनीतिक कौशल के साथ एक 'धंधेबाज' (व्यापारी) जैसे आरोप लगाए थे। पीके ने इस दौरान जद (यू) के नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जाकर पूछें कि उन्होंने मुझे अपने आवास पर दो साल के लिए क्यों रखा था।

संवाददाता सम्मेलन में आई-पीएसी (I-PAC) के संस्थापक प्रशांत किशोर से बार-बार यह सवाल पूछा गया कि क्या वह खुद चुनाव मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं? इस पर जवाब में उन्होंने कहा कि मैं चुनाव क्यों लड़ूंगा? मेरी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है। वह रविवार को होने वाले पश्चिम चंपारण के जिला सम्मेलन की पूर्व संध्या पर बोल रहे थे।

इस सम्मेलन में लोगों की राय ली जाएगी कि क्या 'जन सुराज' अभियान को राजनीतिक दल बनाया जाना चाहिए। राज्य की 3,500 किलोमीटर लंबी 'पदयात्रा' पर आए किशोर ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में इसी तरह से रायशुमारी होगी, जिसके आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी।

किशोर ने दावा किया कि अगर नीतीश कुमार अपने 'राजनीतिक उद्यम' में शामिल होते हैं तो वह एक बार फिर उन पर यह उपकार करेंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि मैंने अपने लिए एक स्वतंत्र राह चुनी है है, इसलिए वह और उनके साथी मुझसे नाखुश हैं। उन्होंने कहा कि जद (यू) के नेता मुझे खरी-खोटी सुनाना पसंद करते हैं। उन्हें नीतीश कुमार से पूछना चाहिए कि अगर मुझे कोई राजनीतिक समझ नहीं थी तो मैं दो साल से उनके आवास पर क्या कर रहा था।

एक सवाल के जवाब में किशोर ने कहा कि उन्हें नीतीश कुमार के साथ पहले काम करने का कोई मलाल नहीं है। उन्होंने कहा कि वह (कुमार) 10 साल पहले जो थे और अब जो हैं, उसमें बहुत अंतर है। उन्होंने लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 2014 में अपनी कुर्सी छोड़ दी थी। लेकिन अब सत्ता में बने रहने के लिए वह किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हैं।


महागठबंधन सरकार के सालाना 10 लाख नौकरियों के वादे का मजाक उड़ाते हुए किशोर ने कहा कि मैंने यह कई बार कहा है और फिर से कहता हूं- अगर वे वादा पूरा करते हैं तो मैं अपना अभियान छोड़ दूंगा।

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